Wednesday, July 7, 2021

मां का प्यार(Maa ka Pyar)


MAA ka pyar
Maa ka Pyar
Image from: pexels.com


सारा प्यार भरा मां के दिल में..
मां का दिल बच्चों के दिल में..
बच्चो का दिल ईश्वर के दिल में..
ईश्वर का दिल किसके दिल में..
कोई जाने ना..

बच्चें  प्यार मांगें मां के दिल से..
मां मांगे ईश्वर के दिल से..
ईश्वर मांगे कौन से दिल से..
कोई जाने ना...

मां से बिछड़ कर बच्चे तरसे..
नन्हे दिल रह गए बिखर के..
अनाथ की सुध लगाए किधर से..
अनाथ होने का दर्द कोई जाने ना..

मां का प्यार ता उम्र बच्चों पर बरसे...
कोई आफत ना हो बच्चों के सर पे..
मां बच्चों के लिए ईश्वर से बढ़ के..
ईश्वर की माया तो कोई जाने ना...

मां का हर पल बच्चों पर निशावर..
मां के होते फिर किसका डर..
मां मांगे ईश्वर से बच्चो के लिए वर..
ईश्वर की भी मां पर अपार मेहर..
मां का रिश्ता ईश्वर से कोई जाने ना..

मां का दिल बच्चो के लिए बडा है..
हर मुसीबत में मां का आशीष खड़ा है..
ईश्वर ने भी मां की ममता को देखा है..
मां का स्नेह दुलार हर बच्चे को पता है..
इस महिमा को और कोई जाने ना...

मां फानूस बनके अपने जाय की रक्षा करे..
अपने जाय की खातिर जान  निशावर करे..
ईश्वर भी हर पल मां के साथ खड़े..
मां और बच्चे के इस बंधन को कोई जाने ना..

मां ने अपने जाय के लिए अनगिनत त्याग किए..
अनगिनत दुख तकलीफ कष्ट मुस्करा के सहे..
उफ्फ ना की शिकवा न किया ना किसी से कहे..
मां के इस अनूठे त्याग को औलादे भी जाने ना...

औलाद बूढ़ी भी हो जाए मां के लिए छोटा बच्चा ही है...
मां का प्यार औलाद के लिए पवित्र अच्छा ही है..
मां अपनी सारी उमर औलादों पर लगा दे..
औलादों की  लंबी उम्र का राज कोई जाने ना...

मां की अंतिम इच्छा सिर्फ अपने बच्चो की चिंता..
ईश्वर से भरकश रही जता भले मेरी तू जला चिता..
 प्रभु ,एक वचन निभा मेरे बच्चे को हर  बला से बचा..
वचन लिए बगैर ईश्वर से मां माने ना...

ईश्वर भी झुकता है मां की ममता के आगे..
वो भी मां यशोदा और मां कोशल्या के लाल थे..
मां की महिमा और ममता प्रभु अच्छे से है जानते..
मां का एक ऊंचा दर्जा ईश्वर के सिवा कोई जाने ना..!!


_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

मां का प्यार कविता ,मां के प्यार की सर्वोच्चता महता को महसूस करते हुए चित्रित करने की कोशिश है।

मां के प्यार को ईश्वर ने स्वयं सबसे ऊपर माना है,ईश्वर स्वयं मां यशोदा और मां कोसल्या की गोद में खेले हैं।

मां और बच्चा दो जिस्म एक जान होते है , मां बच्चे का प्यार निस्वार्थ और सच्चा है।भगवान ने भी मां को खुद से ऊंचा दर्जा दिया है।

मां का प्यार का कविता में मां के प्यार की महता और श्रेष्ठता को स्वयं के महसूस करते हुए दर्शया है।

... इति...

_जे पी एस बी 
jpsb.blogspot.com
 






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