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Doughter in Law Image from: pexels.com |
ऐसा हमने सोचा था...
बेटी की कमी करे पूरी...
ऐसा हमने सोचा था...
सास ससुर नही मां बाप होंगे हम उसके...
बेटे से बढ़कर प्यार देंगे उसे इतना...
मायके मे भी मिला न हो जितना....
उसकी खुशियों के लिए लिस्ट बनाई थी खासी...
उसे कोई कमी न रहे ना आए कभी चेहरे पे उदासी...
बेटा भी खुश था जीवन साथी पाकर...
उसकी अच्छी अच्छी बातें बताता था आकर...
दुगनी खुशियों से हमने शादी का त्योहार मनाया...
हर रिस्तेदार को गर्व से अपनी नई बहू से मिलाया...
कहा, बेटी हमारी आई है लाखो खुशियां लाई है...
खुशियों का गुब्बार अभी उतरा भी न था...
अचानक बहु ने बेटी होने से इंकार सा किया...
एक झोके से बुझा दिया हमारे मन का प्यार का दिया...
ना बन सकेगी बेटी अच्छे से एहसास हमे कराया...
अपना बेटा भी लगने लगा हमे पराया पराया...
हम जीवन में सब हार गए ठगा सा खुद को पाया...
हमने मां बाप बनना चाहा खलनायक हमे बनाया...
कहां हमसे भूल चूक हुईं हमने जांचा परखा...
सपने चूर चूर हो गए सारे ...
नरक बन गया घर जो पहले स्वर्ग था...
बेटा भी बहुत आहत हुआ...
जिसे बनाया था हमने सीधा साधा...
दुख गमों से से सुख रह गया आधा...
पत्नी के प्यार की जगह उसे भी ताने मिले...
बढ़ते ही गए रोज के झगड़े और शिकवे गिले...
बेटी तो दूर अच्छे से बहु भी न हो सकी..
अलग सी वो अपनी ही दुनिया बनाने लगी..
एक लंबी लकीर हमारे रिस्तो में खीच गई...
जो लकीर से अब गहरी खाई में तब्दील हो गई ...
खाई के इस पार हमे छोड़ बहु उस पार जा बैठी...
हमने खाई को जितना पाटना चाहा...
खाई दिन पर दिन और बढ़ती गई...
अब वह खाई खंडहर बन चुकी है...
दुख इतने बढ़े कि बताना मुस्किल है...
बहू बेटी ना हो सकी...
सास को मां ना माना ...
उल्टा दिया सास ससुर को दुश्मनी का ताना...
इस कहानी का अंत अच्छा ही हो...
हम सबकी भगवान से पुरजोर दुवा है...
जो होगा अच्छा ही होगा पहले भी अच्छा ही हुआ है...!!
जे पी एस बी
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