मत हो उदास..
कि जल्द ही तुम्हें..
कही दूर जाना है..
जिंदगी और मौत का..
सिलसिला बहुत पुराना है..
कभी परेशान हुआ था..
सिद्धार्थ भी..
इस जिंदगी और मौत से..
की थी तपस्या..
ज्ञान मिला तो..
महात्मा बुद्ध हो गया..
अजर अमर..
अपनी आत्मा के श्रोत..
ईश्वर को पा लिया..
मिला था संसार का..
सबसे बड़ा ज्ञान..
जिसमें सामने थे..
स्वयं भगवान..
जीवन मृत्यु का चक्कर..
समझ आया..
सारा ब्रह्मांड अनंत..
उन्हें नज़र आया..
इस मिले अमृत को..
भगवान बुद्ध ने..
"विपाशना "के रूप में..
सारे संसार में बांटा..
जिसने इस अमृत को पाया..
बदल गई उसकी काया..
हो गया वो अमर..
चाहे जो हो उसकी उम्र..
वर्ना जिंदगी का भँवर..
घुमाता है गोल गोल..
जीवन बिकता है..
माटी के मोल..
अमृत पडा है सामने..
कुछ भाग्यशाली लोग ही..
चख पाते हैं..
बाकी मोह माया के..
चकर में फंस जाते हैं..
दिन रात जागते हैं..
पैसा रुतबा और ताकत के..
पीछे भागते हैं..
कितना भी संजो..
एक दिन..
यह सब चला जाता है ..
जिंदगी का मोल..
कुछ भी नहीं रह जाता है..
अंतिम समय..
फिर ईश्वर याद आता है..
यह कहानी..
कई बार दोहराई गई है..
पर संसार की..
अब भी रीत वही है..
इंसान संसारिक..
मृग मरीचिका में फंसता है..
पल दो पल का आनंद ही..
उसके जहन में बसता है..
कृत्रिम आनंद के फेर में..
जीवन अर्थ..
अनर्थ हो जाता है ..
अंतिम समय..
इंसान पस्ताता है..
फिर भी..
कृत्रिम आनंद ही..
क्यों भाता है..
अनंतता इंसान..
मौत के सामने..
हार जाता है..!!
_JPSB blog
कविता की विवेचना:
विपासना जीवन अमृत/Vipasana Jeewan Amrit कविता जीवन मृत्यु के चक्र और अनंत ब्रह्मांड के बारे में है, जिसका ज्ञान किसी को भी नहीं भगवान के सिवा.
महात्मा गौतम बुद्ध ने घोर तपस्या कर इस जीवन मृत्यु के चक्र और ब्रह्मांड का ज्ञान अर्जित किया भगवान को पाया और स्वयं भगवान स्वरूप हो गए.
उन्होंने ने अर्जित किये गये जीवन अमृत "विपश्यना "को सारे संसार में बांटा और संदेश दिया कि तुम भी पल दो पल के संसारिक सुख को त्याग कर चरम सुख पायो उस ईश्वर में विलीन हो जाओ.
जिन्होंने भी इस जीवन अमृत को चख लिया वो अमर हो गये, यह जीवन अमृत भगवान बुद्ध ने सबके लिये आसानी से उपलब्ध कराया.
मगर कुछ भाग्यवान लोग ही इसे पा पाते हैं, बाकी इस संसारिक मोह माया में खो जाते हैं, इसे पाने के लिये भगवान की असीम कृपा भी जरूरी है.
"जीवन अमृत "कविता जीवन मृत्यु के चक्र से निकलने के ज्ञान जो कि भगवान बुद्ध ने कठोर तपस्या कर पाया और सारे संसार को आसानी से "विपाशना" के रूप में उपलब्ध कराया.
जिसने भी यह जीवन अमृत पा लिया वो ईश्वर में लीन हो गया और जीवन मृत्यु के रहस्य का ज्ञान उसे हो गया और वो आलौकिक ज्ञान की आनंदमयी दुनिया में खो गया.
कृपया कविता को पढे और शेयर करें.
जीवन अमृत "विपाशाना"को अपनाये और अमर हो जाये.
..इति..
_JPSB
jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai
Copyright of poem is reserved.
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