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गीत : भारत भाग्य विधाता 🎵
(कोरस)
जय भारत, जय भारत,
विश्व सारा गाता है!
धरती का स्वर्ग बना तू अब,
भारत भाग्य विधाता है॥
(पद 1)
उजियारा हर कोने में है,
हर दिल में विश्वास नया,
शांति का दीप जल उठा ,
सपनों का इतिहास नया।
चाँद-सितारों पर लिखता भारत,
अपना परचम लहराता है॥
(कोरस)
जय भारत, जय भारत,
विश्व सारा गाता है!
धरती का स्वर्ग बना तू अब,
भारत भाग्य विधाता है॥
(पद 2)
न भूख रही, न दर्द कोई,
हर मन में अब उल्लास है,
मेहनत, निष्ठा, प्रेम का संगम,
यही देश की साँस है।
सत्य-अहिंसा के पथ पर चल,
विश्व को राह दिखाता है॥
(कोरस)
जय भारत, जय भारत,
विश्व सारा गाता है!
धरती का स्वर्ग बना तू अब,
भारत भाग्य विधाता है॥
(पद 3)
हर नारी अब शक्ति स्वरूपा,
हर बालक में दीप जले,
युवा हैं भारत के कंधे,
जो सपनों को सच कर चले।
विश्व समता, मानवता का,
संदेश यही फैलाता है॥
(कोरस)
जय भारत, जय भारत,
विश्व सारा गाता है!
धरती का स्वर्ग बना तू अब,
भारत भाग्य विधाता है॥
(अंतिम पद)
आओ मिलकर वंदन करें,
इस नवयुग के निर्माता को,
भारत ने फिर इतिहास रचा ,
प्रेम-शांति का दूत कहलाता है।
विश्व कहे अब गर्व से -जग का,
“भारत भाग्य विधाता है!” 🌺🇮🇳
कविता की विवेचना:
भारत के गौरवांवित इतिहास को स्मरण करके लिखा गया है
जब भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, हमारा गौरवशाली
इतिहास है.
बाद में भारत 900 साल के लिये गुलाम हो गया, पहले 700 साल मुगलों का और 200 साल अंग्रेजो का गुलामी के दौर में
इस सोने की चिड़िया को बहुत नोचा खतोचा गया आर्थिक और सामाजिक रूप से लूट कर दौलात इस देश से बाहर भेज दी गई, सामाजिक जीवन को तहस नेहस किया गया, लोगों
की धार्मिक और सामाजिक आजादी छिन् ली गई जबरन धर्म परिवर्तन किये गये और फिर धर्म के नाम से लोगों को आपस में लाडया गया, लोगों को गरीबी की कगार पर लाया गया.
आजादी के लिये हमारे महापुरुषों ने बेइंतिहा कुर्बानिया दी
तब भी अंग्रेज जाते जाते देश को बांट गये जो आज भी नासूर बना हुआ है, आपस में लड धन और ऊर्जा आज भी जाया कर रहे हैं, जैसा कि अंग्रेज चाहते थे.
आजादी के बाद भारत ने कई सुनहरे सपने देखे कि भारत विश्व का सिरमौर बने , मगर हमारे राजनीतिक लोग पहिले अपना भविष्य सुधारणे में व्यथ हो गये. बीच बीच में देश का
विकास भी हुआ जो बहुत धीमा था, हमारी आँख तब खुली जब हमारे साथ ही आजादी पाने वाला चीन हमसे 80 साल आगे निकल कर विकसित देश बन गया, जब कि उनकी आबादी भी हमारे देश जैसी विशाल थी, उनके राज नेताओं ने
देश का पहले सोचा फिर राजनीति, मगर हमारे देश में अब भी राजनीति चल रही है और देश के विकास को ताक पर रखा जा रहा है.
"भारत भाग्य विधाता " हमारे राष्ट्र गान में हमारे महान नोबेल पुरस्कार विजेता कवि श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर लिख गये हैं,और हम सारे भारत वासी इसे गर्व से गाते हैं, लेखक ने इस गीत में
भाग्य विधाता के सपने को साकार होते देखा है, और भारत आज भाग्य विधाता विश्व गुरु बन चुका है कल्पना को गीत में साकार किया है, आशा है हमें कोई ऐसा राष्ट्र नेता मिलेगा जो इस सपने को साकार करेगा. भगवान से प्रार्थना है वो दिन जल्द आये.
...इति...
www. jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai Copyright of poem is reserved

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