हे प्रभु समय चक्र...
फिर वापिस घुमा दो...
मुझे एक बार और..
फिर जीने का मौका दो...
हो गई जो गलतियां...
धो कर निर्मल हो जाऊ...
देखू आयना बेदाग नजर आऊ...
कोरे कागज़ पर शब्द पवित्र लिखूं...
कही से भी कमतर ना दिखू...
चेहरे पर विश्वास का तेज हो...
मेरी भी कोई खास इमेज हो...!!
Hei prabhu samay Chakra..
Phir wapish ghuma do..
Mujhe ek bar aur..
Phir Jine ka mouka do..
Ho gayi jo galtiyan..
Dho kar nirmal ho jaun..
Dekhu aayna bedag nazar aaun..
Kote kagaz par shabd pavitra likhun..
Kahin se bhi kamtar na dikhun..
Chehre par vishvash ka tej ho..
Meri bhi koi khash image ho..!!
जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
समय चक्र/ Smay Chakra कविता में उस नायक का जिक्र है जो चाहता कि समय वापिस उसके बचपन तक घूम जाए ।
नायक ने बचपन से अधेड़ उम्र तक पहुंचने में की अब उसे याद आती हैं, नायक को पस्यताप होता कि उस अमुक अमुक गलतियां नही करनी थी, अगर वो गलतियां ना की होती तो नायक का जीवन और मधुर गौरव भरा होता ।
नायक को लगता कि उसे वापिस बचपन की उम्र में चले जाना चाहिए और जिंदगी को बना संवार के जीना चाहिए, इस लिए नायक भगवान से प्रार्थना करता है कि उसका समय चक्र वापिस घुमा दे उसे फिर से बचपन के दौर में ला दे ।
ताकि वो इस जिंदगी में की गई गलतियों को सुधार कर अपनी जिंदगी को दाग रहित बना ले और आगे के जीवन को बिना कुंठा के अच्छे से जी पाए।
" समय चक्र" कविता में नायक समय चक्र घुमा कर वापिस बचपन में जाने का सोचता है , उस समय उसके मन में क्या उधेड़ बुन चल रही है। नायक की उसी उधेड़ बुन का जिक्र कविता में किया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_ जे पी एस बी
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