मेरे दिल की सुनो...
ए दुनिया वालों...
मुझे भी कुछ कहने दो..
समय नही किसी के पास...
किसी का दुखड़ा सुनने को..
सह रहा हू दुख सहने दो...
हमदर्दी नही ना सही ...
दर्द तो मेरा अपना है...
मेरा दर्द मेरे पास रहने दो...
मैं गम संजोकर बैठा हू...
बस मुझे यूं ही बैठा रहने दो...
मेरे पास तो बस उदासी है..
तुम हंसी खुशी के गहने दो...
काश मैं भी खुश हो जाऊ कभी...
मुझे मन की बात कहने दो...!!
Mere dil ki suno..
Ae duniya walo..
Mujhe bhi kuchh Kahane do..
Samay nahi kisi ke pas..
Kisi ka dukhada sunane ko..
Sah raha hun dukh sahane do..
Hamdardi nahi, na sahi..
Dard tau mera apna hai..
Mera dard mere pas hi rahane do..
Main gam sanjo kar baitha hun..
Bas mujhe tu hi baitha rahne do..
Mera pas tou bas udasi hai..
Tum hansi khusi ke gahne do..
Kash main bhi khush ho jau kabhi..
Mujhe mere ki baat kahne do..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
दिल से/ Dil Se कविता में नायक अपनी निजी परेशानियों से बहुत दुखी है, उसे अपनी जिंदगी अच्छी नहीं लग रही।
उसके परिचित लोग चाहते है वह भी हंसी खुशी से रहे जिंदगी के मजे ले , मगर इन लोगों को नही पता की नायक पर क्या बीत रही है ,वह अपना दुख किसी से शेयर भी करना नही चाहता।
अब लाइफ स्टाइल निजिता में सीमित सिमट कर रह गई है , कोई किसी की परेशानी में पड़ना भी नही चाहता सब की खुद की परेशानियां इतनी बढ़ गई हैं कि किसी के पास समय नहीं है कि किसी भी परेशानियां सुने।
सब सुख शांति और खुशी ढूंढ रहे हैं , जो कि विरलो को ही नसीब है ।
नायक इस लिए अपने दुख परेशानियों के साथ एकांत चाहता है और नही चाहता कि उसे कोई डिस्टर्ब करे।
"दिल से" कविता में नायक की खुद के ही दिल से जुड़े रहने की व्यथा बयान की है ।
कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें।
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... इति...
_जे पी एस बी l
jpsb.blogspot.com
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