Monday, June 28, 2021

मैंने उफ़ ना की( maine uff na ki)


Maine uff na ki
Maine uff na ki


बाते वाते प्यार व्यार ...
सब दूर छूट गया...
मैने उफ़ ना की ..

घर बार रहना वहना...
सब बिखर बिखर गया...
मैंने उफ़ ना की...

नीदें विन्दें आराम विश्राम...
अब कहां मेरे नसीब...
मै टुटता रहा, मैंने उफ़ ना की...

कपड़े वपडे बिस्तर विस्तर...
बिखरे पड़े बेतरतीब...
दर्द और बढ़ाते रहे ...
मैंने उफ़ ना की...

शक्ल सूरत चेहरा वहरा सजना संवरना...
था कभी, अब चेहरा स्याह हुआ...
मैंने उफ़ ना की...

तुम्हारे ताने वाने झगड़े रगड़े...
दिल मेरा देहला गए...
मैंने उफ़ ना की...

साथ वाथ  उम्मींदे नामूदें...
सब तबाह हुई मेरी...
मैंने उफ़ ना की...

कसमें वादे वफ़ा बेवफ़ा...
इनका नहीं पता,तार तार हुआ मैं...
मैंने उफ़ ना की...

दिल विल सांसे वांसे सपने वपने...
बुरी तरह टूटे सब...
मैंने उफ़ ना की...

जिंदगी विन्दगी मौत बेमौत दर्द वर्द...
ये सारे संझोर रहे हैं मुझे...
और मैंने उफ़ तक ना की...

शिकायत विकायत गिले शिकवे...
यह सब अब बेमानी हैं ...
किसी से कुछ न कहा...
मगर इन सबका अब तुमसे क्या वास्ता...
क्यों कि मेरा तेरा जुदा जुदा है रास्ता..!!

Baaten vaten pyar vyar..
Sab dur chhoot gaya..
Maine uff na ki..

Ghar bar rahna vahna ..
Sab bikhar vikhar gaya..
Maine uff na ki..

Neende vinde aaram vishram..
Ab kaha mere nasib ..
Main tutata raha, Maine uff na ki..

Kapde vapde bister vister..
Sab bikhre pade betartib..
Mera dard aur badhate rahe..
Maine uff na ki..

Shakal surat chehra vahra sajna savarna..
Tha kabhi,ab chehra syah huva..
Maine uff na ki..

Tumhare tane vane jhagra ragda..
Dil Mera dhla gaye..
Maine uff na ki..

Sath vath uminden na uminden..
Sab tabah hui meri..
Maine uff na ki..

Kasme vade vafa bevafa..
In sabka nahi pta, tar tar huva main ..
Maine uff na ki..

Dil vil sanse vanse sapne vapne..
Buri tarah tute sab..
Maine uff na ki..

Jindgi vindgi mout be- mout dard vard..
Sare jhanjhore rahe hai mujhe..
Maine uff tak na ki..

Sikayat vikayat gile shikve..
Ye sab ab bemani hai..
Kisi se kuchh na kaha..
Magar ab in sabka tumse kya vasta..
Kyu ki tera mera juda juda hai rasta..!!


_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

मैने उफ़ ना की/ Maine Uff Na Ki कविता दो प्यार करने वालो की दास्तान है जिनके विचार एक दूसरे विपरीत हैं।

विचार विपरीत होने के बावजूद दोनों एक दूसरे को चाहते हैं,दिल से चाहते है कि विचार मिलें और वो हंसी खुशी साथ रहें, इसके लिए एक पक्ष पूरी कोशिश करता है और
कई अहसनीय बातों को ignor करता है, जिसमे उसको बहुत पीड़ा होती है परन्तु वो अपने रिश्ते को ठीक करने के लिए सहता है।

पर इसकी वैल्यू प्रेमिका को नही है और वो अपने अभिमान के कारण अपना व्यवहार गलत ही रखती है।और उसे लगता है वो सही है जब की कई बार वो गलत होती।

 प्यार में समर्पण चाहिए और ये दोनो तरफ से होना चाहिए, थोड़ा थोड़ा दोनों झुकेंगे तो प्यार और विश्वास बढ़ेगा और धीरे धीरे टकराव और तकरार बिलकुल भी ना रहेगा, मगर ऐसी सलाह उन्हें कौन देगा ? हो सकता कि अपने आप ही अकल आ जाए , और उनकी जिंदगी स्वर्ग जैसे आनन्द में गुजर जाए।

"मैने उफ ना की" कविता में प्रेमी की सहन शक्ति का वर्णन है की पीड़ा सह कर भी वो रिश्ता जोड़ा चाहता है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com



 




 

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