रोज़ सपने में तुम आने लगे ...
सपने मुझे भाने लगे...
सपने मुझे तड़फाने लगे...
बता दे तू हकीकत में हो कही...
आंखे बंद ही रहने दू...
ना जाग जाऊं कही...
सुखद एहसास हो रहा है..
शंका कि तू गायब ना हो जाए कही...
अब जाग कर भी सोने को जी चाहता है...
तुम में खोने को जी चाहता है...
हकीकत में जागने पर आंखें तलाशती है...
कभी एहसास भी होता है...
कही यही आस पास तुम्हारे होने का...
रात का इंतजार और बेचैनी ...
नींद आने की चाह...
क्यों कि तकनी है तेरी राह...
पर चाहकर भी नींद न आना..
क्यों कि चलता रहा सारी रात...
तुम्हारी यादों का सिलसिला..
सुबह हो गईं और मन ने कहा...
काश सपने सच होते....!!
Roj sapne main tum aane lage..
Sapne mujhe bhane lage..
Sapne mujhe tadfane lage..
Bata de tu agar Hakikat main ho kahi..
Aankhe band hi rahne du..
Jaag na jaun kahi..
Sukhad ahsas ho raha hai..
Shanka ki tu gayab na ho jaye kahin..
Ab jagkar bhi sone ko jee chahta hai..
Tum me khone ko jee chahta hai..
Hakikat main jagane par ankhe talashi hai..
Kabhi ahsas bhi hota hai..
Yahin aas pas tumhare hone ka..
Raat ka intjar aur milan ki bechaini..
Neend aane ki chah..
Kyu ki takani hai teri rah..
Par chah kar bhi neend na aana..
Kyo ki chalta raha sari raat..
tumhari yaadon ka silsila..
Subah ho gayee mann ne kaha..
Kash sapne sach hote ..!!
_जे पी एस बी
कविता की विवेचना:
सपने/ sapne कविता सपनों पर आधारित है, सपने हर किसी को आते हैं कभी अच्छे कभी बुरे , यह कविता एक अच्छे हसीन सपने का वर्णन करती है जो नायक अक्सर देखता है।
सपने कुछ जागते में देखे जाते हैं , जो कुछ लंबे लक्ष आधारित होते हैं कुछ शॉर्ट इच्छा को दर्शाते हैं यह जागते हुवे देखे जाने वाले सपने कहते हैं हम इसे ख्वाइश या इच्छा ,desire भी कह सकते हैं।
दूसरे सपने वो होते है जो हमे नींद आने पर कुदरती रूप से आते हैं जिसका कि हमें पता भी नही होता कि कौन सा सपना हमे आने वाला है।
जब कि दिन वाला सपना हम खुद तय करते हैं और देखते हैं या कल्पना करते हैं , जैसा कि पहले भी हम जिक्र कर चुके यह हमारी इच्छा होती है, जरूरी नहीं कि इच्छा पूरी हो।
यहां हम रात में स्वाभाविक रूप से आने वाले सपने की चर्चा कर रहे हैं , जो कभी कभी कल्पना से परे होते हैं , कभी बहुत अच्छे और कभी बहुत डरावने भी होते हैं , कभी डरावने सपने में हम बहुत चिलाने लग जाते हैं बहुत डर जाते है, चिलाते रहते है जब तक हमे कोई नींद से हिला कर जगा ना दे।
अच्छे और सुखद सपने में हम नींद से जगना ही नही चाहते, लगता है ये चलता ही रहे।
कविता में जिक्र किया गया सपना अच्छा सपना है और नायक इसे लंबे समय तक देखते रहना चाहता है और इच्छा करता है या दिल से चाहता है कि सपना हकीकत बन जाए और जिस नायिका का सपना वो देख रहा है वोह उसे मिल जाए ।
मगर सपना सपना ही होता है, कई बार हकीकत के दूर का आनंद भी हमे देता है जैसा कि नायक को जिक्र किए गए सपने में आनंद और बहुत अच्छा आनंद दिया और नायक इस आनंद से बहुत खुश है।और बार बार इसे देखना चाहता।
"सपने" कविता में नायक के देखे गए अच्छे सपने का वर्णन किया गया है।
कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
... इति...
_जे पी एस बी
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