जब तक नहीं बिखरोगे..
तो कैसे फिर निखरोगे..
तप तपस्या की आग में..
बनो खरा शुद्ध सोना..
तुम जैसा इस जहान में..
कोई दूसरा कभी हो ना..
जिंदगी का सामना ..
मौत से तो होना ही है..
जब जिंदगी मौत से..
टकराती है, तब ही..
चिर अमर हो पाती है..
मौत से टकराने वाले..
वीरों की गाथाओं से..
इतिहास की किताबे..
भरी पड़ी हैं,जो मौत से..
जीत कर अमर हो गए..
भगत सिंह,आजाद..
राणा प्रताप,पृथ्वीराज..
चौहान,शिवाजी महाराज..
अमरता के उदाहरण है..
चिर अमर हो गए जो..
और हम आज गर्व से..
जिंदा उनके कारण हैं..
जिंदगी को सफलता..
मृत्यु तुल्य कष्ट पाकर..
या फिर मौत से ..
टकराकर ही मिलती है..
जिंदगी हमेशा ही..
कड़ा इम्तिहान लेती है..
उसकी कसौटी पर..
खरा उतरने पर ही..
सफलता का फल देती है..
बुझदिल, डरपोक ,आलसी..
खुदगर्ज, मतलबी,लालची..
इन सब की ..
सुनहरी जिंदगी में..
कोई जगह नहीं..
और सुरवीर सफल ना हों..
इसकी कोई वजह नहीं..
बहादुर सुरवीरों के..
शब्द कोष में असफलता..
शब्द की कोई जगह नहीं..
हिम्मंत वाले वीरों के..
विजय कदम चूमती है..
सफलता को नाज होता है..
और वो अपने सपूतों के ..
लिए खूब झूमती है..
उन्हे उठाती है ..
आसमानों की ऊंचाइयों तक..
तब ही आसमान में ..
सुराग होता है..
सूरवीर कद आसमान से..
भी बहुत ऊंचा होता है..
सफल जिंदगी का स्वामी..
मौत पर विजई योद्धा है..
तो खूब संघर्ष करो..
जिंदगी से, लड़ो मरो..
मौत से कभी मत डरो..
सफलता खुद ही..
नतमस्तक आकर ..
कदम तुम्हारे चूमेगी..
अवसरों की होगी बरसात..
अवसरों की रानी..
तुम्हारे ही आस पास घूमेगी..
नाज होगा तुम पर ..
समाज को , देश को..
हर कोई तुमसे मिलकर..
गर्व से झूमेगा..
बड़ा बजुर्ग..
तुम्हारी पेसानी चूमेगा..
और तुम आश्चयचकित..
ईश्वर का शुक्रिया करोगे अदा..
कैसे भगवन ने..
बड़ा कठीन रास्ता..
तुम्हारी हिम्मत से ..
बहुत आसान करा..
तुम्हे नाज करने का..
हकदार बनाया..
तुम्हारे सर पर महानता..
का ताज पहनाया..
तुम बने हो ..
प्रेणना श्रोत युवाओं के..
वो भी हाड़तोड़ मेहनत करें..
सफलता को अपना गुलाम करें..
सफलता का एक ही जादू..
कड़ी मेहनत,सुरवीरता..
और जिंदगी पर काबू..
कामयाबी कहां जायेगी..
तुम जैसे सुरवीरों की..
आगोश में ही तो आयेगी..!!
_जे पी एस पी
कविता की विवेचना:
सफलता आसमान से ऊंची/ Safalta aasmaan se unchi कविता में आपार सफलता हर क्षेत्र में पाने वालों की अनुपम गाथा का वर्णन किया गया है।
हर किसी के लिए ईश्वर ने अवसर आपार दिए हैं , निस्वार्थ कड़ी मेहनत लक्ष्य हासिल करने के लिए करनी है।
सफलता के रास्ते पर चलते बाधाए बहुत आती हैं ,मृत्यु तुल्य कष्ट सहने होते हैं, मौत से टकराना पड़ता है, जान की बाजी लगानी होती है ।
वीर सूरवीर सारी बाधाओ को पर कर अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाते हैं और अपनी वीरता का लोहा मनवाते हैं।
सफलता जीत इनकी दासी है।
"सफलता आसमान से ऊंची" कविता में सुरविरो के सफलता और विजय हासिल करने के गुण को उजागर और वर्णित किया गया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
Author is member of SWA Mumbai
©Apply on this poem
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