Monday, May 31, 2021

सवाल पूछने से डरे क्यों ( Swal Puchhne se Daren Kyo)

Swal Puchhne se Daren kyo ?
Why Fear of Questioning
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 सवाल पूछने से डरे क्यों..

बिना सवाल पूछे मरे क्यों..

एक तरफा संवाद क्यों..

सिर्फ़ अपने मन की बात क्यों..

जनता की गुलामों सी औकात क्यो..

दोस्तो के लिए सौगात क्यों..

धर्म जात पात में बांटा क्यों..

गरीबी पर अमीरी का चांटा क्यों..

दवाओं के अभाव में लोग मारे क्यों..

चुनाव में सांप्रदायिक नारे क्यों..

वोट के बदले  बदहाली क्यों..

आम लोगों को गाली क्यों..

दिवाली सबकी बना दी काली क्यों..

सब संस्थान न्याय से खाली क्यों..

तुम सेवक से राजा बने क्यों..

अब तुम्हारा विश्वास जनता करे क्यों..???


Swal Puchhne se daren kyon..

Bina swal puchhe karen kyon..

Ek tarfa swand kyon..

Sirf apne mann ki baat kyon..

Janta ki gulamon si aukat kyon..

Doston ke liye sougat kyon..

Dharam jat pat me banta kyon ..

Garibi par amiri ka chanta kyon..

Deshon ke abhav me log mare kyon ..

Chunav me sampradayik nare kyon..

Vote ke badle badhali kyon..

Aam logon ko gaali kyon .

Diwali sabki bana di kali kyon..

Sab sansthan nyay se khali kyon..

Tum sevak se Raja bane kyon..???


जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

सवाल पूछने से डरे क्यों/ Fear Of Questioning कविता एक प्रश्न है- करोना काल में लोग बेहिसाब मारे गए मगर कोई शासन से डर के कारण प्रश्न नही कर रहा है । और बिना कारण नागरिक प्रशासन की लापरवाही से मर रहे है।

लोग डरे हुए है ,इस तरफ करोना से मौत और कोई सवाल किया तो जेल की सज्जा और तरह तरह की परेशानियां जो शासन डर पैदा करने के लिए कर सकता है ।

 जैसा कि गुलामी के समय अंग्रेज किया करते थे।जैसे लोकतंत्र को किसी खूंटे से बांध निष्क्रिय कर दिया गया है। और अचानक राजतंत्र हावी हो गया है और किसी को पता भी न चला।

 और लोग या तो करोना से मर रहे है या डर से किसी कोने में दुबक रहे हैं। सबको पता है कि लापरवाही प्रशासन कर रहा है , दवाएं नही ऑक्सीजन नही और लोग इन चीजों के अभाव में तड़फ तड़फ कर मर रहे हैं , सबको यह भी पता है कि लोकतंत्र है यानी जनता का राज जनता का पूर्ण अधिकार है कि जो अपनी ड्यूटी ना करे उससे प्रश्न पूछे और तुरंत गलत को सही करे ।

और जिसने गलती की है उसे सज्जा दे , मगर ऐसा नहीं हो रहा और लोग गुलामों जैसे डर रहे हैं और प्रशासन मनमानी कर रहा है जैसे अंग्रेज करते थे जैसे राजतंत्र में होता था।

तुम जिंदगी दे नही सकते तो लेने का कोई अधिकार नहीं लोगो की जिंदगी के ऊपर कोई सरकार नही। मगर हकीकत है सारी दुनिया ने देखा और आश्चर्य भी किया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोग जानवरो की तरह मर रहे है। और प्रशासन उन्हे बचाने के लिए नाकाफी कर रहा है।

 इसके बावजूद लोग डर रहे हैं सवाल पूछने का डर मौत से भी ज्यादा है । क्या लोकतंत्र वोट लेने तक ही सीमित है किसी तरह बहला कर वोट ले लिया और बाद में कुछ सवाल नही कर सकते क्यों की वोटिंग खत्म होते ही जीतने वाले राजा और लोकतंत्र अगले चुनाव तक राजतंत्र बन जाता है।

" सवाल पूछने से डरे क्यों" कविता जनता की तरफ से प्रशासन से पूछे प्रश्न हैं, जो कि डर के मारे नही पूछे, यह बड़ा सवाल है कि मौत से बड़ा डर और डर से बड़ी सरकार है, लोकतन्त्र कही गुम है ।

कविता को पढ़े और शेयर करें और लोकतंत्र पर विश्वास करे।

... इति...

_जे पी एस बी

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Saturday, May 29, 2021

दिल से( Dil Se)

No one have time to share your grief
Dil Se
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मेरे दिल की सुनो...

ए दुनिया वालों...

मुझे भी कुछ कहने दो..

 

समय नही किसी के पास...

किसी का दुखड़ा सुनने को..

सह रहा हू दुख सहने दो...

 

हमदर्दी नही ना सही ...

दर्द तो मेरा अपना है...

मेरा दर्द मेरे पास रहने  दो...

 

मैं गम संजोकर बैठा हू...

बस मुझे यूं ही बैठा रहने दो...

मेरे पास तो बस उदासी है..

तुम हंसी खुशी के गहने दो...

काश मैं भी खुश हो जाऊ कभी...

मुझे मन की बात कहने दो...!!


Mere dil ki suno..

Ae duniya walo..

Mujhe bhi kuchh Kahane do..


Samay nahi kisi ke pas..

Kisi ka dukhada sunane ko..

Sah raha hun dukh sahane do..


Hamdardi nahi, na sahi..

Dard tau mera apna hai..

Mera dard mere pas hi rahane do..


Main gam sanjo kar baitha hun..

Bas mujhe tu hi baitha rahne do..

Mera pas tou bas udasi hai..

Tum hansi khusi ke gahne do..

Kash main bhi khush ho jau kabhi..

Mujhe mere ki baat kahne do..!!

 

_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

दिल से/ Dil Se कविता में नायक अपनी निजी परेशानियों से बहुत दुखी है, उसे अपनी जिंदगी अच्छी नहीं लग रही।

उसके परिचित लोग चाहते है वह भी हंसी खुशी से रहे जिंदगी के मजे ले , मगर इन लोगों को नही पता की नायक पर क्या बीत रही है ,वह अपना दुख किसी से शेयर भी करना नही चाहता।

अब लाइफ स्टाइल निजिता में सीमित सिमट कर रह गई है , कोई किसी की परेशानी में पड़ना भी नही चाहता सब की खुद की परेशानियां इतनी बढ़ गई हैं कि किसी के पास समय नहीं है कि किसी भी परेशानियां सुने।

सब सुख शांति और खुशी ढूंढ रहे हैं , जो कि विरलो को ही नसीब है ।

नायक इस लिए अपने दुख परेशानियों के साथ एकांत चाहता है और नही चाहता कि उसे कोई डिस्टर्ब करे।

"दिल से" कविता में नायक की खुद के ही दिल से जुड़े रहने की व्यथा बयान की है ।

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... इति...

_जे पी एस बी l

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रोना आया (Tearful)









Tearful
Tearful Memories

तुम्हारे ना होने के...

एहसास पर रोना आया...

याद हो आई तुम्हारी कई बाते...

हर बात पर रोना आया...

 

याद आती कुछ बात तो...

लगता है कह दू तुमसे...

तुम्हारे दूर होने के ..

एहसास पर रोना आया...

 

कभी देखने और मिलने को..

तरस जाता है दिल...

दूर और मजबूर हू मैं इतना...

इस मजबूरी पर रोना आया...

 

अभी तो बाकी थी बहुत बाते..

जो तुमसे करनी थी ..

 सलाह लेनी थी  कही सलाह देनी थी..

घूमनी थी तेरे साथ दुनिया..

कैद करने थे कई सुनहरे पल और सपने ..


मौका ही ना दिया एक पल भी..

एक दम से कैसे तुम चली गई ..

मुड़ कर भी ना देखा ..

तुम ही तो थी सब कुछ हमारी..

हम ही तो थे सब कुछ तुम्हारे.. 

फिर छोड़ा हमें किसके सहारे..


बदला क्यों तुमने भैंस ..

वोह कौन सा देश जहा तुम चले गए..

कैसे भेजे तुम्हे अब कोई संदेश ..

या तुम ही हम पर तरस खाओ ..

अब लोट भी आओ..

 

लगता है पास तुम्हारे चला आऊ..

जिंदगी की जब टुटी ना सांस...

तो हो बदहवास रोना आया...

 

भगवान को मालूम है सब..

मिला ही देगा कभी..

करूंगा और इंतजार...

इंतजार थका देने वाला लंबा है..

इस इंतजार पर रोना आया...!!


Tumhare na hone ke..

Ahsas par rona aaya..

Yaad ho ayi tumhari kai baten..

Har bat par rona aaya..


Yaad aati hai kuchh baten to..

Lagta hai kah du tumse..

Tumhare dur hone ke..

ahsas par rona aaya..


Kabhi dekhne aur milne ko..

Taras jata hai dil..

Dur aur mazbur hu main itna..

Is mazburi par rona aaya..


Abhi tau baki thi bahut baten..

Jo tumse karni thi ..

Alag leni thi kahi alag deni thi ..

Ghummi thi tumhare sath Dunia ..

Qaid karne the kai sunhare pal ..


Mouka hi na diya ek pal bhi ..

Ekdam se kaise tum chali gayi ..

Mud kar bhi na dekha..

Tum hi tou thi sab kuchh hamari..

Ham hi tou thi sab kuchh tumhare..

Phir  chhoda hame kiske sahare ..


Badla kyo tumne bhes..

Woh koun sa desh jahan tum chale gaye...

Kaise bheje ab tumhe koi  sandesh..

Ya tum hi ham par taras khao..

Ab Lout  bhi aao..



Lagta hai pas tumhare chala aou ..

Jindgi ki jab tuti na sans..

Tou ho bad hwas rona aaya..


Bhagwan ko ma ki um hai sab..

Mila hi dega kabhi..

Karunga aur intjar..

Intjar thka dene wala lamba hai..

Is intjar par rona aaya..!!

 

कविता की विवेचना:


रोना आया/ Rona Aya कविता बेटी की याद में में है जो बहुत कम उम्र में सबको छोड़ कर ईश्वर के पास चली गई ।

माता पिता भाई बहिन और परिवार के सदस्यों को उसकी याद बहुत आती है, कभी उसकी बातो को याद करते हैं , कभी उससे संबंधित चीज़े और उसके साथ गुजारे पल उसकी याद दिलाते हैं और अक्सर भावुक कर देते हैं।

यह कैसी विडंबना है कि हमने उसे छोटे से बड़े होते देखा अभी तो दुनिया में सांस ही ली थी, दुनिया देखी कहां थी उसने , हम उस से सालों उमर दराज हैं और अब तक जिंदा हैं और जिसकी जिंदा रहने की उमर थी ,वो हमारे सामने ही चली गई किसी अनजान जगह अनंत काल के लिए फिर कभी ना मिलने लिए।

कितने कठोर बनाए है ना भगवान ने नियम कोई तरीका ही नही छोड़ा कभी वापिस आने का, तो फिर बनाए ही क्यों ये रिश्ते नाते महज कुछ गिनती के समय के लिए, समय बीतते ही मुलाकात का वक्त हुआ खत्म, कितनी बे रहम है ये प्रकृति  जहां कोई नही रहम ।

" रोना आया" कविता प्यारी बेटी को श्रद्धांजलि अर्पित करती है और 

कहती है जब तक हम जिंदा हो तुम सदा हमारे साथ हो और हमेशा रहोगी  ।

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... इति...

जे पी एस बी

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सेलिब्रेटी स्टेटस(Selebrity Status )

Celebrity Status imagination will
Celebrity Status
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ख्वाइश थी हम भी...

मशहूर हो जाए...

अपना भी नाम भी चारों ओर...

इसी शोहरत में खो जाए...

पर ये हो ना सका..

अब आलम है कि ...

जिंदगी गुमनाम है...

जीने के नाम जी रहा हूं...

रोज़ जिंदगी के एहसास के...

कड़वे घूट पी रहा हूं...

उम्र बढ़ बढ़ कर मखौल उड़ाती है...

मौत की नजदीकिया...

चेहरे पर गर्दिश सी दिखती है...

जिंदगी बेबस है...

ऊपर से मौत हंसती है...!!


Khawaish thi ham bhi..

Mashhur ho jaye..

Apna bhi naam ho charo aur..

Isi shohrat me kho jaye..

Par ye na ho ska..

Ab yah Alam hai ki..

Jindgi gumnam hai..

Jine ke naam ji raha hu..

Roj jindgi ke ahsas ke..

Kadve ghunt pi raha hu..

Umar badh badh kar makhol udati hai..

Mout ki najdikiya..

Chehre pe gardish si dikhati hai..

Jindgi bewvash hai..

Upar se mout hansti hai..!! 

जे पी एस बी 


कविता की विवेचना: 

सेलेब्रेटी स्टेट्स/Celebrity status कविता उस नायक की ख्वाइश के बारे में हैं जो प्रसिद्ध हो सेलिब्रिटी बनाना चाहता है।

नायक चाहता है कि वोह भी प्रसिद्ध हस्तियों की तरह प्रसिद्ध हो जाए। मगर उसे नही पता कि उसके पास कौन सा हुनर है जो उसे प्रसिद्ध कर सकता है ।

नायक के पास ना हुनर न पर्सनालिटी ना खास सकल सूरत फिर भी ऐसी इच्छा किस दम पर , क्या ऐसी इच्छा रखना एक आम इंसान के लिए अपराध है ।

मगर नायक ने तो इच्छा की है अपने भगवान और भाग्य के भरोसे , नायक को विश्वाश है भगवान चाहे तो पलक झपकते ही अनहोनी कर सकते हैं, नायक को भगवान की अनहोनी पर यकीन है कि एक दिन अनहोनी और चमत्कार जरूर होगा और उसकी मुराद पूरी होगी।

अगर नायक अपने ईश्वर पर इतना भरोसा करता है तो क्या गुनाह करता है, यह उसके यानी नायक के और भगवान के बीच का विश्वाश है। भगवान चमत्कार करेंगे ही जरूर करेंगे।

अगर भक्त की श्रद्धा और विश्वास सच्चा है, पहले भी तो ऐसे कई चमत्कार हुए हैं उन चमत्कारों के कई  उदाहरण आज भी हैं , हमारे प्रधान मंत्री, पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम, अब्राहिम लिंकन उन उदाहरण में से है जो सत्य हैं।

नायक अधेड़ हो चुका है और उसका भगवान के चमत्कार का विश्वाश डगमगा रहा है ,कही उसको लगता है कि वोह मौत की ओर बढ़ रहा है और वोह एक कीड़े मकोड़े की तरह गुमनामी की मौत मर जायेगा और कही उसके मरने का किसी को पता भी नही चलेगा।

क्या नायक को हार माननी चाहिए ? नही बल्कि उसे निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए, कहते हैं ना कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती , और नायक को तो अपने भगवान पर अथाह विश्वाश है।

यह विश्वास कायम रहना चाहिए उम्र समय भगवान के हांथ है कुछ भी भगवान से बड़ा नहीं, जब अनहोनी और चमत्कार ही होना है तो बहुत बड़ा होगा और जरूर होगा नायक को अंत तक उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, उम्मीद पर तो दुनिया कायम है ।

" सेलिब्रिटी स्टेट्स" कविता में नायक की सेलिब्रिटी होने की इच्छा और उसके मन में इस विषय में चल रही ऊहा पोह का वर्णन है।

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वोह नायक आप भी हो सकते हैं।

... इति...

_जे पी एस बी

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समय चक्र ( Samay Chakra)

Want Reversal of Time to Repair Mistakes
Samay Chakra
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हे प्रभु समय चक्र...

फिर वापिस घुमा दो...

मुझे एक बार और..

फिर जीने का मौका दो...

हो गई जो गलतियां...

धो कर निर्मल हो जाऊ...

देखू आयना बेदाग नजर आऊ...

कोरे कागज़ पर शब्द पवित्र लिखूं...

कही से भी कमतर ना दिखू...

चेहरे पर विश्वास का तेज हो...

मेरी भी कोई खास इमेज हो...!!


Hei prabhu samay Chakra..

Phir wapish ghuma do..

Mujhe ek bar aur..

Phir Jine ka mouka do.. 

Ho gayi jo galtiyan..

Dho kar nirmal ho jaun..

Dekhu aayna bedag nazar aaun..

Kote kagaz par shabd pavitra likhun..

Kahin se bhi kamtar na dikhun..

Chehre par vishvash ka  tej ho..

Meri bhi koi khash image ho..!!


जे पी एस बी 


कविता की विवेचना:

समय चक्र/ Smay  Chakra कविता में उस नायक  का जिक्र है जो चाहता कि समय वापिस उसके बचपन तक घूम जाए ।

नायक ने बचपन से अधेड़ उम्र तक पहुंचने में की अब उसे याद आती हैं, नायक को पस्यताप होता कि उस अमुक अमुक गलतियां नही करनी थी, अगर वो गलतियां ना की होती तो नायक का जीवन और मधुर गौरव भरा होता  ।

नायक को लगता कि उसे वापिस बचपन की उम्र में चले जाना चाहिए और जिंदगी को बना संवार के जीना चाहिए, इस लिए नायक भगवान से प्रार्थना करता है कि उसका समय चक्र वापिस घुमा दे उसे फिर से बचपन के दौर में ला दे ।

ताकि वो इस जिंदगी में की गई गलतियों को सुधार कर अपनी जिंदगी को दाग रहित बना ले और आगे के जीवन को बिना कुंठा के अच्छे से जी पाए। 

" समय चक्र" कविता में नायक समय चक्र घुमा कर वापिस बचपन में जाने का सोचता है , उस समय उसके मन में क्या उधेड़ बुन चल रही है। नायक की उसी उधेड़ बुन का जिक्र कविता में किया है।

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... इति...

_ जे पी एस बी

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कवि हो जाओ (Kavi ho Jao)

Be A Poet to fight with wrongs
Kavi ho Jao
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छोड़ो रोज का रोना धोना...

आओ कवि हो ना...

आरोप प्रत्यारोप भड़ास..

जो भी हो यहां निकालो..

देनी जिसको जितनी गलियां दे डालो..

जब जब अहसहाय महसूस करो...

एक नई कविता बना लो...

तुम्हारी कविता से ...

कोई फ़र्क नही पड़ेगा तुम्हे भी पता है...

तुम्हारा अपराधबोध तो कम होगा...

तुम्हे संतुष्टी ही मिलेगी...

एक दस्तावेज तुम्हारे नाम कही दफ़न होगा..

तुम्हे भी बेमौत नकारा मरने का न गम होगा...


Chhodo roj ka rona dhona..

Aao Kavi Ho Na..

Aarop partyarop bhadaas..

Jo bhi ho yaha nikalo..

Deni ho kisko jitni galiya de dalo..

Jab jab ahsahay mahasus karo..

Ek nayi Kavita bana Lo..

Tumhari Kavita se ..

Koi farak nahi padega tumhe bhi pta hai..

Tumhara apradh bodh to kam hoga..

Tumhe santusti hi milegi..

Ek dastavez tumhare naam kahin dafan hoga..

Tumhe bhi bemaout nakara marne ka na gam hoga..



जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

कवि हो जाओ/ Kavi Ho Jao कविता कवि अपने आस पास कई घटनाएं वा देश की व्यवस्था में कुछ ना कुछ ऐसा होता है लगता है बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है और हम कुछ नहीं कर सकते तो गुस्सा आता है , चिढ़ होती है।

यह गुस्सा और चिढ़ हम अपने आप पर ही निकालते हैं , क्यों कि किसी को कुछ कह नहीं सकते, खुद कुछ कर नही सकते सिर्फ अपने आप को ही कोस सकते हैं।

कवि का कहना है इसी गुस्से को लिखो कविता के रूप में तुम्हारा  गुस्सा कुछ कम होगा और तुम्हे लगेगा कि तुमने किसी को शिकायत कर दी है, जब कि तुम्हे भी पता है कि कुछ नही हुआ है मगर आत्म संतुष्टि जरूर मिली है ।

वैसे जो कोई नही सुनता वो भगवान सुनता है और भगवान जरूर ही तुम्हारी पीड़ा का समाधान भी करता है।

जिन कामों से तुम्हे गुस्सा आ रहा है, भगवान उन लोगों की भी खबर जरूर लेता है और उन्हें सजा भी जरूर देता है।मगर उन गुनाहगारो की बुद्धि और चमड़ी इतनी मोटी हो चुकी रहती है, उन्हे पता ही नही चलता कि उन्हें सजा मिली है, मगर सजा तो जरूर मिलती है।

करोना काल अभी भी चल रहा है खतरनाक दूसरी वेव कुछ अंश अभी भी बाकी हैं, इस समय प्रशासनिक व्यवस्था पर हर नागरिक को बहुत गुस्सा आया ।

ऑक्सीजन का ना होना, बजाय ऑक्सीजन सप्लाई पूर्ति करने के कोर्ट में जाना, अपनी नाकामियां ना मानना,  मौत के झूठे आंकड़े देना , मौतों को छुपाना , पब्लिक की मौतों को रोकने के लिए लिए कुछ खास ना करके राजनीति करना।

करोना काल का राजनैतिक फायदा उठाना चुपचाप करोना काल का फायदा उठाकर कानून बनाना जो जनता के हित में नहीं हैं आदि आदि कई कारण है जिस पर गुस्सा आता है मगर कुछ नही कर सकते।

करोना कॉल से पहले भी बढ़ती मंहगाई , बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था , स्वास्थ व्यवस्था भ्रष्टाचार आदि कई विषय हैं जिनपर गुस्सा आता है मगर कुछ नही कर सकते । 

इन्ही सब अवव्यस्थायो को देख जब जब गुस्सा आए लिखी एक नई कविता बनाओ यही कवि का कहना है या घुट घुट के मर जाओ ।

"कवि हो जाओ" कविता में आम आदमी की बैचेनी को कुछ कम करने के लिए कवि ने सुझाव दिया है कि कवि हो जाओ और कुछ तो मानसिक शांति पाओ।

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... इति...

_जे पी एस बी

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Friday, May 28, 2021

किसी मोड पर (Kisi Mod Par)


After separation to re meeting
Kisi Mod Par
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लड़ाई झगड़े छोड़ कर...

चलो किसी नए मोड़ पर..

अजनबी से मिलते हैं..

खोया प्यार तलासेंगे..

एक दूजे का विश्वास तलासेंगे..

एक दूजे के साथ का आभास तलासेंगे...

 

तुम्हारी गलतियां तुम मानो...

मेरी कमियां मैं मानूंगा...

करेंगे प्यार की शर्ते तय..

रजामंदी दोनों की जिसमें है...

प्यार का इकरारनामा बनायेगे..

जिंदगी भर उसे निभायेंगे..

 

चलो दूर करे दिलो की दूरियां..

एक तरफ रख दे सब मजबूरियां...

प्यार के लिए थोड़ा कष्ट सहेंगे...

कुछ दिल में चुभ भी गया तो...

एक दूजे के सिवा किसी से ना कहेंगे..

 

प्यार स्वार्थ से परे है...

प्यार त्याग मांगता है...

हम भी एक दूजे के लिए त्याग करेगें...

खाते है कसम ,कसम से...

साथ जिएंगे साथ मरेंगे...!!


Ladai jhagade chhod kar..

Chalo kisi naye mod par..

Ajnabi se milte hai..

Khoya pyar talashenge ..

Ek duje ka vishvas talashenge..

Ek duje ke saath ka aabhash talashenge..


Tumhari galtiya tum mano..

Meri kamiya mae manunga.. 

Karenge pyar ki sharte tay..

Rajamandi dono ki jisme hai..

Pyar ka ekrar nama bananyenge..

Jindgi bhar usie nibhayenge..


Chalo dur karo dilon ki duriyan..

Ek taraf rakh de sab majburiyan..

Pyar ke liye thoda kasht sahenge ..

Kuchh dil main chubh bhi gaya tau..

Ek duje ke shiva kisi se na kahenge..


Pyar swarth se pare hai..

Pyar tyag mangta hai..

Ham bhi ek duje ke liye tyag karenge..

Khate hai kadam, kadam se..

Saath jiyenge saath marenge..!!

 

जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

किसी मोड़ पर/ Kisi Mod Par कविता में कविता नायक नायिका का झगड़े के बाद वापिस सुलह का रास्ता तलाश गया है।

नायिका नायक का आपस में झगड़ा या लड़ाई कई विषयो में विचार न मिलने पर हो जाता है।

झगड़ा इतना बढ़ जाता है की नायिका नायक को छोड़ कर चली जाती है, बहुत कोशिसो के बाद भी उनका झगड़ा खत्म नहीं होता बल्कि और ज्यादा बढ़ जाता है, यहां तक नौबत आ जाती है कि जिंदगी में फिर कभी नही मिलेंगे। 

मगर इतने झगड़े के बाद भी नायक नायिका के दिल के किसी कोने में आपस में प्यारभी है मगर वो दरसाते नही, दिल ही दिल में नायक नायिका चाहते है समझौता हो जाए ।

मगर दोनों का अहम आड़े आ रहा है पहल कौन करें, तो यह पहल नायक करता है।

नायक नायिका से कहता है कि चलो सारी पुरानी बाते और लड़ाई झगड़ा भूल कर , फिर से नए सिरे से जिंदगी शुरू करते हैं ।

 उसके लिए नायक नायिका कुछ नियम बनाते है ,और आपस में तय करते हैं, कसम खाते है कि उन बनाए गए नियमों अनुसार ही चलेंगे , नियमों का कड़ाई से पालन करेंगे और कभी झगड़ा नहीं करेंगे ,कभी गुस्सा आ भी जाता है उसे कम करेंगे, आपस की बात किसी तीसरे तक नही आने देंगे, सबसे खास बात कुछ भी हो जाए मरते दम तक एक दूजे के साथ ही रहेंगे । 

नायक नायिका का एक किसी मोड़ पर फिर से मिलना और फिर मिल कर एक हो जाना सुखद महसूस होता है।

" किसी मोड़ पर" कविता में नायक नायिका का मतभेद कारण झगड़ा होना और फिर किसी मोड़ पर समझौता करके फिर एक हो जाना एक सुखद अहसास देता है, कविता में यही वर्णन है।

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... इति...

_जे पी एस बी

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बिखरे सपने( Bikhre Sapne)

Lost Dream of Love life
Lost Dream
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जैसे रह गए मेरे सपने बिखर के...

एक दिन तुम भी रो कर सुनाओगी..

दुखड़े अपने टूटे दिल के...

कंधा ना होगा रोने को कोई...

तरसोगी सहारे के लिए ...

समय बीतेगा तुम्हारा किसी...

अजनबी इंसान से  मिलके...

मैने बिन जान पहचान...

दिया था तुमको सहारा...

बेहिसाब प्यार तुम पे वारा...

पर तुमने धोखे की ठोकर से मारा...

विश्वास उठ गया है अब..

इंशा का इंशा से...

कोई किसी को प्यार करने से डरेगा...

विश्वास और प्यार के अभाव मे...

इंशा अकेलेपन से मरेगा...

बददुआ ना चाहते हुए निकली दिल से...

तू भी रोओ सुना कर दुखड़े-

अपने टूटे हुए दिल के....!!


Jaise rah gaye mere sapne bikhar ke..

Ek din tum bhi ro kar sunaogi..

Dukhade Apne tute dil ke..

Kandha na hoga rone ko koi..

Tarsogi sahare ke liye..

Samay bitega tumhara..

Kisi ajnabi inshan se mil ke..

Maine bin jan pahchan ..

Diya tha tumko sahara..

Be hisab pyar tum par wara..

Par tumne dhokhe ki thokar se mara..

Vishvas uth gaya hai ab..

Inshan ka inshan se..

Koi kisi ko pyar karne se darega..

Vishvas aur pyar ke abhav main..

Inshan akelepan se marega..

Bad duva na chahte huye bhi nikli dil se..

Tum bhi ro ao suna kar dukhde..

Apne tute huye dil ke..!!


जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

बिखरे सपने/ Bikhre Sapne कविता नायिका से प्यार में धोखा खाए नायक की कहानी है।

एक दिन नायिका अचानक नायक को छोड़ कर उसकी जिंदगी से चली जाती है, नायक को कुछ नही पता कि नायिका क्यों और कहां गायब हो गई और नायक को कुछ भी नही बताया,

नायक नायिका एक दूजे को बहुत प्यार करते थे ,जन्मों जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाते थे, एक पल भी एक दूजे का साथ नही छोड़ते थे , उनकी प्यार की कई यादें एक दूसरे से जुड़ी थी, ऐसा कोई कारण नहीं नजर आता की नायिका नायक को बिना बोले इतना बड़ा निर्णय ले, हो सकता है नायिका की कोई बजबूरी हो। हो सकता नायिका किसी मुसीबत में फंस गई हो।

एक दिन  नायक नायिका को कही सार्वजनिक जगह पर देख लेता है, और उससे नाराज होता है , उस  पर बेवफाई का डोस लगता है और उसे बददुवाए भी देता है, नायिका किसी कारण वस नायक की किसी बात का जवाब नही देती और नन्हा से बिना कुछ कहे चली जाती है। नायक सोचता है की नायिका मेरी गुनहगार है इस लिए कुछ नही बोलती , और नायक को पक्का हो गया है की नायिका ने उसे धोखा दिया है और किसी की हो गई है। बाद में नायक किसी दोस्त के द्वारा हकिकत जानने के लिया नायिका का पीछा करवाता है।

तो पता चलता है कि नायिका के पिता उसकी शादी अपने पसंद के किसी लड़के से करवाना चाहते हैं, नायिका पर दबाव डाल रहे है नायक को छोड़ दे और पिता के बताए लड़के से शादी कर ले। मगर नायिक उस शादी का विरोध  पुरजोर तरीके से कर रही  है  ,उसने खाना पीना छोड़ रखा है, नायक को इस लिए नही  बताया कि नायिका नही चाहती थी नायक और उसके पिता का टकराव हो और संबंध हमेशा के लिए टूट जाए, नायिका अपने तरीके से यह समस्या सुलझाना चाहती है।

आखिर नायिका सफल हो जाती है और नायिका के  पिता नायक से सी नायिका की शादी करने को तैयार हो जाते हैं।

" बिखरे सपने" कविता में नायक की गलत फहमी का वर्णन किया किया ,मगर यह गलत फहमी आखिर दूर हो जाती है ,और नायक नायिका एक हो जाते हैं।

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_जे पी एस बी

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सपनो की दुनिया(World of Dream)


World of Dreams
World Of Dreams
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ना करो बात अब मुझे सोने दो..

अपने सपनो की दुनिया में खोने दो...

                   खुशियों से मिलन मेरा होने दो..

                   सपनों ने ही  तो मुझे ...

                   जीने का सहारा दिया...

                   जो न मिल सका कही से...

                   प्यार ढेर सारा दिया...               

ना करो बात अब मुझे सोने दो...

अपने सपनो की दुनिया में खोने दो...

                 सपनो के लिए ही मै जी रहा हूं...

                 इस लिए नींद का नशा पी रहा हूं...

                 नींद की गोद में सुख कितना है ...

                 समंदर सपनो का आसमान जितना है...

    ना करो बात अब मुझे सोने दो..

    अपने सपनो की दुनिया में खोने दो...

                  सपनों के बिन मैं जी सकता नही...

                  सपने ही  मेरा सुनहरा संसार है...

                  इस संसार बगैर रह सकता नही..

                  मेरे इस संसार में मुझे रहने दो...

ना करो बात अब मुझे सोने दो..

अपने सपनो की दुनिया में खोने दो...!!


Na karo baat ab mujhe sone do..

Apne sapno ki duniya me khone do..

                      Khushiyo se Milan Mera hone do..

                      Sapno ne hi mujhe..

                      Jeene ka sahara diya..

                      Jo mil na saka kahin se..

                      Pyar dher sara diya..

Na karo baat ab mujhe sone do..

Apne sapno ki Duniya me khone do..

           Sapno ke liye main jee raha hun..

            Isi liye neend ka nasha pee rah hun..

            Neend ki goad me sukh kitna hai..

             Samundar sapno ka ..

             Aashman jitna hai..

Na karo baat ab mujhe sone do..

Apne sapno ki Duniya me khone do..

             Sapno bin mai jee Sakta nahi..

             Sapne hi mera sunhara sansar hai..

             Ise sansar bager rah sakta nahi..

             Mere ise sansar main mujhe rahne do..

Na karo baat ab mujhe sone do..

Apne sapno ki Duniya me khone do..!!


जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

सपनो की दुनिया/ Sapno ki duniya कविता में नायक अपने सपनो  के अनोखे संसार में ही डूबा रहना चाहता है।

नायक किसी से भी बात नही करना चाहता ताकि उसके सपनो व्यवधान न पड़े।

 अच्छे सपने आलौकिक मानसिक सुख देते हैं मानसिक शांति देते हैं, यहां नायक को अच्छे सपने आ रहे है , इनसे नायक को आनंद और मानसिक संतुष्टि और सुख मिल रहा है, इसलिए वोह इन सपनों में खोया रहना चाहता है ।

 नायक की जो भी  इच्छाएं हैं, हकीकत या उसकी रीयल लाइफ में पूरी नहीं हो पा रही और नायक अपने रीयल लाइफ के मानसिक दबाव और परेशानी से बचन के लिए सपनों की दुनिया की शरण में आ गया है।

जब की नायक को भी पता है, सपनो की दुनिया हकीकत से कोसो दूर है या इसका रीयल लाइफ से कोई लेना देना नही है, ना ही सपनो की दुनिया से रीयल लाइफ को कोई सहयोग या मदत अपना लक्ष पाने में होती है।

नायक रीयल लाइफ में लगातार परेशानी और असफलता से इतना ज्यादा घबरा गया है, कि जब कि उसे पता है सपने कल्पना मात्र हैं कभी भी सच नहीं होगे तब भी वोह सपनो के सहारे तलाश रहा है, जब कि यह क्षणिक सुख के अलावा कुछ भी नही, वो भी जब तक अच्छे सपने आते हैं ।

 यही जब बुरे सपने आने लग जायेंगे नायक मानसिक रूप से परेशान होने लगेगा और नींद लेने या सोने से भी डरने लगेगा। 

सपनो के पीछे नकली जिंदगी के सुख तलासने से अच्छा है नायक हकीकत का सामना करे और रास्ते में आने वाली परेसानियो से लड़े उनपर विजय प्राप्त करे उसकी यह जीत उसकी जिंदगी में अमृत समान होगी और जो सुख आत्म संतुष्टि मिलेगी हमेशा के लिए होगी परमानेंट होगी।

सपने एक स्वाभाविक क्रिया है सुख दुख दोनो का अनुभव करते हैं मगर वह वास्तविकता नही है यह भी सच है , और जो वास्तविकता नही है उसका सहारा कैसे लिया जा सकता है। 

नायक भी सपनो का सहारा छोड़ कर वास्तिविक सफलता हासिल करेगा और परमानेंट खुशी और मानसिक संतुष्टि हासिल करेगा।

" सपनो की दुनिया" कविता में नायक का सपनो की दुनिया की ओर झुकाव अच्छे सपने के कारण है , यही खराब या बुरे सपने नायक को विचलित भी कर सकते हैं। नायक भी सपनो की दुनिया से निकल कर हकीकत में अपनी लगन मेहनत से सफलता पाएगा।

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_जे पी एस बी

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Wednesday, May 26, 2021

देश स्वतंत्र चाहिए(Desh Svatantra Chahiye)2021


 
Required really Independence instead of symbolic
Desh Svatantra Chahiye
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हमे लोकतंत्र चाहिए...

देश स्वतंत्र चाहिए...

जहा फ्री स्वास्थ और शिक्षा हो...

जन गण सरकार का हिस्सा हो ...

 

कोई रोजगार से ना हो खाली...

ईमानदार हो देश का माली...

गरीब अमीर की मिट जाए खाई...

सब मिलजुल रहे...

हिंदू मुस्लिम सिख इसाई...

 

वोट की राजनीति ना हो बाकी...

भ्रष्टाचार मुक्त हो सब देशवासी...

किसान मजदूर का सम्मान हो..

एक समान सब इंसान हो...

 

हमे फिर ...

भगत सिंह चंद्रशेखर सुभाष चाहिए..

स्वतंत्र सारा आकाश चाहिए...

तानाशाही का अंत हो...

देश हमारा असल में स्वतंत्र हो...!!


Hame loktantra chahiye..

Desh swatantra chahiye.. 

Jaha free swathya aur shiksha ho..

Jan gan sarkar ka hissa ho..


Koi rojgar se na ho khali..

Imandar ho desh ka mali..

Garib Amir ki mit jaye khayi..

Sab miljul rahe..

Hindu mushlim sikh isai..


Vote ki rajniti na ho baki..

Bhrastachar mukt ho sab desh vashi..

Kisan Mazdoor ka samman ho..

Ek saman sab inshan ho..


Hamen phir ..

Bhagat singh chander shekhar Subhash chahiye..

Swatantra sara aakash chahiye..

Tanasahi ka ante ho ..

Desh hamara asal me swatantra ho..!!


_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

देश स्वतंत्र  चाहिए/ Desh Svatantra chahiye कविता देश की आज़ादी के वर्षो बाद भी देश के हालात ये है की अपना झंडा फहरा गया अंग्रेजो को अपने देश के राजनेताओं ने रिप्लेस कर दिया।

 मगर गरीब जनता को आजादी का लाभ  नही मिला इस का वर्णन कविता में किया गया है।

देश की 80% जनता गरीबी रेखा में जी रही है, बस स्टैंड रेलवे स्टेशन चौराहों पर लोग भीख मांग रहे हैं , जो भीख नहीं मांग सकते फांसी लगा कर मर रहे हैं , जैसे हमारे किसान मजदूर भाई ।

देश में शिक्षा नीति अंग्रेजो वाली ही है , जो कि भारतीयों को कलर्क मजदूर कामगार ही देखना चाहते थे , चाहे डिग्री कौन सी भी कर ले , अंग्रेजो ने इन तथाकथित डिग्रियों की संरचना ऐसी कि थी कोई भी डिग्री लेकर वह कलर्क मजदूर कामगार ही बनेगा। 

वही नीतियां आजादी के बाद की सरकारों की रही । पूंजीपति वर्ग और राजनेताओं ने मिलजुल कर अंग्रेजो की जगह ले ली और आम जनता गुलाम ही रही। 

आज़दी के बाद की सब नीतियां 20% खास वर्ग के लिए ही बनाई गई और 80% को वैसे ही छोड़ दिया गया जैसे आज़ादी से पहले थे।

लोकतंत्र बस किसी तरह साम दंड भेद से वोट लेने तक ही रह गया , किसी भी तरह वोट लेकर पावर लेलो और बाद में जिनसे वोट लिया उन्हें गुलाम बनाओ। जैसा कि अंग्रेज करते थे।

अंग्रेजो की राज करने की नीति को हमारे नेताओ ने अच्छे से स्टडी किया और उसका ही अनुषणन कर शासन कर रहें हैं , जैसे मुट्ठी भर अंग्रेजो ने पूरे भारत को कंट्रोल किया था अब मुट्ठी भर नेता उसी ढंग से जनता को गुलाम किए हुएं हैं।

पहले तो हमे दुख था गुलामी का , हम आजादी के लिये लड़ते थे, अब किसके लिए लड़े, अधिकारों के लिए लड़ते है तो अंग्रेजो के जमाने के कानून जो अंग्रेज स्वत्रता सेनानियो पर लागू  करते थे ,अब विरोध करने वालो पर लागू होते हैं।

मीडिया इन्ही खास लोगो की बात बोलता है , इनके गुणगान करता रहता है, जैसे अंग्रेजो के जमाने में करता था। अंग्रेजोोके जमाने में क्रांतिकारी थे जो उनकी नीतियों का विरोध करते थे और सजा भी भुगतते थे।

अब तो क्रतिकारी भी नहीं है पक्ष विपक्ष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं , पहला पॉवर में आया तब भी जनता गुलाम दूसरा पावर में आया तब भी जनता गुलाम ।

जैसे बचे को बहला कर उससे हम कीमती सामान ले लेते हैं उसी तरह ये राजनेता जनता को बहला कर उससे किसी तरह वोट ले लेते हैं फिर करते हैं राजा वाला वैव्हार । जनता भुलावे में रहती है कि लोकतंत्र है , जब  कि राजतंत्र है जो लोकतंत्र के बहाने से चलाया जा रहा है ।

पुलिस कानून भी अंग्रेजो के जमाने के हैं जो कि उन्होंने भारतीयों का दमन करने के लिए बनाए थे, आजादी के बाद भी दमन कारी नीति से ही शासन चलाया जा रहा है इस लिए वो अंग्रेजो के जमाने के कानून आज भी हैं चाहे सरकार किसी भी पार्टी की हो उन्हे ये कानून प्रिय हैं क्यों कि दमनकारी अधिकार देते हैं। 

आज़ाद देश में सब को अच्छी शिक्षा अच्छी स्वाथ्य सुविधाएं फ्री  होनी चाहिए , सब के लिए रोजगार होना चाहिए , आज शिक्षा और स्वाथ्या इतना महंगा हो गया है कि गरीब तो छोड़ो मध्यम वर्ग की पहुंच से भी दूर हो गया है। अब ख़ास वर्ग ही ऊंच शिक्षा ले पाएगा मजदूर का बेटा मजदूर ही बनेगा ,मध्य  वर्ग  भी  गरीबी रेखा की तरफ बढ़ कर एक दिन खत्म हो जाएगा।

हो सकता है कोई राजनेता आए और सभी प्राइवेट यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट का राष्ट्रीयकरण कर दे और सारे प्राइवेट हॉस्पिटल का भी राष्ट्रीयकरण हो। 

शिक्षा को वर्ल्ड स्तर का रोजगार उन्मुख बनाया जाए , गांव गांव तक लघु उद्योग लगाए जाएं , मॉल कल्चर खत्म किया जाए, औधोयिग घरानों को आम बिजनेस में आने से रोका जाए, जैसे किराना कपड़ा जूते अनाज फल सब्जियां आदि । उन्हें तकनीकी उद्योगों तक ही सीमित रखा जाए जो आम आदमी नही कर सकता।

अंग्रजो की नीतियों को छोड़ स्वदेशी नीतियां और महत्मा गांधी जी की ग्रामीण विकास की नीतियां अपनाई जाए। सिर्फ नोट पर उनकी फोटो ना होकर बापू धरातल में आए जैसा की उन्होंने आजादी के पहले सोचा था।

बापू की नीतियों को पूरी तरह लागू किया जाए ताकि कोई गरीब भिखारी ना इस देश में दिखे तभी सही मायने में देश आज़ाद होगा ।

" देश स्वतंत्र चाहिए" कविता में स्वतंत्रता के बाद की परिस्तियो के बारे में वर्णन है आज़ादी के बाद के सबके सपने पूरे नही हुए चांद लोगो को छोड़ कर , बापू का सपना ही पूरा नहीं हुवा ग्रामीण भारत विकाश का।

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Tuesday, May 25, 2021

चाय ( Chay)

The Tea is as the habit

Hot Tea
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रख दे पतीला गैस पे...

तेरा हो भला तू ऐश करे...

पिए बगैर मिटे न सुस्ती...

पी कर ही आती है मस्ती...

            एक घूट दूध का...

            प्याला पानी का...

            पड़ गया स्वाद...

            इस मस्तानी का...

जो हैं चाय के शौकीन...

बेच बैठे हैं जमीन...

जो है चाय के बेचारे...

बेच बैठे है चौबारे...

              चाय के साथ ...

              अब काफ़ी है...

              पीना है इसे रोज़..

              जितनी जिंदगी बाकी है ..!!


Rakh de patila gas pe ..

Tera ho bhala tu aise kare..

Piye bager mite na susti..

Pi kar hi aati hai masti..

           Ek ghunt dhudh ka ..

           Pyala pani ka..

           Pad gaya swad ..

           Is mastani ka..

Jo hai chay ki shoukin..

Bech baithe hai jameen..

Jo hai chay ke bechare..

Bech baithe hai chobare..

           Chay ke sath ..

           Ab kafi bhi hai..

           Pina hai ise roj ..

           Jitni jindgi baki hai..!!


जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

चाय/ Tea कविता भारत में चाय के चलन और इसे जिंदगी का अहम हिस्सा कहा जा सकता है।

चाय की खोज चीन में हुई और चीन ने कई दिनों तक इसे संसार से छुपा के रखा, चीन ने जब चाय की खोज की उन्होंने पाया कि चाय पीने से सुस्ती चली जाती और इंसान के शरीर में स्फूर्ति आ जाती है।

भारत विश्व का दूसरा बड़ा चाय पत्ती का उत्पादक देश है। आसाम और दार्जिलिंग की चाय विश्व प्रसिद्ध है।

भारत के किसी भी शहर में चाय की दुकानें आम मिल जाएंगी रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड तो चाय का खास अड्डा होता है।

अब तो चाय भारत के लिए बहुत ज्यादा खास हो गई है जबसे श्री नरेंद्र मोदी जी प्रधान मंत्री बने है , क्यों कि बचपन में उन्होंने चाय बेची थी।

 फिर उन्होंने (प्रधान मंत्री जी) ने चाय पर चर्चा का सिलसिला अनेक देशों के राष्ट्र अध्यस्य के साथ किया जो कि बहुत पॉपुलर रहा।

भारत के हर घर में सुबह का आगाज ही चाय पीने से होता है और शाम को भी चाय का एक और दौर चलता है।अगर कोई मेहमान आ गया तो एक्स्ट्रा दौर और हो जाता है ।

ऐसा ही हर ऑफिस में चाय मुख्य पेय है कस्टमर के स्वागत के लिए। यानी भारत में तो चाय हर जगह छाई हुई है।

भारत में चाय घर पधारे मेहमानों के स्वागत का प्रमुख पेय बन चुका है ,या यू कहे कि स्वागत का पर्याय बन चुका है । किसी को चाय पिलाना यानी उनका बहुत ज्यादा सम्मान करना।

" चाय" कविता में चाय की महत्ता भारत में इंसान की ज़िंदगी दर्शाई गई है।

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_जे पी एस बी

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भैया की बारात(Bhaiya Ki Barat)

Bhaiya ki Baraat
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मौसम है हरा भरा..

मेरा भैया घोड़ी चढ़ा...

जा भैया बारात लेकर..

भाभी को ला डोली में बैठाकर..

 

भाभी है परियों सी सुन्दर...

हजारों खुशियां दिल के अंदर...

भैया तुमने जब भाभी को..

देखा था...

 

एक फूल तुमने उसकी ओर..

फेका था...

तुम्हारी सुंदर जोड़ी को...

हमने खुशी से झूमते...

देखा था...

 

आशीष हम सब दे रहे...

अपने दिल से...

तुम्हारी जोड़ी फुले फले...

और खुशियों से झोली भरे..!!


Mousam hai hara bhara..

Mera bhiya ghodi chada..

Ja bhaiya baraat lekar..

Bhabhi ko la doli main baitha kar..


Bhabhi hai pariyo si sunder..

Hajaro khushiya dil ke ander..

Bhaiya tumne jab bhabhi ko..

 dekha tha ..


Ek phool tumne uski ore ..

 faika tha.. 

Tumhari sunder jodi ko..

Hamne khushi se jhumte ..

Dekha tha..


Aashish ham sab de rahe ..

Apne Dil se..

Tumhari sunder jodi fule fale..

Aur Khushiyo se tumhari jholi bhare..!!


जे पी एस बी 


कविता की विवेचना:

भैया की बारात/ Bhaiya ki baraat कविता भारतीय शादी के संदर्भ में हैं।

भारत में शादी बहुत ही महत्व पूर्ण उत्सव है, कविता में बहन द्वारा उसके भाई की शादी का वर्णन है, भारत में शादियों में तरह तरह की लुभावनी कई रस्में होती हैं जो की भारतीय शादी को बहुत ही रोचक और मनभावन बना देती हैं, शादी में हर रिश्ते की एक विशेष भूमिका होती है वर एवम वधु दोनो पक्षों में और हर रिश्ते को बहुत ही महत्त्व आदर सम्मान दिया जाता है, उपहारों का भी आदान प्रदान होता है। बहुत ही आदर सम्मान के साथ सामूहिक रुचिकर विशेष भोज होता है जिसका आनंद सभी मिल कर लेते हैं और इन ऐतिहासिक लम्हों को यादगार बनाया जाता है जो की सालो मीठी यादों के रूप में संजोए जाते है और ताउम्र याद रहते हैं।

बहिनों को भाई की शादी की विशेष खुशी होती है और बहनों की भूमिका भी भाई की शादी में अहम होती है, बहन का भाई से विशेस प्यार और लगाव होता है , छोटी बहन तो भाई की खास लड़की होती है, और बड़ी बहन विशेष दीदी और भाई उसका स्पेशल लाडला होता है।

बहने भाई की शादी में बाद चढ़ कर हिस्सा लेती हैं और कई इंतजाम तो इनके भरोसे ही रहते है , जैसे लेडीज संगीत नाच गाना , बहने भाई की शादी में उमंग से नाचती गाती और खुशी की चरम सीमा में रहकर खुशियां मानती हैं।

" भैया की बारात" कविता में बहन की खुशियों उमंग का वर्णन किया है।

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_जे पी एस बी




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