ना करो बात अब मुझे सोने दो..
अपने सपनो की दुनिया में खोने दो...
खुशियों से मिलन मेरा होने दो..
सपनों ने ही तो मुझे ...
जीने का सहारा दिया...
जो न मिल सका कही से...
प्यार ढेर सारा दिया...
ना करो बात अब मुझे सोने दो...
अपने सपनो की दुनिया में खोने दो...
सपनो के लिए ही मै जी रहा हूं...
इस लिए नींद का नशा पी रहा हूं...
नींद की गोद में सुख कितना है ...
समंदर सपनो का आसमान जितना है...
ना करो बात अब मुझे सोने दो..
अपने सपनो की दुनिया में खोने दो...
सपनों के बिन मैं जी सकता नही...
सपने ही मेरा सुनहरा संसार है...
इस संसार बगैर रह सकता नही..
मेरे इस संसार में मुझे रहने दो...
ना करो बात अब मुझे सोने दो..
अपने सपनो की दुनिया में खोने दो...!!
Na karo baat ab mujhe sone do..
Apne sapno ki duniya me khone do..
Khushiyo se Milan Mera hone do..
Sapno ne hi mujhe..
Jeene ka sahara diya..
Jo mil na saka kahin se..
Pyar dher sara diya..
Na karo baat ab mujhe sone do..
Apne sapno ki Duniya me khone do..
Sapno ke liye main jee raha hun..
Isi liye neend ka nasha pee rah hun..
Neend ki goad me sukh kitna hai..
Samundar sapno ka ..
Aashman jitna hai..
Na karo baat ab mujhe sone do..
Apne sapno ki Duniya me khone do..
Sapno bin mai jee Sakta nahi..
Sapne hi mera sunhara sansar hai..
Ise sansar bager rah sakta nahi..
Mere ise sansar main mujhe rahne do..
Na karo baat ab mujhe sone do..
Apne sapno ki Duniya me khone do..!!
जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
सपनो की दुनिया/ Sapno ki duniya कविता में नायक अपने सपनो के अनोखे संसार में ही डूबा रहना चाहता है।
नायक किसी से भी बात नही करना चाहता ताकि उसके सपनो व्यवधान न पड़े।
अच्छे सपने आलौकिक मानसिक सुख देते हैं मानसिक शांति देते हैं, यहां नायक को अच्छे सपने आ रहे है , इनसे नायक को आनंद और मानसिक संतुष्टि और सुख मिल रहा है, इसलिए वोह इन सपनों में खोया रहना चाहता है ।
नायक की जो भी इच्छाएं हैं, हकीकत या उसकी रीयल लाइफ में पूरी नहीं हो पा रही और नायक अपने रीयल लाइफ के मानसिक दबाव और परेशानी से बचन के लिए सपनों की दुनिया की शरण में आ गया है।
जब की नायक को भी पता है, सपनो की दुनिया हकीकत से कोसो दूर है या इसका रीयल लाइफ से कोई लेना देना नही है, ना ही सपनो की दुनिया से रीयल लाइफ को कोई सहयोग या मदत अपना लक्ष पाने में होती है।
नायक रीयल लाइफ में लगातार परेशानी और असफलता से इतना ज्यादा घबरा गया है, कि जब कि उसे पता है सपने कल्पना मात्र हैं कभी भी सच नहीं होगे तब भी वोह सपनो के सहारे तलाश रहा है, जब कि यह क्षणिक सुख के अलावा कुछ भी नही, वो भी जब तक अच्छे सपने आते हैं ।
यही जब बुरे सपने आने लग जायेंगे नायक मानसिक रूप से परेशान होने लगेगा और नींद लेने या सोने से भी डरने लगेगा।
सपनो के पीछे नकली जिंदगी के सुख तलासने से अच्छा है नायक हकीकत का सामना करे और रास्ते में आने वाली परेसानियो से लड़े उनपर विजय प्राप्त करे उसकी यह जीत उसकी जिंदगी में अमृत समान होगी और जो सुख आत्म संतुष्टि मिलेगी हमेशा के लिए होगी परमानेंट होगी।
सपने एक स्वाभाविक क्रिया है सुख दुख दोनो का अनुभव करते हैं मगर वह वास्तविकता नही है यह भी सच है , और जो वास्तविकता नही है उसका सहारा कैसे लिया जा सकता है।
नायक भी सपनो का सहारा छोड़ कर वास्तिविक सफलता हासिल करेगा और परमानेंट खुशी और मानसिक संतुष्टि हासिल करेगा।
" सपनो की दुनिया" कविता में नायक का सपनो की दुनिया की ओर झुकाव अच्छे सपने के कारण है , यही खराब या बुरे सपने नायक को विचलित भी कर सकते हैं। नायक भी सपनो की दुनिया से निकल कर हकीकत में अपनी लगन मेहनत से सफलता पाएगा।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
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