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Mout Mehbooba hai Image from: pexels.com |
देखा है ज़िंदगी ने..
मौत को करीब से..
हम गिड़गिड़ाए..
लगे बहुत गरीब से..
कितना भी तुम टालो..
मौत ना टलेगी ..
मौत महबूबा है..
आ गले मिलेगी..
तुम मानो या ना मानो..
मौत तेरी महबूब है..
ले जाती है साथ..
जचती भी खूब है..
डरते हो तुम क्यों..
अपने ही प्यार से..
मौत तो आनी है..
सत्य है निश्चित..
रहो तुम जाने को..
तैयार से..
तुम्हारी वो अपनी है..
प्यार अपना निभायेगी..
बेवफा वो नहीं..
तुम्हे ना रुलाएगी..
तुम्हारी हर खुशी..
उसमे ही समाई सी..
जो तुम ढूंढते रहे खुशियां..
इस सारी जिंदगी में..
उससे कहीं ज्यादा..
मौत ने संजोई हैं..
देखा है जिंदगी ने..
मौत को करीब से..
आती है ये नसीब से..
तेरे सपनो की..
कई मालायें पिरोई हैं..
तुम्हारी हर खुशी..
मौत में खोई है ..
खुशियों की इंतिहा है वहां..
जाना है तुमको जहां..
मौत तुमको ईश्वर से भी मिलाएगी..
तुम्हे उनसे ..
दया माफी और आशीर्वाद दिलाएगी..
डरो ना कभी मौत से..
करो सदा उसका इंतजार..
प्यार का तुम भी तो ..
कुछ करो इज़हार..
मौत खुश होकर...
अपना रिश्ता निभायेगी..
उसकी आगोश में जाते ही ..
तुम्हे कई राज बताएगी..
मौत महबूबा है..
एक दिन जरूर आएगी..
डरो ना इससे..
सदा के लिए अपनाएगी..!!
_ जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
मौत महबूबा है/ Mout Mehbooba hai कविता में जिंदगी और मौत के द्वंद का वर्णन किया है।
मौत से डर ही लगता है, हर कोई ज्यादा से ज्यादा जिंदगी चाहता है और मौत से दूरी चाहता है, मगर हम कितना भी चाहें मौत तो आनी ही है , निश्चित है कि मरना है एक दिन।
जिंदगी में रोज रोज ठोकरे मिलती हैं ,तकलीफ़ मिलती है, तब भी हम जिंदगी को कितना प्यार करते हैं , कैसी भी हो जिंदगी जीना चाहते हैं।
थोड़ा कुछ और समय खत्म हो चुका तब भी यही इच्छा थोड़ा सा और, चाहे कितना भी थोड़ा और करें मगर आखिरी अंजाम मौत ही है ,उसकी आगोश में ही जाना है।
फिर क्यों नही हम डर छोड़ कर मौत से ही प्यार करें, हो सकता है हम मौत से यू ही डरते हों, मौत जिंदगी से भी हसीन हो, तो जाना मौत के साथ ही है आखिर तो डर कर क्यों , मौत को प्यार करें और उसके साथ चलें।
हमने मौत की बाद की जिंदगी देखी या जी कहां है, डर हमारी कल्पना है, मौत के बाद भी जिंदगी बहुत हसीन है, हमे जो राज जिंदगी में नही पता चल पाते मौत के बाद सारा यूनिवर्स हमारा होता है।
मौत हमारे शरीर रूपी कपड़े बदलने में हमारी मदद कराती है और भगवान से भी मिलाती है, यूनिवर्स के सारे राज बताती है, जिंदगी की ठोकरों से निजात दिलाती है।
फिर भी हम मौत से दूर भागते हैं , डरते हैं , बल्कि मौत से जिंदगी से भी ज्यादा प्यार होना चाहिए , यही तो जिंदगी की मंजिल है, जिंदगी की सारी समस्याओं हल है, तो आओ मौत को अपनाए उसे प्यार करें, मौत का बेसब्री से इंतजार करें।
"मौत महबूबा है" कविता में आखिर मौत ही सच्ची साथी नजर आती है, जिंदगी की सारी कठनायियो जिल्लतो से छुटकारा दिलाती है , हमे बहुत अच्छे किसी लोक में लेकर जाती है। कैसे भी हो हम हमे गले लगाती है, मौत महबूबा का हर फर्ज निभाती है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
Nice poem on the life and after life and about the dilemma most of us have about after life.
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