Saturday, May 1, 2021

मन की बात(Man ki baat)


Mann Ki BAAT
Mann Ki Baat
Image from :pexels.com


रेडियो पर मन की बात सुनी..

प्रधान सेवक के मन की बात...

जन गण ढूंढता है उसमे ...

अपने मन की बात...

जनता की झोली खाली है...

और आप सेवक से राजा हो गए...

जनता आपकी जय जयकार कर रही है...

पूरा देश आपके कदमों में लोटा है...

यह सच है कि धोखा है...

आपको ही पता है आपके मन की बात...

सच में झूठ की कितनी मिलावट...

देश विदेश में जोरदार भाषण की आदत...

अपनी मर्जी के मालिक...

महल डिजाइनर सूट मंहगी गाड़िया जेट जहाज...

कितना मजा है राजा होने में...

जनता को दुःख है सेवक खोने में...

डर और मौत का सन्नाटा...

करोना ने मारा जोरदार चांटा...

चारों ओर लाशें...

देश मर रहा है...

और हमारा प्रधान सेवक..

अपने मन की बात कर रहा है.. 

दवाई ऑक्सीजन की तलाश है...

राजा की ओर आशा की नजरें..

अब भी आश है...

क्या सब बकवास है...

मत पूछो क्या कर रहा है राजा...

जन जन को उस सेवक की तलाश है...!!


Radio par mann ki baat suni..

Pradhan sewak ke mann ki baat..

Jan gad dhundhta hai..

Apne mann ki baat..

Janta ki jholi khali hai..

Aur aap sewak se Raja ho gaye..

Janta aapki jay jaykar kar rahi hai..

Pura desh aapke kadmon main lota hai..

Yah satya hai ki dhokha hai..

Aapko hi pata hai aapke mann ki baat..

Sach main jhooth ki kitni milawat..

Desh videsh main jordar bhasan ki aadat..

Apni margi ke malik..

Mahal desiner suit mahangi gadiyan jet jahaz..

Kitana maza hai raja hone main..

Janta ko dukh hai sewak khone main..

Dar aur mout ka sannata ..

Carona ne mara jordar chanta..

Charon aore lanssen..

Desh mar raha hai..

Aur hamara pradhan sewak..

Apne Mann ki baat kar raha hai..

Davai Oxigen ki talash hai..

Raja ki ore aasha ki nazren..

Ab bhi aash hai..

Kya sab bakvash hai..

Mat puchho kya kar raha hai raja..

Jan jan ko us sevak ki talash hai..!!


कविता की विवेचना:

मन की बात/ mann ki baat कविता हमारे आदरणीय

प्रधान सेवक के "मन की बात" प्रोग्राम हमारे सारे राष्ट्रीय प्रसारण से हर महीने की आखिरी इतवार को प्रसारित होता है।

यह प्रधान सेवक जी का जान संपर्क का अपना तरीका है।उनको लगता है सब ठीक ठाक है, हो सकता हैं उन तक ऐसी ही सूचना हो की सब ठीक ठाक है।

इतने विशाल देश में जन संपर्क का और बेहतर तरीका हो भी नही सकता। मगर इसमें सवाल उठता है एक तरफा मन की बात सही है क्या, बेहतर होता दो तरफा बात होती जैसे चिट्ठी होती है उसका जवाब होता है तो बात पूर्ण होती है।

यहां बात एक तरफा होने के कारण अधूरी सी रह जाती है और इस प्रोग्राम का मकसद जन संपर्क भी अधूरा रह जाता है।

इस प्रोग्राम के निर्माताओं ने क्यों इस दिशा में नही सोचा 

अगर अब तक नही सोचा तो अब सोच सकते हैं। आइडिया अच्छा है मगर अधूरा है यह पूरा सक्षम हो इस ओर प्रयास किए जाने चाहिए।

जनता को देश के प्रधान सेवक से अनेक आशाएं होती हैं जैसे घर में अपने बड़ों से होती है की यह हमारा भला ही होगा बुरा होने का तो सवाल ही नहीं, मगर जब उसके विपरीत बुरा होने लगे तो लगता है बहुत बड़ा कम्युनिकेशन गैप है।

 यह ही हो रहा है और इतने अर्से बाद भी इसमें कोई सुधार नहीं यही चिंता और दुख सताता है। लगता है की हमारा अपना अब अपना नही रहा और क्यों वो पराया सा व्यवहार कर रहा है राजा की तरह।

बात बहुत बड़ी है " मन की बात" कविता में इस बड़ी बात को संक्षेप में कहने की कोशिश और जन जन के मन की पीड़ा छिपी है जो हम चाहकर भी प्रधान सेवक से नहीं कह सकते ।कविता में इसी कठनाई को बयान किया गया है। 

कविता को पढ़े और कृपया शेयर करे शायद बात हम सबके मन की बात हो जाए।

... इति...

_जे पी एस बी














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