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Life Cycle Image from :pexels.com |
मृत्यु आई...जीवन छीन लिया...
बुढ़ापा जवानी निगल गया...
जवानी बचपन खा गई...
बार बार याद आती है मुझे बूढ़ापे मेंमदमस्त जवानी तेरी...
जवानी का जोश मस्ती...लगती है अब कहानी सी...
जवानी में बचपन याद आया था...
संघर्सों समस्याओं और बैचेनी ने...
किया था पराया सा...बचपन का अल्हड़पन निसफिक्र मस्ती...
अपनी परी लोक सी दुनिया में खोना...
दिन में जी भर कर खेलना....और रात थक कर मस्त सोना..
अब मृत्यु के निकट ...
लगती है जिंदगी एक खिलौना...
कौन खेल रहा इससे....
ईश्वर को ही है पता...!!
Mrutyu Aayi..
Jiwan chhin liya..
Budhapa Jawani nigal gaya..
Jawani bachpan kha gayi..
Bar bar mujhe budhape main..
Madmast jawani teri..
Jawani ka josh masti..
Lagati hai ab kahani si..
Jawani me bachpan yad aaya tha..
Sangharso samayadyo aur baicheni ne ..
Kiya tha praya sa..
Bachpan ka alhadpan nisfikar masti..
Apni pari lok si duniya me khona..
Din me dil bhar ke khelna...
Aur Rat thak kar mast sona..
Ab mrityu ke nikat..
Lagati hai jindgi ek khilona..
Kaun khel raha hai es se..
Ishwar ko hi hai pata..!!
जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
जीवन लीला/ jeewan Lila कविता में इंसान के जीवन चक्र जन्म बचपन ,जवानी, बुढ़ापा और अंत में मौत का वर्णन किया गया है।
घर में बच्चा जन्म लेता है सारे परिवार में खुशी का माहौल रहता है, बच्चे का जोर शोर से इस संसार में स्वागत किया जाता है ,और बच्चे के नए जन्म के जीवन की शुरुआत हो जाती है।
शुरू में जब तक उसकी शिक्षा की शुरुआत नही होती मज़ेदार गुजरती है, लाड प्यार हर साल जन्म दिन आदि।
उसके बाद पढ़ाई की शुरुआत हो जाती है फिर पढ़ाई का बोझ धीरे धीरे बढ़ने लगता है साथ में थोड़ी बहुत डांट फटकार भी चालू हो जाती है।
फिर जवानी आने की शुरुआत हो जाती है पता ही नही चल पाता की बचपन कब पीछे छूट गया। जवानी में नई नई उमंगे अंगड़ाई लेती हैं, उसमे से एक प्रेमी प्रेमिका की भूमिका भी होती है, लड़की है तो प्रेमी जीवन में आता है , लड़का है तो प्रेमिका जीवन में आती है।
इसी बीच रोजी कमाने कैरियर बनाने का सवाल भी उठ खड़ा होता है। नोकरी या बिजनेस कर लिया तो शादी की तैयारी, शादी हो गई बच्चे हो गए अब घर चलाने की मसकत बच्चो के भविष्य के लिए सेविंग और भी तमाम परिवार और घरिस्ती की समस्याएं। इन सब उलझ7नों में पता ही नही चल पाता की जवानी कहां चली गए।
अधेड़ उम्र की ओर बढ़ चुके और बुढ़ापे के दरवाजे तक पहुंच जाते हैं रिटायरमेंट का समय आने वाला होता है।
घर की किस्तें जल्दी खत्म करना बच्चो की शादी करना अगर नोकरी अच्छी ना हुई तो रिटायरमेंट के बाद खर्चों की चिंता ।
इन सब परिसानियो से शरीर को कई बीमारियां लगनी शुरू हो जाती हैं शरीर ढलान पर होकर कमजोर होने लगता है , बाल सफेद हो जाते हैं झुरिया शकल बिगड़ने लगती है।और पता ही नही चल पाता कि मौत बहुत करीब आकर साथ चलने की तैयारी करवा रही है।
और एक दिन आ ही जाता है कि बीमारी और कमजोर शरीर मौत के आगे समर्पण कर देता है और जीवन शरीर का साथ छोड़ मौत के साथ चल देता है किसी अनजान अनंत की ओर।
और इस प्रकार यह जीवन लीला का चक्र समाप्त हो जाता है।
" जीवन लीला" कविता में इसी जीवन चक्र का वर्णन किया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_ जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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