तुम हँसो खुलकर..
खिलखिला कर..
मनमोहिनी गुलजार हँसी..
तू सदा ही..
एक सितारे सा..
चमके अमर रहे ..
तेरी हंसी..
सितारों में जा बसी..
सितारे भी मनाये खुशी..
ग़मों का करे..
खत्म किस्सा..
खुशियों को बनाये..
परिवार का हिस्सा..
तुम्हारी हंसी देख कर..
दुख डर से कहीं..
दुबक गये जाकर..
तुमने खुशियो से.
मालामाल किया..
हमे हमारे घर आकर..
फरिश्ता है तू हमारा..
हम सब की..
आंख का तारा..
नन्हें बेटे तेरी..
मन लुभावनी हंसी ..
दिल को इतनी भायी..
मंत्र मुग्ध से हो गये सब..
दिल की गहरायों से..
हजारो दुआएँ..
स्वाभाविक निकल आयी..
तू है एक चमकता..
सितारा ..
बना गौरव हमारा ..
तू हमारा..
हँसता हुआ नन्हा फरिश्ता..
तुझ में ईश्वर का..
स्वरूप है दिखता ..
दर्शन पा तेरे..
मन तृप्त हो जाता है..
बार बार तुझे देखने..
और गले लगाने को..
दिल उकसाता है..
जैसे तुझसे हमारा..
जन्मों जन्मों का नाता है ..
खूब फ़ूलों से खिलौ..
फलो-फूलो, तेरी खुशबू से..
महक उठे सारा जहान ..
यू ही तुम खिलखिलाते ..
हंसते रहो..
सबके दिलों में बसते रहो..
हर दिल में हो घर तुम्हारा ..
सब कहे, सुंदर बेटा हमारा..
प्यार बरबस छलक जाये..
बारिस की तरह..
तुम पर बरस जाये..
बहुत सा प्यार दुलार..
जी चाहता है..
तुझ पर लुटाये ..
तू हमारी ओर देख..
खुश होय मुस्कुराए..
करे मनभावन अठखेलियाँ..
बहुत आनंद आया..
जब जब तुम्हें गोद लिया..
जैसे नन्हें फरिश्ते ने..
हमे खुशियो भरा वर दिया..!!
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कविता की विवेचना:
हँसता हुआ नन्हा फरिश्ता/Hansta huwa nanha farishta ..
कविता एक बहुत प्यारे आलौकिक नन्हें फरिश्ते की अठखेलियाँ और उन्मुक्त हंसी पर मंत्र मुग्ध हो लेखक ने लिखी है.
इस प्यारे नन्हें फरिश्ते के चेहरे से नजर नहीं हटती इतनी भोली प्यारी सूरत है उसकी. बरबस उसे बार गोद लेने को मन मचलता है, कितना भी खिला लो मन नहीं भरता है.
भगवान कृष्ण कान्हा की तस्वीर उभर आती है, क्या भगवान कृष्ण हमारे घर पधारे है, हमारे तो खुशी से वारे न्यारे हैं.
"हँसता हुआ नन्हा फरिश्ता" कविता स्वाभाविक सी बन आई है इस नन्हें फरिश्ते के सम्पर्क में आ के, मन मोह लिया,दिल मन आनंदित किया उदासी हंसी खुशी में बदल गयी भूल गया कि परेशानी क्या थी. नन्हें फरिश्ते के लिये ढेरों दुआएँ हैं.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
...इति...
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