Friday, September 10, 2021

फूल और कांटे ( Phool Aur Kante)


Phool Aur Kante
Phool Aur Kante
Image from: pexels.com



फूल उलझा कांटों से..
तार तार हो गया..
बिखर गई पंखड़ी पंखड़ी..
प्यार को मार दिया..

फूल स्तब्ध हैं ..
कांटो के व्यवहार से..
मार दिया उन्होंने..
जो कि पहरेदार थे..

लैला मजनू अब कहां..
सौदा अब प्यार का..
पल दो की मतलबी बात..
वादा है बस उधार का..

जब वक्त निकल गया..
तुम कहां और हम कहां..
तुमसे हम मिले थे कभी..
वादा था प्यार का..

प्यार शब्द बचा नही..
कब का मिट गया..
आतंक के सामने..
कोने में सिमट गया..

प्यार किस से करना है..
पहले उसको ताड़ते..
आई लव यू बोल कर..
फिर गोली मारते..

रूप रंग हुस्न होंठ ..
जुल्फ और आंखे..
सब गए भाड़ में..
उनकी बात में..
जो राजी नहीं..
उसे लगे मारने..

प्यार सारा व्यहस्त के ..
भेट चढ़ गया..
दौलत मोहब्बत..
सब लूट ली..
बदले में बेरहम ..
सिर्फ मौत दी..
हाय रे देश की..
कैसे किस्मत फूट गई..

मजहब धर्म के नाम पर..
लोगों का कतले आम किया ..
उस खुदा के नाम पर..
खुद को खुदा मान लिया..

जान बख्से उसी की..
जो इनकी बात मान ले..
वक्त के साथ बदले..
जो कभी इंसान थे..
काम कर रहे हैं क्यों..
सभी अब शैतान के..

खुदा अकल दे इन्हे या..
फिर जनता को इंसाफ दे..
इनके जुल्मों सितम से..
सबको निजात दे..
सज्जा दे इन्हे भी..
जो ज़िंदगी भर याद रहे..
खुद खुदा बने ना कभी..
मामूली इंसान से..!! 


_ जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

फूल और कांटे/Phool Aur Kante कविता एक आम आदमी सबसे प्रेम करने वाला और आतंकी सोच रखने वाले लोगो के बीच चल रहे द्वंद के बारे में है कि कैसे प्यार को आतंक ने तार तार  कर दिया है।

कितने दिल को छू लेते हैं लैला मजनू, हीर रांझा के किस्से जो हकीकत थे ,और प्यार की मिशाल थे, अब ऐसे किस्से ढूंढे न मिलेंगे ,लोग अपनी जीवन की परेशानियों में इतने ज्यादा उलझ गए है कि प्यार कही खो सा गया है।

और जिस जिस देश में आतंक का साया है, वहां से तो प्यार गायब हो गया है ,जिंदगी है तो प्यार है और जो आतंक मचा रहे हैं उनके दिल में प्यार होता तो आतंकी न होते, जिनके लिए दूसरे की जिंदगी लेना इतना आसान हैं कि खुद पत्थर दिल हो चुके हैं।

इन्हे भगवान, खुदा, ईश्वर का खौफ नहीं, मगर यह तो उस ईश्वर के नाम पर ही सब कर रहे हैं, ईश्वर ने बताया कि नही बताया मगर यह खुद को ही शायद ईश्वर मान चुके ।

उसी ईश्वर के बनाए बंदों पर जुल्म ढा रहे हैं जिनके नाम पर ये जुल्म कर रहे हैं, इन्होंने कैसे ग्रांटेड मान लिया की ईश्वर के नाम पर ये जुल्म करेंगे और ईश्वर इन्हे माफ कर देगा।

ईश्वर की नजर में गुनाह गुनाह है और जुल्म जुल्म है और उसकी अदालत में इसकी सजा जरूर मिलेगी और वो ईश्वर देगा जिसके नाम पर ये जुल्म कर रहे हैं।

भगवान जरूर इनको ज्ञान देगा और इनके किए जुल्मों की सजा भी देगा जरूर देगा।

"फूल और कांटे" कविता उस बात को याद दिलाती है कि फूल कांटो में खोला था सेज पर मुरझा गया, अब उन्हीं कांटो ने फूल को तार तार कर दिया को पहले इसकी हिफाजत करते थे।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com









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