एक पिता के नोट्स..
उसकी बेटी को-एक लाल कमीज-
एक ऊनी जुराब-
एक नीली चुन्नी-
एक गुलाबी स्कार्फ़-
तुम्हारी याद दिलाते है-
हर पल-
तुम्हारे चिह्न -सम्भाल रखे है हमने-
परत दर परत खुलती यादे-
परिवार का भाग्य-
तुम्हारे साथ गुन्था था-
तुम्हारे दूर जाने का एह्सास-
हर पल क्त्तोचता है-
पर पास मह्सुस होती हो तुम-
हर पल-
तुम्हारी बाते और यादें अच्छी लगती है- तुमने अभी कुछ बोला हो जैसे ..
लगती कल की ही बात है..
क्या बोला था..
पूछने के लिए दी थी आवाज़ तुमको..
पूछता हूं अक्सर तुम्हारी मम्मी को आवाज देकर..
बेटू कहां है ..
कैसी है..
भूल जाता हूं अक्सर..
कि तुम कहीं और हो ..
हमसे बहुत दूर..
जहां बात हो सकती नही कभी..
यह दूरी अनन्त है..
पता नहीं कैसे मिले बात करे..
अगर पता होता तो..
कि मरकर तुम मिलोगी..
तो पहुंच जाता पल में ही..
वहां जहां तुम हो..
तुमको भी तो..
इतनी ही याद आती होगी..
हमारी..
एक पल के लिए..
तुम कभी परगट भी होती हो..
पर बात नही हो पाती..
पल में ओझल हो जाती है..
तस्वीर तुम्हारी..
आखिर क्यों..
ऐसी आंख मिचौली..
कभी सपने में भी..
बात होती है तुमसे..
खुश होता हूं मैं ..
कि पास हो तुम..
आंख खुलते ही ढूढता हूं..
यहां वहां..
कि गुम हो तुम कहां..
किस लोक में हो तुम..
जहां पहुंच सकता नही..
हमारी पहुंच से परे..
क्यों हो तुम..
कि एंजिल बन गई हो..
सुना है एंजिल..
मन चाहा हर काम कर सकते हैं..
तो तुम उड़ कर..
क्यों पास हमारे आती नही..
या मना है तुम्हे ..
अपनो से मिलना..
या परी होकर..
हमें तुमने अपना नही माना..
प्लीज एक बार ..
यह तो बताना..
आत्मा कभी मरती नहीं..
गीता में कहा है..
कृष्ण भगवान ने..
अच्छा है उम्मीद है मिलने की..
तुम्हारे जिंदा होने का एहसास मन भाता है..
अनंत काल से..
तुम थी हम थे मैं था..
फिर ये विरह कैसी..
अर्जुन भी तड़फ था..
अपने पुत्र अभिमन्यु के लिए..
भगवान कृष्ण ने मिलाया था..
अर्जुन को उसके पुत्र अभिमन्यु से..
तो फिर हम क्यों मिल सकते नहीं..
कृष्ण भगवान हमारे भी तो हैं..
उन्होंने ने ही कहा..
हर जीव में वो हैं..
पता भी नही हिलता ..
उनकी मर्जी बिना..
तो कृष्ण भगवान से कहकर ही..
हम मिले फिर..
हम तो उनसे प्रार्थना कर रहे है..
तुम्हारे तो वो नजदीक होंगे..
तुम भी तो कहो उनसे..
वो तो खबर रखते है सभी..
फिर देर किस बात की ..
भगवान की लीला वो ही जाने...
जान सकता कोई और नहीं..
सुना है भगवान के घर ..
देर है अंधेर नहीं..
तो विश्वास है मिलोगी तुम..
देर कितनी और..
वो समय ही पता चल जाता..
हम कर लेते संतोष..
इंतजार करेंगे सदियों तक..
जब कि होता नही कुछ और..
कभी लगता है..
क्यों हू मैं इतना कमजोर..
मगर यही है भगवान की रजा..
मुझे नहीं पता..
क्यों मिली है तुमसे बिछड़ने की सज्जा..
सज्जा कितनी लंबी है..
मुझे नहीं पता पर सह रहा हू..
खत्म होगा एक दिन इंतजार..
मिलूंगा जब तुमसे ना रहेगा..
मिलन की खुशी के सामने सज्जा का अहसास..
मैं मिलन की खुशी महसूस कर रहा हूं..
बेटा तेरी याद में..
जी जी के मर रहा हू..
यह बात सदियों तक चलेगी..
नही खतम करने की भी इच्छा..
बात जारी ही है तुमसे ..
और जारी ही रहेंगी सदा..
तुम्हारे जन्म के समय -
हम सब बहुत खुश थे-
सपने बुने थे हमने तुम्हारे साथ_ह्कीकत होते देखते थे हम-
तुम किन लोगो के लिये-
निकल गये दूर बहुत दूर...
कोई रास्ता वापिस नही आता-
राह हम देखे कैसे-
फिर भी देखते है हर पल-!!
Hanth se likhe huye..
Ek pita ke notes..
Uski beti ko..
Ek lal kamiz..
Ek uni jurab..
Ek neeli chuni..
Ek gulabi skarf..
Tumhari yaad dilate hai..
Har pal..
Tumhare chinh ..
Sambhal rakhe hai hamne..
Parat dar parat khulti yaaden..
Pariwar ka bhagya..
Tumhare sath guntha tha..
Tumhare dur jane ka ahsas..
Har pal katochata hai ..
Par pas mahsus hoti ho tum..
Har pal..
Tumhari baaten aur yaaden achhi lagti hai..
Tumne abhi kuchh bola ho jaise..
Lagti kal ki hi baat hai..
Kya bola tha ..
Puchhne ke liye awaz di thi tumko..
Puchhta hun aksar ..
Tumhari mummi ko awaz dekar..
Betu kaha hai ..
Kaisi hai..
Bhul jata hun aksar..
Ki tum kahi aur ho..
Hamse bahut dur..
Jahan baat ho sakti nahi kabhi..
Yah duri ab Anant hai..
Pata hi nahi ki kaise..
Milen baat karen..
Agar pta chale to..
Markar tum milogi..
Tou pahunch jata pal me hi..
Waha jahan tum ho ..
Tumko bhi tou..
Itni hi yaad aati hogi..
Hamari..
Ek pal ke liye..
Tum kabhi pargat bhi hoti ho..
Par baat nahi ho pati..
Pal me ojhal ho jaati hai ..
Tasveer tumhari..
Akhir kyu..
Aisi ankh micholi ..
Kabhi sapne me bhi..
Baat hoti hai tumse..
Khush hota hun main..
Ki pas ho tum..
Ankh khulte hi dhunta hu ..
Yaha waha..
Ki kahan gum ho tum..
Kis lok main..
Jahan pahuch sakta nahi..
Hamari pahunch se pare..
Kyu ho tum..
Ki angel ban gayi ho..
Suna hai angel..
Man chaha har kaam kar sakte hai..
Tou tum ud kar .
Pas hamare aati kyu nahi..
Ya manna hai tumhe..
Apno se milna..
Ya pari ho ke ..
Hame tumne apna nahi mana..
Please ek bar..
Yah tou batana ..
Atma kabhi marti nahi..
Geeta main kaha ..
Krishan Bhagwan ne..
Achha laga kush hu..
Tumhare jinda hone ke ahsas main..
Anant kal se tum thi..
Ham the main tha..
Phir yah virah kaisi..
Arjun bhi tarfa tha..
Apne putra Abhimanyu ke liye..
Bhagwan Krishan ne milwaya tha.
Arjun ko uske putra Abhimanyu se..
Tou phir ham kyu mil sakte nahi..
Krishan Bhagwan hamare bhi tou hai..
Unhone hi kaha hai..
Har jeev main woh hai..
Patta bhi nahi hilta ..
Unki margi bina..
Tou Krishan Bhagwan se kah kar..
Ham milen phir ..
Ham tou unse prathna kar rahe hai..
Tumhare tou najdik honge..
Tum bhi tou kaho unse..
Woh tou khabar rakhte hai sabhi..
Unhe tou patta hi hai ..
Phir der kis baat ki..
Bhagwan ki leela woh hi Jane..
Jaan sakta koi aur nahi..
Suna hai bhagwan ke ghar ..
Der hai andher nahi..
Tou vishvas hai milogi tum..
Par der kitni aur..
Woh samay hi pata chal jata..
Ham kar lete santosh..
Intjaar karenge..
Sadiyo tak..
Jab ki hota nahi kuchh aur..
Kabhi lagta hai..
Kyu hun main itna kamjor..
Magar yehi hai bhagwan ki rajja..
Pata nahi mujhe..
Ki Mili hai kyu tumse bichhadne ki sajja..
Sajja kitni lambi hai ..
Nahi pta par sah raha hun..
Khatam hoga jarur intzaar..
Milunga jab na rahega..
Milan ki khushi ke samne sajja ka ahsas..
Main Milan ki khushi anubhav kar raha hun..
Beta Teri yaad main ..
Jee jee ke mar raha hun..
Yah baat sadiya tak chalegi..
Nahi khatam karne bhi ichha..
Baat zari hi hai tumse..
Zari hi rahegi sda..
Tumhare janm ke samay..
Ham sab khush the..
Sapne bune the hamne tumhare sath..
Hakikat hote dekhte the hum..
Tum kin logon ke liye..
Nikal gaye dur bahut dur..
Koi rasta wapis bhi nahi aata..
Rah ham dekhe tou kaise..
Phir bhi dekhte hai har pal..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
यादें/ Memories कविता एक पिता की यादों का संजोंजन है जो पिता द्वारा अपनी मरहूम पुत्री के लिए लिखे डायरी के पन्नो से है।
पिता को रह रह कर अपनी प्रिय बेटी की एक एक चीज उसकी हर पल याद दिलाती है कि पिता कल्पना लोक में
चला जाता है और यह कल्पना लोक उसे बहुत भाता है जो अक्सर उसकी बिछड़ी हुई बेटी से उसको मिलता है।
पिता इस कल्पना लोक का आदि हो गया है और अक्सर अपने कल्पना लोक में ही रहना पसंद ही पसंद करता है।
वहा उसकी अक्सर उसकी बेटी से बात हो जाती है।
उसे भगवत गीता पर विश्वास है और जब श्री कृष्ण ने स्वयं गीता में कहा कि वो कण कण में हैं और सब जानते हैं उनकी इच्छा बिना पत्ता भी नही हिल सकता। और भगवान ने अर्जुन पुत्र अभिमन्यु को अर्जुन से मिलवाया था ।
पिता को विश्वास है कि कृष्ण भगवान स्वयं सब की पीड़ा जानते हैं और जरूर पिता पुत्री का मिलन कराएंगे।
"यादें" कविता में पिता द्वारा उसकी महरूम पुत्री से की गई वार्तालाप का वर्णन है और भवन कृष्ण पर अटूट विश्वास कि भगवान कृष्ण जरूर उनकी पुत्री से उनका मिलन करवाएंगे देर सवेर यह निश्चित ही होगा।
भगवान हर जगह कण कण में व्याप्त हैं उन्होंने खुद गीता में कहा है , भगवान का कहा अटूट सत्य होता है सच के सिवा कुछ नहीं। तो निश्चित ही भगवान पिता पुत्री का मिलन कराएंगे।
" यादें" कविता पढ़े और कृपया शेयर करें।
Also visit Jpsb.blogspot.com for more Poems
... इति..
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com
.................................................................................
No comments:
Post a Comment
Please do not enter spam link in the comment box