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Mout Amar hai Image from: pexels.com |
जिंदगी है क्षण भंगुर ..
तो मौत तो अमर है..
तो आओ जीयो मौत को..
जहां कुर्बानियों का समर है..
मौत के सामने फिर कैसा डर है..
जिंदगी में सवाल बहुत हैं..
मौत के पास सारे स्वालों का हल है..
मौत तो है अपनी ..
फिर इससे क्या डरना..
जिंदगी सदा नही..
एक दिन तो है मरना..
मौत बे वफा नहीं..
ना वादा करके मुकरती है..
वक्त जहां बुलाए जरूर आती है..
जिंदगी जिस मोड़ पर पीछा छुड़ाएं..
मौत अपने पन से गले लगाती है..
जिंदगी रोज रोज..
ठोकर मारती सताती है..
मौत इंतजार कर..
मगर हक से अपनाती है,
ज़िंदगी तकलीफों का घर है,..
तो मौत सुंदर सा वर है..
ज़िंदगी में ठोकरे और खइया..
मौत के बाद..
अनंत आकाश और गहराइयों..
का समंदर है..
हुआ मौत में समाहित..
ज़िंदगी सीमित प्रभासित..
सब ओर मौत का हित..
मौत अजर अमर है..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
मौत अमर है/ Mout Amar hai कविता मृत्यु जो कि निश्चित है पर आधारित है।
जिसने जन्म लिया उसे मरना ही है, जो इस धरती पर आया जरूर वापिस जायेगा ।
मरना तय है तब भी सभी मौत से डरते हैं उसे टालने के लिए तरह तरह के उपाय करते हैं, योगा तरह तरह की दवाइयां उम्र बढ़ने के लिए खाते हैं, तब भी बुढ़ापा आता है और मौत जकड़ती है।
इस मौत को देख भी मरने वाले की नजदीकी नही समझ पाते और अपनी मौत के बचाव में लग जाते हैं।
जिंदगी में चाहे कितनी भी तकलीफ हो लोग सहते हैं , जीना चाहते है जिंदगी से और प्यार करते है, मगर मौत से बहुत डरते हैं, अपराध की भी तो कठोरतम सजा मौत है, ताकि लोग डरे और अपराध न करे ।
मगर यह अजर अमर सत्य है कि मौत अमर है, मौत की जिंदगी से गहरी प्रीत है जिंदगी को गले लगाती है और किसी ओर लोक की सैर कराती है।
मौत अपना वादा कभी नही भूलती समय पर जरूर आती है।ऐसा कभी किसी ने नहीं सुना की मौत आई ही नहीं।
शायद मौत जिस संसार में लेकर जाति है वोह संसार कितना सुनहरा है किसी ने नहीं देखा इस लिए मौत से डरते हैं, अगर वो संसार एक बार कोई देख लेगा तो हर कोई मरना चाहेगा, शायद इस लिए वो संसार भगवान ने इंसान को नही दिखाया।
"मौत अमर है" कविता में मौत में जिंदगी की संभनाए तलासती एक और जिंदगी मौत की आगोश में छुपी दिखती है जो बहुत ही हसीन है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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