जैसे रह गए मेरे सपने बिखर के...
एक दिन तुम भी रो कर सुनाओगी..
दुखड़े अपने टूटे दिल के...
कंधा ना होगा रोने को कोई...
तरसोगी सहारे के लिए ...
समय बीतेगा तुम्हारा किसी...
अजनबी इंसान से मिलके...
मैने बिन जान पहचान...
दिया था तुमको सहारा...
बेहिसाब प्यार तुम पे वारा...
पर तुमने धोखे की ठोकर से मारा...
विश्वास उठ गया है अब..
इंशा का इंशा से...
कोई किसी को प्यार करने से डरेगा...
विश्वास और प्यार के अभाव मे...
इंशा अकेलेपन से मरेगा...
बददुआ ना चाहते हुए निकली दिल से...
तू भी रोओ सुना कर दुखड़े-
अपने टूटे हुए दिल के....!!
Jaise rah gaye mere sapne bikhar ke..
Ek din tum bhi ro kar sunaogi..
Dukhade Apne tute dil ke..
Kandha na hoga rone ko koi..
Tarsogi sahare ke liye..
Samay bitega tumhara..
Kisi ajnabi inshan se mil ke..
Maine bin jan pahchan ..
Diya tha tumko sahara..
Be hisab pyar tum par wara..
Par tumne dhokhe ki thokar se mara..
Vishvas uth gaya hai ab..
Inshan ka inshan se..
Koi kisi ko pyar karne se darega..
Vishvas aur pyar ke abhav main..
Inshan akelepan se marega..
Bad duva na chahte huye bhi nikli dil se..
Tum bhi ro ao suna kar dukhde..
Apne tute huye dil ke..!!
जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
बिखरे सपने/ Bikhre Sapne कविता नायिका से प्यार में धोखा खाए नायक की कहानी है।
एक दिन नायिका अचानक नायक को छोड़ कर उसकी जिंदगी से चली जाती है, नायक को कुछ नही पता कि नायिका क्यों और कहां गायब हो गई और नायक को कुछ भी नही बताया,
नायक नायिका एक दूजे को बहुत प्यार करते थे ,जन्मों जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाते थे, एक पल भी एक दूजे का साथ नही छोड़ते थे , उनकी प्यार की कई यादें एक दूसरे से जुड़ी थी, ऐसा कोई कारण नहीं नजर आता की नायिका नायक को बिना बोले इतना बड़ा निर्णय ले, हो सकता है नायिका की कोई बजबूरी हो। हो सकता नायिका किसी मुसीबत में फंस गई हो।
एक दिन नायक नायिका को कही सार्वजनिक जगह पर देख लेता है, और उससे नाराज होता है , उस पर बेवफाई का डोस लगता है और उसे बददुवाए भी देता है, नायिका किसी कारण वस नायक की किसी बात का जवाब नही देती और नन्हा से बिना कुछ कहे चली जाती है। नायक सोचता है की नायिका मेरी गुनहगार है इस लिए कुछ नही बोलती , और नायक को पक्का हो गया है की नायिका ने उसे धोखा दिया है और किसी की हो गई है। बाद में नायक किसी दोस्त के द्वारा हकिकत जानने के लिया नायिका का पीछा करवाता है।
तो पता चलता है कि नायिका के पिता उसकी शादी अपने पसंद के किसी लड़के से करवाना चाहते हैं, नायिका पर दबाव डाल रहे है नायक को छोड़ दे और पिता के बताए लड़के से शादी कर ले। मगर नायिक उस शादी का विरोध पुरजोर तरीके से कर रही है ,उसने खाना पीना छोड़ रखा है, नायक को इस लिए नही बताया कि नायिका नही चाहती थी नायक और उसके पिता का टकराव हो और संबंध हमेशा के लिए टूट जाए, नायिका अपने तरीके से यह समस्या सुलझाना चाहती है।
आखिर नायिका सफल हो जाती है और नायिका के पिता नायक से सी नायिका की शादी करने को तैयार हो जाते हैं।
" बिखरे सपने" कविता में नायक की गलत फहमी का वर्णन किया किया ,मगर यह गलत फहमी आखिर दूर हो जाती है ,और नायक नायिका एक हो जाते हैं।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
...................................................................................
No comments:
Post a Comment
Please do not enter spam link in the comment box