Sunday, February 27, 2022

युद्ध और इंसान ( Yudh aur Inshan)

                  
Yudh aur Inshan
Yudh aur Inshan
Image from:pexels.com

ईश्वर ने पृथ्वी दी इंसा को..
साथ में दिया जरूरत का ..
सब समान ..
सब से ज्यादा दिमाग दिया..
घमंड में आ गया इंसान..

दिमाग का प्रयोग इंसान ने..
युद्ध और विनाशकारी कार्यों..
के लिए भरपूर किया..
इंसान ने इंसान को मारा..
खत्म किया सारा भाई चारा..

जानवर से भी निचले स्तर..
पर उतर आया ..
शेर ने कभी शेर का  शिकार..
नही किया, भाई का दर्जा दिया..
इंसान के अचानक खूनी दांत..
निकल आए..
उसे खून और मरते तड़पते..
लोग बहुत पसंद आए ..

अपनी खूनी पिपासा को..
बुझाने के लिए युद्ध करता..
लोगो को मारता और खुश ..
होता, मारते हुए कोई रिश्ता..
ना देखता, अपने ही बंधुओ..
की लासों से हांथ सेकता..

अभी भी और शक्ति की ..
अभिलाषा है,पूरे विश्व का..
राजा बनने की आशा है..
चाहे इंसान की नस्ल ही.
पृथ्वी से खत्म हो जाए..

जब पृथ्वी पर इंसान का..
नामो निशान ना रहेगा बाकी..
और तुम भी मारे जाओगे..
फिर किसको शक्ति दिखाओगे..
ईश्वर भी सोचता होगा कि..
मैने कैसा इंसान बनाया..

इंसान को दिमाग और ..
कुछ शक्तियां क्या ज्यादा दी..
इन्हे यह संभाल नहीं पाया..
अपने ही भाई बंधुओ पर..
शक्तियां इस्तेमाल की और..
नष्ट कर डाला इंशानी समूल..
क्या हुई ईश्वर से कोई भूल..

इस से तो अच्छा था जानवर..
बनाने तक ही श्रृष्टि रखता..
सब कुछ मर्यादा में रहता..
पृथ्वी पर इतना विनाश ना होता..
गुस्से में ईश्वर ने इंसान की बुद्धि..
भ्रष्ट कर दी..
आपस में लड़  मरने की सह दी..

इशारा कि आपस में ही लड़ मरो..
खत्म कर दो सारी मानव जाति..
फिर अपने आप ही पृथ्वी..
मानव रहित हो जाती ..
पेड़ पौधे जानवर ,पंक्षी ही..
रहेंगे अब पृथ्वी वासी ..

इंशानो के लिए अलग से..
एक नया नरक बनायेंगे..
लड़ने मरने वालों को ..
वहीं पहुंचाएंगे, गुनाहों की..
ना होगी कभी भी माफ़ी..
अनंत काल तक नरक में रहोगे..
यही निर्णय बचा है बाकी..!!

_जे पी एस पी

कविता की विवेचना:

युद्ध और इंसान / Yudh aur Inshan कविता इंसान की अति महत्वकांसा अपने आप को सर्वशक्तिमान होने की इच्छा पर लिखी गई है।

कविता की प्रेणना अभी हाल में चल रहा रूस यूक्रेन का युद्ध है, जहां सारी मानवता को ताक पर रख कर इंसान इंसान को मार रहा है।

इंसान को इतनी शक्तियां और खूबसूरत पृथ्वी भगवान ने दी ,मगर इंसान इतनी आलौकिक ईश्वर के उपहारों को पचा नहीं पा रहा है, अपने ही भाई बंधुओ को मार कर दिमाग का खालीपन दिखा रहा है।

इंसान ने खुद इतने विनाशकारी हथियार बना लिए कि पूरी पृथ्वी पर मानव जाति खत्म हो जाएगी , मानव जाति के साथ बेकसूर पशु पंछी भी लुप्त हो जायेंगे।

जानवर पशु पंछी भी मर्यादा में रहते हैं , कभी शेर ने शेर को नही मारा, कभी बाज ने बाज को नही मारा, सिर्फ इंसान ही ऐसा जीव है, इंसान होकर भी इंसान को मार रहा है।

ईश्वर ने पृथ्वी पर श्रृति पशु पंछी , पेड़ पौधे तक ही सीमित रखी होती तो पृथ्वी पर मर्यादा रहती, पृथ्वी का भी इतना विनाश ना होता।

अब भी भगवान इंसान की करतूतों को देख फैसला ले सकता है इंसान को पृथ्वी से लुप्त करके नरक में भेज सकता है, वो जगह ही इंसान के लिए ठीक है ,अनंत काल वहा रहकर अपने गुनाहों की सजा भुगतेगा।

"युद्ध और इंसान" कविता इंसान की अति महत्वकांसी प्रवृत्ति और विनाशकारी कार्यों की ओर इंगित करती है।
इंसान जिस डाल पर बैठा है उसे ही नष्ट करने पर तुला है, अपनी ही पृथ्वी और अपने ही पृथ्वी वासियों को नष्ट कर रहा है।

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... इति...

_जे पी एस पी
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Wednesday, February 23, 2022

दिया जिंदगी का (Diya Jindgi ka)

         
Diya Jindgi ka
Diya Jindgi ka 
Image From: pexels.com


दिया जिंदगी का ..
टिमटमा रहा है..
कई बार लगता है..
बुझ जायेगा जैसे..
जब आंधी तूफान ..
आते हैं जिंदगी में..
करोना , हृदयाघात जैसे..

अब तक बुझते बुझते..
फिर जल उठता है..
शायद ईश्वर दिए में..
तेल और जान फुकता है..
जिंदगी एक गीत है..
यह गीत पूरा हो जाए..
तो अच्छा..
ईश्वरीय संगीत में घुल मिल..
जाए तो अच्छा..

जिंदगी का दीप ..
बुझने से पहले..
गीत हवाओ फिजाओं में..
रहे सदा तैरता..
पृथ्वी नष्ट होने पर..
पता लगे कैसा इंसान..
इस पृथ्वी पर था..

सोचा होता है जो..
वोह जिंदगी में नहीं होता..
तब हम ईश्वर से..
मांगते है दुवा..
तकदीर , नसीब..
ईश्वर लिखता है..
हमे नही पता..
ईश्वर ने किसके नसीब में...
क्या क्या लिखा..

कहीं लिखा हुआ नही दिखा..
या फिर लिखना बाकी है..
इसलिए तकदीर आधी है..
जिंदगी के दिए में तेल ..
अभी तो बाकी है..
आंधी तुफानों से..
बचा रहा है ईश्वर..
बाकी है अभी सफर..

धड़क रहा है..
अनिश्चता में हमारा जिगर..
शायद दिए की लो बढ़ जाए..
रोशनी में और चमक आए..
कट जाएं सारे ..
जिंदगी के अंधेरे..
देख सके जिंदगी के..
उज्जले सवेरे..

दिए में नई रोशनी आए..
ऊब चुके हैं जिंदगी से..
शायद कोई परिवर्तन लुभाए..
आशा आंखो में..
एक दिव्य चमक लाती है..
दिल में एक उमंग जगाती है..
बुझते बुझते भी ..
दिए की लो , भभक कर..
आलौकिक चमक लाती है..

शायद जिंदगी का दीपक..
एक बार जोर से..
दमकना चाहता है..
दमकते ही, हे ईश्वर..
इस लो को बुझा देना..
टिमटिमाते रहे ..
अनंत काल तक..
अपने श्री चरणों में जगह देना..!!

_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

जिंदगी का दिया/ Jindgi ka Diya कविता जिंदगी की अनिश्चिता के बारे में लिखी गई है।

आज इंसान का जीवन अनिश्चिता के बीच बीत रहा है, करोना काल में तो पता ही नही था कि अब किसकी लो बुझने वाली है। आज हसता खेलता जीवन कल मृत्यु सैया पर लेटा मिला।

करोना काल के बाद से जीवन जैसे मौत का आदी हो गया है।इंसान की जिंदगी जैसे बहुत सस्ती हो गई है।

करोना काल में लोगो हो बिन दवाई बिन ऑक्सीजन तड़फते देखा है, प्रशासन भी संवेदन हीन हो गया था।

करोना नाम से मरने का प्रमाण पत्र आसान था, घर में बंद लगता था अब अपनी बारी है।

" दिया जीवन का" कविता अचानक बेमौत मरने वालों के प्रति एक संवेदना और श्रंधांजलि है। जब कि किसी को नहीं पति कि कब किसकी बारी है।

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... इति ...
& जे पी एस बी
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Monday, February 21, 2022

नन्ही परी ( Nanhi Pari)

          
Nanhi Pari
Nanhi Pari 
Image from: pexels.com

नन्हीं सी परी उतरी..
हमारे द्वार गगन से..
हम सब सम्मोहित हैं..
देख उसे मगन से..

मनमोहक स्वरूप उसका..
नन्हीं सी काया..
देख उसके रंग रूप को..
दिल को बहुत आनंद आया..

माता पिता बनने का..
दिव्य सौभाग्य..
शुभ - भव्य ने पाया..
नानी - नाना बनकर कर..
अन - सन ने खूब..
आनन्द लुफ्त उठाया..

दादी - दादा, मौसी - मामा..
भी खूब झूमे शान से..
नन्हीं परी ने पूरे किए..
जो दिलों में अरमान थे..
हमारी परी हमारी परी..
कह कर झूमे हैरान से ..

नन्हीं परी ने जन्मते ही..
नन्हे नन्हे हाथों से..
उंगली मां की थामी है..
गुडिया बहुत ही ..
सौभाग्यवती नामी है..

भारत की परी आ गई..
उड़कर अमरीका..
कितनी शुभ घड़ी..
सुनहरा सा दिन था ..

खुशियों भरा माहौल..
हमारे आंगन में छाया ..
भारत का रिश्ता जोड़ रही..
अमेरिका से नन्हीं सी काया..

लक्ष्मी स्वरूप है..
जिसके दर्शन को ..
हर कोई तरसे..
जहां पड़े कदम इस परी के..
वहां वहां खूब धन बरसे..

हम सब परिवार वाले..
अपनी नन्हीं परी को..
दिन रात लुभाएंगे..
खेलेंगे उसके साथ..
नई नई लोरियां गा गा के..
उसको खूब खिलाएंगे..
प्यार ढेर सारा बरसाएंगे..!! 

_जे पी एस बी 


         
Nanhi Pari pc2
Nanhi Pari pc2
Image:taken approval 


कविता की विवेचना:

नन्हीं परी/ Nanhi Pari कविता हकीकत में एक नन्हीं सी परी की पृथ्वी पर अवतरित होने की शुभ घड़ी की सच्ची कहानी है।

आलौकिक रूप रंग जैसा कविता में वर्णित है से भी सुंदर  नन्हीं परी उसके नए नवेले माता पिता की मुराद पूरी करती है, और सारे नाते रिश्तेदारों को भी खुशी सुख से आनंदित करती है।

सब परी के आगमन की खुशी में झूम रहे हैं एक दूजे को बधाइयां मिठाईयां दे हांथ चूम रहे हैं।

खुशी की खबर सब दूर पहुचाई जा रही है, फोन मोबाइल वीडियो काल लगाई जा रही है ।

तस्वीर परी सी गुडिया की मोबाइल व्हाट्स एप पर पाकर सब खुश हो रहे हैं, अनेक बार तस्वीर को देख रहे हैं , मन ही नही भरता।

"नन्हीं परी" कविता सौभाग्यशाली गुडिया को गरिमामई ईश्वर का आशीर्वाद है, बहुत यश धन्य धान्य से प्रफूलित हो पूरे परिवार का नाम रोशन करे।

... इति...
_जे पी एस बी
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Saturday, February 19, 2022

शिवाजी महाराज बहादुर मराठा( Shivaji Maharaj Bahaadur Maratha)

               
Chhatrapati Shivaji Maharaj Bahaadur Maratha
Chhatrapati Shivaji Maharaj 
Image From:pixabay.com

जय जय शिवाजी महाराज..
सूरवीर बहादुर मराठा..
मुगल काल में देश को..
गुलामी से रहे बचाते..
हिंदू धर्म की रक्षा से भी..
रहे उनके गहरे नाते..

भारत की आजादी की..
लड़ाई का आगाज़ किया..
हर युद्ध में मुगलों को हरा..
मुगलों का बुरा हाल किया..
अपनी अनुपम वीरता ..
और युद्ध कौशल का..
हर पल परिचय दिया..

भारत देश का किया ऊंचा ..
गौरव से मस्तक..
देश की आजादी ..
को दी पहली दस्तक..

आज सारा देश..
आभारी है आपका..
आज भी देश के युवाओं..
बहादुरों को प्रेणना देता..
आलौकिक स्वरूप आपका..

नत मस्तक हैं देश वासी..
याद आती है आपकी बहादुरी..
आपका नमन करते ही..
संचार करती नई शक्ति..
हर वीर का सर ऊंचा हो जाता..
जय जय शिवाजी महाराज..
सूरवीर बहादुर मराठा..
जय जय शिव जयंती..!!

_जे पी एस बी 

          
Fancy dress on shiv jayanti pc2
Fancy dress on Shiv Jayanti pc2
Image : taken approval for image


कविता की विवेचना: 

शिवाजी महाराज बहादुर मराठा/ Shivaji Maharaj Bahaadur Maratha कविता शिव जयंती के पावन अवसर पर भारत देश के महान सूरवीर योद्धा और छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान और याद में लिखी गई है।
  छत्रपति शिवाजी महाराज की  बहादुरी और व्यक्तित्व को शब्दों में बांध पाना असम्भव है। तब भी महाराज जी की याद को नमन करते हुए उनके सूर्य से भी तेज व्यक्तिव पर चंद पंक्तियां लिखने की कोशिश की है।

"शिवाजी महाराज बहादुर मराठा" कविता छत्रपति महाराज के चरणों में श्रद्धा सुमन हैं ,स्वीकार हो।

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...इति...

जे पी एस बी
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Thursday, February 17, 2022

जिंदगी और मौत की लड़ाई( Jindagi aur mout ki ladai)

                
Jindgi aur mout ki ladai
Jindgi aur mout ki ladai
Image From: pexels.com

मैने जिंदगी को मौत से..
करीब से लड़ते देखा है..
जिंदगी से बहुत ज्यादा..
प्यार अपने आप में ..
एक बड़ा भुलेखा है..

जितना हम जिंदगी से..
करते हैं प्यार..
जिंदगी और करती है..
हम पर अत्याचार..

अपनी भड़ास हमारे..
शरीर से निकालती है..
जो कि जिंदगी के लिए..
एक पिंजरा है..

जिंदगी भी इस पिंजरे से..
आजादी चाहती है..
इस पिंजरे की बरबादी..
चाहती है..

पिंजरा जब नष्ट होगा..
शरीर को कष्ट होगा..
तब ही हमे और जिंदगी को..
मिलेगी आजादी..

और इस आजादी का..
मौत ही एक मात्र द्वार है..
जब मौत के द्वार खुलते हैं..
इसी द्वार के सहारे हम..
ईश्वर से मिलते हैं..

फिर हम क्यों नहीं चाहते..
कि यह द्वार खुले..
क्यों ना हम अपने..
प्रिय प्रभुसे मिलें..

जिन्हे हम ता उम्र..
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे..
और गिरजा घर में..
तलासते रहे निरंतर..

हमें जिंदगी देकर ईश्वर ने ..
खुद से हमें अलग किया है..
जिंदगी एक सजा है..
मौत ईश मिलन का मजा है..

सजा जितनी जल्द ..
खत्म हो अच्छी..
ईश मिलन का आनंद..
हमे मिलेगा जल्दी..!!

_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

जिंदगी और मौत की लड़ाई/ Jindgi aur mout ki ladai कविता कवि के जीवन अनुभव और जिंदगी और मौत को देखने का अपना नजरिया है।

जिंदगी बहुत सुहानी है, है किसी को अपनी जिंदगी से बेहद प्यार है , चाहे वो इंसान हो या जानवर पशु पंछी।

ईश्वर ने हर जीव को जिंदगी दी, हमे भी जिंदगी हमारे प्रभु ने दी। हमें जिंदगी देने के लिए पहले खुद से अलग किया।
फिर हम इस पृथ्वी लोक में भेज दिया ।

कवि को लगता है कि ईश्वर का हमे खुद से अलग करना एक सजा है जो हम सब इस पृथ्वी लोक में भोग रहें हैं।
जैसे ही सजा खत्म होगी फिर से ईश से मिलन होगा हमारा।

मगर हम इस सजा को वरदान समझ जिंदगी में मजा मस्ती ढूंढ लेते हैं और जिंदगी से बहुत ज्यादा मोह करने लगते हैं, इस मोह पास में फस कर कई बार ईश्वर को भी भूल जाते हैं।

जिंदगी में और ज्यादा आनंद सुख सुविधाएं जुटाते हैं , अपने चेहरे मोहरे को सजाते सवारते हैं।

हमें यह सजा समाप्त कर कभी भी जिंदगी के पिंजरे से आजादी की जल्दी या खुशी नहीं रहती बल्कि ईश्वर से अमरता मांगते हैं कि ऐसे ही हमे तो यही रहना है।

जैसे ही हम अमरता मांगते हैं और इस जिंदगी के क्षणिक आनंद का मजा लेते हैं तो हम ईश्वर से दूर होते चले जाते हैं। कई बार अनंत काल के लिए, हम ऐसा क्यों करते हैं?

"जिंदगी और मौत की लड़ाई" कविता कवि की ईश्वर जिंदगी और मौत को लेकर परिकल्पना है, जिंदगी मौत और ईश्वर का नाता परम सत्य है।

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... इति...
_जे पी एस बी
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Tuesday, February 15, 2022

गणराज्य-गणतंत्र(Ganrajya-Gantantra)

                
Ganrajya-gantantra
Ganrajya-Gantantra
Image From: pexels.com


आपसे नाराज नही नेता जी..
हैरान हैं जनता देश की..
आपके लिए गए कई फैसलों..
से परेशान है जनता देश की..

लोकपाल बोला, लागू ना करवाया..
भ्रष्टाचार मिटाना था , ना मिटवाया..
काला धन आना था, ना आया..
रोजगार दिलाना था, ना दिलवाया..
रामराज्य लाना था, ना लाया अब तक..

युवा रोजगार, पैसे पैसे को तरस रहे हैं..
कोई भी पैसा किसी खाते भी..
कभी ना आया , ना ही रोजगार मिला..
किए गए वादों का इंतजार ..
करते करते बीते कई वर्ष..
महंगाई बढ़ती चली गई..
हुआ  दुख,कभी ना हुआ हर्ष..

गरीबी और गरीब बढ़ते जा रहे हैं..
देश का अधिकतर धन अमीर खा रहे हैं..
शिक्षा का हो रहा है व्यापार..
आसमान छूती फीस देख छात्र हैं लाचार..
अनपढ़ ही रहना है अब ..
मजबूरी में किया विचार..

किसान को उसकी फसल का मोल ना दिलाया..
उल्टा किसान की गुलामी का और कानून बनाया..
किसान अपनी मांगे मनवाने को तरसा ..
घर से बेघर हुआ तब भी उसकी ना सुनी..
किसान की उम्मीदे टूटी,एक नई कहानी बुनी..

करोना काल में जनता को भगवान भरोसे छोड़ा..
दवा ऑक्सीजन अभाव में तड़फे, मरे, कीड़े मकोड़े से..
लोक डाउन का सदुपयोग कर कानून बनाए..
मर चुके जब कई हजार कुछ आंसू बहाए,अनकहे से..

अस्पताल बने बीमारियों की मंडी..
बोली लगा कर अब बीमारियां ठीक होंगी..
बोली का पैसा चुका दिया तो नसीब अच्छा..
जिंदगी होगी बहाल..
वरना मरने को रहो तैयार जीने की छोड़ो इच्छा...

सारे व्यापार हो गए उद्योगपतियों के हवाले..
उद्योगपतियों को बोल दिया..
चाहे कितनी भी कीमत हर मॉल की लगा ले ..
तू जी भर के अपना मन चाहा मुनाफा कमा ले..
क्यों कि यहां पूंजीवाद है हावी..
वे ही इस देश के राजा हैं भावी..

गरीब को दिया संदेश, तू बंधवा मजदूर बन जा..
इन अमीरों का काम मुफ्त में कर जा..
खुश हो गए तो देंगे तुम्हे बख्शीस..
फिलहाल तुम ऐसे ही..
अपना गुजारा कर या ले अमीर से कर्जा..

वोट का अधिकार रहेगा तुम्हारा..
भूखे लाचार गरीब तुम गणराज्य कहलाओगे..
संविधान में लिखी शर्त भी इससे होती है पूरी..
तुम पर शासन करने का तुमसे ही अधिकार लिया है..
इस तरह इतनी बड़ी जनसंख्या को वस में किया है..

यह हमारी राजनेताओं की चालाकी नहीं..
प्रबंधन का विशेष गुण है..
जिसमे हम पूरी तरह सक्षम और निपूर्ण हैं..
ऐसे ही देश संभालते रहेंगे..
जनता को सुहाने सपने दिखाते रहेंगे..

संविधान निर्माताओं ने हमे सुविधा प्रदान की है..
धन्यवाद बाबा साहिब, हम नेताओ को ..
बहुत अच्छी राज काज की सुविधा दी , उपहार दिया..
हम राजनेताओं का जीवन संवार दिया ..

जनता का क्या है, वो तो अपने कर्मो का फल..
सदियों से भोग रही है, चाहे मुगल राज हो..
चाहे कोई भी सम्राराज्य हो..
चाहे हो ब्रिटेन की गुलामी..
गरीबों का नसीब ही था ऐसा..
तगदीर में ना था कभी पैसा..

आजादी मिलते ही हमने हर गरीब को..
वोट का अधिकार दिया..
जाती मजहब अनुसार हिसाब से बांट दिया..
हर पांच साल में हिसाब पूछने का अधिकार दिया..
और भी लाभ गरीबी का प्रमाण दिखा मिलते रहेंगे..
जो इस देश के गरीब होने का पूरा अधिकार देंगे..

गरीब गरीबी का हक लेने के लिए,गरीब ही रहेंगे..
फिर भी सब कहेंगे..
आपसे नाराज़ नहीं नेता जी, हैरान है जनता..
आपके लिए गए फैसलों से परेशान है जनता..!!

_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

गणराज्य_ गणतंत्र/ Ganrajya_ Gantantra कविता
भारत गणराज्य भारत के हर नागरिक को जो अधिकार देता है , उसकी विवेचना करती है।

भारत देश अनगिनत कुर्बानियों के बाद अगस्त 1947 को आजाद हुआ लोग बहुत बहुत ज्यादा खुश थे। कि अब अपने यानी हमारा खुद का ही राज है , हम सब खुशहाल हो जायेंगे ।

जो गुलामी के कारण खवाइसे पूरी नहीं हो सकी हो जाएगी, अच्छी शिक्षा ,अच्छी स्वाथ्य सुवधाए होंगी ,सबको रोजगार होगा, सबकी आमदनी सम्मान जनक होगी। 

मगर अफसोस ऐसा कुछ भी न हुआ । एक राजा सिहाशन से उतरा जो अंग्रेज विदेशी था , दूसरा राजा लोकतंत्र के नाम पर उसी सिहासन पर बैठ गया।

आजादी का फायदा इस लोकतंत्र के राजा और उस जैसे चंद लोगो को मिला । वो शहंशाह बन बैठे और जनता पहले से भी ज्यादा फटेहाल हो गई। 

ये राजा अपने  ठाट बाट में जनता बीच आते और वोट मांग कुछ वादे कर चले जाते। ये इनका अपनी सुख सुविधाओं को संजोए रखने का प्रोग्राम होता ,इनका यह उद्देश्य हमेशा पूरा हो जाता और आज तक पूरा हो रहा है।

अंग्रेजो के भारत में राज करने के मूल मंत्र 1.फुट डालो और राज करो2.जनता को कभी अच्छी शिक्षा मत दो चालक और निपुण हो जाएगी 3.जितना हो सके जनता को गरीब और अपना मोहताज रखो4.जनता को ज्यादा सुविधाएं मत दो 5.पुलिस को जालिम अधिकार दो अर्थात जनता में शासन का डर हमेशा बनाकर रखो।

अंग्रेज सत्ता सोपते समय भारत में फुट डाल कर दो टुकड़े तो कर ही गए साथ ही अपने मूल मंत्र भी सत्ता हस्तरात्रित करते समय सत्तादिसो को सिखा कर गए।

ये सारे मूल मंत्र आज तक बदस्तूर जारी हैं। लगता है शासन करने का यह सर्वोच्च तरीका था, जो नही छूटता।

जनता आजादी से आज तक गणतंत्र के सपने देख रही है , क्या गणतंत्र लागू है कि उसकी किसी तरह खाना पूरी की जा रही है।

"गणराज्य-गणतंत्र" कविता जनता का सवाल है कि क्या कोई नेता जी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद कभी आएगा , जो जैसा सपना देखा था आजाद भारत का वैसा भारत बनाएगा।

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... इति...
 
_जे पी एस बी
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Monday, February 14, 2022

हुकम रजाई चलना( Hukam Razai Chalna)

              
Hukam Razai chalna
Hukam Razai Chalna
Image from: pexels.com

जो हुआ अच्छा हुआ..
जो होगा अच्छा ही होगा..
जब डोर भगवान ने ले ली..
अपने हाथ..
समझो जाग उठा ..
हमारा सौभाग्य..
फिर अब चिंता किस बात की..

सुबह और शाम हम करते..
भगवान की आरती..
और मांगते मन्नत..
कि दर्शन दो मेरे प्रभु..
जब ईश्वर सुनता है इच्छा हमारी..
और करता है प्रबंध..
तब क्यों हम डर जाते हैं..
इस जीवन के ..
मोह पास में फस जाते हैं..

मौत तो ईश मिलन का..
पहला संकेत है..
इसमें बहुत गहरा भेद है..
हम ना समझ..
खुद ही ईश्वर से मिलने से..
करते हैं इनकार..
और जर जर शरीर से करते प्यार..

यहां फिर ईश्वर हमारी सुनते हैं..
हमे उम्र दान करते हैं..
हम खुद ही खुद को..
इस शरीर रूपी पिंजरे में कैद कर..
तरह तरह से कष्ट सहते हैं..
फिर भगवान से कहते हैं..
की ईश्वर हमारी सुनता नहीं..
भगवान सुनता है..
और हमारे मन की करता है..

क्यों कि हम भगवान भरोसे..
कुछ भी छोड़ते नही..
कहते हैं, विश्वास है..
पर भरोसा करते नहीं..
हमारे मन में ही खोट है..
हम खुद ही धोखेबाज़ हैं..
इसलिए भगवान होते नाराज़ हैं..

हुकम रजाई चलना ..
अपने जीवन में अपनाना होगा..
तब ही ईश्वर का पाना होगा ,संभव..
भगवत गीता के वचनों पर..
करो सदा विश्वाश..
पाओगे खुद को..
भगवान के आस पास..
करो विश्वास भरोसा उस कुदरत पर..
यही सच्ची भक्ति है..
उस परवरदिगार ने..
बहुत अच्छी तकदीर लिख दी है..

तुम उसके हुकम अंदर चलो..
और अपने फर्ज और कर्म पूरे करो..
ईश्वर ने तुम्हारे कर्मो का फल..
बिलकुल तैयार रखा है..
जैसे ही तुमने कर्म किया पूरा..
उसी क्षण फल होगा तुम्हारा..
साथ में ईश्वर का मजबूत सहारा..!! 

_जे पी एस बी 

                 
Hukam Razai chalna pc2
Hukam Razai Chalna pc2
Bhagwan jagarnath
Image from: pexels.com


कविता की विवेचना:

हुकम रजाई चलना / Hukam Razai Chalna कविता ईश्वर के हुकम अनुसार चलने और अपने कर्म और फर्ज ईमानदारी से करने की ताकीद देती है।

भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है _ कर्म करो फल की इच्छा मत करो, फल भगवान स्वयं ही तुम्हे देंगे जरूर।

श्री गुरुनानक देव जी ने कहा है कि हमेशा भगवान की आज्ञा अनुसार चलो तुम्हे तुम्हारी मंजिल जरूर मिलेगी।

"हुकम रजाई चलना"कविता ईश्वर को सर्वोपरी मानती है, मानव संसार में जो कुछ भी कर रहा है ,यह भगवान का ही हुकम है और सब कार्य भगवान की इच्छा अनुसार ही होते हैं।

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मै भी भक्त हूं( Mai bhi bhakt Hun)

              
Mai bhi bhakt hun
Mai bhi bhakt hun,Desh bhagton ka
Image From: pexels.com

मैं भी भक्त हूं, देश भक्तों का..
मै भी भक्त हूं , देश के स्पूतों का..
जो देश के गौरव के लिए अपनी..
जान हथेली पर रख आगे आए..

जो भारत माता की माटी के लिए..
लड़े मरे ,शहीद हो गए..
हम उन नायकों के ऋणी ..
और सदा के लिए मुरीद हो गए..

आव्हान है , फिर एक बार..
भगत सिहों से , आजादो से..
नेता जी सुभाष चंद्र बोसों से ..
आइए हमे दिशा निर्देश दीजिए..
हमे हक से आदेश दीजिए..

भारत माता की शान को..
आसमान से भी ऊपर ..
चांद सितारों तक पहुंचना है..
अपने देश के तिरंगे को..
सूरज से भी परे चमकते ग्रह..
पर शान से लहराना है..

राजनेतिक पार्टी जो भी हो..
हमे चाहिए उनसे भारत की..
आन बान मान शान में वृद्धि..
हम देश वासी चाहेंगे ..
आपसी टकराव छोड़ कर..
सभी पार्टियां एक एजेंडा बनाए..
भारत माता को सम्पूर्ण रूप से..
तन मन धन से स्वमर्पित हो जाए..

सिर्फ भारत माता की जय करें..
भारत देश के वासियों के लिए..
ईश्वरीय वरदान बने ,गर्व से..
हम सब भारतीयों के सीने तने..
कोई भी गरीब और भूखा न हो..
कोई पेड़ पौधा भी सुखा न  हो..

भारत देश स्वर्ग से भी हो सुंदर..
देवता भी स्वर्ग से आकर वाश करें..
राम राज्य आ जाए संपूर्ण भारत में..
श्री भगवान बजरंग बली..
राम दूत बन भारत देश को..
राम राज्य घोषित करें और..
राम राज्य का आगाज करें..

भगवान राम और प्रभु कृष्ण ..
स्वयं पधारें और भर भर कर..
भारत और वासियों को आशीष दे..
यह देश बने फिर से सोने की चिड़िया..
पूरे ब्रह्मांड में लगे भारत देश..
बहुत बहुत ही सुंदर और बढ़िया..

टूट जाए सभी गरीबी की कडियां..
ना कोई गरीब हो ना भूखा नंगा..
सब ओर बहे सुख समृद्धि की गंगा..
भारत की शान में हर कोई कसीदे पढ़े..
हम बहुत तेजी से विश्व में आगे बढ़े. 

पूरा विश्व भारत दर्शन को तरसे..
घर घर यहां धन बरसे..
हम भी भक्त हैं, देश भक्तों के देश के..
हमारी भी जान हाजिर है, वतन के लिए..
सत सत नमन इस देश की माटी को..
आपार प्यार है वतन और ..
तिरंगे से हर एक देश वासी को..!!


_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

मै भी भक्त हूं/ Mai bhi bhagat hun कविता देश के वीर सपूतों और देश पर जान निशावर करने वाले शहीदों को स्वमर्पित है।

सत सत नमन है भारत माता के उन स्पूतो को जिन्होंने अपनी कुर्बानियां और जान की आहुति देकर भारत माता को आजाद कराया और पूरे विश्व में सम्मान दिलाया ।

उनका अधूरा काम अब पूरा करना है सारे देश वासियों को मिलकर इस देश को एक चमकता शानदार सितारा बनाना है ।

पक्ष विपक्ष को मिलकर काम करना है जिसमे देश आगे बढ़े और बहुत विकाश करे, जिस टकराव से देश को नुकसान होता है राजनेतिक पार्टियों को ऐसे टकराव टालने होंगे।

देश सब पार्टियों का है, राजनेतिक पार्टी का भी उद्देश देश को आगे बढ़ाना है, फिर क्यों न मिल कर एक साथ देश हित में काम करे आपस में न लड़े।

देश का भला सर्वोपरी होना चाहिए, देश है तो ही हम हैं।
आजादी का फायदा देश के आखरी नागरिक तक पहुंचना चाहिए जो कि दुर्भाग्यवस अभी तक नहीं पहुंचा है।

हमारी राजनीति देश हित सर्वोपरी ध्यान में रखकर काम करेगी तो देश को विश्व पटल पर सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने से कोई नही रोक सकता।

"मै भक्त हूं" कविता प्रत्येक भारतीय की देशभक्ति को दरसाती है, और यह सत्य भी है की हर भारतीय के दिल में देश प्रेम कूट कूट के भरा है, बस उन्हे दिशा निर्देश चाहिए कि उनको कैसे देश की प्रगति में योगदान देना है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
जे पी एस पी
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Sunday, February 13, 2022

कहानी इंसान की ( Kahani Insan ki)

            
Kahani insan ki
Kahani Insan ki 
Image from: pexels.com

कहां से आए हो तुम..
और कहां तुम्हे जाना है..
क्या तुम्हारे पास कोई..
तुम्हारा पता ठिकाना है..

बचपन ,जवानी, बुढ़ापा..
जिंदगी की  एक रीत है..
जिंदगी से जीवन के मिलन..
के लिए कुदरत ने बनाई..
प्यार और प्रीत है..

कभी मिलना कभी बिछड़ना..
जिसको चाहा था दिल ने..
उसके लिए तड़फना..
कभी ख्यालों में ..
कभी सपनो में खोना..
कभी प्यार का गीत गुनगुनाना..
तभी लगे जिंदगी..
एक सपना सुहाना..

जिंदगी का आनंद लेते लेते..
दिल और मन उलझे रहे..
कब बीत गई जवानी..
पता ही ना चला कभी..
और डगर आ गई..
वापिस जाने की ..
अचानक सामने..
तब हम लगे ईश्वर को..
अपना सब कुछ मानने..

मन में भक्ति रस उभर आया..
हमने ईश्वर का भजन बहुत गया..
मन में डर और भय था..
कि मैं इस संसार के लिए..
हो जाऊंगा अब पराया..
जब भी भगवान ने ..
वापिस अपने पास बुलाया..

अपने अपने से जो लोग..
लगे जीवन भर..
प्यार से रहे अगल बगल..
उड़ती थी जिनके संग..
अपने जीवन की पतंग..
कट जायेगी यहीं..
पता नही किसी को भी..
अनंत काल में मिलेंगे कही..

अपनो से बिछड़ने की..
एक अजब सी तीस है..
जुदाई का गम दिल के बीच है..
मगर आगे के सफर में..
अकेले ही जाना है..
यही नियम सदियों पुराना है..

अमीर गरीब जिंदगी के..
इस मोड़ पर ..
एक समान हो जाते है..
एक जैसी सांस टूटती है..
दिल की धड़कन रुकती है..
आंखे बंद कर जिंदगी..
अनंत सफर के लिए..
मौत के सामने झुकती है..

अहंकार, अकड़, मिजाज..
प्रसिद्धि, रूतबा, ओहदा..
सब एक क्षण में छूट जाता है..
बड़े से बड़ा हिम्मती भी.. 
टूट जाता है..
जब मौत गले लगाती है..
मिट्टी में मिल जाते हो..
हो जाते हो खाक..
किसी नदी के सहारे..
समुंदर में मिल जाती है..
तुम्हारी राख..

अब तुम सिर्फ एक हवा हो..
रही ना कोई पहचान पुरानी..
इस जहान में आए ..
हर इंसान की है, अनंत काल से
यही है अनकही कहानी..!!

_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

कहानी इंसान की/ Kahani Insan ki कविता में मनुष्य के इस संसार या इस पृथ्वी पर आने और वापिस जाने की कहानी है।

अनजान लोक से आया अनजान सा मनुष्य इस पृथ्वी रूपी संसार में जैसे जैसे बड़ा होता है , उसे एक नाम बाद में काम मिलता है।

उस काम से पैसा रूतबा हासिल करता है जो उसकी इस पृथ्वी पर पहचान बन जाती है , उस पहचान को लिए उसके नशे में ता उम्र घूमता है।

होश तब आता है जब कुदरत एक एक करके सब छीन लेती है, बुढ़ापा आ जाता है ,खूबसूरत चेहरा बदसूरत हो जाता है, कितनी भी दौलत हो जवानी यौवन वापिस नही ला पाता।

यही कुदरत का सख्त नियम है गया हुवा रूप, यौवन और समय कभी वापिस नही आता।

कुदरत समय समय पर मनुष्य को उसकी औकात याद दिलाया रहता है, परंतु मनुष्य जवानी और दौलत के नशे में सब हकीकत भूल जाता है और बुढ़ापे में आकर फिर पस्ताता है।

"कहानी इंसान की" कविता सदियों पुरानी मनुष्य की कहानी को दोहरा रही है और याद दिला रही है कि "इस संसार में आना है और बूढ़े बदसूरत हो चले जाना है"
इस लिए उस भगवान की कुदरत को सदैव याद रखो।

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... इति...
जे पी एस पी
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Thursday, February 10, 2022

चैंपियन (Champion)

             
Champion
Champion
Image From: pexels.com

                  
मैं कल्पना लोक में खोया..
सफलता के सपने देखने ..
दिन में भी सोया..
देखा निकल गया हूं मैं..
आसमान से भी आगे..

अपनी सफलता के झंडे..
मैने सारे जहान में गाड़े..
मै जिंदगी का चैम्पियन हूं..
लक्ष मेरा सिर्फ जीत है..
जीत से ही मेरी प्रीत है..

हार मुझे किसी कीमत पर..
बर्दास्त नहीं,ना ही कबूल..
मौत से भी जीतूंगा..
अपनी विजय की कहानी..
मै खुद लिखूंगा जरूर..

मेरी जीत एक करिश्मा..
एक अभूतपूर्व राज है..
मेरा जो कल था वही..
अभी भी आज है..
विश्व विजेता..
चैम्पियन हूं मैं..

मै हूं दुनिया से बहुत दूर..
आसमानों फिजाओं में..
हूं बहुत ही मशहूर..
विजेता चैम्पियन हूं मैं..!!

_जे पी एस बी

कविता की विवेचना:

चैम्पियन / Champion 🏆 कविता एक नायक की कहानी है जो खुद को शतरंज का विश्व विजेता चैंपियन समझता है।

नायक रात दिन चोबीस घंटे शतरंज की चालों में खोया रहता है और खुद को विश्व विजेता अजेय चैंपियन मानता है।

उसे संपूर्ण यकीन है कि शतरंज के खेल में उसे कोई नही हरा सकता, उसकी एक कल्पना लोक की दुनिया बन गई है ,जिसकी दूरी इस दुनिया से बहुत दूर है।

उसकी दुनिया में नायक एक बहुत बड़े चैंपियन के रूप में बहुत ही महशूर है, और उसकी यह प्रसिद्धि बहुत ही पसंद है, नायक दिन रात इस प्रसिद्धि के नशे में डूबा रहना चाहता है, और वो इस नशे में डूब जाता है।

अपने इस अनोखे जीत और चैंपियन के नशे में डूबा मौत को गले लगाता है और जैसे मौत को भी जीत चैंपियन बना हुआ ही इस जहां से रुकसत हो जाता है।

"चैम्पियन" कविता एक अनोखे नायक की कहानी है जो हमेशा चैम्पियन ही बना रहना चाहता है, सोते जागते यह तक की मरते हुए भी। 

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... इति...
_जे पी एस बी
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Wednesday, February 9, 2022

सफलता आसमान से ऊंची( Safalta aasmaan se unchi)


               
Saflata aasmaan se unchi
Saflata aasmaan se unchi
Image from:pexels.com

जब तक नहीं बिखरोगे..
तो कैसे फिर निखरोगे..
तप तपस्या की आग में..
बनो खरा शुद्ध सोना.. 
तुम जैसा इस जहान में..
कोई दूसरा कभी हो ना..

जिंदगी का सामना ..
मौत से तो होना ही है..
जब जिंदगी मौत से..
टकराती है, तब ही..
चिर अमर हो पाती है..

मौत से टकराने वाले..
वीरों की गाथाओं से..
इतिहास की किताबे..
भरी पड़ी हैं,जो मौत से..
जीत कर अमर हो गए..

भगत सिंह,आजाद..
राणा प्रताप,पृथ्वीराज..
चौहान,शिवाजी महाराज..
अमरता के  उदाहरण है..
चिर अमर हो गए जो..
और हम आज गर्व से..
जिंदा उनके कारण हैं..

जिंदगी को सफलता..
मृत्यु तुल्य कष्ट पाकर..
या फिर मौत से ..
टकराकर ही मिलती है..
जिंदगी हमेशा ही..
कड़ा इम्तिहान लेती है..

उसकी कसौटी पर..
खरा उतरने पर ही..
सफलता का फल देती है..
बुझदिल, डरपोक ,आलसी..
खुदगर्ज, मतलबी,लालची..
इन सब की ..
सुनहरी जिंदगी में..
कोई जगह नहीं..
और सुरवीर सफल ना हों..
इसकी कोई वजह नहीं..

बहादुर सुरवीरों के..
शब्द कोष में असफलता..
शब्द की कोई जगह नहीं..
हिम्मंत वाले वीरों के..
विजय कदम चूमती है..
सफलता को नाज होता है..
और वो अपने सपूतों के ..
लिए खूब झूमती है..

उन्हे उठाती है ..
आसमानों की ऊंचाइयों तक..
तब ही आसमान में ..
सुराग होता है..
सूरवीर कद आसमान से..
भी बहुत ऊंचा होता है..
सफल जिंदगी का स्वामी..
मौत पर विजई योद्धा है..

तो खूब संघर्ष करो..
जिंदगी से, लड़ो मरो..
मौत से कभी मत डरो..
सफलता खुद ही..
नतमस्तक आकर ..
कदम तुम्हारे चूमेगी..
अवसरों की होगी बरसात..

अवसरों की रानी..
तुम्हारे ही आस पास घूमेगी..
नाज होगा तुम पर ..
समाज को , देश को..
हर कोई तुमसे मिलकर..
गर्व से झूमेगा..
बड़ा बजुर्ग..
तुम्हारी पेसानी चूमेगा..

और तुम आश्चयचकित..
ईश्वर का शुक्रिया करोगे अदा..
कैसे भगवन ने..
बड़ा कठीन रास्ता..
तुम्हारी हिम्मत से ..
बहुत आसान करा..
तुम्हे नाज करने का..
हकदार बनाया..
तुम्हारे सर पर महानता..
का ताज पहनाया..

तुम बने हो ..
प्रेणना श्रोत युवाओं के..
वो भी हाड़तोड़ मेहनत करें..
सफलता को अपना गुलाम करें..
सफलता का एक ही जादू..
कड़ी मेहनत,सुरवीरता..
और जिंदगी पर काबू..
कामयाबी कहां जायेगी..
तुम जैसे सुरवीरों की..
आगोश में ही तो आयेगी..!!


_जे पी एस पी

कविता की विवेचना:

सफलता आसमान से ऊंची/ Safalta aasmaan se unchi कविता में आपार सफलता हर क्षेत्र में पाने वालों की अनुपम गाथा का वर्णन किया गया है।

हर किसी के लिए ईश्वर ने अवसर आपार दिए हैं , निस्वार्थ कड़ी मेहनत लक्ष्य हासिल करने के लिए करनी है।

सफलता के रास्ते पर चलते बाधाए बहुत आती हैं ,मृत्यु तुल्य कष्ट सहने होते हैं, मौत से टकराना पड़ता है, जान की बाजी लगानी होती है ।

वीर सूरवीर सारी बाधाओ को पर कर अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाते हैं और अपनी वीरता का लोहा मनवाते हैं।
सफलता जीत इनकी दासी है।

"सफलता आसमान से ऊंची" कविता में सुरविरो के सफलता और विजय हासिल करने के गुण को उजागर और वर्णित किया गया है।

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_जे पी एस बी
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