Sunday, April 25, 2021

तेरी रजा ( Teri Rjja)

God's Will
God's Will
Image from :pexels.com


जीना तेरी रज़ा में..

मरना तेरी रज़ा में..

जैसा तू रखे प्रभू..

रहना तेरी रज़ा में..

 

तेरी कृपा बनी रहे हमेशा...

समय भले ही हो कैसा...

दुख में संभलना सीखा दे...

सुख में सदबुधि प्रदान करें 


सारे संसार को सुख समृद्धि दे..

कायम रहे दुनिया में भाईचारा...

कोई भी ना कहलाए बेचारा...


दुनिया के राजनेताओं को ...

विनम्रता और न्याय का मादा दें...

तानाशाही अत्याचार ना करें...

उन्हें ऐसा पक्का इरादा दें...


स्वर्ग लोक यही पृथ्वी पर हो..

कोई गरीब लाचार ना कहलाए.. 

एक दूजे के लिए अच्छे विचार हो...

सबके मन में प्यार ही प्यार हो..


कोई एक दूजे को न बांटे..

 कोई  किसी का हक ना काटे..

सबकी सच्ची उम्मीदें पूरी हो..

भगवन आपसे भी ना दूरी हो...


प्रभु आपके दर्शन हैं जरुरी..

तभी तो जीवन यात्रा होगी पूरी..

प्रभु आपकी हर आज्ञा मानेंगे...

जैसा आप चाहेंगे बनने की थानेंगें..!!

ॐ जय श्री गणपते नमः।।

ॐ नमः शिवाय ।।


Jeena Teri rajja main..

Marna Teri Rjja main..

Jaisa tuo rakhe prabhu..

Rahna Teri Rjja main ..


Teri kripa bani rahe hamesha..

Samay bhale hi ho kaisa..

Dukh main sambhalna sikha de..

Sukh main sad budhi pradan karen..


Sare sansar ko sukh samrudhi de ..

Kayam rahe duniya main bhaichara..

Koi bhi na kahlay bechara..


Duniya ke rajnetayo ko ..

Vinimerta aur nyay ka mada de..

Tanashahi atyachar na karen..

Unhe aisa pakka irada de..

Swarg Lok ho yahi par ..

Koi Garib  lachar na kahlay ..

Ek duj ke liye achhe vichar ho..

Sabke mann main pyar hi pyar aaye..


Koi ek duje ko na baate..

Koi kisi ka hak na Kate..

Sabki sachchi  ummedey puri ho..

Bhagwan aapse bhi na duri ho..


Prabhu aapke  darshan hai jaroori..

Tab bhi tou hogi jivan yatra puri ..

Prabhu aapki har agya manenge..

Jaisa aap chahe banane ki thanege..!!

Ohm  jai shree Gneshay Nashaa..||

Omh Namah shivay....||


JPSB

कविता की विवेचना:


तेरी रज़ा/ Teri Rjja कविता श्री गणेश भगवान को प्रार्थना के रूप में लिखी गई है।
गणेश भगवान का फेस्टिवल 10 sep से प्रारंभ हो रहा है जो कि 21sep तक रहेगा। 

अंतिम दिन अनतचतुर्थी होती है इस दिन गणेश भगवान की परित्माओ की भव्य शोभा यात्रा सभी प्रमुख नगरों में निकाली जाती है , और सभी गणेश भगवान की परित्माओं को जल विसर्जित कर दिया जाता है।

 और यह उधगोष किया जाता है" गणपति बप्पा मोरिया पुदचे वर्स  लव कर या। गणेश भवन जी अगले वर्ष जल्दी आएं।

 यह फेस्टिवल पूरे भारत में बहुत हरसोल्लाश से मनाया जाता है। इस फेस्टिवल की शुरुआत बाल गंगाधर तिलक जी ने महाराष्ट्र में की थी, जो कि बाद में पूरे भारत में मनाया जाने लगा, महाराष्ट्र में विशेष रूप में भव्य आयोजन किए जाते हैं।

जैसे कि दुर्गा पूजा बंगाल के लिए विशेष है , उसी तरह गणपति भगवान का उत्सव महाराष्ट्र के लिए विशेष उत्सव है।

गणपति उत्सव से भारत में त्योहारों की शुरुआत होती है जो दिवाली तक रहती है। गणपति के त्योहार से व्यापार व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है जो कि दिवाली तक रहती है।  

Teri Rjja is Prayer to Sri Ganesh Bhagwan
Asthavinayak
Image from: asthvinayak.com


श्री गणेश भगवान के बारे में जानकारी:

श्री गणेश भगवान , महादेव शिव शंकर एवम माता पार्वती जी के पुत्र हैं।इन्हे प्रथम पूज्य भगवान प्रथमेश भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य श्री गणेश भगवान की पूजा से ही प्रारम्भ होता है, इससे कार्य में भगवान श्री गणेश के आशीर्वाद से कार्य में कभी विघ्न नही आता इसलिए गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहते हैं।

श्री कार्तिक भगवान श्री गणेश के बड़े भाई हैं, गणेश भगवान की पत्नी रिद्धि और सिद्धि हैं जो कि श्री विषकर्मा भगवान की पुत्रियां हैं।

श्री गणेश भगवान के दो पुत्र शुभ और लाभ हैं उनकी पुत्री संतोषी मां हैं।

गणेश भगवान को कई नामों से संबोधित किया जाता है: उनके अन्य नाम:

 गणपति,विनायक,गजानन,गणेश्वर,गौरीनंदन,गौरीपुत्र,सिद्धिविनायक,अस्तविनायक,सुभकर्ता,सुखकर्ता, श्री गणेश, गण धिपति।

गणपति जी को चढ़ावे में दुर्वा घास, लड्डू और मोदक पसंद हैं।

गणेश भगवान की सवारी मोसक है, इसी मोसक पर उन्होंने माता पिता महादेव शिव शंकर और माता पार्वती के चक्कर लगा कर प्रथम पूज्य का वर महादेव से पाया था।

 जब उन्हें ब्रमाहंड का चक्कर लगाने को कहा था, उनका जवाब था मेरे माता पिता ही मेरा ब्रह्मांड हैं।

उनके भारत भर में कई मन्दिर हैं मुंबई का सिद्धविनायक और पुणे का दगद्दू हलवाई प्रसिद्ध मंदिरों में से हैं।

इसके अलावा अस्तविनायंक मंदिरों की श्रृंखला है जो सब महाराष्ट्र में स्तिथ हैं इन आठ मंदिरों की यात्रा शुभ मानी जाती है और भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यह यात्रा करते हैं।

अस्थाविनायक मंदिरों के नाम:

1.मयूरेश्वर _मोरगांव में स्थित 
2. सिद्धि विनायक _सिधातेक में स्थित 
3.बालेश्वर_पाली में स्थित 
4. वरद्विनायक_महाद में स्थित 
5.चिंतामणि_थेयुर में स्थित 
6. गिरिजात्मल_लेयंद्री में स्थित 
7.विघ्नहर_ओझर में स्थित 
8.महागणपति_राजनगांव में स्थित 

इन सब मंदिरों की यात्रा कई टूरिंग और ट्रैवल कंपनिया अपनी लग्जरी बसों से कराती हैं।

"तेरी रज़ा" कविता में श्री गणेश भगवान से सारे संसार की मंगल कामना की गई है, बुराइयों को हटा कर शुभ करें भगवान।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...
_जे पी एस बी
jpsb.blogspot.com




















डर ( Dar)


Fear
The Fear
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मैं डर ही जाता हू...
हमेशा...
डर कर गलतियां कर ही जाता हू...
हमेशा...
डर ही मेरी हार की वजह होती है..
हमेशा...
डर जीत से दूरी बनाता है..
हमेशा....
जब कि डर के आगे ही जीत होती है..
हमेशा..
जीत से ही दुनिया की प्रीत होती है ..
हमेशा..
यही दुनिया की रीत होती है..
हमेशा..
जो जीता है वही सिकंदर होता है..
हमेशा..
हारने वाला बनता है बंदर ..
हमेशा..
और मैं डर कर मर ही जाता हू ..
हमेशा..!!

डर मौत के अचानक ले जाने का..
डर सरकार के बार बार डराने का..
डर कभी भी करोना होने का..
डर कभी भी नोकरी खोने का..
डर पैसे के ना होने का..
डर पैसे के अभाव में जान खोने का..
डर किसी बड़ी बीमारी के होने का..
डर खर्चे बेहिसाब होने का..
डर बच्चो के भविष्य का..
डर बार बार दिल में उठती टीस का..
डर बच्चो की भारी कॉलेज फीस का..
डर किस्त न भरने पर मकान खोने का..
डर हमेशा के लिए किसी का गुलाम होने का..
डर दिल और मन में गहरा कर गया है घर..
डर से कैसे होगा छुटकारा..
डर डर कर हमेशा सोचता है मन बेचारा..
डर ने डरा डरा बार बार मारा..
डर की दिल में गहरी धमक है..
भगवान तेरी छत्र छाया है तो चेहरे पर चमक है..!!


Main dar hi jata hu..
Hamesha..
Dar kar galtiya kar hi jata hu..
Hamesha..
Dar hi meri haar ki vajah hoti hai..
Hamesha..
Dar jeet se duri banata hai..
Hamesha..
Dar ke Aage hi jeet hoti hai..
Hamesha..
Jeet se hi duniya ko preet hoti hai..
Hamesha..
Jo jitta woh hi sikander hota hai..
Hamesha..
Harne wala banta hai bander. .
Hamesha. 
Aur main Dar kar mar hi jata hu..
Hamesha..!!

Dar mout ke Achanak le jane ka..
Dar sarkar ke bar bar darane ka..
Dar kabhi bhi karona hone ka..
Dar kabhi bhi nokari khone ka..
Dar pe aise ke na hone ka..
Dar paise ke abhav main jan khone ka..
Dar kisi badi bimari ke hone ka..
Dar kharche behisab hone ka..
Dar bachcho ke bhavisya ka..
Dar bar bar dil main uthati tees ka..
Dar bachcho bhari college ki fees ka..
Dar kist na bharne par makan khone ka
Dar hamesha ke liye kisi ka gulam hone ka..
Dar dil aur mann main gahra kar gaya hai ghar..
Dar se kaise hoga chhutkara..
Dar Dar kar sochta hai mann bechara..
Dar ne Dra Dra bar bar mara..
Dar ki dil main gahri dhamak hai..
Bhagwan teri chhatra chhaya hai tou che ho re par chamak hai..

_जे पी एस बी


कविता की विवेचना:

डर/ dar कविता में नायक के जैहन में घर कर गए डर का वर्णन है।
नायक बात बात पर डरता है, जितना वोह सोचता है डर उतना ही बढ़ता जाता है, डर नायक को बहुत सताता है।

नायक को करोना होने का डर है, अचानक मौत का डर है, नोकरी खोने का डर है, यानी हर बात पर डर है। 

डर एक बहुत बड़ी नेगेटिव सोच का रिजल्ट है , हर बात को अपनी नकारत्मक सोच से जोड़ेंगे तो डर कम होने के बजाए और बढ़ जायेगा,डर को दूर भागने के लिए पॉजिटिव सोच को जीवन में अपनाना चाहिए, सोच पॉजिटिव रहेगी डर कभी पास नही फटकेगा , ज्यादा डरेंगे तो जीना दुर्लभ्य हो जायेगा  ।

पॉजिटिव काम करिए मोटिवेशनल किताबे पढ़े खुशनुमा माहौल में रहें । अकेले रहने से बचे जैसे सुझाव नायक को डर दूर करने के लिए दिए जा सकते हैं।

"डर" कविता में नायक के मन में गहराते डर का वर्णन किया है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।
...इति...
_ जे पी एस बी
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Saturday, April 24, 2021

करोना(Carona)

About Carona Pendamic in world & safety
Carona Safety
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चीन ने जना एक कपूत..

बना सबके लिए वो यमदूत...

पूरी दुनिया पर कहर बरपाया...

मौत का तांडव सब ओर मचाया ...

चारों ओर लाशों का अंबार लगाया...

लाशों पर रोने के लिए भी किसी को न बचाया..

तूने बहुत लोगों को मारा है "करोना"...

अब तुम्हारी बारी है मरने की, मरो ना...


ना करो हिंसा अहिंसा के देश में...

तुम क्यों लाए गए दानव के भेष में...

चीन ने तुमको पाला पोसा रखा प्यार से...

फिर तुम चीन से भागे फैले सारे संसार में...

क्या कमी थी चीन के प्यार में...

या उनके लिए तुम भस्मासुर बन गए...

नही रहे उनके अधिकार में...

बहुत हुआ तेरा अत्याचार करोना...

अब तू भला दुनिया का कर जा...

सारी दुनिया चाहती है ,तू अपनी मौत मर जा..!!

Chin ne jna ek kaput..

Bna sabke liye woh yamdoot..

Puri duniya par kahar barpaya..

Mout ka tandav sab ore machaya..

Charon ore lansson ka ambar lagaya..

Lasson par rone ke liye bhi kisi nahi bachaya..

Tumne bahut logon ko mara hai

 " Carona"

Ab tumahari bari hai marne ki maro na..


Na karo hinsa ahinsa ke desh main..

Tum kyo laye gaye danav ke bhes main..

Chin ne tumko pala posa rakha pyar se..

Phir tum chin se bhage faile sare sansar main..

Kya kami rah gayi thi chin ke pyar main..

Ya tum unke liye bhasmasur  ban gaye..

Nahe rahe unke adhikar main, lage unhe bhi marne..

Bahut huwa tera atyachar karona..

Ab tu bhala duniya ka kar ja..

Sari duniya chahti hai, Tu apni mout mar ja..!!


जे पी एस बी 

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" चीन जना करोना"

                             (Chin Jna Carona)


Chin jana carona
Chin jna Carona
Image from: pexels,.com



दुनिया झुक गई है करोना के सामने...

करोना जिसे हुआ हम लगे उसे मुर्दा मानने...


करोना लगातार खेल रहा मौत का खेल...

WHO और सरकारें हुई इसे रोकने में  फेल...


कोई नही जानता इसके खात्मे का तोड़...

सुपर पावर भी हुआ इसके सामने कमजोर...


दुनिया के लिए बड़ा घातक हुआ चीन जना...

कौन रोकेगा इसे जो दुनिया के लिए मौत बना..!! 


Duniya jhuk gayi hai Carona ke samne..

Carona jise huwa ham lage usie murda manne..


Carona lagataar khel raha mout ka khel..

WHO aur sarkaren huyi ise rokne main fail..


Koi nahi janta iske khatme ka toud..

Super power bhi huwa iske samne kamjor..


Duniya ke liye bada ghatak huwa chin Jna..

Koun rokega ise jo duniya ke liye mout bna..!!


जे पी एस बी 

कविता की विवेचना:

करोना/Carona कविता हेडिंग में दो कविताएं हैं । 

1.Carona/करोना 

2.Chin Jna/चीन जना

जैसा कि सारे संसार को पता है कि चीन से निकल कर करोना सारे विश्व में फ़ैल गया और लाखों लोगो की जान ले ली, लासो के अंबार लग गए , कब्रस्थान और शमशान में लासो का अंतिम संस्कार करने के लिए जगह न बची।

पूरा संसार लॉक डाउन हो गया ,लोगों के रोजगार चले गए , कारोबार बंद हो गए, प्यार विश्व में आर्थिक संकट आ गया।

जब कि बाद में इसकी वेकासिन बन गई , मगर संकट अभी टला नहीं है।

फिर दूसरी वेव आई जिसका बुरी तरह भारत में हुआ लाखो लोग ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी से तड़फ तड़फ कर बेमौत मर गए, हॉस्पिटलों में जगह की कमी हो गई , कई लोग बिना इलाज ही मर गए।

भारत में वेकेसिनेशन का काम चल रहा है। दूसरी वेव का असर अभी भी तला नहीं है, और तीसरी वेव की आंशका है।कई राज्यों में अभी भी लॉक डाउन जारी है।

अब करोना से सेफ्टी उपायों को सदा के लिए अपनाना होगा। जैसे:

1. बिना जरूरी काम बाहर न निकलना

2.बाहर निकलने पर हमेशा mask  लगाना

 3.हांथ ना मिलना गले ना मिलना

4.हमेशा अपने पास सेनेटाइजर रखना

 5.समय समय पर सेनेटाइजर से हांथ साफ करना

 6.कोई भी सिमटेम करोना का महसूस होने पर तुरंत ही जांच कराना 

7.और vaccacin जरूर दोनो doze समय पर लगाना।

इन उपायों का शक्ति से पालन कर ही हम इस महामारी से बच सकते हैं ।

"करोना" और "चीन जना" दोनो कविताओ में करोना की भयावता का वर्णन किया गया है । करोना से बचने के लिए सेफ्टी उपोयो का शक्ति से पालन करें और वेकेसिन जरूर समय पर लगाएं और करोना को इस संसार से भगाए।

Safty firt/ जान है तो जहां है।

कृपया कविता को सेफ्टी नियमों का पालन करते हुऐ पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी 

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Wednesday, April 21, 2021

कविता का ख्याल( Kavita ka khayal)

Kavita Ka khyal
Kavita Ka Khyal
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कोरे कागज़ पर लिखकर...

नाम तेरा...

लिखने बैठा हू कविता...

शब्द उड़ते फिर रहे हैं...

तितलियों की तरह...

कि शब्द कागज़ पर...

बैठते नही...

        आते है उड़ जाते है...

        पकड़ना चाहा ...

        हाथ नही आते... 

रंग भरे कई ...

इन शब्दों की तितलियों में...

         विस्मित सा देखता हूं मैं ...

 कि कौन सा रंग ...

तेरा है मुझे नहीं पता...

पीला नीला  लाल गुलाबी ...

         फबता है तुम पर ...

अभी बहुत कुछ...

         लिखना बाकी है...

        लगता है अब....

        नाम ही तेरा काफ़ी है ...

यही पूरी कविता है..!!


Kore kagaz par likh kar..

Naam tera..

Likhne baitha hu Kavita..

Shabd udte fir rahe hai..

Titliyon ki tarah..

Ki shabd kagaz par..

Baithte nahi..

Aate hai ud jate hai..

Pakadna chaha..

 hanth nahi aate..

Rang bhare kai..

In shabdo ki Titliyon main..

Vismit sa dekhta hu main..

Koun sa rang tera hai..

Mujh nahi pata..

Pila nila lal gulabi..

Fabta hai tum par..

Abhi bahut kuchh..

Likhna baki hai..

Lagta hai ab..

Naam hi tera kafi hai..

Yehi puri Kavita hai..

_जे पी एस बी 


कविता की विवेचना:

कविता का ख्याल /Kavita ka khyal कविता एक प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका को लिखी गई कविता है या प्रेम इजहार है।

उसकी नायिका इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि प्रेमी को उसकी तारीफ में लिखने के लिए शब्द नहीं मिल पा रहे।

जब शब्द नहीं मिलते तो कवि या प्रेमी को वह तितलियों की तरह अनुभव होने लग जाते हैं, प्रेमी उन तितली बने शब्दो को पकड़ना चाहता है।

जब शब्द पकड़ में नहीं आते तो प्रेमी उनके खूबसूरत रंगो की कल्पना करता जो उसकी प्रेमिका पर बहुत फबते हैं ।

अभी भी प्रेमी की कविता पूर्ण नहीं हुई वह कई बार कई शब्द लिखकर काट चुका है शब्द उसे उसकी प्रेमिका के अनुकूल सुंदर नही मिल रहे।

 उसे खुद नही पता की उसे कौन से शब्द चाहिए या को शब्द प्रेमी को चाहिए वो शब्द अभी बने ही नहीं।

 प्रेमी अपनी प्रेमिका की तारीफ के लिए आलौकिक शब्द चाहता है जो कभी इस्तेमाल न हुए हो न ही आगे कभी इस्तेमाल हो जब वो उसकी प्रेमिका की तारीफ में इस्तेमाल हो जाएं।

प्रेमी अपने अनूठे प्यार का इजहार अनूठे ढंग से करना चाहता है और वो ढंग क्या हो उसे समझ नही आ रहा।

उधर प्रेमिका उसके संदेश और खत का बेसब्री से इन्तजार कर रही है , प्रेमिका को नही पता कि उसका प्रेमी किस ऊहा पोह्ह में फंसा है।

प्रेमिका को लगता है वो उसे उतना नहीं चाहता जितना वो प्रेमी को चाहती है , इसलिए तो कोई संदेश चिट्ठी पत्री या खत नही आया।

प्रेमिका अपने गुस्से का इजहार प्रेमी को करती है और उसके प्यार पर शक करती है।

तो प्रेमी उसे एक कोरे कागज़ पर उसका नाम लिखकर भेज देता है और कहता है मुझे तुम्हारे खूबसूरती के लायक शब्द नहीं मिले या ऐसे शब्द बने ही नही अभी और ना बनेंगे कभी जो तुम्हारी तारीफ लाइक हो ।

 इसलिए तुम्हारा नाम ही काफी है इस नाम में ही सुंदरता का उपन्यास छुपा है ।

"कविता का ख्याल" प्रेमी द्वारा प्रेमिका के लिए कविता लिखने की असमंजस और प्रेमी के प्रेमिका के लिए अथाह प्रेम की कहानी का वर्णन है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

...इति...

_जे पी एस बी

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कागज़ी जिंदगी(Kagzi Jindgi)

Kagzi Life
Life of Paper
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कागज़ के फूल..

कागज़ की कस्ती...

कागजी जहाज़...

सपने बुन रहा था ...

बचपन...

 

कागजी सपने देख..

जवान हुए...

अब बुढ़ापे की ओर...

अंत का इंतजार...

बाकी सब रह गया..

कागज़ पर ही सवार...

 

बहुत कुछ लिखाया ..

इस जिंदगी ने ..

सब कागज़ पर ही...

रह गया...

वक्त की आंधी में..

बाकी सब बह गया...!!


Kagaz ke phool..

Kagaz ki kasti..

Kagzi jahaz..

Sapne bun raha tha..

Bachpan..


Kagzi sapne dekh..

 jawan huye.. 

Ab budhape ki ore..

Ant ka intjar..

Baki sab rah gaya..

Kagaz par hi swar..


Bahut kuchh likhata..

Es jindgi ne..

Sab kagaz par hi..

Rah gaya..

Vakt ki aandhi main..

Baki sab bah gaya..!!

 

_JPSB 

कविता की विवेचना:

कागज़ी जिंदगी / Life of Paper कविता कागज़ की हमारी जिंदगी में महत्ता को दर्शाती है।

कागज़ हमारी जिंदगी में हमारे पैदा होते ही जुड़ जाता है, हमारे पैदा होने का लेखा जोखा कागज़ पर लिखा जाता है और हमारे पैदा होने का प्रमाण पत्र कागज़ पर ही दिया जाता है। 

कागज़ पर पत्रिका बनती है , पढ़ने जाते हैं कागज़ की किताबे कापिया,कागज़ से खेलना शुरू करते हैं, कागज़ की कस्ती ,हवाई जहाज,   कागज़ के फूल,दिन रात बनाते हैं , कागज़ी सपने बुनते हैं , कागज़ पर डायरी और कविताएं लिखते हैं।

बड़े होते हैं तो देखते हैं कि सपने कागज़ पर ही रह गए , हकीकत में साकार नहीं हुए, काग़ज़ की कस्ती पानी गल कर डूब गई, कागज़ का हवाई जहाज जमीन पर आ गया पैरों तले कुचल कर क्रैश हो गया, कागज़ के फूल बिना खुशबू बेकार हो गए कूड़े में फेंक दिए गए। 

इन कागज़ी चीजों का हस्र देख , मैं खुद ही समझ गया कि मेरा हश्र क्या होगा, कागज़ी घोड़े, कागज़ी ख्वाब, कागज़ के फूल सब कागज़ में रह जाते है।

इन्हे हकीकत में लाने के कड़ी लगन और मेहनत की जरूरत है, सबने कागजों पर सपने बुने मगर चंद लोगो के ही काग़ज़ से निकल कर हकीकत में आए बाकी ज्यादातर कागज़ में ही सड़ गल गए।

" कागज़ी जिंदगी" कविता हर किसी की जिंदगी का सत्य है, बहुत कम लोग हैं जिनके सपने कागज़ से निकल कर हकीकत में एक एक कर सत्य होते हैं, वो भाग्यसाली होते हैं।

... इति...

_जे पी एस बी

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Sunday, April 18, 2021

ताज महल(Taj Mahal)

Taj Mahal
Taj Mahal
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बचना हसीन चेहरों से ...
जरा...
जैसे ताज के अंदर..
मकबरा...

प्यार की निशानी..

प्यार ही कुर्बानी..

अगर दिल हो बड़ा..

वादे दफन यादें दफन..

सोई है मुमताज ओढ़कर..

प्यार का कफन..


जिंदगी महलों में गुजारी..

मौत के बाद भी महल में दफन..

ताज मोहबतो का है निशा है..

राज मोहबातो के करता बया है..


प्रेमी यहां आ कर होते मगन..

प्यार की महसूस करते अगन..

प्यार में खो जाओ एक दूजे के..

फिर लूट जाए चाहे सिंहासन..


प्यार त्याग मांगता है..

ताज है उसका उदाहरण..

प्यार होता बस बिना कारण..

परवाना जल मरता है अकारण..


प्यार की मिशाले बहुत हैं..

कई प्रेमी गुमनामी में हैं दफन..

ताज मिशाल बेशकीमती..

इसे दुनिया करती है नमन..


बादशाह के अंतिम दिनों का सहारा..

कैद की कोठरी से बरसो इसे निहारा ..

और कम किए अपने कुछ गम...

सांस टूट गई ख़ाक में हुए दफन..!!


Bachna hasin chehro se..

 jra..

Jaise Taj ke ander ..

makbara..


Pyar ki nishani..

Pyar hi kurbani..

Agar dil ho bada..

Vaade dafan yaade dafan..

Taj mohabato ka nisha hai..

Raj mohabato ke karta bya hai..


Premi yaha aakar hote magan..

Pyar ki mahasus karte agan..

Pyar me kho jao ek duje ke..

Phir loot jaye chahe Sinhasan..


Pyar tyag manta hai..

Taj hai hai uska udaharan..

Pyar hota bas bina karan..

Parwana jal Marta akaran..


Pyar ki mishale bahut hai..

Kai Premi gumnami hai dafan..

Taj mishal beshkimati..

Ise duniya karti hai naman..


Badshah ke antim dino ka sahara..

Kaid ki kothari se barason ise nihara..

Aur kam kiye Apne kuchh gam..

Sans tut gayi khak me huye dafan..!!


_JPSB 

 

कविता की विवेचना:

ताज महल/ Taj Mahal कविता में दुनिया के से अजीबो में शामिल ताज महल  का जिक्र है।

ताज महल Unesco World Heritage centre में शामिल है।

ताज महल मुगल बादशाह शाह जहान ने उनकी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में मुमताज महल की मृत्यु के बाद बनाया गया था।

शाह जहान को उसके अंतिम दिनों में कैद कर दिया गया था , जहां वो कैद था उसकी कोठरी की खिड़की से ताज महल शाह जहान को दिखता था, कहते हैं बादशाह का अंतिम समय तक महल को निहारते हुए उनकी पत्नी मुमताज महल को याद करते हुए बीता।

शाह जहान उनकी पत्नी मुमताज महल को बहुत ज्यादा चाहते थे , इस लिए उनकी याद में बेशकीमती इस्मार्क बादशाह ने बनवाया।

ताज महल को प्रेम के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, विश्व का हर प्रेमी एक बार जरूर ताज महल आता है और अपनी प्रेमिका या प्रेमी से सच्चे प्यार का इज़हार करता है, खास कर चांदनी रात में ताज महल की सुंदरता देखते बनती है।

ताज महल का निर्माण 1632 में चालू होकर 1648ईसवी में समाप्त हुआ था, यह उतर प्रदेश के आगरा शहर में स्तिथ है।यह लगभग 42acre भूमी में फैला हुआ है।इसे बनाने में लगभग 20000मजदूरों और कारीगरों ने लगातार काम किया था ।

ताज महल की ऊंचाई 73 मीटर है और इसके आर्किटेक्ट श्री उस्ताद अहमद लाहौरी थे, इसे बनाने में उस समय 3.2 करोड़ रुपए खर्च हुए थे जो कि आज के लगभग सत्तर अरब रुपए के बराबर हैं।

ताज महल भारत में विजिटर द्वारा सबसे अधिक देखे जाने वाल टूरिस्ट प्लेस है ,इसे देखने लगभग 80 लाख विजिटर हर साल आते है।

"ताज महल " कविता में ताज महल का वर्णन और इसकी अनोखी खूबसूरती अंकित करने की कोशिश की गई है। कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

और कविताओं को पढ़ने के लिए कृपया jpsb.blogspot.com Visit करें।

... इति...

_जे पी एस बी 

jpsb.blogspot.com



 

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पाप(Paap)

The Sin
Paap
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वो कौन इंसान है..

जिस पाप न किए...

          इस जग में ...

पापों बिन जिंदा रहा...

         कैसे उसने दिन जीए...

          इस कलयुग में ...

मैने बुरा किया..

बुरा ही फल दिया मुझे तूने...

बोल क्या फर्क रहा...

कामों में जो ....

मैने और तूने हैं किए...!!


Wo koan inshan hai..

Jis paap na kiye ..

Is jag me..

Paapo bager jinda raha..

Kaise  usne din jiye..

Is kalyuge me..

Maine bura kiya ..

Bura hi fal diya tune mujhe..

Bol phir kya fark raha..

Kamo me jo..

Maine aur tune hai kiye..!!


JPSB 

  कविता की विवेचना :

पाप/ Paap कविता इंसान की जिंदगी में पाप पुण्य होते हैं उसका एक पैमाना समाज ने बनाया है उस पाप के पैमाने का वर्णन कविता में किया गया है। 

पाप और पुण्य का पैमाना समाज ने अपनी सुविधा अनुसार बनाया है, समय समय पर इस पैमाने से समाज के सभी सदस्यों को नापा जाता है।

 अच्छे काम या पुण्य ज्यादा करने वाले इंसान को आदर सम्मान दिया जाता और पाप किए इंसान को लताड़ा जाता है, अपमानित किया जाता है , समाज से निष्कासित किया जाता है।

 ऐसा ही पाप पुण्य का लेखा जोखा कविता के नायक का किया गया और उसके पाप पुण्य गिनाए गए, पुण्य कम निकले और पाप ज्यादा निकले, नायक को पापी डिक्लेयर किया गया।

 नायक समाज से पूछता है, की ऐसा कौन है इस दुनिया में जिस कोई न कोई पाप जिंदगी में न किया हो, नायक के अनुसार ऐसा कोई दावा नही कर सकता कि उसने जिंदगी में कोई पाप नहीं किया है ।

अगर समाज अपने बनाए पैमाने में कस कर पापी डिक्लेयर करके सजा देता है तो नायक का कहना है कि मान लिया एक पाप हुआ है उसकी सजा देकर एक और पाप क्यों करते है।

 सजा देने के बाद तुम भी पापी हो जाओगे उतने ही जितनी तुमने नायक को सजा दी है उसी सजा का हकदार सजा देने वाला भी हो जाता क्यों की उसने भी पाप किया है अपने आप को भगवान की जगह रखकर ।

क्यों कि यह कौन बताएगा की तुम्हारा तय किया हुआ पाप का पैमाना सही है, यह तो तुमने बना लिया की इसको हम पाप कहेंगे और उसको पुण्य कहेंगे । एक इंसान का बनाया गया पैमाना भगवान का पैमाना कभी नही हो सकता ।

जिसने खुद पाप किए हों वह दूसरों को सजा कैसे दे सकता है । अपने अच्छे कर्म करके पहले खुद को पावन करो और पाप पुण्य का मामला ईश्वर पर छोड़ दो, तुम सजा देकर और गुनहगार ना बनो।

"पाप" कविता में नायक पाप पुण्य की परिभाषा तय नहीं कर पा रहा ,ईशान को अच्छे कर्म करने चाहिए पाप पुण्य भगवान पर छोड़ देना चाहिए।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_ जे पी एस बी

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Thursday, April 15, 2021

सपने (Sapne)

Dream
Sapne
Image from :pexels.com



रोज़ सपने में तुम आने लगे ...

सपने मुझे भाने लगे...

सपने मुझे तड़फाने लगे...

बता दे तू हकीकत में हो कही...

आंखे बंद ही रहने दू...

ना जाग जाऊं कही...

सुखद एहसास हो रहा है..

शंका कि तू गायब ना हो जाए कही...

अब जाग कर भी सोने को जी चाहता है...

तुम में खोने को जी चाहता है...

हकीकत में जागने पर आंखें तलाशती है...

कभी एहसास भी होता है...

कही यही आस पास तुम्हारे होने का...

रात का इंतजार और बेचैनी ...

नींद आने की चाह...

          क्यों कि तकनी है तेरी राह... 

पर चाहकर भी नींद न आना..

क्यों कि चलता रहा सारी रात...

 तुम्हारी यादों का सिलसिला..

सुबह हो गईं और मन ने कहा...

काश सपने सच होते....!!


Roj sapne main tum aane lage..

Sapne mujhe bhane lage..

Sapne mujhe tadfane lage..

Bata de tu agar Hakikat main ho kahi..

 Aankhe band hi rahne du..

Jaag na jaun kahi..

Sukhad ahsas ho raha hai..

Shanka ki tu gayab na ho jaye kahin..

Ab jagkar bhi sone ko jee chahta hai..

Tum me khone  ko jee chahta hai..

Hakikat main jagane par ankhe talashi hai..

Kabhi ahsas bhi hota hai..

Yahin aas pas tumhare hone ka..

Raat ka intjar aur milan ki bechaini..

Neend aane ki chah..

Kyu ki takani hai teri rah..

Par chah kar bhi neend na aana..

Kyo ki chalta raha sari raat..

tumhari yaadon ka silsila..

Subah ho gayee mann ne kaha..

Kash sapne sach hote ..!!


_जे पी एस बी 


कविता की विवेचना: 

सपने/ sapne कविता सपनों पर आधारित है, सपने हर किसी को आते हैं कभी अच्छे कभी बुरे , यह कविता एक अच्छे हसीन सपने का वर्णन करती है जो नायक अक्सर देखता है।

सपने कुछ जागते में देखे जाते हैं , जो कुछ लंबे लक्ष आधारित होते हैं कुछ शॉर्ट इच्छा को दर्शाते हैं यह जागते हुवे देखे जाने वाले सपने कहते हैं हम इसे ख्वाइश या इच्छा ,desire भी कह सकते हैं।

दूसरे सपने वो होते है जो हमे नींद आने पर कुदरती रूप से आते हैं जिसका कि हमें पता भी नही होता कि कौन सा सपना हमे आने वाला है।

जब कि दिन वाला सपना हम खुद तय करते हैं और देखते हैं या कल्पना करते हैं , जैसा कि पहले भी हम जिक्र कर चुके यह हमारी इच्छा होती है, जरूरी नहीं कि इच्छा पूरी हो।

यहां हम रात में स्वाभाविक रूप से आने वाले सपने की चर्चा कर रहे हैं , जो कभी कभी कल्पना से परे होते हैं , कभी बहुत अच्छे और कभी बहुत डरावने भी होते हैं , कभी डरावने सपने में हम बहुत चिलाने लग जाते हैं बहुत डर जाते है, चिलाते रहते है जब तक हमे कोई नींद से हिला कर जगा ना दे।

अच्छे और सुखद सपने में हम नींद से जगना ही नही चाहते, लगता है ये चलता ही रहे।

 कविता में जिक्र किया गया सपना अच्छा सपना है और नायक इसे लंबे समय तक देखते रहना चाहता है और इच्छा करता है या दिल से चाहता है कि सपना हकीकत बन जाए और जिस नायिका का सपना वो देख रहा है वोह उसे मिल जाए ।

मगर सपना सपना ही होता है, कई बार हकीकत के दूर का आनंद भी हमे देता है जैसा कि नायक को जिक्र किए गए सपने में आनंद और बहुत अच्छा आनंद दिया और नायक इस आनंद से बहुत खुश है।और बार बार इसे देखना चाहता।

"सपने" कविता में नायक के देखे गए अच्छे सपने का वर्णन किया गया है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी

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नियर नेचर(Near Nature)






Near Nature
Feel Near Nature 
Image from :pexels.com


Near Nature 2
Feeling Near Nature
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प्रकृति के आस पास..

है प्राण वायु का अहसास..

रंग बिरंगे फूल, भवरे , तितलियां..

इधर उधर घुमड़ती बदलियां..

पत्तियों पर मोतियों सी ओस की बूंदे..

स्वर्ग सा प्रतीत होता है अगर आंखे मूंदे..

प्रकृति के नजारे घुल मिल से गए हैं..

पूछते है जैसे मेरे दिल का हाल..

अपनो के बीच जैसे मैं यह है प्रकृति का कमाल..

फूल मुझसे बातें करने लगे...

पेड़ साथ साथ चलने लगे...

हंसने खिलखिलाने लगे...

पास ही एक झरना,...

हमे देख इतराने लगा ...

संगीत की धुन सा बहने लगा...

चट्टानों से टकरा जल...

मन को भाने लगा...

आसमान पे बदलिया...

सैर सपाटे पर निकली थी शायद...

प्रकृति की गोद में बैठा मैं...

मखमली घास पर आनंदित हो  रहा था...

प्रकृति की हर सै मुझ से घुल मिल कर...

बाते कर रही थी...

कितना मजा आ रहा था मुझे...

प्रकृति का हिस्सा होने में ...

प्रकृति की आगोश में खोने में..!!

 

Prakriti ke aas pas ..

Hai pran vayu ka ahsas..

Rang birange phool, bhanware,titliyan..

Idhar udhar ghumadti badaliyan..

Pattiyo par moti si ons ki bunde..

Swarg sa pratit hota agar aankhe munde..

Prakriti ke nazare ghul mil se gaye hai..

Puchhate hai jaise mere dil ka haal..

Apno ke bich jaise main yeh hai prakriti ka kamal..

  Phool mujhse baaten karne lage..

  Ped sath sath chalne lage..

Hansane khil khilane lage..

Pas hi ek Jharna tha..

Hame dekh itrane laga..

Sangit si dhun sa bahne laga..

Chattanon se takra jal..

Mann ko bhane laga..

Aashmaan par badliya..

Sair spate ko billi thi shayad..

Prakuriti ki goad main baitha mai..

Makhmal ghans par anandit ho raha tha..

Prakriti ki har shie mujh se ghul mil kar..

Baaten kar rahi thi..

Kitna maja aa raha tha mujhe..

Prakriti ka hissa hone me..

Prakriti ki aagosh main sone main..!!


_जे पी एस बी 

कविता की विवेचना: 

नियर नेचर/ Near Nature कविता प्रकृति की गोद में बैठ कर अद्भुत अनुभव संजो लिखी गई है, और प्रकृति का स्नेह प्यार व्यक्त करती है।

प्रकृति जितना मनभावन इस संसार में कुछ हो नहीं सकता , प्रकृति ने अपने गोद में सबको स्थान दिया है।

 रंग बिरंगी तितलियां ,तरह तरह की अनोखी लुभावनी चिड़िया और भी पंक्षी, समुंदर में तरह तरह की मछलियां, और भी विभिन्न प्रकार के प्राणी, शेर ,हाथी,हिरण , जेब्रा आदि हजारों प्रकार के पशु पंक्षी हैं जो इस प्रकृति की गोद में खेलते हैं रात दिन सबको भरपूर प्यार और आहार प्रकृति प्रदान करती है ,और बड़े प्यार से सबको सहेज कर रखती है। 

प्रकृति ने मनुष्य को भी भरपूर सुंदर जीवन दिया उसे संवारा निखारा ,मगर मनुष्य क्या कर रहा है , अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहा है।

 पॉल्यूशन फैला रहा हैं,मनुष्य की गलतियों की वजह से पंक्षी जीव जंतुओं का रहना दुस्वार हो गया है। कई पशु पंक्षी लुप्त होने की कगार पर हैं।

जैसे नन्ही सी गौरेया चिड़िया लुप्त होने की कगार पर है , बब्बर शेर, टाइगर गिनती के बचे हैं, यह सब तेजी से कटते जंगल , बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग , आदि जो की मनुष्यो की देन है, के कारण हो रहा है, परंतु मनुष्य है कि सुनने को तैयार नहीं है। 

वर्ल्ड वाइड मीटिंग्स होती है समेलन होते हैं, नियम बनत हैं मगर अमल नहीं होता, सालों से परियावरण बचाओ, पॉल्यूशन घटाओ, ग्लोबल वार्मिंग रोको, अभियान चल रहे हैं ,मगर क्या धरातल में यह सब लागू किया गया है?

 मानव को खुद का और पृथ्वी का अस्तित्व बचाना है तो प्रकृति को किसी भी हालत में बचाना होगा।

प्रकृति ने सबको लाड प्यार दिया है,प्रकृति का ऋण हमे प्रकृति की पॉल्यूशन से रक्षा कर चुकाना होगा।

" नियर नेचर" कविता में नेचर और मनुष्य के संबंध का वर्णन किया गया है। हमे पर्यावरण को बचना है और संतुलित रखना है।

कृपया कविता को पढ़े और शेयर करें।

... इति...

_जे पी एस बी 

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