सब कुछ दांव पर लगा दिया..
और पहुंज गया मौत के द्वार..
पाया खुद को ठगा सा लाचार..
शायद फल की इच्छा की थी..
कर्म करने से पहले ही..
मेरे वृक्ष पर फल ही नहीं लगा..
जिंदगी के वृक्ष को बिना फल..
निहारता हूं, सामने खड़े हो..
फल फल पुकारता हूं..
आती है तब आकाशवाणी..
तुम्हे कहा था कर्म कर..
फल अपने आप मिलेगा..
पर तूने पहले फल की इच्छा की..
कर्म करने से पहले सामने..
कर्म से पहले लगे फल मांगने..
ये तो है कुदरत का खेल..
अनमने कर्म कर तुम हुए ..
फल पाने में हुए बिलकुल फेल..
जाओ ,जिंदगी में फिर ..
कड़ी मेहनत और अभ्यास करो..
कर्म करने का एक और निस्वार्थ..
भरसक प्रयास करो..
मेहनत करो काफी..
तुम्हारी गलतियों की..
अपने आप मिलेगी माफी..
कर्म निस्वार्थ करते चले जाओ..
फलों का बगीचा ..
सच्चे कर्म के बाद तैयार मिलेगा..
फल के साथ साथ तुम्हे..
ईश्वर का..
स्नेह दुलार और प्यार भी मिलेगा..
कठोर सच्चा कर्म ही है..
उत्तम फल पाने की चाबी..
कर्मवीर कभी मात नही खाते..
जिंदगी के योद्धा हैं वे प्रभावी..
फल तो लगना ही है...
फल का वृक्ष तुम्हारा ही है..
ईश्वर और फल के वृक्ष को ..
सच्चा कर्म ही प्यारा है..
कर्मवीरो की..
कभी भी हार नही होती..
वो तो खुद किस्मत लिखते हैं..
किस्मत पहले से लिखी नही होती..
तकदीर की लकीरें..
कर्म की गुलाम हैं..
कठोर परिश्रम ही..
अच्छी तकदीर का राज है..
आओ बनाएं तस्वीर..
जिंदगी की..
और कर्म से उसकी..
तकदीर लिखें..
सूर्य से चमकते दमकते..
सारे संसार को हरदम दिखें..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
कर्म और फल का विचार/ Karm Aur fal ka Vichar कविता श्री कृष्ण भगवान के गीत में दिए वचन " कर्म किए जा फल की इच्छा न कर, जैसे कर्म करेगा वैसे फल देगा भगवान" पर विचार है।
कभी हम भगवान के वचन ही भूल जाते हैं, कर्म से पहले ही फल की इच्छा मन में पाल लेते हैं, जब नाकाम होते हैं तो दोष किस्मत को देते हैं ।
किस्मत हम खुद अपने कर्मो से लिखते हैं, किस्मत हमारे कर्मो की मोहताज हैं , हम कर्म करते चले जाते हैं और किस्मत की लकीरें अपने आप बनती चली जाती हैं।
सफल व्यक्तियों की सफलता का राज उनके द्वारा किए कठोर परिश्रम और कर्म है, जो उन्होंने ने निस्वार्थ फल की इच्छा बिना किया और उन्हें सुखद फल और ईश्वर का आशीर्वाद मिला ।
"कर्म और फल का विचार" कविता में कर्म को लक्ष्य मान कर काम करते जाएं तो उचित फल जरूर मिलेगा जो कि भगवान कृष्ण ने भी कहा है, सबको याद है पता है, पर कभी कभी अनुकरण करना भूल जाते हैं।
कविता में इसी बात पर विचार किया गया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
JPSB.blogspot.com
Author is member of SWA Mumbai.
©Apply
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