आसमां में देखता हूं गुम सुम ..
हर तारे में नज़र आती हो तुम,..
छन्न की आवाज़ से ..
ध्यान मेरा टूटा है..
दिल मेरा टूटा या...
कोई बर्तन हाथ से छूटा है...
जमीन पर बिखरे हैं टुकड़े टुकड़े...
टुकड़ों में तुम नज़र आती हो...
तुम्हें क्या पता कितनी ...
दिल को भाती हो..
दूर से देखता हू बरसों से..
इंतजार में तुम भी..
कभी तो देखोगी मेरी ओर..
जैसे चांद को चाहता है चकोर...
इंतजार अनंत है...
चकोर की तरह मेरा भी..!!
Aashman me dekhta hu gum sum..
Har tare me nazar aati ho sirf tum ..
Chhann ki aawaz se..
dhyan mera tuta hai..
Dil mera tuta hai ya..
Koi bartan hanth se chhuta hai..
Jamin par bikhre hai tukde tukade..
Tukdon me nazar aati ho tum..
Tumhe kya pata kitni..
Dil ko Bhati ho tum..
Dur se dekhta hu barson se..
Intezar me ki tum bhi ..
Kabhi to dekhogi meri aor..
Jaise chand ko chhota hai chakor..
Intezar anant hai..
Chakor ki tarah mera bhi..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
हम तुम/ Ham Tum कविता नायक का प्यार है जो खो गया है और नायक अपने खोए हुए प्यार को तलाश रहा है।
नायक हर पल अपने खोए प्यार की याद में खोया रहता है प्यार के बगैर बहुत बैचेनी महसूस करता है और गुमसुम रहता है।
नायक आसमान में देखता है उसे तारों में कही उसकी नायिका नजर आती है और वो घंटो तारों से अपने दिल की बाते करता है और उसे यह बहुत अच्छा लगता है ।
नायक को महसूस होता है कि नायिका उसके आस पास है ,उसे हर कही अपनी प्रेमिका का अहसास होता है और वोह कही भी कभी भीं नायिका के ख्यालों में खो जाता है और नायिका के साथ बिताए खुशनुमा पल याद करता है।
नायक को नही पता कि नायिका उससे बिछड़ कर कहा गई है, जिंदा भी है की नही। जब नायक नायिका को इतना चाहता था स्वाभाविक है नायिका भी चाहती होगी तो फिर नायक से दूर क्यों चली गई या किसी के दबाव में नायक से अलग हो गई ।
इतनी ज्यादा दूरियां बढ़ गई कि इतने कम्युनिकेशन के साधन होने के बावजूद भी नायिका ने नायक से कभी संपर्क नही किया ।
बिछड़ने के बाद इतना ज्यादा सिला नायिका ने क्यों दिया कि नायक मानसिक रूप से बीमार पड़ गया मगर नायिका को कोई फिक्र क्यों नही।यह तो नायिका मिलेगी तभी पता चलेगा , नायक नायिका की खोज कर रहा है कई लोगो से नायक मदद ले रहा है नायिका की तलाश में।
आशा है नायक को नायिका जरूर मिल जायेगी नायिका के मिलने पर नायिक की खुशी हम महसूस कर सकते हैं , नायक को दूसरी जिंदगी मिलेगी।
" हम तुम" कविता में नायक नायिका विरह में बैचेन है , नायक की उसी बैचेनी को कविता में दर्शया गया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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