Wednesday, June 9, 2021

मैने प्रेम किया(Maine Prem Kiya)

Love Happens naturally
Love Happens
Image from :pexels.com


 मैने प्रेम किया..

और कागज़ पर लिख दिया..

मैने प्रेम किया...

और पेड़ो के पीछे छिप गया..

मैने प्रेम किया...

और किसी चिड़िया से कह दिया..

मैने प्रेम किया...

और एक दिया नदी में बहा दिया..

मैने प्रेम किया...

और एक गुलदस्ते में रख दिया...

मैने प्रेम किया...

और कविता में गुमसुम रह गया...

मैने प्रेम किया...

और एक कहानी कह कर कह दिया...

मैने प्रेम किया...

और एक उपन्यास का पात्र रह गया...

मैने प्रेम किया...

और एक गीत बन कर मन ही मन गुनगुनाया...

मैने प्रेम किया...

और किसी के सपनों में खो गया ...

मैने प्रेम किया...

और किसी को पता तक ना चला...

मैने प्रेम किया...

अपने ख्यालों से अपने ख्यालों में रहा..!!


Maine prem kiya ..

Aur kagaz par likh diya..

Maine prem kiya ..

Aur pedo ke pichhe chhup gaya..

Maine prem kiya ..

Aur chidiya se kah diya..

maine prem kiya ..

Aur diya nadi main baha diya..

Maine prem kiya ..

Aur guldaste main rakh diya..

Maine prem kiya..

Aur kavita main gumsum rah gaya..

Maine prem kiya..

Aur kahani kah kar kah diya..

Maine prem kiya..

Aur ek upanyas ka paatra rah gaya..

Maine prem kiya ..

Ek geet ban mann hi mann gungunaya..

Maine prem kiya ..

Aur kisi ke sapno main kho gaya..

Maine  Prem kiya..

Aur kisi ko ok pata tak na chala..

Maine Prem Kiya..

Apne khyalon se apne khayalon me raha..!!


जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

मैंने प्रेम किया/ Maine Prem Kiya कविता उस प्रेमी नायक के बारे में है , जो दिल ही दिल में प्रेम करता है मगर नायिका को कह नही पाता।

नायक प्रेम का इजहार नायिका से करने की हिमन्त नही जुटा पाता और वो अपने प्रेम का इज़हार निर्जीव चिजो से करता है, जैसे पेड़ पौधों से ,पंक्षियो से ,कभी कागज़ पर लिख देता है, कभी कविता में कह देता है या कभी उपन्यास के नायक से तुलना करता है।

नायिका की तस्वीर उसने मन ही मन बना रखीं है, मगर किसी को नही बताया अपने यार दोस्त को भी नहीं। नायिका को पता ही नही रहता कि नायक उसको अपार प्रेम करता है । जब कि नायिका से उसकी बात चीत है मगर उसने नायिका को कभी नहीं बताया कि वोह नायिका से प्यार करता है या बहुत ज्यादा चाहता है।

नायक को डर है कि नायिका कही इनकार ना कर दे या इजहार करने पर बुरा मान कर उससे दूर न चली जा जाए ,अभी तो कम से कम बात तो होती है उससे। नायक को लगता है नायिका को अपनें आप पता चले या फिर नायिका ही पहले नायक से इजहार करे, मगर नायक को यह भी नही पता कि नायिका उसे प्यार करती भी है या नहीं।

कविता के अंत तक नायक अपने प्रेम का इजहार नही कर पाता और यह प्रेम नायक के ख्यालों में ही रह जाता है , नायिका तक नही पहुंच पाता , फिर भी नायक कहता है मैने प्रेम किया!

"मैने प्रेम किया" कविता में नायक के प्रेम और प्रेम के लिए उसकी ऊहा पोह और अपने दिल और मन में उठ रही प्रेम की उलझनों का वर्णन है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी

jpsb.blogspot.com




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