जय जय शिवाजी महाराज..
सूरवीर बहादुर मराठा..
मुगल काल में देश को..
गुलामी से रहे बचाते..
हिंदू धर्म की रक्षा से भी..
रहे उनके गहरे नाते..
भारत की आजादी की..
लड़ाई का आगाज़ किया..
हर युद्ध में मुगलों को हरा..
मुगलों का बुरा हाल किया..
अपनी अनुपम वीरता ..
और युद्ध कौशल का..
हर पल परिचय दिया..
भारत देश का किया ऊंचा ..
गौरव से मस्तक..
देश की आजादी ..
को दी पहली दस्तक..
आज सारा देश..
आभारी है आपका..
आज भी देश के युवाओं..
बहादुरों को प्रेणना देता..
आलौकिक स्वरूप आपका..
नत मस्तक हैं देश वासी..
याद आती है आपकी बहादुरी..
आपका नमन करते ही..
संचार करती नई शक्ति..
हर वीर का सर ऊंचा हो जाता..
जय जय शिवाजी महाराज..
सूरवीर बहादुर मराठा..
जय जय शिव जयंती..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
शिवाजी महाराज बहादुर मराठा/ Shivaji Maharaj Bahaadur Maratha कविता शिव जयंती के पावन अवसर पर भारत देश के महान सूरवीर योद्धा और छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान और याद में लिखी गई है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की बहादुरी और व्यक्तित्व को शब्दों में बांध पाना असम्भव है। तब भी महाराज जी की याद को नमन करते हुए उनके सूर्य से भी तेज व्यक्तिव पर चंद पंक्तियां लिखने की कोशिश की है।
"शिवाजी महाराज बहादुर मराठा" कविता छत्रपति महाराज के चरणों में श्रद्धा सुमन हैं ,स्वीकार हो।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
...इति...
जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
Author is member of SWA Mumbai
©Apply on poem.
No comments:
Post a Comment
Please do not enter spam link in the comment box