Friday, September 10, 2021

कई लोक घूमे(Kai Lok Ghume)

Kai Lok Ghume
Kai Lok Ghume
Image from: pexels.com



कई धरतिया कई लोक घूमे..
आज फिर मिल गए हैं शदियो बाद..
आओ खुशी से उछल झूमे..
एक दूसरे के हाथो को चूमे..

सोचा था एक जन्म..
दूसरे जन्मों का नही भरोसा था..
और जन्मों के बारे कभी न सोचा था..
मगर जो है हकीकत में अद्भुत..
प्यार जन्मों जन्मों का..
हमारा मिलन है सबूत..

लाखों प्रकाश वर्ष दूर कई पृथ्विया हैं..
मगर एक दूसरे की खबर किसी को ना है..
इस पृथ्वी के विज्ञानिक  कुछ भी कर ले..
आखिर कुदरत है उसके रहस्य ना जान सके..
दूसरी पृथ्वियों की दूरियां जन्मों ना तय कर सके..

एक आलौकिक शक्ति दी है भगवान ने सबको..
कुदरत के सामने जलाओ मन का दिया..
ईश्वर से मन और दिल की लो को लो मिला..
एक पल में पहुंचोगे वहा जहा की तुम सोचो..
ये दूरियां कुछ भी नही अगर कुदरत ने वर दिया..

मैं मेरी पृथ्वी की बताता हूं ..
और तुम अपनी पृथ्वी की बातें करो बयां..
मेरी पृथ्वी में उम्र कम तरह तरह की बीमारियां..
कुदरत को भुला इंसान करता आपस में लड़ाइयां..

एक पैसा और दूजा हथियार नाम की चीजे बना ली हैं..
उसी के चर्चे उसी पर खर्चे ,उसी दौड़ में सब परेशान हैं..
इस पृथ्वी को जेल रूप में बनाया है भगवान ने..
आते यहां गुनहगार जिन्हे सजा दी परवरदिगार ने..

अब तुम्हारी पृथ्वी की सुनाओ तुम दास्तान..
मेरी पृथ्वी में न उम्र की कोई सीमा ना मरना जीना..
अपनी इच्छा पर वहा जिस्म बदलती है आत्मा..
वहा नही हैं कोइ पैसा कोई अमीर गरीब नही..
सब का कद और अधिकार है एक जैसा..

वहा भूख प्यास का नही कोई लेना देना..
आलौकिक स्वाद आलौकिक व्यंजन ..
जो शब्दो में नही कर सकते बयां..
सचाई और सिर्फ सचाईं..
कही भी झूठ का नही यहां नमो निशान..

यातायात के लिए नही कोई वाहन की आव्यसक्ता..
जहां जाने की इच्छा हो इंसान पल में जा सकता..
आने जाने में नही कोई भी मजबूरिया..
इक्ष्छा शक्ति से कर सकते तय एक पल में ..
लाखो प्रकाश वर्ष की दूरियां..

पूरी तरह से जानने के लिए..
तुम्हे प्राप्त करनी होंगी आलौकिक शक्तियां..
उसके लिए करो ईश्वर की दिल और मन से भक्तियां..
अच्छा अब चलते हैं अपने अपने जहान..
मिलेंगे फिर लेकर किसी और लोक की दास्तान..!!

Kai dhartiya kai Lok ghume..
Aaj phir mil gaye hai sadiyo baad..
Aao khushi se usal jhumen ..
Ek duje ke hanthon ko chumen ..

Socha tha ek janam ..
Dusare janam ka nahi Bharosa tha..
Aur janmo ke bare me nahi socha tha..
Magar jo hai hakikat me adbhut..
Pyar janamo janamo ka..
Hamara Milan hai sabut..

Lakhon Prakash vars dur kai prithviya hai..
Magar ek duje ki khabar kisi ko na hai..
Is Prithvi ke vigyanik kuchh bhi kar len..
Aakhir kudarat hai uske rahasya na jan sake..
Dusri prithavi ki duriyan janmo tak tay kar na sake..

Ek aalokik shakti di hai bhagwan ne sabko..
Kudrat ke saamne jalao mann ka diya..
Ishwar se mann aur dil ki lo ko lo mila..
Ek pal main pahunchoge jaha ki tum socho..
Yeh duriyan kuchh bhi nahi agar kudarat ne var diya..

Mai meri Prithvi ki batata hun..
Tum tumhari Prithvi ki baaten karo byan..
Meri Prithvi main umar kam tarah tarah ki bimariyan..
Kudarat ko bhula inshan aapas me karta ladaiyan..

Ek paisa aur duja hathiyar naam ki cheejen bana li hai..
Usi par charche usi par kharche,usi doud main sab pareshan hai..
Is Prithvi ko jail ke rup main banaya hai bhagwan ne..
Aate hai yahan gunehgar jinhe di hai sajja parwar digar ne..

Ab tumhari Prithvi ki tum sunao daastan..
Meri Prithvi umar ki na koi seema na marna jeena..
Apni iksha par wahan jism badalti hai aatma..
Wahan  nahi hai koi  paisa, koi Amir Garib nahi..
Sabka kad aur adhikar hai ek jaisa.. 

Wahan bhukh pyas ka nahi koi lena dena..
Aalokik swad aur aalokik vyanjan..
 Jo shabdo main nahi kar sakte byan..
Sachai aur sirf sachai ..
Jhooth ka nahi yahan namon nishan..

Yatayat ke liye nahi vahan ki Aavyaskta..
Jahan jane ki iksha ho inshan pal main ja sakta..
Aane jane main nahi koi mazburiyan..
Iksha shakti se kar sakte tay ek pal main..
Lakhon Prakash varson ki duriyan..

Puri tarah se janane ke liye..
Tumhe prapt karni hogi aalokik shaktiyan..
Uske liye karo dil aur mann se ishwar ki bhaktiya..
Achha ab chalte hai apne apne jahan..
Milenge fir lekar kisi aur lok ki dastan..!!


_ जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

कई लोक घूमे/ Kai Lok Ghume कविता लाखो प्रकाश वर्ष दूर और पृथ्वी जैसे ग्रह जिनका अलग से सौर मंडल है अपना अपना पर आधारित है।

जैसा कि अमेरिकन स्पेस एजेंसी NASA ने kepilar 7 नाम से 7 ग्रहों का पता लगाने का दावा किया है ,जिनका अलग अलग सौर मंडल है, और NASA का अनुमान है कि ये ग्रह पृथ्वी के समतुल्य हैं, यानी वहां भी पृथ्वी जैसे लोग रहते होंगे।

ये सब खोजे गए ग्रह पृथ्वी से लाखो प्रकाश वर्ष दूर हैं, यानी जीवित मनुष्य कभी वहां तक नही पहुंच सकता ।

 अभी तक मनुष्य को ज्ञात ब्रम्हांड 45लाख प्रकाश वर्ष लंबा चौड़ा है, यह ब्रह्मांड  अनंत है किसी भी मनुष्य को पता नही चल पाया आज तक कि यह ब्रम्हांड का सुरु और अंत क्या है।

इस यूनिवर्स में लाखो आकाश गंगाएं और करोड़ो सौर मंडल हैं, देखना है कि पृथ्वी के वैज्ञानिक और कितनी जानकारी यूनिवर्स के बारे में जान पाते हैं।

 कविता में नायिका नायिका जो कभी बरसो पहले पृथ्वी पर थे किसी और ग्रह पर मिलते हैं और बहुत ज्यादा खुश होते है, दोनो अलग अलग ग्रहों पर रहते है और मिले हैं किसी तीसरे ग्रह पर, बात चीत में वे अपने अपने ग्रह के बारे जानकारी एक दूजे से शेयर करते है,जैसा कि कविता में मेंशन किया गया है।

के
"कई लोक घूमे" कविता इन लोको का भ्रमण और उस भ्रमण की विस्तार से चर्चा नायक नायिका के मध्य होती है । 

...इति..
जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com











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