Thursday, March 31, 2022

जन्म दिनों का जोड़ (Janm dino ka jod)

Birth day          
Janm dino ka jod
Janm dino ka jod 
  Image from:pexels.com

              
उम्र के इन जमा किये गये..
सालों का क्या करोगे..
हर जन्म दिन पर आये..
सवालों का क्या करोगे..
प्यार भरे..
उपहारों का क्या करोगे ..

हर वर्ष आया जन्म दिन..
एक साल उम्र का छुपाकर..
लाया जन्म दिन..
वर्ष  दर वर्ष जुड़ते गये..
बचपन से जवानी..
जवानी से  बुढ़ापा..
लाया जन्म दिन..

बचपन में लगता था..
बहुत ही अच्छा..
जन्म दिन..
जवानी में भी ठीक था..
यही उम्र का पीक था..
बुढ़ापे मे कैक पर..
जळती मोमबत्ती बुझाने..
पर लगता है डर..
कहीं जिंदगी का दिया ही..
ना बुझा लू..

जन्म दिन आते जाते गये..
सूरत बदलती गयी..
आईने ने देखा है तुम्हें..
रंग बदलते हुये..
भोळा मासूम..
बचपन का चेहरा..
जवानी का तना ..
यौवन से भरपूर चेहरा..
बुढ़ापे में रेखाएं खींच गई..
मुखड़े पर..
जैसे तकदीर लिखी हो..

काले घने बादलों से बाल..
सफेद सावन की घटाओं में..
कब तब्दील हो गए अचानक..
जैसे लगा अभी  बरसेगे..
मुखड़े को बौसारो से  धोकर..
फिर पूरे जीवन की कहानी..
चेहरे की रेखाओ  से पढ़ेंगे..

जन्म वार सिलसिले से..
सारी कहानी लिखी है..
आखिरी सफर की ..
तैयारी भी लिखी है..
एक जन्म दिन आखिरी..
भी आएगा एक दिन..
सारे जन्म दिनों के जोड़ से..
जिंदगी का निचोड़ घट जाएगा..
परिणाम शून्य आएगा..
शून्य ही आखिरी मंजिल है..
शून्य में ही विलीन हो  जायेगा..!!


_JPSB 

कविता की विवेचना: 

जन्म दिनों  का जोड़/ Janm dino ka jod कविता इंसान जब पैदा होता है उसके जन्म की  धूमधाम से खुशिया मनाई जाती हैं. 

फिर जन्म दिन मनाने का सिलसिला शुरू होता है पहले माँ बाप अपने बच्चे का जन्म दिन धूमधाम से मनाते हैं, बड़ा होकर खुद जन्म दिन मनाया जाने लगता है. 

जवानी से बुढ़ापा जन्म दिन मनाते मनाते कब आ जाता है पता ही नहीं चलता, वह तो आईना बताता है बूढे हो चुके हो, मौत से नजदीकियां बढ़ रही हैं. 

अब बुढ़ापे में तो जन्म दिन की मोमबत्ती बुझाते हुये डर लगता है कि कहीं अपनी जिंदगी का दीपक तो नहीं बुझा रहा हू. 

"जन्म दिनों  का जोड़ " कविता जिंदगी के उगते सूर्य से लेकर जिंदगी के बुझते दीपक की कहानी है जो जन्म दिन  मनाने की परंपरा से जोड़ कर देखी गई है, भगवान से दुवा है सबकी जिंदगी का दीपक लंबा जले, कभी ना बुझे.और अनंत काल तक जन्म दिन मनते रहें. 

कृपया कविता को पढे और  शेयर करें.

...इति...

JPSB

jpsb.blogspot.com
Author is a member of SWA Mumbai 
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