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Jra si Mohabbat Image from : pexels.com |
जरा सी मोहब्बत..
जरा सी जिंदगानी..
सपने संजोना क्या है बेमानी ..
तुम्हे क्यों मिल नही सकता..
जिसकी तुमने है ठानी ..
सपने सच होने का इंतजार करते..
ख्यालों में खोए खोए..
खत्म होने को कहानी है..
अगर कोई सपना सच भी होता..
क्या मैं खुश होता..
फिर भी तो जिंदगी के आखिर में
बुढ़ापे को देख कर रोता..
कुछ तो सोचा होगा कुदरत ने अच्छा..
सपनो से भी और आगे..
यह कुदरत की मेहरबानी है..
मैं अनजान हूं शायद..
कि मौत के बाद भी जिंदगानी है ..
ऐसा है तो जल्द ही मर जाना अच्छा..
किसी और आसमान में..
किसी और धरती पर जन्म लेंगे..
है जहान जहां इससे भी है और अच्छा..
वहा ना उमर की कोई सीमा..
ना जन्म का कोई बंधन..
उजले चेहरे प्यार की निशानी है..
कुदरत का राज है वहा..
खालिश सच और सिर्फ सच..
ना राजनीति ना कोई वहा राजधानी है..
मौत के बाद का सच ..
अब तक किसी को नही पता..
वरना मरने वालों की लाइन लग जाती..
संभाल ना पाती आज की सत्ता..!!
_जे पी एस बी
जरा सी मोहब्बत/ Jra si Mohabaat कविता नायक के सपनो के बारे में है जो उड़ने संजोए थे कुछ पर हुए कुछ नही।
नायक जब बचपन से जवान होता है ,अपने आने वाले जीवन के बारे में सपने संजोता रहता है, उसमे से कुछ सपने सच हो जाते हैं कुछ अधूरे रह जाते हैं।
सच हुए सपनो पर संतुष्ट और खुश होता है, अधूरे सपनों के लिए उदास हो जाता है , अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए फिर से संकल्प लेता है।
अंत में कुछ सपने अधूरे ही रह जाते हैं, नायक सोचता है कि मौत के बाद का जीवन इस जीवन से भी और अच्छा हो।
जैसा नासा ने 7Earth खोज निकली हैं जिन्हे उन्होंने केपलर7 नाम दिया है, जो पृथ्वी से कई हजार प्रकाश वर्ष दूर हैं यानी हम यानी इंसान जीते जी उन पृथ्वी तक नहीं पहुंच सकते।
नायक नासा द्वारा खोजी उन पृथ्वियो या उन जैसी कई पृथ्वियों के बारे में सोचता है। कि उन पृथ्वी पर अपनी वर्तमान से अच्छी सुविधाएं हों ।
और नायक भी मरने के बाद उनमें से किसी एक पृथ्वी पर अपना जन्म चाहता है।और एक आलौकिक अनुभव उस पृथ्वी की जिंदगी का लेना चाहता है। जो कि इस पृथ्वी पर संभव नही है।
इस लिए नायक जल्दी मरना चाहता है ताकि उसका जन्म दूसरी पृथ्वी पर जल्दी हो और वह अपने अधूरे रह गए सपने जल्द पूरे कर सके, नई पृथ्वी के आनंद मई वातावरण का आनंद ले सके।
" जरा सी मोहब्बत" कविता में नायक के अधूरे सपने और उसकी जिंदगी की उहापोह का वर्णन है।
कृपया कविता पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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