Sunday, September 26, 2021

प्यार और कविता( Pyar Aur Kavita)

Pyar Aur Kavita
Pyar Aur Kavita
Image from: pexels.com



लिखूंगा मैं प्यार पर कविता..
नायक नायिका की गीता..
किसने किसको प्यार किया..
किसने प्यार में वफ़ा निभाई..

किसने किया प्यार में धोखा..
किसने किसको प्यार में मारा..
किसने दिल का सौदा किया..
प्यार के बहाने मिलते ही मौका..

किसने प्यार में वादा निभाया..
किसने अपनी जान गवाई..
किसने की बेवफाई..
किसने प्यार में लूटा..

किसने मतलब निकलते ही..
दिखाया प्रेमी को अंगूठा..
किसका प्यार था अनूठा..
किसने प्यार में हवस बुझाई..

किसने  प्यार की आश जगाई..
किसने जीवन संवार दिया..
किसने प्यार में सब वार दिया..
किसने ईश्वर की जगह दिलाई..

किसने दिल में बजाई रुबाई..
किसके गीत रोज गाते रहे..
किसे हरदम हम भाते रहे..
किसके नगमे  लुभाते रहे..

किसके सपने बुन कर..
रात गुजारी दिन ढला..
किसको चांद की आश से देखा..
किसका रूप बहुत पास से देखा..

किसके दिल में रोज झांका..
किससे खाया प्यार में झांसा..
किसके दिल में रहा प्यार हमेशा..
किसको हमने छुप छुप कर देखा..

किसकी चाहत जिंदगी में रंगत लाई..
किसकी याद में सारी जिंदगी बिताई..
किसके प्यार की छांव लगती प्यारी..
किसके बहुत पास जाने की तैयारी..

किसको देख दिल जोर से धड़का..
किसके लिए दिल में बना महल सा..
कौन है जो दिल को बहुत भाई..
कौन है जो मौत से  खींच लाई..

वही महबूबा है मेरी रूबाई..
जिसको देख मुस्कान आई..
कैसा अच्छा नसीब है मेरा..
ऐसी महबूबा जिंदगी में पाई..!! 


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

प्यार और कविता/ Pyar Aur Kavita कविता प्यार के साथ कविता से नाता दर्शाती है जो कि सदियों पुराना है।

जब जब प्यार का इजहार बयान करने की जरूरत महसूस हुई प्रेमी ने कविता,  शायरी , गीत के माध्यम से बहुत सुंदर मन लुभावने अंदाज में प्रेम का व्याख्यान किया है।

प्रेम चाहे ईश्वर के प्रति हो, मां , बहिन ,पिता,दोस्त या और कोई रिश्ता हमेशा कविता के माध्यम से व्यक्त हुआ है।

प्रेमी प्रेमिका का प्रेम अनूठा होता है क्यों की यह किसी खून के रिश्ते का मोहताज नहीं और यह दो अंजान दिलों का सबसे गहरा रिश्ता बन जाता है।

भगवान से प्यार का रिश्ता व्यक्त करने के लिए मां मीरा जी और सूरदास जी ने कविता को माध्यम बनाया और अपना अनूठा प्रेम श्री कृष्णा के लिए जताया जो अमर हो गया।मां मीरा और सूरदास भी अमर हो गए।

महाकवि कालीदास जी ने मेघदूतम में भगवान शिव और पार्वती माता का  प्रेम महाकाव्य लिखकर व्यक्त किया।

प्रेम पर संसार भर में असंख्य कविताएं हर भाषा में लिखी गई गीत लिखे गए और लिखे जा रहे हैं , और भविष्य में भी प्यार कविता के माध्यम से व्यक्त किया जाता रहेगा।

" प्यार और कविता" कविता में प्यार का कविता से सदियों पुराना नाता है और अनंत काल तक रहेगा , कविता बिन प्यार अधूरा है, प्यार को अनुपम उचाइयो तक कविता शायरी ने की पहुंचाया है कविता प्यार की रूह है, खुशबू है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com










 


लघु कविताएं ( Short Poems)

         1. हीरे की अंगूठी/ Diamond Ring

Diamond Ring

Diamond Ring




हीरे की अंगुठी...
तुझे भेट करना चाहा था...
एक चमकदार निशानी...
हो मेरी तेरे पास...
इसी बहाने रहु आस पास...
पर तंगी गुरबत ने..
इजाज़त नहीं दी...
अब मैं उम्रदराज हू...
मुझे नहीं पता ...
तुम कहा होगी...
अंगूठी की चमक मे...
तुम्हे निहारता हू...
जैसे तुम यही हो...
आस पास निहारती...!!


Hire ki anguthi..

Tujhe bhent karna chaha tha..

Ek chamakdar nishani..

Ho meri tere pas..

Isi bahane rahun aas pas..

Par tangi gurbat ne.. 

Izajat nahi di..

Ab main umardraj hun..

Mujhe nahi pata ..

Tu kahan hogi..

Anguthi ki chamak me..

Tumhe niharta hun..

Jaise tum yahin ho ..

Aas pas niharti..!!

 


जे पी एस बी
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2. मासूम ( Innocent)


Innocent birds
Innocent birds




हे ईश्वर तूने...
परिंदों जानवरो को...
मासूम बनाया...
सबका एक जैसा स्वाभाव...
एक जैसा आचरण...
सिद्धांत सचाई प्रकृति से...
पूरी तरह प्रतिबद्ध...
फिर इंसान क्यो...
भिन भिन प्रकृति के...
स्वार्थी चंडाल धोखेबाज बनाए..
जो अपनो के भी काम न आते..
काश इंसान भी मासूम बनाए होते...
तो स्वर्ग पृथ्वी पर ही होता...!!


He Ishwar Tune..

Parindo Janwaron ko ..

Maasum banaya..

Sabka ek jaisa swabhav..

Ek jaisa aacharan..

Sidhant Sachai Prakruti se ..

Puri tarah partibadh..

Phir Inshan kyo..

Bhin bhin prakruti ke..

Swarthi Chandal Dhokhebaj banaye..

Jo apno ke bhi kaam na aate..

Kash Inshan bhi maasum banaye hote..

To Swarg prithvi par hi hota..!!




जे पी एस बी

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3. जिंदगी (Life)

Life
Life


         छोटी  सी है जिन्दगी-
हर बात मे खुश रहो-

जो मिल न सका तुम्हे-
उसकी आश में खुश रहो -   

जो चेहरा पास ना हो
उसकी आवाज मे खुश रहो-

कोई रूठा हो आपसे
उसके अन्दाज मे खुश रहो-

जो लोट के नही आने वाले-
उनकी याद मे खुश रहो-

कल किसने देखा है-
अपने आज मे खुश रहो-

Chhoti si hai jindgi..

Har baat me khush raho..

 

        Jo mil nasaka tumhe..

        Uski aas me khush raho.. 


Jo chehra pas na ho..

 uski awaz me khush raho..


Koi rutha ho aap se..

Uske andaz me khush raho..


Jo loat ke nahi aane wale..

Unki yaad me khush raho..


Kal ko kisne dekha hai..

Apne aaj me khush raho..!!


JPSB 

……....…..........................................................

4. जिंदगी की धूप छांव/ Jindgi ki dhoop chhanv

Jindgi ki dhoop Chhanv
Jindgi ki dhoop chhanv


 कभी बुरी कहीं अच्छी...

मैं अपनी जिन्दगी जी रहा हूं...

बहुत शिकायते है जिंदगी से...

पर समझौते किए जा रहा हू...

मैं अपनी जिन्दगी जिए जा रहा हूं...


कभी धूप कभी छांव...

देखी है जिन्दगी में मैने...

कभी हताश कभी निराश होकर भी...

जिंदगी से प्यार किए जा रहा हू...

मैं अपनी जिन्दगी जिए जा रहा हूं...


मैंने कुछ गलतियां भूलें...

गड़बड़िया भी की है जिंदगी में...

अतीत के ...

ज़हर भरे घूंट पिए जा रहा हू...

मैं अपनी जिंदगी जिए जा रहा हूं...


जिंदगी के थपेड़ों ने...

मुझे बहुत थका दिया...

मगर साथ साथ....

एक मज़बूत इंसान बना दिया...

जिंदगी से डर कर भागूंगा नही अब...

ऐसे ही जिंदगी तुझे जिए जाऊंगा ..

और जिएं जा रहा हू ...!!


Kabhi buri kahi achhi ..

Main apni jindgi jee raha hun..

Bahut shikayte hai jindgi se..

Par samjhote kiye ja raha hun..

Main apni jingi jiye ja raha hun..


Kabhi dhup kabhi chhav ..

Dekhi hai Jindgi me maine..

Kabhi Hatash kabhi nirash hokar bhi..

Jindgi se pyar kiye ja rha hun..

Main apni jindgi jiye ja raha hun..


Maine kush galtiya bhulen..

Gadbadiyan bhi ki hai jindgi me..

Atit ke..

Jahar bhare ghunt piye ja raha hun..

Main apni jindgi jiye ja raha hun..


Jindgi ke thapedon ne ..

Mujhe bahut thka diya..

Magar sath sath..

Ek mazbut inshan bana diya..

Jindgi se dar kar bhagunga nahi ab..

Aise hi jindgi tujhe jiye jaunga..

Aur Jiye Ja raha hun..!!


_जे पी एस बी 

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5. आई ऑफ गॉड/Eye of God

Eye of God
Eye of God 
Image from: pexels.com


एक ओमाकार  सत् नाम-
एक खुदा एक भगवान -
एक ईशवर
यह एक उसकी आंख है-
एक समान देखता-
सबके लिये इन्साफ़ है-
जन जन के सुख दुख का साथी-
वो निर्स्वाथ है-
जो मागोगे मिलेगा -
सब उसके पास है-!!

Ek omkar sat-naam-
Ek khuda ek bhagwan-
EkIshwar
Yah ek uski ankh hai-
Ek saman dekhta-
Sabke liye insaaf hai-
Jan jan ke sukh dukh ka Sathi-
Woh nirswarth hai-
Jo magoge milega-
Sab uske pass hai-!!



_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

लघु कविताएं/ Short Poems : लघु कविताएं शीर्षक के अंतर्गत 05 लघु कविताएं हैं।

1.हीरे की अंगूठी/Diamond Ring 

2. मासूम /Innocent 

3. जिंदगी/Life 

4. जिंदगी की धूप छांव/Jindgi ki dhoop chhanv 

5. आई ऑफ गॉड/Eye of God

पहली कविता प्यार की यादगार हीरे की अंगूठी जो की नायक अपनी युवा अवस्था में नायक नायिका को गिफ्ट नही कर पाया अपनी गरीबी के कारण,अब हीरे की अंगूठी को देख कर नायक नायिका को याद करता है, जो कि नायक को भी नहीं पता कि नायिका इस समय कहां है।

दूसरी कविता पंछियों की मसूयत पर है,पंछियों की मासूमियत की तुलना चालक चतुर मनुष्य से की गई है।

तीसरी और चौथी कविता जिंदगी के उतार चढ़ाव, दुख सुख, खुशी गम दर्शाती है । जिंदगी में  सुख दुख आते जाते रहते हैं , मगर समय नहीं रुकता और समय के साथ साथ जिंदगी भी आगे बढ़ती जाती है अपनी मजिल की ओर धूप छांव के पड़ाव के बाद मंजिल आनी ही है।

सुंदर मंजिल का इंतजार कर हिम्मत से करना चाहिए , बीच की रुकावटों से मुकाबला करना चाहिए। 

पांचवी कविता आई ऑफ गॉड है।इस कविता में बताया गया कि ईश्वर एक है ,वो कोई किसी जाति धर्म अमीर गरीब का भेद भाव कभी नहीं करता और सबको एक ही नजर से देखता है, पृथ्वी पर सभी इंशानों को भी ईश्वर की बात माननी चाहिए और मिल जुल कर रहना चाहिए।

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... इति...

_जे पी एस बी

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Friday, September 24, 2021

आजादी और कवि( Aazadi Aur Kavi)

Aazadi Aur Kavi
Aazadi Aur Kavi
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आजादी की लड़ाई में कवि भी शामिल साथ खड़े थे..
राजनेताओं के साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़े थे..

आजादी के बाद भी मालूम थी..
नेताओ को उनकी विचार धारा..
दिनकर ,निराला, गुप्त ने उस समय..
शासन का द्वार खटखटाया था..
मगर उपेक्षित ही खुद को पाया था..
उचित जवाब  कभी ना शासन से आया  था..

कई कवियों ने तो खाश मुकाम भी..
शासन में खाश अनुकंपा से पाया था..
तब भी प्रशासन को नही समझा सके..
जन गण की कठोरतम पीड़ा और वेदना..
कभी किसी नेता ने ना समझी दिल से..
किसान मजदूर गरीब की मजबूर संवेदना..

आजादी के बाद ,आजादी बीते सालो बाद भी..
आज तक आखिरी जन गण तक क्यो नही पहुंची..
यह बात कवियों ने कई बार  समझी चिंता भी जताई..
और नेताओ से गंभीर विचार विमर्श कर बतलाई भी..

मगर क्यों किसी भी राजनेता को आज तक..
किसी गरीब किसान  की आह ना सुनाई दी..
आजादी रख ली समेत कर राज नेताओ ने..
अपने हिसाब से संसद में विधान सभाओं में..

कह दिया हम तो गरीब किसान मजदूर की आवाज हैं..
आए हैं उन्ही की वोट से जीत कर बड़ा ढिंढोरा पीटकर..

गरीब मजदूर किसान ने उम्मीदें बांध ली बहुत ज्यादा..
सारी जिंदगी मरते दम तक न्याय की बांट जोहता रहा..
मगर नेताओ का वोट का हिसाब किताब चुनावी गणित..
जात पात धर्म मेरी कुर्सी तेरी कुर्सी तक ही होता रहा..

नही सुनी इन नेताओ ने अपनी मस्ती से फुरसत हो ..
कभी भी वर्षों इन गरीब किसान मजदूर की हूक..
अगर आवाज उठाई किसान मजदूर ने तो तान दी बंदूक..

अब गरीब को कौन आजादी और उसका हक दिलाएगा..
नेता तो  झूठे वायदे और सपने दिखा वोट हथियाएगा..

या छोड़ दे सारी उम्मीदें हार मान चुपचाप बैठे कोने में..
गरीब गरीब ही रहे हमेशा सदियों तक गुलामी सहकर..
कोई फायदा नहीं राजनेताओं को अपना दुख कहकर..

यूं  ही बनती रहेंगी राजनेताओं की पार्टियां..
यह पार्टियां नही तथाकथित राजनेतिक गिरोह हैं..
इन्हे चाहिए सिर्फ जीत और अपनी  जीत के समारोह हैं..

एक जूट हो कर पुचकार कर साम दंड भेद अपना कर..
अपनी ही जनता को जी भर कर जब जी चाहा लूटते हैं..
कभी कोई पार्टी जीती और कभी कोई  गिरोह जीता..
हमेशा हर हाल में भाग्य किसान मजदूर के ही फूटते हैं..

नेताओ के कारण ही  मजदूर किसान के सपने टूटते हैं..
इन सब रावण कंसो से जनता को  निजात दिलाने ..
भगवान को एक बार फिर धरती पर वापिस आना होगा..

तथाकथित रावण दुर्योधनो कंसों को मिटाना होगा..
गरीब मजदूर किसान को नारायण ही अब पुछेंगे..

गरीब मजदूर किसान को दिलाएंगे जुल्मों से आजादी..
और हम सब अपने नारायण को जी भर पूजेंगे..!! 


_ जे पी एस बी 


कविता की विवेचना: 

आजादी और कवि/ Aazadi Aur Kavi कविता में आजादी के आंदोलन में कवियों की भूमिका दरसायी गई है।

आजादी के आंदोलन में उस समय के कविता ने विशेष भूमिका निभाई ,कवि भी राजनेताओं और क्रांतिकारियों
के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ लड़े थे ।

तत्कालीन कवियों में प्रमुख महाकवि निराला, नागार्जुन,दिनकर,गुप्त जी,महादेवी वर्मा, सुमिंत्रा नंदन  पंत आदि कवि थे , जिन्होंने इस समय आजादी का जोश और अलख जगाने के लिए जोशीली कवितयी लिखी।

उन कविताओं का जनता पर आजादी के प्रति जागुरता लाने में बहुत उपयोग हुआ ,और लोगों में जोश संचार हुआ।

आजादी के गीतों में  शहीद भगत सिंह द्वारा गया जाने वाला गीत मेरा रंग दे बस्ती चोला आज भी लोकप्रीय है।

आजादी के बाद भी कवियों ने देश प्रेम की बहुत कविताएं और गीत लिखे, कवि संसद में राजसभा में मनोनित हुए परंतु उनके विचारों को राजनेताओं ने महत्व नहीं दिया।

कवियों ने हमेशा चाहा की आजादी लाभ गरीब किसान मजदूरों और आखिरी आदमी तक पहुंचे ,जैसा कि हमारे बापू महात्मा गांधी चाहते थे।

मगर पत्ता नही क्यो नेताओ ने ना बापू की बात रखी ना ही कवियों की सलाह पर खाश तवाजो दी, जब बापू की बात नही राखी तो कवि क्या थे नही सुनी। 

पूंजीवाद को बढ़ावा दिया गया अमीर को और अमीर  और गरीब को और गरीब किया, और आगे बढ़ने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए जो की आज तक जारी है। 

गरीब का इस्तेमाल एक वोट बैंक के रूप में सत्ता पे काबिज होने के लिए किया जाता है ,और ढिंढोरा पीटा जाता है कि सबसे बड़ा लोकतन्त्र जो की असल में राजतंत्र ही है। 

लोकतंत्र सिर्फ चुनाव जीतने तक ही है, चुनाव जीतते ही लोकतंत्र तुरंत राजतंत्र में तब्दील हो जाता है, फिर अमीर और पूंजीपतियों की पूंजी में कैसे वृद्धि की जाए और गरीब को कौन से नए कानून बना जकड़ा जाए ,इन सब पर ही राजनेताओं का ध्यान होता है।

हाल ही में बने कृषि कानून और लेबर कानून इसका उदाहरण है और देश की संपति पूंजीपतियों को लीज पर देना और बेचना पूजीवादी गुलामी की ओर अगला कदम है, देश अब पूंजीवादियो का गुलाम होगा, लोकतंत्र शायद कागजों में ही मिलेगा।

" आजादी और कवि" कविता में कवि की भूमिका जनता में जागुरकता लाने तक ही सीमित रही ,बाद में नेताओ ने कवियों को हासिए पर रखा, नतीजा देश पूजपातियो की गुलामी की ओर जा रहा है।

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... इति...
_जे पी एस बी
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Thursday, September 23, 2021

जीवन नैया बिन पतवार ( Jeewan Naiya Bin Patwar)

Jeevan Naiya Bin Patwar
Jeewan Naiya Bin Patwar
Image from: pexels.com



जीवन  नैया के पतवार निकाल कर..
किस्मत को अपनी मोड़ तोड़ कर..
प्रभु तेरे सामने  हाथ जोड़ कर..
जीवन की कस्ती तेरे हवाले की..

तू  इस कस्ती को तार दे..
भवसागर करा पार दे..
जिंदगी में बहुत सारा प्यार दे..
कस्ती डगमगनाए नहीं..
मंजिल के किनारे लग जाए कही..

हे ईश्वर जिंदगी मेरी सवार दे..
किस्मत है मुड़ी तुड़ी फुटी..
तू इसे मजबूत जोड़ दे..
भाग्य का पन्ना खोल के..
कम लिखा है शायद..
लिख तू अब और दे..

तेरे बनाए ब्रमाहाण्ड में ..
मैं भी टिमटिमाता रहूं कही..
मुझे भी एक कोने में छोड़ दे..
कृपा तेरी अपार ओढ़ के..
हर पल नमन करूं तुझे..

प्रभु तू मेरे सदा साथ है..
मेरे सर पर हमेशा तेरा हाथ है..
आशीष दे बहुत बड़ा सा..
तेरे चरणों रहूं सदा पड़ा सा..

गलतियां गुनाह मेरे माफ़ कर..
मेरे साथ सच्चा इंसाफ कर..
रहूं तेरे आस पास सदा सदा..
ऐसा दिव्य दीर्घ आशीष कर..

प्रभु तुझे काम है बहुत से और..
मैं तेरा अदना सा भक्त कमजोर..
करो मेरी तरफ कुछ खास गौर..
तेरे दर्शन चाहिए मुझे हर पल और..

और कुछ नही चाहिए मुझे ज्यादा..
करता हु प्रभु तुमसे यह वायदा..
कभी भी तेरा हुकम न तालुंगा..
दिखाया तूने जो दिव्य रास्ता..
सदा उसी पवित्र रास्ते पर चालूंगा..

प्रभु भटक जाऊ कही अगर..
दिखाना मुझे सदा सही डगर..
अपने प्रिय भक्तो मुझे शामिल कर..
तेरे नजरो के सामने रहूं सदा दे वर..

प्रभु मुझे जो कुछ भी चाहिए..
तुम अंतरजामी तुम्हे सब है पता..
मेरी मुराद जल्द पूरी कर..
कम तेरे मेरे बीच दूरी कर..
तेरे गीत और तेरी स्तुति गाता रहूं..
अपना शीश सदा नवाया रहूं..
प्रभु मेरे शीश पर हांथ धर..
मेरा तू हमेशा कल्याण कर..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

जीवन नैया बिन पतवार/ Jeewan Naiya Bin Patwar कविता में नायक अपनी जीवन नैया की मंजिल भगवान के हवाले करना चाहता है और उसने ऐसा ही किया है।

नायक ने जीवन नैया के पतवार निकाल कर फेंक दिए हैं और भगवान से प्रार्थना की है कि इस जीवन नैया की मंजिल इस संसार रूपी समंदर में भगवान तय करें ।

भगवान अंतर्यामी हैं उन्हें पता है नायक की इच्छाएं ख्वाईसे जो भी है , अगर जायज हैं जो तो ईश्वर पूरी करे।

नायक ईश्वर से बहुत सारी अपेक्षाएं रखता है,वो ब्रह्मांड में तारा बनन  चाहता है,हर पल ईश्वर के सामने रहना चाहता है,हर पल ईश्वर के दर्शन चाहता है, वो ईश्वर का सबसे प्रिय भक्त बनना चाहता है।

ईश्वर और अपने बीच की दूरी खत्म करना चाहता है, ईश्वर का जवाब आए न आए भक्त ने मान लिया है कि ईश्वर ने उसकी सारी बातें सुन ली हैं और ईश्वर उसकी इच्छा जरूर पूरी करेंगे या ईश्वर ने उसकी इच्छाएं पूरी करनी सुरु कर दी है।

भक्त की जिंदगी अब जो भी होगा ईश्वर ही कर रहा है क्यों कि भक्त ने जीवन नैया की पतवार तो ईश्वर के हांथ दे दी है, और ईश्वर ने भक्त की जीवन नैया की पतवार अपने हाथ ले ली है ऐसा भक्त को विश्वास है।

अब भक्त की जीवन नैया ईश्वर ही चला रहें है, जब ईश्वर चला रहे है तो कुछ गलत अब हो नही सकता और जो भी होगा अच्छा ही होगा, क्यों कि मंजिल इस जीवन सफर की ईश्वर को पता है और उसी दिशा में जीवन नैया बढ़ रही है।

 भक्त को ईश्वर से बेहद लगाव प्रेम और विश्वास है, भक्त की दुनिया ईश्वर से सुरु होती है और ईश्वर ही खत्म होती है।ईश्वर बिन यह दुनिया ही नही है ईश्वर है तो दुनिया है।

"जीवन नैया बिन पतवार" कविता में भक्त की ईश्वर से एक तरफा बाते और उसे विश्वास है कि भगवान ने सब सुन लिया है, और उसका जीवन भगवान की दिशा निर्देशन में ही चल रहा है।

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...इति ...
_जे पी एस बी
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Sunday, September 19, 2021

मौत महबूबा है( Mout Mehbooba hai)


Mout Mehbooba hai
Mout Mehbooba hai 
Image from: pexels.com



देखा है ज़िंदगी ने..
मौत को करीब से..
हम गिड़गिड़ाए..
लगे बहुत गरीब से..

कितना भी तुम टालो..
मौत ना टलेगी ..
मौत महबूबा है..
आ गले मिलेगी..

तुम मानो या ना मानो..
मौत तेरी महबूब है..
ले जाती है साथ..
जचती भी खूब है..

डरते हो तुम क्यों..
अपने ही प्यार से..
मौत तो आनी है..
सत्य है निश्चित..
रहो तुम जाने को..
तैयार से..

तुम्हारी वो अपनी है..
प्यार अपना निभायेगी..
बेवफा वो नहीं..
तुम्हे ना रुलाएगी..
तुम्हारी हर खुशी..
उसमे ही समाई सी..

जो तुम ढूंढते रहे खुशियां..
इस सारी जिंदगी में..
उससे कहीं ज्यादा..
मौत ने संजोई हैं..

देखा है जिंदगी ने..
मौत को करीब से..
आती है ये नसीब से..
तेरे सपनो की..
कई मालायें पिरोई हैं..
तुम्हारी हर खुशी..
मौत में खोई है ..

खुशियों की इंतिहा है वहां..
जाना है तुमको जहां..
मौत तुमको ईश्वर से भी मिलाएगी..
तुम्हे उनसे ..
दया माफी और आशीर्वाद दिलाएगी..

डरो ना कभी मौत से..
करो सदा उसका इंतजार..
प्यार का तुम भी तो  ..
कुछ करो इज़हार..

मौत खुश होकर...
अपना रिश्ता निभायेगी..
उसकी आगोश में जाते ही ..
तुम्हे कई राज बताएगी..

मौत महबूबा है..
एक दिन जरूर आएगी..
डरो ना इससे..
सदा के लिए अपनाएगी..!! 

_ जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

मौत महबूबा है/ Mout Mehbooba hai कविता में जिंदगी और मौत के द्वंद का वर्णन किया है।

मौत से डर ही लगता है, हर कोई ज्यादा से ज्यादा जिंदगी  चाहता है और मौत से दूरी चाहता है, मगर हम कितना भी चाहें मौत तो आनी ही है , निश्चित है कि मरना है एक दिन।

जिंदगी में रोज रोज ठोकरे मिलती हैं ,तकलीफ़ मिलती है, तब भी हम जिंदगी को कितना प्यार करते हैं , कैसी भी हो जिंदगी जीना चाहते हैं।

 थोड़ा कुछ और समय खत्म हो चुका तब भी यही इच्छा थोड़ा सा और, चाहे कितना भी थोड़ा और करें मगर आखिरी अंजाम मौत ही है ,उसकी आगोश में ही जाना है।

फिर क्यों नही हम डर छोड़ कर मौत से ही प्यार करें, हो सकता है हम मौत से यू ही डरते हों, मौत जिंदगी से भी हसीन हो, तो जाना मौत के साथ ही है आखिर तो डर कर क्यों , मौत को प्यार करें और उसके साथ चलें।

 हमने मौत की बाद की जिंदगी देखी या जी कहां है, डर हमारी कल्पना है, मौत के बाद भी जिंदगी बहुत हसीन है, हमे जो राज जिंदगी में नही पता चल पाते मौत के बाद सारा यूनिवर्स हमारा होता है।

मौत हमारे शरीर रूपी कपड़े बदलने में हमारी मदद कराती है और भगवान से भी मिलाती है, यूनिवर्स के सारे राज बताती है, जिंदगी की ठोकरों से निजात दिलाती है।

 फिर भी हम मौत से दूर भागते हैं , डरते हैं , बल्कि मौत से जिंदगी से भी ज्यादा प्यार होना चाहिए , यही तो जिंदगी की मंजिल है, जिंदगी की सारी समस्याओं हल है, तो आओ मौत को अपनाए उसे प्यार करें, मौत का बेसब्री से इंतजार करें।

"मौत महबूबा है" कविता में आखिर मौत ही सच्ची साथी नजर आती है, जिंदगी की सारी कठनायियो जिल्लतो से छुटकारा दिलाती है , हमे बहुत अच्छे किसी लोक में लेकर जाती है। कैसे भी हो हम हमे गले लगाती है, मौत महबूबा का हर फर्ज निभाती है।

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_जे पी एस बी 
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Saturday, September 11, 2021

नन्हा फरिश्ता ( Nanha Farista)


Nanha Farista
Nanha Farista
Image from : pixabay.com



ओ नन्हे से फरिश्ते..
तू आया मुट्ठी भींचे..
मुट्ठी में हमारी तकदीर लाया..
कोमल सी सुंदर तेरी काया..
तू सबके मन को भाया..
चमक उठा हर मुखड़ा खुशी से..
जब तू दिव्य मुस्कान मुसकाया..
तेरे स्वागत में..
खुले दरवाजे हमारे दिल के
तुमसे दिल का नाता..
हम सबको है लुभाता..
ईश्वर का अनमोल वरदान तू..
आया हमारे हिस्से ..
ओ नन्हे से फरिश्ते..
सौभाग हमारा..
जुड़े जो तुमसे रिश्ते..
झूमे हम खुशी से..
ईश्वर का प्यार तू..
जो हम पर बरसाया..
भाग्य के दरवाजे खुले..
जब से तू आया..
बन गए कई रिश्ते..
मां बाबा, अजी अजोबा..
नाना नानी, मामी मामा..
काका काकी,दीदी दादा..
सबने किया मुस्करा के..
स्नेह प्यार का वादा..
ओ नन्हे से फरिश्ते..
तुमसे अपना नाता..
तुमसे लाड के रिश्ते..
खेलेंगे तुमसे ..
सुबह शाम..
 सुनाएंगे तुम्हे गुड्डा गुड्डी के..
किस्से..
कभी लोरी सुनाएंगे..
कभी कोई गीत पुराना..
तू है हमारा कान्हा..!!
#

_ जे पी एस बी  
Nanha farista pc2
Nanha farista pc2
Image:taken approval from image ownwer


कविता की विवेचना:

नन्हा फरिश्ता/ Nanha Farista कविता नए आए उस मेहमान के स्वागत में है जो दूसरे लोक का फरिश्ता है और हमारे लोक में आया है। 

नया जन्म लेने वाला हर बच्चा उस परिवार के लिए फरिश्ता ही है। वो मुठिया बंद करके उन बंद मुठिया में परिवार की तकदीर लाता है।

पूरा परिवार फरिस्ते की आगमन की खुशियों में झूम जाता है। उसके रूप रंग की प्रशंसा करता है और नन्हे फरिश्ते की निर्मल मधुर मुस्कान पर मुग्ध हो जाता है।सबको लगता है कि फरिश्ता सबके लिए कुछ न कुछ किस्मत लाया है क्यों की वह ताजा ताजा भगवान से मिल कर आया है।

नन्हा फरिश्ता भी मंद मंद मुस्कान से उनको तृप्त कर देता है और विश्वाश दिला देता है की वो उनके लिए खास भगवान का आशीर्वाद लेकर आया है।

हर किसी का मन नन्हे फरिश्ते से खेलने का मन होता है और खेलकर एक अनोखी खुशी हासिल होती है।

 मां का तो वो आंख का तारा है, मां एक पल भी अपने फरिश्ते को आखों से ओझल नहीं होने देती उसकी हर खुशी का पल पल ध्यान रखती है ,उसे तो जैसे सारे जहां की दौलत भी कही ज्यादा सब कुछ मिल गया है।

 पिता भी दिल में अरमान और गुमान लिए घूमता है कि यह फरिश्ता मेरा बेटा है मुझ से बहुत ही खास नाता है।

"नन्हा फरिश्ता " कविता में फरिश्ते के जादुई मोहपाश में आकर लिखी गई कविता है, अपने आस पास नन्हे फरिश्ते को देखे और उसे बहुत प्यार दें।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com













Friday, September 10, 2021

कई लोक घूमे(Kai Lok Ghume)

Kai Lok Ghume
Kai Lok Ghume
Image from: pexels.com



कई धरतिया कई लोक घूमे..
आज फिर मिल गए हैं शदियो बाद..
आओ खुशी से उछल झूमे..
एक दूसरे के हाथो को चूमे..

सोचा था एक जन्म..
दूसरे जन्मों का नही भरोसा था..
और जन्मों के बारे कभी न सोचा था..
मगर जो है हकीकत में अद्भुत..
प्यार जन्मों जन्मों का..
हमारा मिलन है सबूत..

लाखों प्रकाश वर्ष दूर कई पृथ्विया हैं..
मगर एक दूसरे की खबर किसी को ना है..
इस पृथ्वी के विज्ञानिक  कुछ भी कर ले..
आखिर कुदरत है उसके रहस्य ना जान सके..
दूसरी पृथ्वियों की दूरियां जन्मों ना तय कर सके..

एक आलौकिक शक्ति दी है भगवान ने सबको..
कुदरत के सामने जलाओ मन का दिया..
ईश्वर से मन और दिल की लो को लो मिला..
एक पल में पहुंचोगे वहा जहा की तुम सोचो..
ये दूरियां कुछ भी नही अगर कुदरत ने वर दिया..

मैं मेरी पृथ्वी की बताता हूं ..
और तुम अपनी पृथ्वी की बातें करो बयां..
मेरी पृथ्वी में उम्र कम तरह तरह की बीमारियां..
कुदरत को भुला इंसान करता आपस में लड़ाइयां..

एक पैसा और दूजा हथियार नाम की चीजे बना ली हैं..
उसी के चर्चे उसी पर खर्चे ,उसी दौड़ में सब परेशान हैं..
इस पृथ्वी को जेल रूप में बनाया है भगवान ने..
आते यहां गुनहगार जिन्हे सजा दी परवरदिगार ने..

अब तुम्हारी पृथ्वी की सुनाओ तुम दास्तान..
मेरी पृथ्वी में न उम्र की कोई सीमा ना मरना जीना..
अपनी इच्छा पर वहा जिस्म बदलती है आत्मा..
वहा नही हैं कोइ पैसा कोई अमीर गरीब नही..
सब का कद और अधिकार है एक जैसा..

वहा भूख प्यास का नही कोई लेना देना..
आलौकिक स्वाद आलौकिक व्यंजन ..
जो शब्दो में नही कर सकते बयां..
सचाई और सिर्फ सचाईं..
कही भी झूठ का नही यहां नमो निशान..

यातायात के लिए नही कोई वाहन की आव्यसक्ता..
जहां जाने की इच्छा हो इंसान पल में जा सकता..
आने जाने में नही कोई भी मजबूरिया..
इक्ष्छा शक्ति से कर सकते तय एक पल में ..
लाखो प्रकाश वर्ष की दूरियां..

पूरी तरह से जानने के लिए..
तुम्हे प्राप्त करनी होंगी आलौकिक शक्तियां..
उसके लिए करो ईश्वर की दिल और मन से भक्तियां..
अच्छा अब चलते हैं अपने अपने जहान..
मिलेंगे फिर लेकर किसी और लोक की दास्तान..!!

Kai dhartiya kai Lok ghume..
Aaj phir mil gaye hai sadiyo baad..
Aao khushi se usal jhumen ..
Ek duje ke hanthon ko chumen ..

Socha tha ek janam ..
Dusare janam ka nahi Bharosa tha..
Aur janmo ke bare me nahi socha tha..
Magar jo hai hakikat me adbhut..
Pyar janamo janamo ka..
Hamara Milan hai sabut..

Lakhon Prakash vars dur kai prithviya hai..
Magar ek duje ki khabar kisi ko na hai..
Is Prithvi ke vigyanik kuchh bhi kar len..
Aakhir kudarat hai uske rahasya na jan sake..
Dusri prithavi ki duriyan janmo tak tay kar na sake..

Ek aalokik shakti di hai bhagwan ne sabko..
Kudrat ke saamne jalao mann ka diya..
Ishwar se mann aur dil ki lo ko lo mila..
Ek pal main pahunchoge jaha ki tum socho..
Yeh duriyan kuchh bhi nahi agar kudarat ne var diya..

Mai meri Prithvi ki batata hun..
Tum tumhari Prithvi ki baaten karo byan..
Meri Prithvi main umar kam tarah tarah ki bimariyan..
Kudarat ko bhula inshan aapas me karta ladaiyan..

Ek paisa aur duja hathiyar naam ki cheejen bana li hai..
Usi par charche usi par kharche,usi doud main sab pareshan hai..
Is Prithvi ko jail ke rup main banaya hai bhagwan ne..
Aate hai yahan gunehgar jinhe di hai sajja parwar digar ne..

Ab tumhari Prithvi ki tum sunao daastan..
Meri Prithvi umar ki na koi seema na marna jeena..
Apni iksha par wahan jism badalti hai aatma..
Wahan  nahi hai koi  paisa, koi Amir Garib nahi..
Sabka kad aur adhikar hai ek jaisa.. 

Wahan bhukh pyas ka nahi koi lena dena..
Aalokik swad aur aalokik vyanjan..
 Jo shabdo main nahi kar sakte byan..
Sachai aur sirf sachai ..
Jhooth ka nahi yahan namon nishan..

Yatayat ke liye nahi vahan ki Aavyaskta..
Jahan jane ki iksha ho inshan pal main ja sakta..
Aane jane main nahi koi mazburiyan..
Iksha shakti se kar sakte tay ek pal main..
Lakhon Prakash varson ki duriyan..

Puri tarah se janane ke liye..
Tumhe prapt karni hogi aalokik shaktiyan..
Uske liye karo dil aur mann se ishwar ki bhaktiya..
Achha ab chalte hai apne apne jahan..
Milenge fir lekar kisi aur lok ki dastan..!!


_ जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

कई लोक घूमे/ Kai Lok Ghume कविता लाखो प्रकाश वर्ष दूर और पृथ्वी जैसे ग्रह जिनका अलग से सौर मंडल है अपना अपना पर आधारित है।

जैसा कि अमेरिकन स्पेस एजेंसी NASA ने kepilar 7 नाम से 7 ग्रहों का पता लगाने का दावा किया है ,जिनका अलग अलग सौर मंडल है, और NASA का अनुमान है कि ये ग्रह पृथ्वी के समतुल्य हैं, यानी वहां भी पृथ्वी जैसे लोग रहते होंगे।

ये सब खोजे गए ग्रह पृथ्वी से लाखो प्रकाश वर्ष दूर हैं, यानी जीवित मनुष्य कभी वहां तक नही पहुंच सकता ।

 अभी तक मनुष्य को ज्ञात ब्रम्हांड 45लाख प्रकाश वर्ष लंबा चौड़ा है, यह ब्रह्मांड  अनंत है किसी भी मनुष्य को पता नही चल पाया आज तक कि यह ब्रम्हांड का सुरु और अंत क्या है।

इस यूनिवर्स में लाखो आकाश गंगाएं और करोड़ो सौर मंडल हैं, देखना है कि पृथ्वी के वैज्ञानिक और कितनी जानकारी यूनिवर्स के बारे में जान पाते हैं।

 कविता में नायिका नायिका जो कभी बरसो पहले पृथ्वी पर थे किसी और ग्रह पर मिलते हैं और बहुत ज्यादा खुश होते है, दोनो अलग अलग ग्रहों पर रहते है और मिले हैं किसी तीसरे ग्रह पर, बात चीत में वे अपने अपने ग्रह के बारे जानकारी एक दूजे से शेयर करते है,जैसा कि कविता में मेंशन किया गया है।

के
"कई लोक घूमे" कविता इन लोको का भ्रमण और उस भ्रमण की विस्तार से चर्चा नायक नायिका के मध्य होती है । 

...इति..
जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com











फूल और कांटे ( Phool Aur Kante)


Phool Aur Kante
Phool Aur Kante
Image from: pexels.com



फूल उलझा कांटों से..
तार तार हो गया..
बिखर गई पंखड़ी पंखड़ी..
प्यार को मार दिया..

फूल स्तब्ध हैं ..
कांटो के व्यवहार से..
मार दिया उन्होंने..
जो कि पहरेदार थे..

लैला मजनू अब कहां..
सौदा अब प्यार का..
पल दो की मतलबी बात..
वादा है बस उधार का..

जब वक्त निकल गया..
तुम कहां और हम कहां..
तुमसे हम मिले थे कभी..
वादा था प्यार का..

प्यार शब्द बचा नही..
कब का मिट गया..
आतंक के सामने..
कोने में सिमट गया..

प्यार किस से करना है..
पहले उसको ताड़ते..
आई लव यू बोल कर..
फिर गोली मारते..

रूप रंग हुस्न होंठ ..
जुल्फ और आंखे..
सब गए भाड़ में..
उनकी बात में..
जो राजी नहीं..
उसे लगे मारने..

प्यार सारा व्यहस्त के ..
भेट चढ़ गया..
दौलत मोहब्बत..
सब लूट ली..
बदले में बेरहम ..
सिर्फ मौत दी..
हाय रे देश की..
कैसे किस्मत फूट गई..

मजहब धर्म के नाम पर..
लोगों का कतले आम किया ..
उस खुदा के नाम पर..
खुद को खुदा मान लिया..

जान बख्से उसी की..
जो इनकी बात मान ले..
वक्त के साथ बदले..
जो कभी इंसान थे..
काम कर रहे हैं क्यों..
सभी अब शैतान के..

खुदा अकल दे इन्हे या..
फिर जनता को इंसाफ दे..
इनके जुल्मों सितम से..
सबको निजात दे..
सज्जा दे इन्हे भी..
जो ज़िंदगी भर याद रहे..
खुद खुदा बने ना कभी..
मामूली इंसान से..!! 


_ जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

फूल और कांटे/Phool Aur Kante कविता एक आम आदमी सबसे प्रेम करने वाला और आतंकी सोच रखने वाले लोगो के बीच चल रहे द्वंद के बारे में है कि कैसे प्यार को आतंक ने तार तार  कर दिया है।

कितने दिल को छू लेते हैं लैला मजनू, हीर रांझा के किस्से जो हकीकत थे ,और प्यार की मिशाल थे, अब ऐसे किस्से ढूंढे न मिलेंगे ,लोग अपनी जीवन की परेशानियों में इतने ज्यादा उलझ गए है कि प्यार कही खो सा गया है।

और जिस जिस देश में आतंक का साया है, वहां से तो प्यार गायब हो गया है ,जिंदगी है तो प्यार है और जो आतंक मचा रहे हैं उनके दिल में प्यार होता तो आतंकी न होते, जिनके लिए दूसरे की जिंदगी लेना इतना आसान हैं कि खुद पत्थर दिल हो चुके हैं।

इन्हे भगवान, खुदा, ईश्वर का खौफ नहीं, मगर यह तो उस ईश्वर के नाम पर ही सब कर रहे हैं, ईश्वर ने बताया कि नही बताया मगर यह खुद को ही शायद ईश्वर मान चुके ।

उसी ईश्वर के बनाए बंदों पर जुल्म ढा रहे हैं जिनके नाम पर ये जुल्म कर रहे हैं, इन्होंने कैसे ग्रांटेड मान लिया की ईश्वर के नाम पर ये जुल्म करेंगे और ईश्वर इन्हे माफ कर देगा।

ईश्वर की नजर में गुनाह गुनाह है और जुल्म जुल्म है और उसकी अदालत में इसकी सजा जरूर मिलेगी और वो ईश्वर देगा जिसके नाम पर ये जुल्म कर रहे हैं।

भगवान जरूर इनको ज्ञान देगा और इनके किए जुल्मों की सजा भी देगा जरूर देगा।

"फूल और कांटे" कविता उस बात को याद दिलाती है कि फूल कांटो में खोला था सेज पर मुरझा गया, अब उन्हीं कांटो ने फूल को तार तार कर दिया को पहले इसकी हिफाजत करते थे।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com









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