![]() |
Juban Khamosh hai Image from: pexels.com |
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
इशारा किया है कि बुझदिल है हम..
ढायो हम पर तुम कितने भी सितम..
सिसकेंगे ना हम तुम्हारी लेते कसम..
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
तुम राज करो बे कायदा..
हमारा है तुम से वायदा..
आवाज न उठेगी कभी विरोध में..
जी भर कर उठाओ इसका फायदा..
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
इरादा तुम्हारा जो कुछ भी हो..
बस हमे कोई तकलीफ ना दो..
हम चुप है तुम्हारे सदा से मुरीद हैं..
नतमस्तक हैं तुमसे दया की उम्मीद है..
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
बदल डालो चाहे तुम ..
सारे नियम कानून..
करो जो जी चाहे जितना भी है जनून..
नियमों का कोई भी ना पूछेगा मजबून..
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
तुम खुश हो जिसमे तुम्हे खुली छूट है..
लूट लो चाहे जितना राम नाम की लूट है..
फिर भी हम जय जयकार तुम्हारी करेंगे..
यही करता अब हम सबको शूट है..
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
इसारा किया शिकारी आ..
मुझे दबोच या मारकर खा..
वादा है ना होगा कोई विरोध दर्ज..
चाहे कितना भी हो जिस्मानी दर्द..
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
गुलामी की जंजीरें खुद ही पहन ली..
जान बख्श दो बहुत ज्यादा डरते हैं..
यूं तो अपने देश पर हम दिलों जा से मरते हैं..
हिमंत दगा दे गई डर डर देश को प्यार करते हैं..
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
पर बचना देश भक्तों से जब लोट आए कभी..
जान लूटा देंगे वो देश पर मिटा कर अपना सभी..
क्यों कि इरादा उनका भी देश के प्रति मजबूत है..
जुबां खामोश ने..
चुप्पी ने होश में..
गुलामी की जंजीरों को तोडा था पहले भी..
उनकी अपनी उनकी जान हथेली पर थी..
आजादी के परवाने मौत से डरते नहीं कभी..
यही उनकी रीत है मौत से उनकी गहरी प्रीत है..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
जुबां खामोश है/ Juban khamosh hai कविता में जहा तानाशाही शासन होता है, जनता पर तरह तरह के जुल्म होते है अगर जनता तानाशाह की हा में हां नही मिलाती उस तानाशाही शासन का वर्णन कविता में किया गया है।
तानाशाही शासन के विश्व में कई उदाहरण हैं उनमें से सबसे प्रसिद्ध हिटलर है, हमारा देश भी बरसों मुगलों और अंग्रेजों का गुलाम रहा है, और हजारों लाखों कुर्बानियों और शहिदियो के बाद हमे आजादी नसीब हुई है।
तानाशाही का ताजा उदाहरण अफगानिस्तान है।तानाशाह अपने ही देश वाशियो की आज़ादी छीन कर उनकी जिंदगी नरक बना देते हैं , चंद लोग अपनी सोच करोड़ों लोगों पर थोपते हैं, और लोक जान और सजा के डर से यह सब सहने को बजबूर हो जाते हैं।
ऐसी तानाशाही से देश का बहुत बड़ा नुकसान होता है , देश बर्बाद हो जाता है , नागरिकों की जिंदगी जानवरो जैसी हो जाती है।अफगानितान इसका ताजा उदाहरण है।
कभी यही तानाशाही लोकतांत्रिक देशों में भी आ जाती है जब गलत लोग चुनाव जीत कर सता में आ जाते हैं , जैसे पाकिस्तान में भी तानाशाही कभी हावी रहती है, मैनम्यार में भी तानाशाही शासन है।
लोकतांत्रिक देशों में भी शासक अपने पक्ष में नए कानून बनाकर या उनमें संशोधन करके एक तरह से तानाशाही चुपके से अपना लेते हैं, देश के नागरिकों को पता भी नही होता कि कब कौन सा कानून बना कर लागू कर दिया गया है जो कि जनता के अधिकारों का हनन करता है।
जब कि जनता को कानून बनने से पहिले उसकी जानकारी दी जानी चाहिए और जनता की राय भी नए कानून के पक्ष विपक्ष में लेनी चाहिए ,सबकी सहमति और व्यापक वोटिंग पंतच्यात स्तर तक होकर ही नया कानून लागू होना चाहिए , मगर कई बार ऐसा नहीं होता और कानून बन कर लागू हो जाते है ,जैसे कृषि कानून , इस तरह भी आंशिक तानाशाही कर दी जाती है , मगर लोकतंत्र में विरोध का अधिकार जनता को है।
मगर पूर्ण तानाशाही में कोई भी अधिकार नही होता सीधा सजा और मौत बिना ट्रायल होती है , हिटलर और अफगानिस्तान ताजा उदाहरण हैं।
"जुबां खामोश है" कविता में इसी तानाशाही का दर्द आम नागरिकों के माध्यम से व्यक्त किया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
कृपया और कविताओं के लिए jpsbblog.com को Visit करे।
... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
No comments:
Post a Comment
Please do not enter spam link in the comment box