Monday, August 16, 2021

जिन्दगी बोझ है( Life is Burden)

Life-is-Burden
Life is Burden
Image from: pexels.com



जिन्दगी बोझ है ..
लगता क्यों रोज है..
जुल्म सहते सहते..
डर कर गलत को..
सही कहते कहते..

आजादी से पहले भी..
अगर जुल्म की खिलाफत..
ना कर डर कर चुप रह जाते..
गलत को गलत ना कहते..
आज भी हम गुलाम ही रहते..

मुगलों अंग्रेजो की ..
गुलामी के बाद अब..
पूंजी पतियों की गुलामी..
देख रहे है हम होते..
धिरे धिरे जा रहे है हम..
यह लोकतंत्र खोते..

135करोड़ जनता का ..
मुकद्दर चंद नेता ..
पूंजीपतियों के आदेश पर..
लिख देंगे उनके पक्ष का होते..
हम रह जायेंगे सोते..

लोकतंत्र  राजतंत्र में ..
बदल रहा है चुपके चुपके..
देख रहे हैं हम आम जनता की..
उपेक्षा होते होते..
और हम जा रहे हैं..
अब अपना वोट का हक भी खोते..

जब तक नींद से जागेगी जनता..
बहुत देर हो जायेगी..
हम रह जाएंगे पस्तताते ..
और हाथ मल कर रोते..

अब फिर कौन हमे ..
आज़ाद कराएगा अपनी कुर्बानी देके..
क्यों कि अब तक..
भगत सिंह और चंद्रशेखर..
वापिस नही लौटे..

हम खुद पहन रहे हैं..
गुलामी की जंजीरों को..
अपना विश्वाश और यथार्थ खोते..!!

_ जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

जिंदगी बोझ है/ Life is burden कविता जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के बारे में वर्णन करती है।

देश में कोई भी नया कानून बनता है तो जनता को उसके बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।विभन्न प्रकार के प्रसार माध्यमों से जनता की राय उस कानून के बारे में लेनी चाहिए। प्रमुख अखबारों वेब साइट्स और
 टेलीविजन माध्यम  से जनता तक नए कानून के बारे में जानकारी होनी चाहिए और नए कानून को पास करने करने के लिए देश भर में पंचायत स्तर तक वोटिंग होनी चाहिए।

अभी तक अगर ऐसी व्यवथा नही है तो इसे बनाना चाहिए क्यों की ऐसा नहीं होना जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।

अभी हाल में कुछ कानून अध्यादेसो द्वारा पास कर दिए गए मगर जनता को पता ही नही इनके बारे में ,जैसे कृषि कानून और लेबर कानून, कृषि कानूनों का देश भर में किसान विरोध कर रहे हैं, लेबर कानूनों का अभी तक जिन पर लागू होने है उसी लेबर को पता नही है।

बाद में इन कानूनों की आड़ में लेबर का शोषण औधोग पतियों और पूंजीपतियों द्वारा होगा और उस लेबर की कोई सुनवाई नहीं होगी।

अंग्रेजो के जमाने के कानूनों को अंग्रेजो में अपना हित साधने के लिए बनाए थे रद्द कर देने चाहिए और आजाद भारत के अनुसार कानून बनाने चाहिए, पोलिस कानून भी अंग्रेजों के जमाने के है जो उन्होंने जनता का दमन करने के लिए बनाए थे । पुलिस कानून भी नए सिरे से आजाद भारत के अनुरूप बनाने चाहिए।

" जिंदगी बोझ है" कविता में जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का वर्णन किया गया है। चंद लोग 135करोड़ जनता के अहित करने वाले कानून बना दे या असमाजिक तत्व अगर गलती से संसद पहुंच जाता है और अधिकार हासिल कर लेता है तो देश के लोकतंत्र का बहुत बड़ा अहित हो जायेगा ।

और गांधी जी का आज़ाद भारत का सपना चूर चूर हो जायेगा।बहुमत गरीब किसान मजदूरों का है बहुमत के अनुसार और लोकतांत्रिक नियमों के अनुसार अधिकतर कानून इनके फेवर में होने चाहिए जो कि नही है।

 ज्यादातर कानून पूंजीपतियों के पक्ष में है उनमें भी सुधार करना चाहिए और सच्चा लोकतंत्र स्थापित करना चाहिए।

"जिंदगी बोझ है" कविता में आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का वर्णन है, कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com







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