रख दे पतीला गैस पे...
तेरा हो भला तू ऐश करे...
पिए बगैर मिटे न सुस्ती...
पी कर ही आती है मस्ती...
एक घूट दूध का...
प्याला पानी का...
पड़ गया स्वाद...
इस मस्तानी का...
जो हैं चाय के शौकीन...
बेच बैठे हैं जमीन...
जो है चाय के बेचारे...
बेच बैठे है चौबारे...
चाय के साथ ...
अब काफ़ी है...
पीना है इसे रोज़..
जितनी जिंदगी बाकी है ..!!
Rakh de patila gas pe ..
Tera ho bhala tu aise kare..
Piye bager mite na susti..
Pi kar hi aati hai masti..
Ek ghunt dhudh ka ..
Pyala pani ka..
Pad gaya swad ..
Is mastani ka..
Jo hai chay ki shoukin..
Bech baithe hai jameen..
Jo hai chay ke bechare..
Bech baithe hai chobare..
Chay ke sath ..
Ab kafi bhi hai..
Pina hai ise roj ..
Jitni jindgi baki hai..!!
जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
चाय/ Tea कविता भारत में चाय के चलन और इसे जिंदगी का अहम हिस्सा कहा जा सकता है।
चाय की खोज चीन में हुई और चीन ने कई दिनों तक इसे संसार से छुपा के रखा, चीन ने जब चाय की खोज की उन्होंने पाया कि चाय पीने से सुस्ती चली जाती और इंसान के शरीर में स्फूर्ति आ जाती है।
भारत विश्व का दूसरा बड़ा चाय पत्ती का उत्पादक देश है। आसाम और दार्जिलिंग की चाय विश्व प्रसिद्ध है।
भारत के किसी भी शहर में चाय की दुकानें आम मिल जाएंगी रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड तो चाय का खास अड्डा होता है।
अब तो चाय भारत के लिए बहुत ज्यादा खास हो गई है जबसे श्री नरेंद्र मोदी जी प्रधान मंत्री बने है , क्यों कि बचपन में उन्होंने चाय बेची थी।
फिर उन्होंने (प्रधान मंत्री जी) ने चाय पर चर्चा का सिलसिला अनेक देशों के राष्ट्र अध्यस्य के साथ किया जो कि बहुत पॉपुलर रहा।
भारत के हर घर में सुबह का आगाज ही चाय पीने से होता है और शाम को भी चाय का एक और दौर चलता है।अगर कोई मेहमान आ गया तो एक्स्ट्रा दौर और हो जाता है ।
ऐसा ही हर ऑफिस में चाय मुख्य पेय है कस्टमर के स्वागत के लिए। यानी भारत में तो चाय हर जगह छाई हुई है।
भारत में चाय घर पधारे मेहमानों के स्वागत का प्रमुख पेय बन चुका है ,या यू कहे कि स्वागत का पर्याय बन चुका है । किसी को चाय पिलाना यानी उनका बहुत ज्यादा सम्मान करना।
" चाय" कविता में चाय की महत्ता भारत में इंसान की ज़िंदगी दर्शाई गई है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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