Thursday, April 15, 2021

नेचर सीन(Nature Scene)







Nature Scene
Nature Scene
Image from :pexels.com

                    

       सुबह सूर्य उदय के सुर्ख नजारे...

       लगते  हैं कितने लुभावने और प्यारे ..

       जैसे कोई दिल चुरा ले गया और मन हारे..

       किसी गोरी के मुखड़े सी खिली गोरी सुबह..

       मुख पर जैसे गोरी के शर्म की लाली है..


 बदली सी है सूर्य के सामने ...

 जैसे गोरी ने ओढ़नी मुंह में दबा ली है..

लाल सुर्ख जोड़े में जैसे दुल्हन कुमलाई सी...

सुबह सबका मुस्कान से स्वागत करती है...

फिर जवान होते होते धूप बन खिल जाती है...

नीले आसमान में बादलों की अठखेलियां..

मन को लुभा जाति है, रूई के मुलायम फाहे..

जैसे हल्के हल्के कोमलता से गालों को छूते हैं..

 नीला आसमान गहरी झील सी गहराईयों सा...

 आंखो को सुख और ठंडक पहुंचाता है... 

आराम और सुख नींद का झोंका लाता  है..

पेड़ो की ठंडी ठंडी छांव आमंत्रित करती है..

जैसे कहती हो थक गए हो सो जाओ गोद में..


सूर्य दोपहर में चांदी चारों ओर बिखेरता..

पसीने से हसीन चेहरों के मुख धोता..

और उजाला कांति फैला देता चेहरों पर..

फिर लालिमा आती शाम ढलते ढलते..

और सूर्य आहिस्ता आहिस्ता उतर जाता ..

समुंदर में फिर अगली वापिसी के लिए..


लहराती पत्तियां जैसे पास बुलाती हैं...

आ लग जा गले जैसे कह रही प्यार से..

आज़ाद पंछी आ जाते कितने प्यार से...

पेड़ो के आगोश में चहचहाते खेलते है...

एक दूजे के पूरक प्रकृति के सारे दृष..

स्वर्ग सा नज़ारा पेश करते है...

स्वर्ग यही कही है बल्कि यही है...!!


 

Nature Scene2
Nature Scene2
Image from :pexels.com



Subhah surya uday ke surkh nazare..
Lagte hain kitne lubhawane aur pyare..
Jaise koi dil chura le gaya aur ham mann hare..
Kisi gori ke mukhade si gori subhah..
Mukh par gori ke jaise sharm ki lali hai..


Badli si hai suraj ke samne..
Jaise odhani gori ne mukh main daba li hai..
Lal surkh jode main jaise dulhan kumlahi si..
Subah sabka muskan se swagat karti hai..
Phir jawan hote hote dhup ban khil jati hai..
Neele aashman main badlon ki athkhelian..
Mann ko lubha jati hai,rui ke mulayam fahe ..
jaise halke halke kolmata se galon ko chhute hain..
Neela aashman gahri jheel si gahraiyon sa..
Ankho ko sukh aur thandak pahunchata hai..
Aaram aur sukh neend ka jhonka lata hai..
Pedon ki thandi thandi chhavn amantrit karti hai..
Jaise kahti ho, thak gaye ho so jao god main..

Surya dophar main chandi charon ore bikherata..
Pasine se hasin chehron ke mukh dhota..
Aur ujala kanti faila deta chehron par..
Phir la la ima aati sham dhalte dhalte..
Surya aahista aahista utar jata..
Samunder main phir agli vapisi ke liye..

Lahlati patiya jaise pas bulati hai..
Aa lag ja gale jaise kah rahi hai pyar se..
Azad panchhi aa jate hai pas pyar se..
Pedon ki avaidh me chahchahate khelte hai..
Ek duje ke purak prakriti ke sare drisya..
Swarg sa nazara pesh karte hai..
Swarg yahi kahi hai balki yahi hai..!!


_JPSB




Nature Scene3
Nature Scene3
Image from :pexels.com



कविता की विवेचना:

नेचर सीन/ Nature Scene  कविता प्रकृति की मनमोहक छटा से मुग्ध होकर लिखी गई है।

सुबह सूर्य आगमन सुर्ख लाल जोड़े में सजी  दुल्हन की याद दिलाता है, और सामने आई बदलियां दुल्हन के दुपट्टे सी नजर आती हैं जैसे दुपट्टा ओंठो में दबा लिया हो शर्मा कर और कभी रुई सी कोमल बदलियां छू लेती हैं गालों को कोमलता से जैसे।वही दुल्हन शाम होते होते घर वापिस जाति प्रतीत होती है चांदी की पैयलिया पहने हुए। 

पंछी पेड़ो पर अठखेलियां कर रहे है चह चहा रहे हैं, खुशियां मना रहे हैं, पेड़ो की आगोश में, पेड़ भी हाथो हाथ ले रहे पंछियों को मीठे मीठे फल खिला फिर अपने गोद में लेते सुला।

कितना अपना पन कितना ध्यान प्रकृति है एक दूसरे का पूरक और इंसान पॉल्यूशन फैला इस प्रकृति को नष्ट करता जा रहा है ।प्रकृति नष्ट हुई तो इंसान खुद ही नष्ट हो जायेगा, इसकी चिंता होनी चाहिए मानव जाति को कि बचाए पर्यावरण को न करे पॉल्यूशन ।

वरना प्रकृति के साथ साथ मानव जाति भी नष्ट हो जाएगी।
" नेचर सीन" कविता में प्रकृति की सुंदरता  का वर्णन और पर्यावरण बचाने की चिंता की गई है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी

jpsb.blogspot.com


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