Saturday, May 7, 2022

ब्रह्मांड और ज्ञान (Bramhand aur gyan)

           
Bramhand aur gyan
Bramhand aur gyan
Image from:pexels.com 

मैं तैरता हूं ब्रह्मांड में..
कोई ठौर नहीं मिलती..
ग्रहो तारों, आकाशगंगाओं..
की कोई नहीं गिनती..
अनंत ब्रह्माण्ड का..
अन्त कहाँ..
एक सौर यहां तो..
दुसरा सौर कहाँ..

किसका है ये चमत्कार..
कौन है रचनाकार..
ग्रह बने विचार..
तैर रहे हैं चारों तरफ..
अपनी मर्यादा में रहकर..
ब्रह्मांड में घूम रहे हैं..
सूरज तारों और..
प्रज्वलित ग्रहो की चमक में..
प्रफुल्लित झूम रहे हैं..

तैरते तैरते थक गया हूं..
पृथ्वी पर ..
आना नहीं चाहता..
और किसी ग्रह पर..
ठिकाना नहीं पाता..
क्या यह हकीकत है..
या मैं सपना देख रहा हूं..
मैं करोड़ों..
प्रकाश वर्षो दूर..
कैसे देख रहा हूं..

अद्भुत है सपना..
जो कि कुदरत की..
हकीकत है..
हमारा ज्ञान भी..
कितना सीमित है..
पृथ्वी पर..
पेट भरने..
थोडी मौज मस्ती..
जीने मरने..
तक ही अपनी सारी ऊर्जा..
खपा रहें हैं..

कूप मंडूक से..
सीमित ज्ञान पर ही..
खूब इतरा रहें हैं..
हकीकत में हमारा..
ब्रह्मांड और ईश्वर के..
बारे में ज्ञान..
शून्य है..
हम इंसान..
सीमित ज्ञान विज्ञान..
के दायरे में गुम हैं..

इससे ज्यादा..
हो भी नहीं सकता..
क्यों कि यही है..
ईश्वर की इच्छा..
इतने से..
सीमित ज्ञान होने पर भी ..
इंसान ने..
पृथ्वी पर उद्यम मचाया..
अगर ज्ञान..
विस्तारित किया..
तो फिर क्या होगा..

ईश्वर को भविष्य दिखा..
अगर और ज्ञान..
इंसान ने पाया..
तो यह कई ग्रहो को..
तहस  नहस कर देगा..
इस ब्रह्मांड को..
दुखों से भर देगा..
इसके लिए..
ज्ञान का..
सीमित दायरा ही अच्छा ..

जो दिया गया..
इंसान को सम्भाल..
नहीं पाया..
और ज्ञान ये इंसान..
क्या लेगा..
इससे तो..
यह भी छीन लेना चाहिए..
ईश्वर ने बहुत सोचा..
कि इंसान को..
ज्ञान के नाम पर..
शून्य देना  चाहिये..!!
   

_JPSB  

कविता की विवेचना:

ब्रम्हांड और ज्ञान/Bramhand aur gyan कविता ईश्वर कि आलोकित कृति ब्रम्हांड के बारें में इंसान का ज्ञान ना के बराबर है. 

ईश्वर ने इंसान के ज्ञान का विस्तार क्यों नहीं किया, क्यों इतने सारे रहस्य बने हुये हैं,  शायद भगवान इंसान को परख रहा है कि दिए हुये ज्ञान का इंसान किस प्रकार उपयोग करता है. 

इंसान इस परीक्षा में फैल हुआ है, पृथ्वी पर विनाश और महाशक्ति बनने की होड़ जारी है, इस होड़ में  इंसान ने इंसान को मारा और दूसरे जीवों का अस्तित्त्व खतरे में डाल दिया. 

क्या ईश्वर ने जो दिमाग और ज्ञान इंसान को दिया गलत किया नहीं देना चाहिए अब भी दिया हुआ ज्ञान वापिस ले लेना चाहिए, तब ही पृथ्वी की सभी समस्याओं का हल निकल जायेगा हर जीव  शांति से जी पायेगा. 

" ब्रम्हांड और ज्ञान " कविता इंसान के ब्रम्हांड के बारे में ज्ञान की शून्यता के  विषय पर प्रकाश डालती है कि अगर भगवान ने यह ज्ञान इंसान को दिया होता तो इंसान कई गृहों को  नुकसान पहुंचाता जैसा कि इंसान पृथ्वी को नुकशान पहुंचा रहा है. 

कृपया कविता को पढे और शेयर करें. 

...इति...
Jpsb blog 
jpsb.blogspot.com 
Author is a member of SWA Mumbai 
Copyright of poem is reserved. 





No comments:

Post a Comment

Please do not enter spam link in the comment box

Recent Post

हमारा प्यारा सितारा (Hamara Pyara Sitara)

                        Hamara pyara sitara Image from:pexels.com  शुभ-भव्य ने.. आकाश को गौर से निहारा.. सबसे चमकते सितारे को.. प्यार से पुक...

Popular Posts