बचपन से जवानी तक..
उत्साह मान सम्मान से..
जिंदगी अपनी मैं जिया ..
अपने बुजुर्गों का..
यथा योग्य सम्मान..
मैंने है किया..
बढ़ती उम्र खुद की भी..
मुझे नजर आती थी..
धीरे-धीरे बुजुर्ग बनने की..
तैयारी मैंने की..
अपेक्षा कि अब मुझे भी..
मान सम्मान आदर मिलेगा..
बाटूगा मैं भी आशिर्वाद..
दुवाएं अपने बच्चों को..
बच्चों को बढ़ता फूलता..
तरक्की करता देख..
अपना मन होगा प्रफुल्लित..
और दिल खुशी से खिलेगा..
मैं बुजुर्ग हुआ तो..
आश्चर्य चकित सा..
देखता हूँ..
मैं तो नकारा उपेक्षित सा..
हो गया हूँ..
अपने बच्चों को स्नेह..
और आश भरी नजरों ..
से देखता हूँ..
बच्चे नज़रे चुराते हुए..
नजर आते हैं..
कहीं आशिर्वाद..
ना मिल जाये..
आशिष से घबराते हैं..
बच्चे लगते हैं..
मुझे गैर से..
मिलते ही..
मुझ जैसे बुजुर्ग से..
होते हैं बोर से..
यह बड़ो का आदर..
आशिर्वाद दुवा आदि..
क्या बला है..
हमने तो वेलेंटाइन..
फ्रेंडशिप ही सुना है..
बुजुर्ग मौज मस्ती में..
बहुत बड़ी बाधा है..
बुजुर्ग को झेलना..
बड़ा सिरदर्द और..
मौज मस्ती को..
करना आधा है..
आज के युग में..
बच्चों को ..
ना बुजुर्ग की कोई..
कहानी चाहिये..
बुजुर्गों को मौत..
जवानी में ही..
आनी चाहिये..
बच्चे सोचने हैं..
बुजुर्ग का अब..
क्या किया जाये..
क्यों ना इन्हें..
वृद्धा आश्रम में..
छोड़ दिया जाये..!!
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कविता की विवेचना:
शर्मिन्दा बुजुर्ग /Sharminda bajurg कविता आज कल के समय में बुजुर्गों की उपेक्षा बुजुर्गों को बहुत बडी बाधा आज की युवा पीढ़ी समझती है.
आज के बुजुर्ग जब जवान थे अपने बड़ो का आदर सत्कार करते थे, बुजुर्गों से ढेर सा आशिर्वाद दुआएँ और मार्ग दर्शन लेते थे.
हम भी बुजुर्ग होने की ओर बढ़ रहे थे और अपेक्षा करते थे कि हमे भी बहुत आदर सम्मान हमारे बच्चों से मिलेगा.
मगर यह क्या हमारे बुजुर्ग होते ही नजारा बदल गया, बच्चे हमे नकारने लगे हमारी उपेक्षा करने लगे हमे बोझ समझने लगे.
आशिर्वाद को निर्थक चोचला समझने लगे बुजुर्ग ka साथ समय की बर्बादी और उबाऊ लगने लगा बच्चों को.
बुजुर्ग को अपनी उपेक्षा और दयनीय हालत देख कर लगता है कि मौत जवानी में ही आ जानी चाहिये.
"शर्मिंदा बुजुर्ग "कविता में लेखक अपने अनुभव बुजुर्गों के बारे में अपने इर्द गिर्द हर रोज देखता है अनुभव करता है और अपने खुद के बुजुर्ग होने पर चिंतित है.
वृद्धा आश्रमों की बढ़ती संख्या बुजुर्गों की घर में उपेक्षा की द्योतक है.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
...इति...
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