Tuesday, June 29, 2021

कहानी प्यार की ( Love Story)

                          
Love Story
LOVE STORY
Image from: pexels.com


ये अजीब कहानी है प्यार की...
कहां से हुई शुरू कहां है खत्म...
कहानी की मंजिल है कौन सी...
 इसकी समझ अभी है कम...

ये उजाले के साथ क्यों...
धुवां उठता है दिये से...
बहुत खुशी के साथ ज्यो ...
थोड़े गम भी हैं मिले से...

सपना देख रहा हू मैं...
कि जाग रहा हू रात से...
दोस्त को विदा किया...
आया दोस्त की बारात से...

बधाई हो दोस्त कि तुम...
उनके  चिराग हो गए...
उनके  इतने पास हो..
कि मुझसे दूर हो गए...

किसी के खास होकर तुम...
एक नई दुनिया बसायोगे...
मद मस्त हो जाओगे तुम ...
हमें हमेशा याद आओगे...

अब मिले ना मिले हम...
यादें हमेशा मेरे पास हैं...
बिताए जो पल साथ खास हैं...
कहानी में है दम हरदम ...
मेरी दुवाये तुम्हारे साथ हैं..!!



_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

कहानी प्यार की/ Kahani Pyar Ki कविता दो जिगरी  दोस्तो की कहानी है,
जो अनजाने में एक ही लड़की से प्यार करते हैं।

दोस्तों को आपस में पता नही होता कि वे एक ही लड़की से प्यार करते है ,लड़की भी उनकी दोस्ती के बारे में अनजान होती है ,मगर वो इनमे से एक से प्यार करती है और उनका प्यार का इजहार हो चुका रहता है।

दूसरे दोस्त को पता चलता है कि वो लड़की और दोस्त 
आपस में प्यार करते हैं  तो दोस्त अपने दोस्त की खातिर
दोस्त को मालूम नही होने देता की वो उस लड़की को प्यार करता है और लड़की को भी पता नहीं लगने देता
और लड़की भी नही जानती कि उसको यह भी चाहता है।

अचानक लड़के के दोस्त और उस लड़की की आपस में  शादी  तय हो जाती है ,और ये अपने दोस्त की बारात में जाता है।
उसके दोस्त और उस लड़की को पता नही वो उस लड़की को बेहद चाहता है।

दोस्त के लिए दी दोस्त की प्यार की कुर्बानी की यह कहानी है।
"कहानी प्यार की" कविता में कुर्बानी के इस जज्बे का विवरण है.। कृपा कविता पढ़े और शेयर करें।

... इति..

_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com








Monday, June 28, 2021

मैंने उफ़ ना की( maine uff na ki)


Maine uff na ki
Maine uff na ki


बाते वाते प्यार व्यार ...
सब दूर छूट गया...
मैने उफ़ ना की ..

घर बार रहना वहना...
सब बिखर बिखर गया...
मैंने उफ़ ना की...

नीदें विन्दें आराम विश्राम...
अब कहां मेरे नसीब...
मै टुटता रहा, मैंने उफ़ ना की...

कपड़े वपडे बिस्तर विस्तर...
बिखरे पड़े बेतरतीब...
दर्द और बढ़ाते रहे ...
मैंने उफ़ ना की...

शक्ल सूरत चेहरा वहरा सजना संवरना...
था कभी, अब चेहरा स्याह हुआ...
मैंने उफ़ ना की...

तुम्हारे ताने वाने झगड़े रगड़े...
दिल मेरा देहला गए...
मैंने उफ़ ना की...

साथ वाथ  उम्मींदे नामूदें...
सब तबाह हुई मेरी...
मैंने उफ़ ना की...

कसमें वादे वफ़ा बेवफ़ा...
इनका नहीं पता,तार तार हुआ मैं...
मैंने उफ़ ना की...

दिल विल सांसे वांसे सपने वपने...
बुरी तरह टूटे सब...
मैंने उफ़ ना की...

जिंदगी विन्दगी मौत बेमौत दर्द वर्द...
ये सारे संझोर रहे हैं मुझे...
और मैंने उफ़ तक ना की...

शिकायत विकायत गिले शिकवे...
यह सब अब बेमानी हैं ...
किसी से कुछ न कहा...
मगर इन सबका अब तुमसे क्या वास्ता...
क्यों कि मेरा तेरा जुदा जुदा है रास्ता..!!

Baaten vaten pyar vyar..
Sab dur chhoot gaya..
Maine uff na ki..

Ghar bar rahna vahna ..
Sab bikhar vikhar gaya..
Maine uff na ki..

Neende vinde aaram vishram..
Ab kaha mere nasib ..
Main tutata raha, Maine uff na ki..

Kapde vapde bister vister..
Sab bikhre pade betartib..
Mera dard aur badhate rahe..
Maine uff na ki..

Shakal surat chehra vahra sajna savarna..
Tha kabhi,ab chehra syah huva..
Maine uff na ki..

Tumhare tane vane jhagra ragda..
Dil Mera dhla gaye..
Maine uff na ki..

Sath vath uminden na uminden..
Sab tabah hui meri..
Maine uff na ki..

Kasme vade vafa bevafa..
In sabka nahi pta, tar tar huva main ..
Maine uff na ki..

Dil vil sanse vanse sapne vapne..
Buri tarah tute sab..
Maine uff na ki..

Jindgi vindgi mout be- mout dard vard..
Sare jhanjhore rahe hai mujhe..
Maine uff tak na ki..

Sikayat vikayat gile shikve..
Ye sab ab bemani hai..
Kisi se kuchh na kaha..
Magar ab in sabka tumse kya vasta..
Kyu ki tera mera juda juda hai rasta..!!


_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

मैने उफ़ ना की/ Maine Uff Na Ki कविता दो प्यार करने वालो की दास्तान है जिनके विचार एक दूसरे विपरीत हैं।

विचार विपरीत होने के बावजूद दोनों एक दूसरे को चाहते हैं,दिल से चाहते है कि विचार मिलें और वो हंसी खुशी साथ रहें, इसके लिए एक पक्ष पूरी कोशिश करता है और
कई अहसनीय बातों को ignor करता है, जिसमे उसको बहुत पीड़ा होती है परन्तु वो अपने रिश्ते को ठीक करने के लिए सहता है।

पर इसकी वैल्यू प्रेमिका को नही है और वो अपने अभिमान के कारण अपना व्यवहार गलत ही रखती है।और उसे लगता है वो सही है जब की कई बार वो गलत होती।

 प्यार में समर्पण चाहिए और ये दोनो तरफ से होना चाहिए, थोड़ा थोड़ा दोनों झुकेंगे तो प्यार और विश्वास बढ़ेगा और धीरे धीरे टकराव और तकरार बिलकुल भी ना रहेगा, मगर ऐसी सलाह उन्हें कौन देगा ? हो सकता कि अपने आप ही अकल आ जाए , और उनकी जिंदगी स्वर्ग जैसे आनन्द में गुजर जाए।

"मैने उफ ना की" कविता में प्रेमी की सहन शक्ति का वर्णन है की पीड़ा सह कर भी वो रिश्ता जोड़ा चाहता है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com



 




 

Thursday, June 24, 2021

प्यार की आग( Fire of Love)










Fire of Love
Fire of Love
Image From: pexels.com



तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार की आग है...
ये समझ उस आग में जलना चाहा...
मगर वहा चिंगारी निकली...

मीठी सूरी समझ ,तेरे प्यार में कटना चाहा...
मगर तू धारदार आरी निकली...

फूल समझ तुझे, प्यार लेकर तेरे पास  आया ...
मगर तू कांटेदार झाड़ी निकली...

कविता समझ तुझे ,पढ़ने तेरे सुभाव के पन्ने पलते...
तो तेरे मुंह से गाली निकली....

नदी समझ ,जब तेरे प्यार में डूबने तेरे मन में समाया...
मगर तू मामूली नाली निकली...

तुम्हारे आखों के समुंद्र में ढूंढने  प्यार झांकने गया..
वहा चाकू छुरिया और कटारी निकली...

एक जासूसी उपन्यास जानकर रहस्य जानने चाहे...
 पढ़ते  ही चीखें हमारी  निकली...

एक रहस्मय गुफा हो तुम ,गुफा में प्यार तलासना चाहा...
 जैसे  ही आगे बढ़ा मौत हमारी निकली...!!

Tumhare dil main mere liye pyar ki aaga hai..
Yah samajh usme jalna chaha..
Magar wahan chingari nikli..

Meethi suri samajh katna chaha..
Magar tu dhardar aari nikli..

Phool samajh  tujhe, pyar lekar pas aaya..
Magar tu kantedar jhadi nikli..

Kavita samajh tujhe, padhne tere swabhav ke panne palte..
Tou tere muh se gali nikli..

Nadi samajh, tere pyar me dubne tere mann main samaya..
Magar tu mamuli nali nikli..

Tumhare aankhon ke samander main pyar dhudne jhakne gaya..
Tou waha chaku chhuriya aur katari nikli..

Ek jasoosi upnyas jankar kar rahsay janane chahe..
Padhte hi cheekhe hamari nikli..

Ek rahsmay gufa ho tum,gufa main pyar talasna chaaha..
Jaise hi aage badha mout ho amari nikli..!!


कविता की विवेचना:

प्यार की आग / Pyar ki Aag कविता प्रेमी जोड़े की कहानी है , जो पहले एक दूसरे को बहुत चाहते हैं, बाद में प्यार नफरत में बदल जाता है।

अचानक दोनो के विचार नही मिलते ,एक दूसरे के विपरीत चलने लगते हैं, कोई भी बात एक दूजे की नही भाती जो कि लड़ाई झगड़े का कारण बनती है।

प्रेमी को जो प्रेमिका दुनिया की सबसे हसीन लगती थी , अब उसमे कई खामियां नजर आती है ।

प्रेमिका की निसानिया डरावनी लगती हैं, उसके द्वारा दिए गए उपहार काटने को दौड़ते हैं । उसके साथ बिताए हसीन पल अब अब भूतिया कहानी के हिस्से लगते हैं।

 उसकी कही गई बातें कान सुनना नही चाहते , एक भी याद उसकी बहुत तकलीफ देती है, प्रेमी एक भी बात प्रेमिका की अब याद नही रखना चाहता और प्रेमिका को बिलकुल भुला देना चाहता है , जिंदगी के उस हिस्से को हमेशा के लिए जिंदगी से काट देना चाहता है जिसका संबंध उसकी प्रेमिका से हो।

प्रेमी की बहुत सी ऐसी ही भावनाओ का जिक्र  कविता में किया है।

"प्यार की आग" कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें।
... इति...


_जे पी एस बी 
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Wednesday, June 23, 2021

पतंगा हू (Patanga Hu)

As
Patanga Hu
Patanga Hu
Image from: pexels.com




चकोर हू, चंदा समझ तुझे सदियों निहारता रहा...
तेरे आकषर्ण में पागल हुआ...
और तुझे पता न  चला...

मोर हू, बादल समझ तुझे झूम झूम नाचता रहा...
मेरे सारे पंख टूटे और झड़ गए ..
और तुम्हें पता न चला ...

कोयल हू, बसंत ऋतु में कूक कूक तुझे याद किया....
पतझड़ में मेरा घर झड़  गया...
और तुम्हें पता न चला...

पपीहा हू, बारिश समझ तुझे प्यासा इंतजार किया...
हर बरस मैं प्यासा रहा...
और तुझे पता ना चला...

सूर्यमुखी हू,सूरज समझ तुझे बरसो निहारता रहा...
सांझ ढले उदास मुरझा गया...
और तुम्हें पता न चला ...

मछली हू, नदी समझ तुझे तेरी लहरों में बह गया...
लहरों ने अलग किया तड़फ मर गया...
और तुम्हें पता न चला....

पतंगा हू, दिया समझ तुझे तेरी लो में जल गया...
तेरे आकषर्ण में जल मर गया...
और तुम्हें पता ना  चला ...

मैं क्या हू, तुम्हारे किस स्वरूप के आकर्षण में गया..
कई बार मर कर भी फिर जिया...
और तुम्हें पता तक ना चला...!!


Chakor hu,Chanda samajh tujhe sadio niharta raha..
Tere Akarshan me pagal huwa..
Aur tujhe pata na chala..

Mor hu,Badal samajh tujhe jhum jhum nachta raha..
Mere sare pankh tute aur jhad gaye..
Aur tumhe pata na chala..

Koyal hu, Basant ritu me koohuk koohuk tujhe yad kiya..
Patjhad me mera ghar jhad gaya..
Aur tumhe pata na chala..

Papiha hu, Barish samajh tujhe pyasa intjaar kiya..
Har barash pyasa raha..
Aur tujhe pata na chala..

Suryamukhi hu,Suraj samajh tujhe barso niharta raha..
Sanjh dhale udas murjha gaya..
Aur tujhe pata na chala..

Machhali hu, Nadi samajh tujhe Teri lahron main bah gaya..
Lahron ne alag kiya tadaf mar gaya..
Aur tujhe pata na chala..

Patanga hu,Diya samajh tujhe teri lo main jal gaya..
Tere Akarshan main jal mar gaya..
Aur tujhe pata na chala..

Main kya hu, Tumhare kis swaroop ke Akarshan main gaya..
Kai bar mar kar bhi phir jiya..
Aur tujhe pata tak na chala..!!


जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

पतंगा हूं/ Patanga Hu कविता नायक नायिका को रिझाने के लिए तरह तरह के त्याग करता मगर नायिका को पता नही चलता।

नायक ने अपने नायिका के प्रति प्रेम इजहार के तरीके प्रीतिको के रूप में बताएं हैं। 

जैसे पपिहा बारिश का इंतजार करता है , वह कही और जगह से पानी नहीं पीता, बारिश का पानी ही पीता है।

सूर्यमुखी फूल जिधर सूरज जाता है फूल भी उसी और घूम जाता है और सूरज के अस्त होते ही फूल मुरझा जाता है। और सुबह सूरज के उदय होने पर फिर से खिल जाता है।

चकोर सदियों से चांद को निहारता है और आगे भी सदियों निहारता रहेगा, मगर चांद को मालूम ही नहीं होगा कभी कि कोई उसका इतना दीवाना है।

पतंगा दीपक की लो को इतना चाहता है कि उसे अपनी मौत का भी डर नही  है ,अंत में अपने दीवानेपन के कारण पतंगा दीपक की लो में जल कर मर जाता है।

इन प्रतिको से नायिका को नायक ने अपने प्यार की इंतिहा हद बताने की कोशिश की है , फिर भी नायिका को पता नही चलता , मगर नायक उसी तरह नायिका को चाहता है और अंतिम सांस तक चाहता रहेगा। शायद कभी नायिका को पता चल जाए।

"पतंगा हूं" कविता में नायक की एक तरफा चाहत का 
वर्णन किया गया है।
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... इति...
_जे पी एस बी
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अपना बना लो(Apna Bna Lo)

Poem about Love Emotions
Various Emotions in Mirror
                          Image from :pexels.com


आयना हू , देख लो ...
आग हू , सेक लो...

खुशबू हू, सुगंध लो...
संगीत हू , सुन लो...
गीत हू, गा लो मुझे...
प्रीत हू, लगा लो मुझे..

कहानी हू,कह लो...
उपन्यास हू ,पढ़ लो मुझे...
कोरा कागज हू, कुछ लिख दो...
कविता बन जाऊ तेरी...

नदी हू, बह लो साथ मेरे..
समुंद्र हू,डूब जाओ मुझमें..

श्रृंगार हू, कर लो मुझे...
हवा हू, संग बह लो...
प्रकृति हू, संग रह लो मेरे...
सपना हू, देख लो मुझे...

ख्वाब हू, खो जाओ मुझमें...
शराब हू, मदहोश हो झूमो...

दुनिया हू,आओ घूमो...
मुसाफिर हू, साथ चलो..

घर हू, रह लो मुझमें..
कुछ दिल में है कह लो..

भक्ति हू, ध्यान में खो जाओ..
मुक्ति हू, पा लो मुझे...

जिंदगी हू , जी लो मुझे...
मौत हू, गले लगा लो मुझे...

तकलीफ हू, सह लो मुझे...
मानो तो, तुम्हारा अपना हू...
हर हाल में, अपना लो मुझे..!!


Aina hun, dekh lo..
Aag hun, sek lo..

Khushbu hun, sugandh lo..
Sangeet hun, sun lo..
Geet hun, ga lo mujhe..
Preet hun , laga lo mujhe..

Kahani hun, kah lo..
Upnyas hun, padh lo mujhe..
Kora kagaz hun,kuchh likh do..
Kavita ban jaun teri..

Nadi hun, bah lo sath mere..
Samunder hun,doob jao mujhme..

Shringar hun, kar lo mujhe..
Hawa hun, sang bah lo..
Prakruti hun, sath rah lo mere..
Sapna hun, dekh lo mujhe..

Khwab hun,kho jao mujhme..
Sharab hun, madhosh ho jhumo..

Duniya hun, aao ghumo..
Musafir hun, sath chalo..

Ghar hun, rah lo mujhme..
Kuchh Dil main hai kah lo mujhe..

Bhakti hun, dhyan main kho jao..
Mukti hun, pa ll o mujhe..

Jindgi hun, jee lo mujhe..
Mout hun, gale laga lo mujhe..

Taklief hun, sah lo mujhe..
Mano tou tumhara apna hun..
Har haal main apna lo mujhe..




_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

अपना बना लो/ Apna Bna Lo कविता में नायक नायिका को अपने साथ हर पल हर जगह, स्थान और हर वस्तु में महसूस और एहसास करना  चाहता है।

इसलिए वो नायिका से आग्रह कर रहा है कि वो जहा कही भी किसी वस्तु या जगह से intract है,  वहा नायक को महसूस करे और नायक वहा मौजूद  ही है, जैसे आयने में ,घर में नदी में गीत में संगीत में आदि जैसा कि कविता (अपना बना लो) में वर्णित किया गया है।

 ऐसी कोई भी वस्तु जगह नहीं है जहा नायिका है और नायक उपस्थित नहीं है, नायक हर जगह नायिका के साथ है और साथ ही रहना चाहता है ,और यही अपेक्षा वो नायिका से भी करता है और चाहता है कि नायिका उससे कभी भी अलग ना हो है जगह हर परिस्थिति में नायक को अपना ले अपना बना ले। यहां तक कि अगर नायक मौत या तकलीफ है तब भी उसे अपनाए।
नायक सोचता है कि नायिका को सच्चा प्यार है और नायक को विश्वास है नायिका पर और वो जनता है कि नायिका हर हाल में उसे अपनाएगी।

"अपना बना लो" कविता में नायक की भावनाओं और संवेदनाओं को नायिका के प्रति वर्णित किया गया है।

कृपया कविता पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी

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Sunday, June 20, 2021

मराठा आरक्षण ( Maratha Reservation)

Maratha Reservation
Maratha Reservation
Image from: pexels.com

सबके लिए नहीं रहा अब..

स्वास्थ शिक्षा और रोज़गार..

आरक्षण होगा तो कुछ मिलेगा...

आरक्षण का थोड़ा सा उपहार...


आरक्षण की बंदर बांट जारी है...

क्योंकि यह प्रिय विषय सरकारी है...

इस आरक्षण की बंदर बांट ने...

महाराष्ट्र के मराठों को एक कोने में बिठा दिया ...

आरक्षण के नाम पर अंगूठा दिखा दिया...


आम मराठा न सही ...

मराठा नेताओ की कुर्सी हुई पकी...

आम मराठा इससे भी खुश है...

की चलो हमारे नेता की हुई तरकी...


वोट बैंक का बैलेंस करते करते...

आरक्षण अब इतना ज्यादा हो गया...

कि मराठों के लिए उसमे जगह ही नही बची...

किसी को इसमें से हटाओ या खिसकायो...

मराठों के लिए भी थोड़ी जगह बनाओ...


मैं भी मराठा नारा जोर से लगा...

फिर कई मराठा नेता  सामने आए...

मराठा आरक्षण लेके रहेंगे नारे फिर लगाए...

रैली भाषण बंद जोर शोर से जारी है...

मराठा आरक्षण विषय राजनीति के लिए भारी है...


आम मराठा जीने के लिए संघर्ष करता रहेगा..

समय समय पर  आरक्षण के नाम मरता रहेगा...

राजनीति का काम यू ही चलता रहेगा...

राजनेतिक पार्टियां आरक्षण को...

 फुटबॉल बनाकर खेलती रहेंगी...

आम मराठा कभी इधर गोल कभी उधर गोल...

गोल मॉल होते देखता रहेगा ...

गोल गोल घूम हैरान हो जायेगा...


ये खेल अनंत तक चलेगा...

आम मराठा का पता नही...

मगर नेताओं का सुनिश्चित आरक्षण पका होगा...

आम मराठा " मैं भी मराठा " ...

के नारे पे ही  होगा फिदा...

मराठा आरक्षण शायद मिले कभी...

अगर चाहेगा कभी खुदा..!!


Sabke liye nahi raha ab..

Swasthya shiksha aur rojgar..

Aarakshan hoga tou kuchh milega..

Aarakshan ka thoda sa Uphaar..


Aarakshan ki bander bant jari hai..

Kyo ki yah priy vishay sarkari hai..

Is Aarakshan ki bander bant ne..

Maharashtra ke marathayo ko ek kone me baitha diya..

Aarakshan ke naam par angutha dikha diya..


Aam maratha na sahi..

Maratha netao ki kurshi huyi pakki..

Aam maratha isme bhi khush hai..

Ki chalo hamare neta ki huyi tarakki..


Vote bank ka balance karte karte..

Aarakshan ab itana jyad ho gaya..

Ki marathayo ke liye isme jagah hi nahi bachi..

Kisi ko isme se hatao ya khiskao..

Marathayo ke liye bhi thodi jagah banao..


Main bhi maratha jor se laga..

Phir Kai maratha neta samne aaye..

Maratha Aarakshan lekar rahenge..

Naare phir lagaye..

Raily bhasan band jor shor se jari hai..

Maratha Aarakshan visay rajneeti ke liye bhari hai..


Aam maratha jine ke liye sangharsh karta rahega..

Samay samay par Aarakshan ke naam Marta rahega..

Rajneeti ka kaam yu hi chalta rahega..

Rajnetik partiya Aarakshan ko..

 Footbal banakar khelti rahengi..

Aam maratha kabhi idhar goal kabhi udhar goal..

Gol mal hote dekhta rahega..

Gol gol ghum hairan ho jayega..


Ye khel anat tak chalega..

Aam maratha ka pata nahi..

Magar  netao ka sunikshit Aarakshan pakka hoga..

Aam maratha "main bhi maratha" 

Nare par hoga fida..

Maratha Aarakshan mile shayad kabhi..

Agar chahega kabhi khuda..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

मराठा आरक्षण/ Maratha Reservation कविता मराठा समाज द्वारा महाराष्ट्र में आरक्षण आंदोलन के सन्दर्भ में है।

बढ़ती बेराजगारी आरक्षण का मुख कारण है, स्वास्थ शिक्षा और रोज़गार का प्रबंध आजादी के  चौहतर साल बाद भी नही हो पाया।

संविधान में आरक्षण का प्रावधान पिछड़ी जातियों और वर्गो को आर्थिक रूप से सामान्य लोगो तक ऊपर उठाने के लिए किया गया था ।इसकी समय सीमा दस वर्ष रखी गई थी, उसके बाद इस प्रावधान को हटाना था।

मगर ऐसा नहीं हुआ ना तो उन दस वर्षो में लक्ष्य हासिल हुआ ना प्रावधान हटाया गया, बल्कि इसे दस दस साल का एक्सटेंशन देते देते यह परमानेंट राजनीति का फॉर्मूला बन है गया है वोट बैंक के लिए।

कोई भी राजनेतिक पार्टी आरक्षण के वोट बैंक के कारण आराक्षित लोगो की तरक्की नहीं चाहती और न ही चाहती है।आरक्षण खत्म हो कभी बल्कि और ढूंढ ढूंढ कर गरीब बनाए जा रहे हैं फिर उन्हे आरक्षण श्रेणी में शामिल किया जा रहा है ,जो कि बढ़ते बढ़ते 50% तक पहुंच गया है।

इस पचास परसेंट की सीमा से मराठा आरक्षण ज्यादा हो रहा था इसलिए माननीय कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगा दी ।

इसलिए मराठा अपने आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

आजाद देश में सबके लिए रोजगार अच्छी शिक्षा स्वास्थ सुविधाएं फ्री होनी चाहिए ताकि राष्ट्र का सार्थक निमार्ण हो सके ।मगर हमारे देश में शिक्षा स्वास्थ सुविधाओ का ववसायीकरण किया जा रहा है ।

रोजगार नहीं हैं शिक्षा और स्वास्थ्य प्राइवेट हाथों में जाने से इतना महंगा हो गया है कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया है। 

"मराठा आरक्षण" कविता देश में  आरक्षण की विकट होती समस्या को लेकर लिखी गई है , और आरक्षण की समस्या का वर्णन किया गया है ।

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 ... इति...

_जे पी एस बी

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Thursday, June 17, 2021

कविता का जन्म (Kavita ka Janam)


Kavita ka Janam
Kavita ka Janam
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 सोते जागते चलते भागते...

 सवाल और ख्याल...

 जहन में आते जाते हैं ...

कई बार आपस में उलझते..

कभी लड़ जाते हैं...

इन सवालों ख्यालों को पकड़ पकड़...

एक लड़ में तरतीबन पिरोना ही...

कविता का जन्म है...

जो बनते बनते बन जाती है...


एक सुंदर मोतियों की लड़ सी..

सज जाती है,और सम्पूर्ण हसीन लगती है...

कभी अधूरी सी रह जाती है ...

अस्तित्व में नहीं आ पाती ..

नही जन्म ले पाती...


अच्छा अवसर अच्छा मूड कवि का...

एक सुंदर कविता को जन्म देता है...

कविता कई दिलो को छू लेती है...

कवि की प्रिय होती है...

कवि के हृदय में बसती है...


विचारों के सागर का मंथन...

और सुंदर कथन का सार है कविता ...

कवि के दिल और जहन की...

 गहराइयों का जतन आभार  है कविता ...

कवि के ख्यालों विचारों परिकल्पनायो...

का आयना प्रतिबिंब है कविता...


एक लंबी कहानी  खूबसूरत अंदाज़ में...

चंद पंक्तियों में समेटते हुए  ...

पूरी गाथा दिल छूने के अंदाज़ में...

बयान करती है कविता ....

हर दुख दर्द हंसी खुशी...

 अपने आगोश में समाती है कविता...

कवि की प्रिय ,कवि को भाती है कविता...!!


Sote jagte chalte bhagte..

Swal aur khayal..

Jahan main aate jate hai..

Kai bar apas main uljhate..

Kabhi lad jate hai..

In sawalon khayalon ko paka pakad. .

Ek lad main tartiban pirona hi..

Kavita ka janam hai..

Jo bante bante ban jati hai..


Ek sunder motiyo ke lad si..

Saj jati hai, aur sampurn hasin lagti hai..

Kabhi adhuri si rah jati hai..

Astitva main nahi aa pati..

Nahi janm le pati..


Achha  avsar achha mood Kavi ka..

Ek sunder kavita ko janm deta hai..

Kavita Kai dilon ko chhoo leti hai..

Kavi ki priy hoti hai..

Kavi ke hearday main basti hai..


Vicharon ke sagar ka manthan..

Aur sunder kathan ka saar hai Kavita..

Kavi ke dil aur jahan ki..

Gahraiyon ka jatan abhar hai Kavita..

Kavi ke khayalon  vicharon parikalpnayon..

Ka aaina pratibimb hai Kavita ..


Ek lambi kahani khubsurat andaz main..

Chand panktiyon main samete huye..

Puri gatha ko dl ko chhoo lene ke andaz main..

Byan karti hai Kavita..

Har dukh dard hansi khusi..

 Apni aagosh  main samati hai Kavita..

Kavi ki priy , Kavi ka Bhati hai Kavita ..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:


कविता का जन्म/ kavita ka Janam कविता की उत्पति और श्रुजनकता इसमें वर्णित की गई है।

कविता लिखने कवि जा बैठता है शब्द आते जाते इधर उधर भटकते हैं , उनमें से चुन चुन कर शब्दो को कागज में बैठाना कविता की रचना की शुरुआत होती है, कई बार विषय से भटक जाती है कविता, उसे विषय में लाना कवि का काम होता है।

लंबी बात या कहानी को सुंदर अंदाज में लघु से लघु रूप में रुचिकर ढंग से पाठको तक लाना ही कविता है। कई बातें सामान्य रूप में नही कही जा सकती कविता के माध्यम से आसानी से खूबसूरत अंदाज में कह दी जाती है।

"कविता का जन्म" कविता कविता लिखते समय कवि के मन की उधेड़ बुन और कवि के मन की बात का वर्णन करती है।

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... इति...

_जे पी एस बी

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सेना में भर्ती(Sena Me bharti)

Feeling proud in serve Indian Army
Sena Me Bharti
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सुन आजादी की गाथा..

और वीरों की कहानियां...

रोंगटे खड़े होते हैं...

हमारे इरादे और जज्बात और बड़े होते हैं...


सेना में भर्ती का मैने सुना...

सेना में सेवा को मैने चुना...

देशभक्ति के किस्सों से मन ओतप्रोत था..

इसलिए सेना में सेवा मेरी रोजी रोटी का ..

सबसे अच्छा श्रोत था...


सेना की ट्रैनिंग ने मुझे और परिपक्य...

और मजबूत बनाया...

देशभक्ति के जज्बे को कई गुना बढाया...

वर्दी पहनेंते ही जनून और जोश जागता है...

मन मस्तिक्स चौकन्ना हो चारो ओर भागता है...


देश पर कुर्बान होने का अवसर...

 हर सैनिक ढूंढता है....

देशप्रेम और कुर्बानी का अनुपम नशा है ...

देश पर उठी हर बुरी नजर फोड़ देंगे...

देश को नुकसान पहुंचाने वालो को तोड़ देंगे...


सेना में जहां रोज़गर ढूंढता था...

अब देशप्रेम और देशसेवा का अजीब मजा है...

चेहरे पर भारत मां के आशीष का नूर है...

हमे देश का सैनिक होने पर गुरूर है ...

सेना में सेवा देशभक्ति का सबसे अच्छा मौका है...

गर्वित होने का सुहाना मनोहर हवा का झोका है..!!


Suin azadi ki gatha..

Aur viron ki kahaniyan.

Rongte khade hote hai..

Hamare irade aur jajbaat aur bade hote hain..


Sena main bharti ka Maine suna..

Sena me seva ko maine chuna..

Desh bhakti ke kisson se mann aote prot tha..

Esliye Sena me seva meri roji roti ka..

Sabse achha shrot tha..


Sena ki training ne mujhe aur paripak..

Aur majboot banaya..

Desh bhakti ke jajbe ko kai guna badhaya..

Vardi pahnate hi janun aur josh jagta hai..

Mann mastikas choukanna ho charon ore bhagta hai..


Desh par kurban hone ka avsar..

Har sainik talasta hai..

Desh prem aur kurbani ka anupam nasha hai..

Desh par uthi har buri nazar foad denge..

Desh ko nuksan pahuchane walon ko tod denge..


Sena main jaha rojgar dhundta tha..

Ab desh prem aur desh seva ka ajib maja hai..

Chehare par bharat maa ke Aashish ka noor hai..

Hamen desh ka sainik hone par garur hai..

Sena main seva deshbhakti ka sabse achha mouka hai..

Garvit hone ka  suhana manohar hawa ka jhonka hai..!!

_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

सेना में भर्ती/ Sena main bharti कविता एक युवक की भारतीय सेना में भरती होने की  भावनाओं को वर्णित करती है।

भारतीय सेना विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सेना है, कोई भी भारतीय युवक भारतीय सेना का हिस्सा होकर गौरव महसूस करता है, और भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देने को उत्सुक रहता है।

भारतीय सेना में भर्ती NDA(National Defence Academy) , NCDS(National Combind Defence Services) के  माध्यम से डायरेक्ट comissioned पोस्ट के लिए लिए होती है।

समय समय पर इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और  इंडियन एयर फोर्स की वेब साइट पर भर्ती अभियान निकलता रहता है,जो कि जूनियर कमीशन अधिकारी ,सैनिक, आर्टिजन, एयरमैन, सैलर आदि कि पोस्ट्स होती हैं। इंडियन फोर्सेज में जॉब बहुत समान्नित और गौरव का जॉब है।

"सेना में भर्ती" कविता में युवक सेना का हिस्सा होने के बाद बहुत ही बहुत ही फक्र अपने आप में महसूस करता है उसका वर्णन कविता में किया है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी

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Wednesday, June 16, 2021

इस जन्म का काम ( Is Janam Ka Kam)

Is Janam ka kam
Work of this Birth
Image From: pexels.com


 आधी से ज्यादा जिन्दगी ...

हो चुकी है पार ,नही होता ऐतबार ...

इतनी जल्दी दिन गुजरे...

हंसी खुशी कमाया खाया पीया...

कभी दुख तकलीफ में रोना भी आया..

आधी जिंदगी सोने में गुजारी...


ईश्वर तुम्हारी याद भी आती थी रोज...

तुमसे कुछ कुछ मांगते थे रोज..

दुख तकलीफ भी सुनाते थे रोज...

एक दिन प्रश्न ख्याल में आया...

आपने मुझे पृथ्वी लोक क्यो भिजवाया...

क्या कोई खास काम दिया था...

या  यू ही यहां घूमने मस्ती के लिए निर्णय लिया था...


हमने तो यहा खाने पीने पहनने घूमने...

और सोने के सिवा कुछ नहीं किया...

अब वापिस जाने का समय नजदीक आ रहा है...

आप वापिस आने पर मुझसे पूछेंगे...

क्या पृथ्वी लोक का  कार्य संपन्न कर आए ...?


मुझे तो अभी तक कार्य ही नहीं पता...

हो सके तो कृपया कार्य बता दे प्रभु...

बचे हुए दिनों में ...

कार्य सम्पन्न करने का प्रयास करूंगा...

कार्य सम्पन्न होने पर ही मरूंगा...!!


Aadhi se jyada  Jindgi ..

Ho chuki hai par..

Nahi hota aitbar..

Intni jaldi din gujre..

Hansi khushi kamaya khaya piya..

Kabhi dukh taklif main rona bhi aaya..

Aadhi Jindgi sone main gujari..


Ishwar tumhari yaad bhi aati thi roj..

Tumse kuchh mangte thei roj..

Dukh takhlif bhi sunate thei roj..

Ek din prasn khayal main aaya..

Aapne mujhe prithvi lok kyo bhijwaya..

Kya koi khas kam diya tha..

Ya yu hi yeha ghumne masti ke liye nirnay liya tha..


Hamne to yeha khane pine ghumne..

Aur sone ke siva kucch nahi kiya..

Ab vapis jane ka samay najdik aa raha hai..

Aap wapis aane par mujhse puchhenge..

Kya prithvi lok ka karya sampann kar aaye..?


Mujhe tou abhi tak karya hi nahi pata..

Ho sake tou karya bata de prabhu..

Bache huye dinon main ..

Karya sapann karne ka prayas karunga..

Karya sapann hone par hi marunga..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

इस जन्म का काम/Is Janam Ka Kam कविता मनुष्य के इस पृथ्वी पर जन्म के मकसद पर आधारित है।

जरूर कोई न कोई कारण होगा ईश्वर ने दुनिया बनाई अन्य जीव पेड़ पौधे और जीवन उपयोगी अन्य सारी चीजे बनाई खास मनुष्य बनाया और मनुष्य को कई शक्तियां दी उनमें सबसे खास दिमाग दिया।

उसी दिमाग का इस्तेमाल कर इंसान दुनिया की सब सुख सुविधाएं अपने लिए एकत्र की और दुनिया का सबसे सक्षम जीव बन गया।

इंसान की ढेर सारी उपलब्धियों के बाद भी एक ख्याल आता है, कि भगवान का कोई न कोई उद्देश्य होगा प्रतेक मनुष्य के लिए  

वो क्या खास काम है जो भगवान ने हर इंसान को देकर भेजा है, और वो काम किसी को याद नही या फिर हो सकता है किसी को याद हो और वह उस काम को कर रहा हो।

कवि को तो उसका काम याद नहीं और वह भगवान से प्रार्थना कर रहा है उसके काम को बताएं ताकि मरने से पहले वो भगवान का दिया काम complete कर सके।

भगवान किसी न किसी रूप में संकेत से वो काम बता देता है और जिसको यह काम बताया जाता वो यह काम पूरा करके ही मरता है या मरने से पहले पूरा कर लेता है।

"इस जन्म का काम" कविता मनुष्य के इस दुनिया में आने के  उद्देश को लेकर है शायद आपको भी अपना उद्देश्य पता हो और उसे पूरा कर रहे हो।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी

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Monday, June 14, 2021

परियों सी बहु - बेटी( Pariyo si Bahu Beti)

Pariyo si Bahu Beti
Doughter in Law
Image from: pexels.com



 परियों सी बहु हो हमारी...

ऐसा हमने सोचा था...

बेटी की कमी करे पूरी...

ऐसा हमने सोचा था...

सास ससुर नही मां बाप होंगे हम उसके...

बेटे से बढ़कर प्यार देंगे  उसे इतना...

मायके मे भी मिला न हो जितना....

उसकी खुशियों के लिए लिस्ट बनाई थी खासी...

उसे कोई कमी न रहे ना आए कभी चेहरे पे उदासी...

बेटा भी खुश था जीवन साथी पाकर...

उसकी अच्छी अच्छी बातें बताता था आकर...

दुगनी खुशियों से हमने शादी का त्योहार मनाया...

हर रिस्तेदार को गर्व से अपनी नई बहू से मिलाया...

कहा, बेटी हमारी आई है लाखो खुशियां लाई है...


खुशियों का गुब्बार अभी उतरा भी न था...

अचानक बहु ने बेटी होने से इंकार सा किया...

एक झोके से बुझा दिया हमारे मन का प्यार का दिया...

ना बन सकेगी बेटी अच्छे से एहसास हमे कराया...

अपना बेटा भी लगने लगा हमे पराया पराया...

हम जीवन में सब हार गए ठगा सा खुद को पाया...

हमने मां बाप बनना चाहा खलनायक हमे बनाया...


कहां हमसे भूल चूक हुईं हमने जांचा परखा...

सपने चूर चूर हो गए सारे ...

नरक बन गया घर जो पहले स्वर्ग था...

बेटा भी बहुत आहत हुआ...

 जिसे बनाया था हमने सीधा साधा...

दुख गमों से से सुख रह गया आधा...

पत्नी के प्यार की जगह उसे भी ताने मिले...

बढ़ते ही गए रोज के झगड़े और शिकवे गिले...


बेटी तो दूर अच्छे से बहु भी न हो सकी..

अलग सी वो अपनी ही दुनिया बनाने  लगी..

एक लंबी लकीर हमारे रिस्तो में खीच गई...

जो लकीर से अब गहरी खाई में तब्दील हो गई ...

खाई के इस पार हमे छोड़ बहु उस पार जा बैठी...

हमने खाई को जितना पाटना चाहा...

खाई दिन पर दिन और बढ़ती गई...

अब वह खाई खंडहर बन चुकी है...


दुख इतने बढ़े कि बताना मुस्किल है...

बहू बेटी ना हो सकी...

सास को मां ना माना ...

उल्टा दिया सास ससुर को दुश्मनी का ताना...

इस कहानी का अंत अच्छा ही हो...

हम सबकी भगवान से पुरजोर दुवा है...

जो होगा अच्छा ही होगा पहले भी अच्छा ही हुआ है...!!

 


जे पी एस बी








Friday, June 11, 2021

व्यवस्था देश की ( System of Country))

How System Of Country Mismanaged
System of Country
Image from :pexels.com




 देश की व्यवस्था को चलाने बैठे है...
कुछ ऊंचे लोग... 

जिन्हे बहुत योग्य बुद्धिमान कृष्मायी...

समझते थे हम लोग...

 

विश्वास कि देश में ...

हम सुरक्षित महफूस है...

हमे जीवनप्योगी सारी सुवधाए...

आसानी से मुहैया होगी...

 

मगर अचानक एक दिन...

हमारा यह भ्रम टुटता है..

कि हमारे जीवन की कीमत...

इनकी नज़र में कीड़े मकोड़ों सी है...

 

हमे पता ही नही कब मार दिए जायेंगे...

या इतने तड़फाये जाएंगे...

कि मौत ही हमे प्यारी लगने लगेगी...

          और हम मृत्यु को ही पीड़ा का हल समझेंगे ...

 

हमारे कई देशवासी...

ये कष्ट भोगकर मृत्यु को प्राप्त हो चुके...

अब हम बचे हैं भगवान भरोसे...

           मरेंगे या बचेंगे पता नही.... 

 

हम जीवन में विश्वास और सुरक्षा ढूंढ रहे है...

कोई उपाय अभी तक नही मिला...

जारी है बेमौत मारने का सिलसिला...

पता नही कब हमारी बारी है...

बन गया डर शब्द " सरकारी" है...!!


Desh ki vevstha ko chalane baithe hai..

Kuchh Unche log ..

Jenhe bahut budhiman krishmayi..

Samjhte the ham log..


Vishvash ki desh main..

Ham surkshit mahfus hai..

Hamen Jivan  upyogi sari suvidhaye..

Asaani se muheya hongi..


Magar ek din achanak ..

Hamara bharm tut-ta hai..

Ki hamare jiwan ki kimat..

Inki nazar main kide makode si hai..


Hame pta hi nahi kab maar diye jayenge..

Ya itne tadfaye jayenge..

Ki mout hi hame pyari lagne lagegi..

Aur ham mrityu ko hi pida ha hal samjhenge..


Hamare kai desh wasi..

Yah kast bhogkar marityu ko prapt ho chuke ..

Ab ham bache  hai bhagwan bharose..

Marenge ya bachenge pta nahi..


Ham jiwan main vishvash aur suraksha dhund rahe hai..

Koi upay abhi tak nahi mila..

Jari hai be-mout marne ka silsila..

Pta nahi kab hamari bari hai hai..

Ab ban gaya dar shabd "Sarkari" hai..!!


जे पी एस बी 


कविता की विवेचना:

व्यवस्था देश की/ System of Country कविता देश की प्रशासनिक व्यवस्था आम नागरिक की नजर में कैसी है  ।और आम नागरिक इस व्यवस्था में कैसा अनुभव करता है के विषय में है।

करोना काल में देश की प्रशासनिक व्यवस्था का इम्तिहान था , जिसमे उसने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया।

 स्वास्थ व्यवस्था तो चरमीरा कर ढह गई , ना दवाइया ना ऑक्सीजन न सरकारी हॉस्पिटल में जगह न मरीजों को संभालने की व्यवस्था , सब बस राम भरोसे ही चल रहा था। 

दवाइयों और ऑक्सीजन के अभाव में लोग मर रहे थे और प्रशासन किसी दिव्य शक्ति की प्रतीक्षा में था शायद।

स्वाभाविक मौत आए उसे कोई भी रोक नहीं सकता । पर जो दवाइयों ऑक्सीजन के अभाव में तड़फ तड़फ के दम तोड़ दे उसे मार दिया गया या हत्या का कहते हैं।

ऐसे मार दिए गए लोगों की श्रेणी में अंनगिनित लोग हैं। इतना भयावह होने के बाद भी किसी को अहसास भी नही था, कोर्ट में ऑक्सीजन को लेकर केस चल रहा था, जब कि केस की बजाय व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए था ।

नागरिक जो खुद को सुरक्षित समझते थे इस देश में ,हालत देख सब देश वासियों में असुरक्षा की भावना घर कर गई, कि पता नहीं अब किसकी मौत की बारी है। 

लॉक डाउन लगाया तो प्रशासन यह भूल गया जो लोग परिवार से अलग कही फसें है वापिस कैसे जायेंगे बस बिना पूर्व सूचना सब बंद कर दिया गया।

लोग हजारों किलोमीटर पैदल घरों की ओर निकल पड़े तब भी उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई, बस एक ही व्यस्था की की सब बंद है।

इस बंद में कई स्माल स्केल इंडस्ट्री बंद हो गई लाखों लोगो की नोकरी चली गई मगर प्रशासन चुपचाप देखता रहा ।

" व्यवस्था देश की" कविता इसी प्रसानिक व्यवस्था का वर्णन करती है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी

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कीड़े की मौत ( Kide ki Mout)


during Carona huge deaths
Kide ki Mout
Image from :pexels.com



लोग कीड़े मकोड़ों से मरे हैं...

 कभी ना इलाज, कभी कर्ज के बोझ से..

 कभी दंगे फसाद, कभी करोना महामारी..

 कभी गरीबी, बेरोज़गारी,भूख बहुत सारी..

 इन मौतों की किसी को परवाह नही..

 कोई दुख दर्द और कोई आह नहीं...

 

कीड़े मकोड़ों की लासो को ...

ना जलाया जाता है न दफनाया...

ना ही इज्ज़त से सुलाया जाता है...

बस , फेंक दिया जाता है...

किसी कूड़े के ढेर पर या गट्टर में...

 

कीड़े मकोड़ों के मरने पर...

कुछ लोग निजात पाते है...

साफ़ हो गया घर खुश हो जाते है...

 

ये देश कुछ लोगों का निजी घर बन गया है...

और देशवासी कीड़े मकोड़े...

इन कथित देश के मालिकों का...

सफ़ाई अभियान अभी जारी है...

इस लिए जनता समय समय पर..

        कीड़े मकोड़ों की तरह मारी है...!!


Log kide makode se maren  hai..

          Khabi na ilaj,kabhi..

         karz kabojh..

         Kabhi dange fasad..

         kabhi carona mahamari..

         kabhi garibi, bhukh..

         Bahut sari..

         In mouton ki kisi ko parwah nahi..

Koi dukh dard aur aah nahi..


Kide makode ki lasson ko ..

Na jalaya jata hai na dafnaya..

Na hi izzat se sulaya jata hai..

Bas, fek diya jata hai..

Kisi kude ke dher par ya gattar me ..


Kide makode ke marne par ..

Kuchh log nizat pate hai..

Saf ho gaya ghar khush ho jate hai..


Yah Desh kuchh logon ka niji ghar ban gaya hai..

Aur Desh Vashi kide makode..

In kathith Desh malikon ka ..

Safai abhiyan abhi jaari hai..

Is liye Janta samay samay par..

Kide Makode ki tarah mari hai..!!


जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

कीड़े की मौत/ Kide ki Mout कविता करोना की 2nd wave में लोगों की बेहिसाब मौत बिना ऑक्सीजन और दवा के सबके दिलो को कटोच गई, आम नागरिकों के मन में मौत का डर बैठ गया।

सबने देखा महसूस किया की सरकार का दिल नही पसीज रहा सरकार असली आकड़े छुपाने और मीडिया arrangements में बिजी थी कि खबरें आम जनता तक  नही पहुचानी चाहिए।

लग रहा था किसी को कोई परवाह नही लोग मरते है तो मरने दो।बस सरकार को कोई कुछ न बोले खुद मार ले और एकांत में कही रो ले। मंजर बहुत भयानक था, अब भी याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

जिन्होंने अपने लोग खोए है आज भी दुख से निकल नही पाए है, मानसिक और आर्थिक परेसानिया अलग से हावी हैं।सरकार ने जनता को उसके हाल में छोड़ दिया था।

"कीड़े की मौत" कविता में इस स्थिति का वर्णन किया कि उस समय इंसान की जिंदगी की कीमत कीड़े के जिंदगी के बराबर हो गई थी इंसान और कीड़े के मरने में कोई फर्क नहीं रह गया था,इसलिए कविता कीड़े की मौत के नाम से लिखी गई।

"कीड़े की मौत" कविता को पढ़े और भुक्तभोगियों का दर्द जानें महसूस करें, कृपया कविता को शेयर करें और jpsb.blogspot.com visit करे।


... इति...

_Jpsb blog

jpsb.blogspot.com 

Author is a member of SWA Mumbai 

Copyright of poem is reserved. 

_जे पी एस बी 

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बरसाती दिवाली( Barsati Diwali)

Feel Rain as Festival
Rain Festival
Image from :pexels.com


 बारिश में सब नहाए से हैं...

तरो ताज़ा मुस्कुराए से हैं...

बादल बरस रहे हैं...

बादल गर्ज रहे हैं...

          गर्जना में बिजली की चमक और धमक...

दिवाली सी लगती है ...

 

प्रकृति दिवाली मना रही है...

सब कुछ बरसाती खुशी में सराबोर है...

पेड़ खेत और खेत की मेड़...

गाय भैंस बकरी और भेड़...

रेत के टीले पहाड़ जंगल बाग बगीचे...

समुंद्र नदिया ताल तलैया के हिस्से...

चिड़िया पशु पंछी छत खपरेड...

 

सभी बदलो की बौसार में नहाए है...

पेड़ पौधे खेत नवयौवन से लहलहाए है...

बरसात नवजीवन का संचार है प्रकृति में...

इसीसे ही सारे संसार में खुशनुमा बहार है...!!


Barish me sab nahaye se hai..

Taro taza muskuraye se hai..

Badal baras rahe hai..

Badal garaj rahe hai..

Garjana me bijali ki chamak aur dhamak..

Diwali si lagati hai..


Prakruti Diwali mna rahi hai..

Sab kuchh Barsati khusi main sarabor hai..

Ped khet aur khet ki med..

Gaye bhens bakri aur bhed..

Ret ke teele pahad Jungle bag bagiche..

Samunder nadiya tal taleya ke hisse..

Chidiya pashu pakshi chhat khapred..


Sabhi badalon ki boisar se nahaye hai..

Ped paudhe khet nav yovana se laharaye hai..

Barsat navjivan ka sanchar hai prakriti main..

Isei se hi sare sansar main khushnuma bahar hai..


कविता की विवेचना:


बरसाती दिवाली/ Barsati Diwali कविता बरसात की मनोहर ऋतु के मन भावन दृश्य और सौंद्र को निहारते हुए लिखी और मेहसूस किया इस मन लुभावने वातावरण को।

बरसात में बालकनी में बैठ कर चाय की चुस्कियां लेने और साथ में भजिए खाने का आनंद आलौकिक होता है।

बरसात से किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर तो होती ही है, पंक्षी पशु भी खुश होते हैं, मोर खुशी से झूम कर नाचता है, पपिहा तो प्यास ही बरसात के पानी से बुझाता है वरना प्यासा ही रहता है।

बरसात सबके लिए समृद्धि लेकर आती है , किसानों की तो रोजी रोटी ही बरसात पर निर्भर है। आम इंसान के साल भर के पानी की जरूरत बरसात से ही पूरी होती है।

बरसात इंसान पशु पंछियों पेड़ पौधों के लिए अमृत है,

पृथ्वी पर जीवन का संचार बरसात से ही हो रहा है। हमारे नगर में ही सबको चिंता रहती है डैम भर गया कि नही डैम पूरा भरने पर खुशियां मनाई जाती हैं और महापौर डैम की पूजा करता है और इंद्र देवता का आभार व्यक्त करता है कि समय पर बारिश हुई और डैम भर गया।

इस मनभावन ऋतु का वर्णन " बरसाती दिवाली" कविता में किया गया है।

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... इति...

_जे पी एस बी

 




 






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