छोड़ो रोज का रोना धोना...आओ कवि हो ना...
आरोप प्रत्यारोप भड़ास..
जो भी हो यहां निकालो..
देनी जिसको जितनी गलियां दे डालो..
जब जब अहसहाय महसूस करो...
एक नई कविता बना लो...
तुम्हारी कविता से ...
कोई फ़र्क नही पड़ेगा तुम्हे भी पता है...
तुम्हारा अपराधबोध तो कम होगा...
तुम्हे संतुष्टी ही मिलेगी...
एक दस्तावेज तुम्हारे नाम कही दफ़न होगा..
तुम्हे भी बेमौत नकारा मरने का न गम होगा...
Chhodo roj ka rona dhona..
Aao Kavi Ho Na..
Aarop partyarop bhadaas..
Jo bhi ho yaha nikalo..
Deni ho kisko jitni galiya de dalo..
Jab jab ahsahay mahasus karo..
Ek nayi Kavita bana Lo..
Tumhari Kavita se ..
Koi farak nahi padega tumhe bhi pta hai..
Tumhara apradh bodh to kam hoga..
Tumhe santusti hi milegi..
Ek dastavez tumhare naam kahin dafan hoga..
Tumhe bhi bemaout nakara marne ka na gam hoga..
जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
कवि हो जाओ/ Kavi Ho Jao कविता कवि अपने आस पास कई घटनाएं वा देश की व्यवस्था में कुछ ना कुछ ऐसा होता है लगता है बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है और हम कुछ नहीं कर सकते तो गुस्सा आता है , चिढ़ होती है।
यह गुस्सा और चिढ़ हम अपने आप पर ही निकालते हैं , क्यों कि किसी को कुछ कह नहीं सकते, खुद कुछ कर नही सकते सिर्फ अपने आप को ही कोस सकते हैं।
कवि का कहना है इसी गुस्से को लिखो कविता के रूप में तुम्हारा गुस्सा कुछ कम होगा और तुम्हे लगेगा कि तुमने किसी को शिकायत कर दी है, जब कि तुम्हे भी पता है कि कुछ नही हुआ है मगर आत्म संतुष्टि जरूर मिली है ।
वैसे जो कोई नही सुनता वो भगवान सुनता है और भगवान जरूर ही तुम्हारी पीड़ा का समाधान भी करता है।
जिन कामों से तुम्हे गुस्सा आ रहा है, भगवान उन लोगों की भी खबर जरूर लेता है और उन्हें सजा भी जरूर देता है।मगर उन गुनाहगारो की बुद्धि और चमड़ी इतनी मोटी हो चुकी रहती है, उन्हे पता ही नही चलता कि उन्हें सजा मिली है, मगर सजा तो जरूर मिलती है।
करोना काल अभी भी चल रहा है खतरनाक दूसरी वेव कुछ अंश अभी भी बाकी हैं, इस समय प्रशासनिक व्यवस्था पर हर नागरिक को बहुत गुस्सा आया ।
ऑक्सीजन का ना होना, बजाय ऑक्सीजन सप्लाई पूर्ति करने के कोर्ट में जाना, अपनी नाकामियां ना मानना, मौत के झूठे आंकड़े देना , मौतों को छुपाना , पब्लिक की मौतों को रोकने के लिए लिए कुछ खास ना करके राजनीति करना।
करोना काल का राजनैतिक फायदा उठाना चुपचाप करोना काल का फायदा उठाकर कानून बनाना जो जनता के हित में नहीं हैं आदि आदि कई कारण है जिस पर गुस्सा आता है मगर कुछ नही कर सकते।
करोना कॉल से पहले भी बढ़ती मंहगाई , बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था , स्वास्थ व्यवस्था भ्रष्टाचार आदि कई विषय हैं जिनपर गुस्सा आता है मगर कुछ नही कर सकते ।
इन्ही सब अवव्यस्थायो को देख जब जब गुस्सा आए लिखी एक नई कविता बनाओ यही कवि का कहना है या घुट घुट के मर जाओ ।
"कवि हो जाओ" कविता में आम आदमी की बैचेनी को कुछ कम करने के लिए कवि ने सुझाव दिया है कि कवि हो जाओ और कुछ तो मानसिक शांति पाओ।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb. blogspot.com
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