मैने जिंदगी को मौत से..
करीब से लड़ते देखा है..
जिंदगी से बहुत ज्यादा..
प्यार अपने आप में ..
एक बड़ा भुलेखा है..
जितना हम जिंदगी से..
करते हैं प्यार..
जिंदगी और करती है..
हम पर अत्याचार..
अपनी भड़ास हमारे..
शरीर से निकालती है..
जो कि जिंदगी के लिए..
एक पिंजरा है..
जिंदगी भी इस पिंजरे से..
आजादी चाहती है..
इस पिंजरे की बरबादी..
चाहती है..
पिंजरा जब नष्ट होगा..
शरीर को कष्ट होगा..
तब ही हमे और जिंदगी को..
मिलेगी आजादी..
और इस आजादी का..
मौत ही एक मात्र द्वार है..
जब मौत के द्वार खुलते हैं..
इसी द्वार के सहारे हम..
ईश्वर से मिलते हैं..
फिर हम क्यों नहीं चाहते..
कि यह द्वार खुले..
क्यों ना हम अपने..
प्रिय प्रभुसे मिलें..
जिन्हे हम ता उम्र..
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे..
और गिरजा घर में..
तलासते रहे निरंतर..
हमें जिंदगी देकर ईश्वर ने ..
खुद से हमें अलग किया है..
जिंदगी एक सजा है..
मौत ईश मिलन का मजा है..
सजा जितनी जल्द ..
खत्म हो अच्छी..
ईश मिलन का आनंद..
हमे मिलेगा जल्दी..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
जिंदगी और मौत की लड़ाई/ Jindgi aur mout ki ladai कविता कवि के जीवन अनुभव और जिंदगी और मौत को देखने का अपना नजरिया है।
जिंदगी बहुत सुहानी है, है किसी को अपनी जिंदगी से बेहद प्यार है , चाहे वो इंसान हो या जानवर पशु पंछी।
ईश्वर ने हर जीव को जिंदगी दी, हमे भी जिंदगी हमारे प्रभु ने दी। हमें जिंदगी देने के लिए पहले खुद से अलग किया।
फिर हम इस पृथ्वी लोक में भेज दिया ।
कवि को लगता है कि ईश्वर का हमे खुद से अलग करना एक सजा है जो हम सब इस पृथ्वी लोक में भोग रहें हैं।
जैसे ही सजा खत्म होगी फिर से ईश से मिलन होगा हमारा।
मगर हम इस सजा को वरदान समझ जिंदगी में मजा मस्ती ढूंढ लेते हैं और जिंदगी से बहुत ज्यादा मोह करने लगते हैं, इस मोह पास में फस कर कई बार ईश्वर को भी भूल जाते हैं।
जिंदगी में और ज्यादा आनंद सुख सुविधाएं जुटाते हैं , अपने चेहरे मोहरे को सजाते सवारते हैं।
हमें यह सजा समाप्त कर कभी भी जिंदगी के पिंजरे से आजादी की जल्दी या खुशी नहीं रहती बल्कि ईश्वर से अमरता मांगते हैं कि ऐसे ही हमे तो यही रहना है।
जैसे ही हम अमरता मांगते हैं और इस जिंदगी के क्षणिक आनंद का मजा लेते हैं तो हम ईश्वर से दूर होते चले जाते हैं। कई बार अनंत काल के लिए, हम ऐसा क्यों करते हैं?
"जिंदगी और मौत की लड़ाई" कविता कवि की ईश्वर जिंदगी और मौत को लेकर परिकल्पना है, जिंदगी मौत और ईश्वर का नाता परम सत्य है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai.
©Apply on poem
No comments:
Post a Comment
Please do not enter spam link in the comment box