Saturday, August 28, 2021

दुनिया और भी है( Duniya aur bhi hai)


Duniya aur bhi hai
Duniya aur bhi hai
Image from:pixabay.com



इस दुनिया में आपस में लड़ने वालों..
तुमने किया कुछ गौर भी है..
इस दुनिया के आगे करोड़ो दुन्याये और भी हैं..
कई सूरज चांद अनगिनत सितारे..
इन सितारों के आगे आसमान और भी हैं..

ये दरिया समुंदरों तुफानों का शोर भी है..
इन समुंदरो के आगे अनगिनत समुंदर और भी हैं..
तुमने चांद मंगल इस सौर मंडल को मापा..
कुछ न हांथ लगा खास..
तुम्हारी साइंस खुदा के आगे कमजोर भी है..

ऐसे अनगिनत सौर मंडल और भी हैं..
तुमने राकेट अंतरिक्ष यान बहुत बनाए..
मगर तुम्हारी पहुंच कुछ भी नही कुदरत के आगे ..
नही पहुंच सकोगे कुदरत के रहस्यो तक..
चाहे लाखों सालों तक भी तुम्हारे रॉकेट भागे..

तुम्हे आजमाया था कुदरत ने..
यह पृथ्वी देकर..
तुम आपस में ही लड़ मरे..
मेरा मेरा कहकर..

अभी तो छोटी सी उम्र..
और थोड़ा सा दिमाग दिया है..
उतने में ही तुमने झमेला..
बहुत बड़ा खड़ा किया है..

खुद ही बना डाले ..
इस दुनिया की तबाही के हथियार..
लड़ाई कटाई मार काट..
थोड़ा सा भी बचाया नहीं तुमने प्यार..

अगर तुमने कुछ अच्छा किया होता..
कुदरत ने तुम्हे बहुत सी उम्र ..
और ज्यादा दिमाग दिया होता..
तुम हो गए कुदरत की परीक्षा में फेल..
तुम्हे कुदरत ने सुंदर पृथ्वी दी थी..
तुमने बना दिया इसे गंदी जेल..!!


_जे पी एस बी 


कविता की विवेचना:

दुनिया और भी है/ Duniya aur bhi hai कविता इस धरती में बढ़ रहे लड़ाई झगड़े, हथियारों की होड़ आतंकवाद , नफ़रत, पैल्यूशन पर आधारित है।

कविता के माध्यम से पृथ्वी वासियों से आग्रह किया है कि तुम्हे भगवान ने इतनी सुंदर धरती पर जन्म दिया चेहरा मोहरा दिया दिमाग दिया।

धरती दी जल, पानी, हवा ,अनाज,फल फूल, खनिज आदि लिस्ट बनाएंगे तो अनंत तक जाएगी । क्या बचा है जो नही दिया ।

और तुमने क्या किया उस धरती को नरक बना दिया , खुद को मारने के लिए खुद ही हथियार बना लिए , धरती को बुरी तरह पोलिशन से भर दिया।

यह धरती मुनष्य का व्यवहार अजमाने के लिए भगवान ने दी थी मगर मनुष्य भगवान की परीक्षा में फेल हुआ।

 मनुष्य ने मजहब और कुदरत के नाम पर एक दूजे को मारा ,दूसरे जीवों का जीना दुभर कर दिया , कई जीवों की तो नशले खत्म कर दी।

मनुष्य ईश्वर की परीक्षा में पास हु़वा होता तो उसे दूसरी पृथ्वी भी मिलती फिर हो सकता तीसरी चौथी आदि और साथ में लंबी उमर और ज्यादा दिमाग भी मिलता ।

मगर मनुष्य ईश्वर के दिए 5% से ही  इतने ज्यादा दंभ में आ गया कि कुदरत ने सोचा इसे इससे ज्यादा दिया तो और कहर ढायेगा।

इस लिए कुदरत ने देना सीमित कर दिया । और मनुष्य अभी ना सुधरा तो यह सब भी छीन लेगा हो सकता है मनुष्य इस धरती से लुप्त कर दे ईश्वर।

इस पृथ्वि से और भी बढ़कर करोड़ो पृथ्वी सूरज हैं इस ब्रह्माण्ड में जान बुझ कर कुदरत ने उनकी दूरी इतनी लंबी लाखो प्रकाश वर्ष में रखीं कि जीते जी मनुष्य वहा कभी नहीं पहुंच पाएगा।

अब तो नासा ने करोड़ो में से  7 पृथ्वी ढूंढ ली हैं।मगर वहा तक जीते जी मनुष्य का जाना असंभव है।
अगर मनुष्य इस पृथ्वी पर इतने खुराफात न करता तो उसे और पृथ्वी भी मिलती थी, मगर अब नही।

"दुनिया और भी है" कविता में मनुष्य को यही आगाह किया गया की और खुराफात मत कर एक दूजे को मत मार सुधार जायेगा तो कुदरत से बहुत कुछ पाएगा।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी

jpsb.blogspot.com

















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