Friday, September 24, 2021

आजादी और कवि( Aazadi Aur Kavi)

Aazadi Aur Kavi
Aazadi Aur Kavi
Image from: pexels.com



आजादी की लड़ाई में कवि भी शामिल साथ खड़े थे..
राजनेताओं के साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़े थे..

आजादी के बाद भी मालूम थी..
नेताओ को उनकी विचार धारा..
दिनकर ,निराला, गुप्त ने उस समय..
शासन का द्वार खटखटाया था..
मगर उपेक्षित ही खुद को पाया था..
उचित जवाब  कभी ना शासन से आया  था..

कई कवियों ने तो खाश मुकाम भी..
शासन में खाश अनुकंपा से पाया था..
तब भी प्रशासन को नही समझा सके..
जन गण की कठोरतम पीड़ा और वेदना..
कभी किसी नेता ने ना समझी दिल से..
किसान मजदूर गरीब की मजबूर संवेदना..

आजादी के बाद ,आजादी बीते सालो बाद भी..
आज तक आखिरी जन गण तक क्यो नही पहुंची..
यह बात कवियों ने कई बार  समझी चिंता भी जताई..
और नेताओ से गंभीर विचार विमर्श कर बतलाई भी..

मगर क्यों किसी भी राजनेता को आज तक..
किसी गरीब किसान  की आह ना सुनाई दी..
आजादी रख ली समेत कर राज नेताओ ने..
अपने हिसाब से संसद में विधान सभाओं में..

कह दिया हम तो गरीब किसान मजदूर की आवाज हैं..
आए हैं उन्ही की वोट से जीत कर बड़ा ढिंढोरा पीटकर..

गरीब मजदूर किसान ने उम्मीदें बांध ली बहुत ज्यादा..
सारी जिंदगी मरते दम तक न्याय की बांट जोहता रहा..
मगर नेताओ का वोट का हिसाब किताब चुनावी गणित..
जात पात धर्म मेरी कुर्सी तेरी कुर्सी तक ही होता रहा..

नही सुनी इन नेताओ ने अपनी मस्ती से फुरसत हो ..
कभी भी वर्षों इन गरीब किसान मजदूर की हूक..
अगर आवाज उठाई किसान मजदूर ने तो तान दी बंदूक..

अब गरीब को कौन आजादी और उसका हक दिलाएगा..
नेता तो  झूठे वायदे और सपने दिखा वोट हथियाएगा..

या छोड़ दे सारी उम्मीदें हार मान चुपचाप बैठे कोने में..
गरीब गरीब ही रहे हमेशा सदियों तक गुलामी सहकर..
कोई फायदा नहीं राजनेताओं को अपना दुख कहकर..

यूं  ही बनती रहेंगी राजनेताओं की पार्टियां..
यह पार्टियां नही तथाकथित राजनेतिक गिरोह हैं..
इन्हे चाहिए सिर्फ जीत और अपनी  जीत के समारोह हैं..

एक जूट हो कर पुचकार कर साम दंड भेद अपना कर..
अपनी ही जनता को जी भर कर जब जी चाहा लूटते हैं..
कभी कोई पार्टी जीती और कभी कोई  गिरोह जीता..
हमेशा हर हाल में भाग्य किसान मजदूर के ही फूटते हैं..

नेताओ के कारण ही  मजदूर किसान के सपने टूटते हैं..
इन सब रावण कंसो से जनता को  निजात दिलाने ..
भगवान को एक बार फिर धरती पर वापिस आना होगा..

तथाकथित रावण दुर्योधनो कंसों को मिटाना होगा..
गरीब मजदूर किसान को नारायण ही अब पुछेंगे..

गरीब मजदूर किसान को दिलाएंगे जुल्मों से आजादी..
और हम सब अपने नारायण को जी भर पूजेंगे..!! 


_ जे पी एस बी 


कविता की विवेचना: 

आजादी और कवि/ Aazadi Aur Kavi कविता में आजादी के आंदोलन में कवियों की भूमिका दरसायी गई है।

आजादी के आंदोलन में उस समय के कविता ने विशेष भूमिका निभाई ,कवि भी राजनेताओं और क्रांतिकारियों
के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ लड़े थे ।

तत्कालीन कवियों में प्रमुख महाकवि निराला, नागार्जुन,दिनकर,गुप्त जी,महादेवी वर्मा, सुमिंत्रा नंदन  पंत आदि कवि थे , जिन्होंने इस समय आजादी का जोश और अलख जगाने के लिए जोशीली कवितयी लिखी।

उन कविताओं का जनता पर आजादी के प्रति जागुरता लाने में बहुत उपयोग हुआ ,और लोगों में जोश संचार हुआ।

आजादी के गीतों में  शहीद भगत सिंह द्वारा गया जाने वाला गीत मेरा रंग दे बस्ती चोला आज भी लोकप्रीय है।

आजादी के बाद भी कवियों ने देश प्रेम की बहुत कविताएं और गीत लिखे, कवि संसद में राजसभा में मनोनित हुए परंतु उनके विचारों को राजनेताओं ने महत्व नहीं दिया।

कवियों ने हमेशा चाहा की आजादी लाभ गरीब किसान मजदूरों और आखिरी आदमी तक पहुंचे ,जैसा कि हमारे बापू महात्मा गांधी चाहते थे।

मगर पत्ता नही क्यो नेताओ ने ना बापू की बात रखी ना ही कवियों की सलाह पर खाश तवाजो दी, जब बापू की बात नही राखी तो कवि क्या थे नही सुनी। 

पूंजीवाद को बढ़ावा दिया गया अमीर को और अमीर  और गरीब को और गरीब किया, और आगे बढ़ने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए जो की आज तक जारी है। 

गरीब का इस्तेमाल एक वोट बैंक के रूप में सत्ता पे काबिज होने के लिए किया जाता है ,और ढिंढोरा पीटा जाता है कि सबसे बड़ा लोकतन्त्र जो की असल में राजतंत्र ही है। 

लोकतंत्र सिर्फ चुनाव जीतने तक ही है, चुनाव जीतते ही लोकतंत्र तुरंत राजतंत्र में तब्दील हो जाता है, फिर अमीर और पूंजीपतियों की पूंजी में कैसे वृद्धि की जाए और गरीब को कौन से नए कानून बना जकड़ा जाए ,इन सब पर ही राजनेताओं का ध्यान होता है।

हाल ही में बने कृषि कानून और लेबर कानून इसका उदाहरण है और देश की संपति पूंजीपतियों को लीज पर देना और बेचना पूजीवादी गुलामी की ओर अगला कदम है, देश अब पूंजीवादियो का गुलाम होगा, लोकतंत्र शायद कागजों में ही मिलेगा।

" आजादी और कवि" कविता में कवि की भूमिका जनता में जागुरकता लाने तक ही सीमित रही ,बाद में नेताओ ने कवियों को हासिए पर रखा, नतीजा देश पूजपातियो की गुलामी की ओर जा रहा है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
Jpsb.blogspot.com
















No comments:

Post a Comment

Please do not enter spam link in the comment box

Recent Post

हमारा प्यारा सितारा (Hamara Pyara Sitara)

                        Hamara pyara sitara Image from:pexels.com  शुभ-भव्य ने.. आकाश को गौर से निहारा.. सबसे चमकते सितारे को.. प्यार से पुक...

Popular Posts