Friday, June 11, 2021

बरसाती दिवाली( Barsati Diwali)

Feel Rain as Festival
Rain Festival
Image from :pexels.com


 बारिश में सब नहाए से हैं...

तरो ताज़ा मुस्कुराए से हैं...

बादल बरस रहे हैं...

बादल गर्ज रहे हैं...

          गर्जना में बिजली की चमक और धमक...

दिवाली सी लगती है ...

 

प्रकृति दिवाली मना रही है...

सब कुछ बरसाती खुशी में सराबोर है...

पेड़ खेत और खेत की मेड़...

गाय भैंस बकरी और भेड़...

रेत के टीले पहाड़ जंगल बाग बगीचे...

समुंद्र नदिया ताल तलैया के हिस्से...

चिड़िया पशु पंछी छत खपरेड...

 

सभी बदलो की बौसार में नहाए है...

पेड़ पौधे खेत नवयौवन से लहलहाए है...

बरसात नवजीवन का संचार है प्रकृति में...

इसीसे ही सारे संसार में खुशनुमा बहार है...!!


Barish me sab nahaye se hai..

Taro taza muskuraye se hai..

Badal baras rahe hai..

Badal garaj rahe hai..

Garjana me bijali ki chamak aur dhamak..

Diwali si lagati hai..


Prakruti Diwali mna rahi hai..

Sab kuchh Barsati khusi main sarabor hai..

Ped khet aur khet ki med..

Gaye bhens bakri aur bhed..

Ret ke teele pahad Jungle bag bagiche..

Samunder nadiya tal taleya ke hisse..

Chidiya pashu pakshi chhat khapred..


Sabhi badalon ki boisar se nahaye hai..

Ped paudhe khet nav yovana se laharaye hai..

Barsat navjivan ka sanchar hai prakriti main..

Isei se hi sare sansar main khushnuma bahar hai..


कविता की विवेचना:


बरसाती दिवाली/ Barsati Diwali कविता बरसात की मनोहर ऋतु के मन भावन दृश्य और सौंद्र को निहारते हुए लिखी और मेहसूस किया इस मन लुभावने वातावरण को।

बरसात में बालकनी में बैठ कर चाय की चुस्कियां लेने और साथ में भजिए खाने का आनंद आलौकिक होता है।

बरसात से किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर तो होती ही है, पंक्षी पशु भी खुश होते हैं, मोर खुशी से झूम कर नाचता है, पपिहा तो प्यास ही बरसात के पानी से बुझाता है वरना प्यासा ही रहता है।

बरसात सबके लिए समृद्धि लेकर आती है , किसानों की तो रोजी रोटी ही बरसात पर निर्भर है। आम इंसान के साल भर के पानी की जरूरत बरसात से ही पूरी होती है।

बरसात इंसान पशु पंछियों पेड़ पौधों के लिए अमृत है,

पृथ्वी पर जीवन का संचार बरसात से ही हो रहा है। हमारे नगर में ही सबको चिंता रहती है डैम भर गया कि नही डैम पूरा भरने पर खुशियां मनाई जाती हैं और महापौर डैम की पूजा करता है और इंद्र देवता का आभार व्यक्त करता है कि समय पर बारिश हुई और डैम भर गया।

इस मनभावन ऋतु का वर्णन " बरसाती दिवाली" कविता में किया गया है।

कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें, और कवितयो के लिए jpsb.blogspot.com को विजिट करें।

... इति...

_जे पी एस बी

 




 






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