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Paraya-Dost Image from:pexels.com |
एक दोस्त पुराना ..
दिल की गहराईयों में बसता है..
मन हमेशा उसे याद करता है..
उससे मिलने की इच्छा रखता है..
मगर वो दोस्त अब..
पराया सा लगता है..
भीड़ में से कोइ शक्स..
बुलाया सा लगता है..
मन बनाया कई बार..
उसे मिलने जाने का..
एक टीस सी उठती है दिल में..
शंका, पहचानेगा कि नहीं..
इरादा बदलता हूं ..
नही जाऊंगा ,अभी नहीं..
अगर भीड़ में मिल जाए कहीं..
पहचानुगा मैं उसे..
शायद वो मुझे पहचाने नही..
अजनबी से बन मिलेंगे..
फिर से एक बार दोस्ती करेंगे..
खून से भी गहरा रिश्ता ..
कैसे बन गया एकदम से पानी..
बहुत रहस्मयी है यह कहानी..
क्या हो सकती है मजबूरी..
बना ली इतनी बड़ी दूरी..
या रिश्ता बोझ लगने लगा था..
इसलिए समझा तोड़ना अच्छा..
दिल अभी भी धड़कता है..
उस दोस्त के नाम से..
उसे भी याद आते होंगे लम्हे..
जो साथ बिताए थे आराम से..
छोटी सी जिंदगानी..
दोस्ती के रिश्ते का बोझ..
सह ना सकी..
मरने से पहले..
कहो कैसे हो मेरे दोस्त..
कह ना सकी..
दोस्ती के प्यारे रिश्ते को..
मौत भी फिर मिला न सकी..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
पराया दोस्त/ Paraya Dost कविता दो जिगरी दोस्तों की कहानी है जो बाद में अनजान से हो गए।
दोस्ती का रिश्ता एक अनोखा रिश्ता जो भाई बहिन और
और ब्लड रिलेशन से अलग खास मुकाम रखता है, कई बार तो यह ब्लड रिलेशन से कही ऊपर एक दूजे के प्रति समर्पण और त्याग के कारण बन जाता है।
इतिहास में श्री कृष्ण भगवान का श्री सुदामा जी से दोस्ती का रिश्ता, जिसे कृष्ण भगवान ने बहुत समान दिया और इस रिश्ते को बहुत ज्यादा शिखर पर पहुंचा दिया जिसे आज भी हम याद करते हैं।
दूसरा ऐतिहासिक उदाहरण दानवीर कर्ण का दुर्योधन से दोस्ती निभाने और दोस्ती में दिया वचन अपना वचन निभाने का है।
जिसको कर्ण ने अपनी जान देकर पूरा किया, जब कि कर्ण को मालूम था की पांडव उसके सके भाई हैं , फिर भी उसने युद्ध अपने दोस्त दुर्योधन की ओर से पांडवो के खिलाफ किया और अपनी जान की आहुति दी ।
जब कि उनको यह भी पता था कि दुर्योधन गलत है, मगर कर्ण ने अपनी जान उस युद्ध में दोस्ती की खातिर गवाई।
मगर जैसे जैसे आधुनिक समय आता जा रहा है दोस्ती की महत्ता कम होती जा रही है, जब सगे रिश्तों की महत्ता ही नही रही अब तो दोस्ती तो दूर की बात है।
हो सकता है कुछ समय बाद दोस्ती शब्द ही खत्म हो जाए
अब दोस्ती एक फ्रेंडशिप बैंड हो कर रह गई है वो भी लड़के लड़कियों में यह विदेशी इंपोर्ट की गई दोस्ती है।
"पराया दोस्त" कविता में वर्णन जिगरी दोस्त का अनजान कारणों से अपने दोस्त से दूर चले जाना एक किस्म से भुला देना, पराया सा व्यवहार करना दोस्त को इग्नोर करना मिलने की या बात करने की इक्षा ना रखना,
हो सकता है उस दोस्त दोस्त की भी कोई मजबूरी हो कि मिलना चाहते हुए भी न मिलता हो।
मगर दिल का रिश्ता जो एक बार जुड़ जाता है मरते दम तक टुटता नहीं , जैसे इस कहानी में भी भले ये दोस्त आपस में ना मिलते हो न बात करते हो मगर याद अक्सर अपने साथ बिताए अच्छे खुसनुमा लहमो को याद करते हैं और मरते दम तक करते रहेगें, यही दोस्ती है।
"पराया दोस्त" कविता में दोस्त को पराया कहने में भी बहुत पीड़ा है उसी दोस्त विरह पीड़ा का वर्णन इस कविता में किया है।इस कविता के प्रेणना श्रोत मशहूर शायर स्वर्गीय श्री राहत इंदौरी जी हैं, कविता श्री राहत इंदौरी जी को श्रद्धासुमन अर्पित करती है।
कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति..
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
गूगल read up की मदत से कविता का audio भी सुन सकते हैं।
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