मैं भी मौत से डरता हू..
इसलिए ..
मौत की बात करता हू..
मौत जिंदगी का..
पूर्ण विराम है..
किसी को नहीं पता..
मौत के बाद क्या अंजाम है..
अपने शरीर को..
जिंदगी भर सहेज के रखा..
इसे सुन्दरतम बनाया चाहा..
उसके लिए कई उपाय किए..
तरह तरह की..
औषधियों को चखा..
मगर समय आने पर..
शरीर का जीव खो गया..
शरीर निर्जीव हो गया..
इस शरीर को..
हमारे अपनों ने जला दिया..
हमारी तस्वीर को..
हार पहनाकर..
दक्षिण की दीवार पर लगा दिया..
मरने के बाद..
हम कभी वापिस आ नहीं पाते..
स्वर्ग नरक की..
परिकल्पना बता नहीं पाते..
यहां वापिस आकर..
कि कैसा लगा वहाँ जाकर..
मगर हमारे अपनों को..
पूर्ण विश्वास होता है..
कि स्वर्ग नरक होता है..
वो हमारी बरसी..
श्राद्ध मनाते हैं ..
हमारी पसंद का खाना..
काले कौवे को खिलाते हैं..
क्या हम अपने अपनों के..
मृत्यु के बाद रह पाते हैं..
कि हमारा इस पृथ्वी पर..
जन्म लेना और मर जाना..
अनंत काल तक..
पहली और आखिरी घटना है..
फिर इस जिंदगी, आत्मा ..
और स्वर्ग नरक की..
परिकल्पना से..
हमेशा के लिए कटना है..!!
_JPSB
कविता की विवेचना:
मौत की बात / Mout ki baat कविता जैसा कि शीर्षक से विदित है कि कविता अटल सत्य मृत्यु ke बारे मे विचार है.
सभी मनुष्यों की तरह लेखक भी मौत से डरता है.
मगर यह सत्य है हर किसी का सामना मौत से एक ना एक दिन होना ही है.
मृत्यु के बाद सभी परिकल्पना ही है, स्वर्ग नरक, दूसरा लोक आदि मतक आज तक किसी को भी नहीं पता कि मौत के बाद कहाँ जाते है.
शरीर को तो जला दिया जाता है या दफन कर दिया जाता है, फिर आत्मा की परिकल्पना है, उस आत्मा के लिए श्राद्ध किए जाते है और मरने वाले के पसंद का भोजन कौवों को खिलाया जाता है.
"मौत की बात "कविता में हम मौत की बात ही कर सकते हैं, मौत के बाद के राज मरने वाले के साथ ही चले जाते हैं, हमेशा के लिए आगे हम परिकल्पना ही कर सकते हैं, हकीकत नहीं जानते,मौत एक राज है जिसकी हकीकत भगवान ही जानता है.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
...इति...
jpsb.blogspot.com
Authour is a member of SWA Mumbai.
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