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Azadi ki Bander bant Image from: picabay.com |
हमे प्रफुलित धरती और आकाश चाहिए..
गांव गांव में सबका विकास चाहिए..
हमे खुली आजादी वाला प्रकाश चाहिए..
राजनीति वालों यू बहलाओ ना हमे..
हमे भी लोकतन्त्र का एहसास चाहिए..
कुछ मुट्ठी भर लोगों ने किया क्यों..
सबकी आज़ादी के हक का हनन..
कैसे मिले गरीबी से आजादी..
यह सबको मिलकर करना है मनन..
क्या राजनीति देश का भला नहीं चाहती..
पूंजीपतियों की मुट्ठी में क्यों बंद है..
इस देश की पावन माटी..
आजादी के मतवालों फिर याद है सताती ..
वो कर गए जान कुर्बान अपनी..
आजादी के हिस्से हुए..
कुछ रसूखदार लोगो ने..
ज्यादा आजादी हड़प ली..
उनके हिस्से महल चौबारे..
पूंजी सत्ता और अधिकार ..
हमारे हिस्से भुखमरी बेरोजगारी..
अन्याय मजबूरी मुफलिसी..
कोई तो न्याय करो इस बात का..
देश की आज़ादी पर अधिकार है सबका..
फिर यह बंदर बांट किसने कर दी..
अमृत सा मिला था आज़ादी के मंथन में..
तो अमृत किसने पिया..
हमे विष क्यों कर दिया..
हमारे मन में प्यास ही प्यास भर दी..
अब देख रहा पपिहा आसमान की ओर..
पपिहा प्यासा ही क्यों रहा..
जब आजादी की बरसात भगवान ने कर दी..
भगवान के घर देर है अंधेर नही है..
फिर अंधेरी दुनिया किसने जनता की कर दी..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
आजादी की बंदर बांट/ Aazadi ki bander bant कविता आजादी के बाद अधिकारों के असमान वितरण के सदर्भ में है।
हमारे पूर्वजों ने अपनी कुर्बानियां दी शहिदिया दी अपना खून बहाया लाखो तकलीफे सही और तब यह आज़ादी हमे नसीब हुई।
मगर यह आज़ादी कुछ लोगो तक ही सीमित हो कर रह गई देश की 80% आबादी को आजादी मिली ही नही , अंगर्जो की जगह भारतीय शासन कर्ताओं ने ली। गरीब गरीब ही रहा बल्कि गरीबी और बढ़ गई।
आजादी का एक समान वितरण होता तो आज देश में कोई गरीब ,भूखा ,भिखारी ना होता।भिखारी गरीब के लिए भी यह देश आजाद हुआ है और उनका भी यह देश उतना ही है जितना किसी अमीर का है।
फिर गरीब को मिनिमम कमाई का हक क्यों नही दिया, उसे मुफ्त अच्छी शिक्षा क्यों नही उपलब्ध है , क्यों गरीब गरीब ही है ।
गरीब के लिए अच्छी स्वास्थ सुविधाएं क्यों नही हैं।
अभी करोना कल में दूसरी लहर में लाखो आम लोग ऑक्सीजन हॉस्पिटल और दवाई के अभाव में मर गए।
मगर किसी कोई परवाह नही थी उनकी।
अब शिक्षा गरीब वर्ग तो क्या मध्यम वर्ग के लिए भी दुर्लभ हो गई है, शिक्षा के व्यवसायीकरण के कारण।
आजाद देश में शिक्षा और स्वास्थ्य का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए शिक्षा और स्वास्थ का व्यवसाय बिकुल भी नही होना चाहिए , मगर हो रहा है।
भारत कृषि प्रधान देश है देश की आबादी का एक तिहाई हिस्सा गांव में रहता है, गांव में कुटीर लघु उद्योग क्यों नही लगे, जब की बापू चरखे को सांकेतिक तौर पर दिखाकर ग्रामीण उद्योग का संकेत दे रहे थे।मगर बापू की बात भी नहीं रखी गई।
"आजादी की बंदर बांट" कविता में आजादी का लाभ कुछ लोगो तक ही सिमट कर रह गया है वर्णन किया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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