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Innocent Citizen Image from :pexels.com |
जनता ही क्यों तकलीफ़ उठाए सदा...दुख देने वाले दुख देते रहें दिखा कायदा...
और इनकी खुशी के लिए उनकी तारीफ के..
क्यों कसीदे पढ़े जाएं हमेशा..
उनकी मन की बात जबरन सुने...
और क्यों अपनी दुख तखलीफो को दबाएं...
अभिजात्य वर्ग से मिल अमला सरकारी...
जनता से सालो से कर रहा मक्कारी...
अपमान, फाका, बेरोजगारी और बीमारी...
बिना ईलाज दवाओं से मरने की लाचारी...
भगवन जनता के भाग्य विधाता..
आप थे सदा...
बचाइए हमे इनसे...
इन्होंने लाई हम पे भारी आपदा...!!
Janta hi kyo taklif uthaye sada..
Dukh dene wale dukh dete rahe dikha kayda..
Aur unki khushi ke liye unki tarif ke..
Kyon kaside padhe jaye hamesha..
Unki mann ki baat jabran sune ..
Aur kyo apni dukh taklif ko dabayen..
Abhijatya varg se mil kar amla sarkari..
Janta se salon se kar raha makkari..
Apmaan faka berojgari aur bimari..
Bina davon se marne ki lachari..
Bhagwan janta ke bhagya vidhata ..
Aap the sada..
Bachayen hame inse..
Inhone layi ham par bhari bipda..!!
_Jpsb
कविता की विवेचना:
लाचार जनता/Lachar Janta कविता भारत की आम गरीब जनता के हालात देख लिखी है।
भारत को आजादी मिले आज लगभग चोहतर साल गुजर गए , परंतु लगता है आज़ादी सिर्फ भारत के अभिजात वर्ग को ही मिली है , गरीब का हाल अज़ीज़ के बाद और भी बदतर हो गया है।
भारत में आजादी के बाद जो भी योजनाएं बनी लगता है बीस प्रतिशत आबादी को ध्यान में रखा गया और अस्सी प्रतिशत गरीब आबादी को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया।
ये देश जितना अमीर का है उतना ही गरीब का भी है , तो गरीब भीख मांगता लावारिस सा क्यों है आजाद भारत में क्यों नही योजना बनाते समय उन्हें भी ध्यान में नही रखा जाता। क्यों गरीब तबके की आमदनी एक लेवल से ऊपर रखने की कोशिश नही की गई ताकि वो भी आजाद भारत के नागरिक के अधिकार के साथ समानित जीवन जी सके ,उसके लिए भी आज़ादी का मतलब हो।
"लाचार जनता" कविता में गरीब की लाचारी का वर्णन है कि कैसे आज़ाद भारत में उसे उसके अधिकार नहीं मिले।
कविता को पढ़े और शेयर करे , गरीब का उत्थान करके ही भारत विकसित और मजबूत देश बनेगा।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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