कहां से आए हो तुम..
और कहां तुम्हे जाना है..
क्या तुम्हारे पास कोई..
तुम्हारा पता ठिकाना है..
बचपन ,जवानी, बुढ़ापा..
जिंदगी की एक रीत है..
जिंदगी से जीवन के मिलन..
के लिए कुदरत ने बनाई..
प्यार और प्रीत है..
कभी मिलना कभी बिछड़ना..
जिसको चाहा था दिल ने..
उसके लिए तड़फना..
कभी ख्यालों में ..
कभी सपनो में खोना..
कभी प्यार का गीत गुनगुनाना..
तभी लगे जिंदगी..
एक सपना सुहाना..
जिंदगी का आनंद लेते लेते..
दिल और मन उलझे रहे..
कब बीत गई जवानी..
पता ही ना चला कभी..
और डगर आ गई..
वापिस जाने की ..
अचानक सामने..
तब हम लगे ईश्वर को..
अपना सब कुछ मानने..
मन में भक्ति रस उभर आया..
हमने ईश्वर का भजन बहुत गया..
मन में डर और भय था..
कि मैं इस संसार के लिए..
हो जाऊंगा अब पराया..
जब भी भगवान ने ..
वापिस अपने पास बुलाया..
अपने अपने से जो लोग..
लगे जीवन भर..
प्यार से रहे अगल बगल..
उड़ती थी जिनके संग..
अपने जीवन की पतंग..
कट जायेगी यहीं..
पता नही किसी को भी..
अनंत काल में मिलेंगे कही..
अपनो से बिछड़ने की..
एक अजब सी तीस है..
जुदाई का गम दिल के बीच है..
मगर आगे के सफर में..
अकेले ही जाना है..
यही नियम सदियों पुराना है..
अमीर गरीब जिंदगी के..
इस मोड़ पर ..
एक समान हो जाते है..
एक जैसी सांस टूटती है..
दिल की धड़कन रुकती है..
आंखे बंद कर जिंदगी..
अनंत सफर के लिए..
मौत के सामने झुकती है..
अहंकार, अकड़, मिजाज..
प्रसिद्धि, रूतबा, ओहदा..
सब एक क्षण में छूट जाता है..
बड़े से बड़ा हिम्मती भी..
टूट जाता है..
जब मौत गले लगाती है..
मिट्टी में मिल जाते हो..
हो जाते हो खाक..
किसी नदी के सहारे..
समुंदर में मिल जाती है..
तुम्हारी राख..
अब तुम सिर्फ एक हवा हो..
रही ना कोई पहचान पुरानी..
इस जहान में आए ..
हर इंसान की है, अनंत काल से
यही है अनकही कहानी..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
कहानी इंसान की/ Kahani Insan ki कविता में मनुष्य के इस संसार या इस पृथ्वी पर आने और वापिस जाने की कहानी है।
अनजान लोक से आया अनजान सा मनुष्य इस पृथ्वी रूपी संसार में जैसे जैसे बड़ा होता है , उसे एक नाम बाद में काम मिलता है।
उस काम से पैसा रूतबा हासिल करता है जो उसकी इस पृथ्वी पर पहचान बन जाती है , उस पहचान को लिए उसके नशे में ता उम्र घूमता है।
होश तब आता है जब कुदरत एक एक करके सब छीन लेती है, बुढ़ापा आ जाता है ,खूबसूरत चेहरा बदसूरत हो जाता है, कितनी भी दौलत हो जवानी यौवन वापिस नही ला पाता।
यही कुदरत का सख्त नियम है गया हुवा रूप, यौवन और समय कभी वापिस नही आता।
कुदरत समय समय पर मनुष्य को उसकी औकात याद दिलाया रहता है, परंतु मनुष्य जवानी और दौलत के नशे में सब हकीकत भूल जाता है और बुढ़ापे में आकर फिर पस्ताता है।
"कहानी इंसान की" कविता सदियों पुरानी मनुष्य की कहानी को दोहरा रही है और याद दिला रही है कि "इस संसार में आना है और बूढ़े बदसूरत हो चले जाना है"
इस लिए उस भगवान की कुदरत को सदैव याद रखो।
कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
जे पी एस पी
jpsb.blogspot.com
Author is member of SWA Mumbai
©Apply on poem
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