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Life is Prison Image from: pexels.com |
हमे क्यों लगता है कि..
जिंदगी एक जेल है..
शरीर रूपी पिंजरे में..
आत्मा बंद कर दी..
और उसमें भूख प्यास..
और कई संवेदनाएं भर दी..
पूरी जिंदगी इन संवेदनाओं..
को पूरा करने में चली जाती है..
थक कर सांस भी नही ले पाते..
कि मौत नजदीक आ जाती है..
जब मौत का डर सताता है..
तो भगवान की याद आती है..
फिर मंदिर मंदिर दर्शन और..
सुबह शाम भगवान की आरती है..
भगवान ने किसी को..
अच्छी शकल सूरत दी..
किसी को सुरीली आवाज दी..
किसी को दिमाग और अनोखी..
अकल दी, और किसी को ..
प्यार मोहब्बत दी..
किसी को लंबी उम्र दी..
और किसी को जल्द ही मार दिया..
किसी को दौलत अपार दी..
और किसी को दाने दाने के..
लिए तरसाया मोहताज किया..
किसी को बनाया सबका सिरमौर..
कोई चरा रहा किसी के ढोर्..
किसी को राजपाट दे राजा बनाया..
उस राजा ने जनता को बहुत सताया..
किसी ने दी गई रूप रंग आवाज़ से..
खूब नाम और पैसा कमाया..
और कोई हर आम चीज के लिए तरसा..
सड़को पर भीख मांगता नजर आया..
कई सितारे इस जमीन पर बने..
बहुत चमके और ओझल हो गए..
कोई दीपक जल भी ना पाया..
उसने सिर्फ धुवां ही उड़ाया..
किसी को अपार सुख भोग दिए..
किसी के नसीब दुखो से भर दिए..
मैं नादान हूं प्रभु बताए क्यों किया ऐसा..
क्यों बनाया सबसे बड़ा ये पैसा..
क्यों इस शरीर रूपी पिंजरे में..
हमारी जान फसाई..
बचपन जवानी बुढ़ापा रूप दिया ..
और अंत में सब छीन लिया..
और फिर मौत भी आई..
भगवन तूने काहे को ये दुनिया बनाई ..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
जिंदगी जेल है/ Life is Prison कविता में मनुष्य की लाइफ को कवि ने कैद महसूस किया है।
कवि इन्सान को जो शरीर भगवान ने आबंटित किया है उसको एक पिंजरा माना है और आत्मा उसमे कैद है।
इस शरीर को भूख प्यास ठंडी गर्मी लगती है , दिमाग और दिल भी शरीर में हैं उसमे भावनाएं दुख दर्द प्यार ख्वाइसे आदि भी भरी हैं।
इन भावनाओ को और भूख प्यास को पूरा करते करते पूरी जिंदगी लग जाती है आदमी थक जाता है मगर इस शरीर की मांगे पूरी नहीं कर पाता और उसका चेहरा शरीर धीरे धीरे कमजोर और अपनी सुंदरता खोने लगता है , और फिर मौत भी आ जाती है।
आत्मा को इस पिंजरे में क्यों कैद किया , क्यों नही आजाद रहने दिया , साथ में भूख प्यास बीमारियां और कई तरह की भावनाओं में बांध दिया, भगवान ने इंसान को ऐसी उलझनों में क्यों डाला और यह दुनिया बना डाली , कई पिंजरे दिखते हैं इंसान और जीव जंतु पशु पंक्षी के रूप में घूमते हुए।
" जिंदगी जेल है" कविता में कवि भगवान से यही जानना चाहता की आखिर यह दुनिया उन्होने क्यो बनाई और इंसान को शरीर रूपी पिंजरे में क्यों बंद किया ।
कविता को पढ़े और कृपया शेयर करें ।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
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