अगर पृथ्वी पर..
सिर्फ जानवर होते..
पृथ्वी का पर्यावरण ना खोते..
पृथ्वी के इतने तुकडे ना होते..
ईन टुकड़ों के नाम ..
इतने देश ना होते..
एक होती सिर्फ पृथ्वी ..
ना लड़ाई झगड़े..
ना पासपोर्ट ना वीजा..
ना कोई अमीर..
ना कोई गरीब..
ना कोई महाशक्ति..
ना युद्ध ना हथियार..
सब जानवरों का होता..
आपस में प्यार..
ना कभी टूटते प्रकृति के नियम..
प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग का ..
नामों निशान ना होता..
अगर पृथ्वी पर इंसान ना होता..
पृथ्वी संतुलित होती..
जीव जंतुओं की कई जातियां..
यू ही विलुप्त ना होती..
ना होते दंगे फसाद ..
ना ये धर्म होते..
ईश्वर के नाम बहस ना होती..
जानवर अपने उस एक मालिक के..
नियम कानून आज्ञा का पालन करते..
ईश्वर के बनाये नियमों को..
किसी ने भी तोड़ा ना होता..
एक ईश्वर एक धर्म होता..
जानवर को ही..
समझ आया है कि ईश्वर एक है..
इंसान तो ..
आज तक ना समझ पाया है..
अब जिस तरह..
इंसान विभिन्न गुटों में बांट..
मचा रहा मार काट..
एक दिन इंसान समूल..
नष्ट हो जाएगा पृथ्वी से..
इंसान का नामों निशान..
मिट जाएगा पृथ्वी से..
तो यह जानवरों का ग्रह कहलायेगा..!!
_Jpsb
कविता की विवेचना:
जानवर/Jaanwar कविता पृथ्वी की आज की दसा को देख कर परिकल्पना की गई है कि यदि पृथ्वी पर सिर्फ जानवर होते और मनुष्य नहीं होता.
तब पृथ्वी पर ना युद्ध होता, ना पर्यावरण दूषित होता, ना ग्लोबल वार्मिंग ना देश ना इनके दायरे ना यह सरहद्द की लकीरें.
पृथ्वी विशुद्ध प्राकृतिक रूप मे रहती और इस ब्रह्मांड का स्वर्ग कहलाती.
ना जात ना धर्म ना रंग भेद एक ईश्वर उसके आज्ञाकारी सब जीव बिना लडे मरे इस पृथ्वी पर प्यार से रहते.
कोई हद सरहद्द नहीं सारी पृथ्वी का मालिक इस वो परमपिता परमात्मा.
उस परमपिता पर विश्वास होता काश पृथ्वी पर इंसान आया ना होता.
"जानवर "कविता मानव स्वाभाव और उस द्वारा निर्मित युद्ध विनाश, धर्म, दंगे फसाद ,आतंकवाद आदि से उदासीन होकर परिकल्पना की गई है कि इंसान ना होता तो यह सब भी ना होता.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
... इति...
_Jpsb
jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai
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