मैं कल्पना लोक में खोया..
सफलता के सपने देखने ..
दिन में भी सोया..
देखा निकल गया हूं मैं..
आसमान से भी आगे..
अपनी सफलता के झंडे..
मैने सारे जहान में गाड़े..
मै जिंदगी का चैम्पियन हूं..
लक्ष मेरा सिर्फ जीत है..
जीत से ही मेरी प्रीत है..
हार मुझे किसी कीमत पर..
बर्दास्त नहीं,ना ही कबूल..
मौत से भी जीतूंगा..
अपनी विजय की कहानी..
मै खुद लिखूंगा जरूर..
मेरी जीत एक करिश्मा..
एक अभूतपूर्व राज है..
मेरा जो कल था वही..
अभी भी आज है..
विश्व विजेता..
चैम्पियन हूं मैं..
मै हूं दुनिया से बहुत दूर..
आसमानों फिजाओं में..
हूं बहुत ही मशहूर..
विजेता चैम्पियन हूं मैं..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
चैम्पियन / Champion 🏆 कविता एक नायक की कहानी है जो खुद को शतरंज का विश्व विजेता चैंपियन समझता है।
नायक रात दिन चोबीस घंटे शतरंज की चालों में खोया रहता है और खुद को विश्व विजेता अजेय चैंपियन मानता है।
उसे संपूर्ण यकीन है कि शतरंज के खेल में उसे कोई नही हरा सकता, उसकी एक कल्पना लोक की दुनिया बन गई है ,जिसकी दूरी इस दुनिया से बहुत दूर है।
उसकी दुनिया में नायक एक बहुत बड़े चैंपियन के रूप में बहुत ही महशूर है, और उसकी यह प्रसिद्धि बहुत ही पसंद है, नायक दिन रात इस प्रसिद्धि के नशे में डूबा रहना चाहता है, और वो इस नशे में डूब जाता है।
अपने इस अनोखे जीत और चैंपियन के नशे में डूबा मौत को गले लगाता है और जैसे मौत को भी जीत चैंपियन बना हुआ ही इस जहां से रुकसत हो जाता है।
"चैम्पियन" कविता एक अनोखे नायक की कहानी है जो हमेशा चैम्पियन ही बना रहना चाहता है, सोते जागते यह तक की मरते हुए भी।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
Author is member of SWA Mumbai
©Apply
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