Wednesday, April 21, 2021

कविता का ख्याल( Kavita ka khayal)

Kavita Ka khyal
Kavita Ka Khyal
Image from :pexels.com


कोरे कागज़ पर लिखकर...

नाम तेरा...

लिखने बैठा हू कविता...

शब्द उड़ते फिर रहे हैं...

तितलियों की तरह...

कि शब्द कागज़ पर...

बैठते नही...

        आते है उड़ जाते है...

        पकड़ना चाहा ...

        हाथ नही आते... 

रंग भरे कई ...

इन शब्दों की तितलियों में...

         विस्मित सा देखता हूं मैं ...

 कि कौन सा रंग ...

तेरा है मुझे नहीं पता...

पीला नीला  लाल गुलाबी ...

         फबता है तुम पर ...

अभी बहुत कुछ...

         लिखना बाकी है...

        लगता है अब....

        नाम ही तेरा काफ़ी है ...

यही पूरी कविता है..!!


Kore kagaz par likh kar..

Naam tera..

Likhne baitha hu Kavita..

Shabd udte fir rahe hai..

Titliyon ki tarah..

Ki shabd kagaz par..

Baithte nahi..

Aate hai ud jate hai..

Pakadna chaha..

 hanth nahi aate..

Rang bhare kai..

In shabdo ki Titliyon main..

Vismit sa dekhta hu main..

Koun sa rang tera hai..

Mujh nahi pata..

Pila nila lal gulabi..

Fabta hai tum par..

Abhi bahut kuchh..

Likhna baki hai..

Lagta hai ab..

Naam hi tera kafi hai..

Yehi puri Kavita hai..

_जे पी एस बी 


कविता की विवेचना:

कविता का ख्याल /Kavita ka khyal कविता एक प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका को लिखी गई कविता है या प्रेम इजहार है।

उसकी नायिका इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि प्रेमी को उसकी तारीफ में लिखने के लिए शब्द नहीं मिल पा रहे।

जब शब्द नहीं मिलते तो कवि या प्रेमी को वह तितलियों की तरह अनुभव होने लग जाते हैं, प्रेमी उन तितली बने शब्दो को पकड़ना चाहता है।

जब शब्द पकड़ में नहीं आते तो प्रेमी उनके खूबसूरत रंगो की कल्पना करता जो उसकी प्रेमिका पर बहुत फबते हैं ।

अभी भी प्रेमी की कविता पूर्ण नहीं हुई वह कई बार कई शब्द लिखकर काट चुका है शब्द उसे उसकी प्रेमिका के अनुकूल सुंदर नही मिल रहे।

 उसे खुद नही पता की उसे कौन से शब्द चाहिए या को शब्द प्रेमी को चाहिए वो शब्द अभी बने ही नहीं।

 प्रेमी अपनी प्रेमिका की तारीफ के लिए आलौकिक शब्द चाहता है जो कभी इस्तेमाल न हुए हो न ही आगे कभी इस्तेमाल हो जब वो उसकी प्रेमिका की तारीफ में इस्तेमाल हो जाएं।

प्रेमी अपने अनूठे प्यार का इजहार अनूठे ढंग से करना चाहता है और वो ढंग क्या हो उसे समझ नही आ रहा।

उधर प्रेमिका उसके संदेश और खत का बेसब्री से इन्तजार कर रही है , प्रेमिका को नही पता कि उसका प्रेमी किस ऊहा पोह्ह में फंसा है।

प्रेमिका को लगता है वो उसे उतना नहीं चाहता जितना वो प्रेमी को चाहती है , इसलिए तो कोई संदेश चिट्ठी पत्री या खत नही आया।

प्रेमिका अपने गुस्से का इजहार प्रेमी को करती है और उसके प्यार पर शक करती है।

तो प्रेमी उसे एक कोरे कागज़ पर उसका नाम लिखकर भेज देता है और कहता है मुझे तुम्हारे खूबसूरती के लायक शब्द नहीं मिले या ऐसे शब्द बने ही नही अभी और ना बनेंगे कभी जो तुम्हारी तारीफ लाइक हो ।

 इसलिए तुम्हारा नाम ही काफी है इस नाम में ही सुंदरता का उपन्यास छुपा है ।

"कविता का ख्याल" प्रेमी द्वारा प्रेमिका के लिए कविता लिखने की असमंजस और प्रेमी के प्रेमिका के लिए अथाह प्रेम की कहानी का वर्णन है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

...इति...

_जे पी एस बी

 jpsb.blogspot.com

















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